Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
शोध (research studies) में यह पाया गया है की जेनेटिक्स सिर्फ एक करक, इसके आलावा और बहुत से करक हैं जो बढ़ते बच्चों के लम्बाई को प्रभावित करते हैं। जानिए 6 आसान तरीके जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को अच्छी लम्बी पाने में मदद कर सकते हैं।

हर एक माँ बाप की चाहत होती है की उनका बच्चा उनसे लम्बा और तंदरुस्त हो। बढ़ते बच्चे कई प्रकार के बदलाव से गुजर रहे होते हैं जैसे की शारीरिक, हॉर्मोनल और मानसिक बदलाव जो उनके लम्बाई और सेहत पे असर डालते हैं मगर आप का बच्चा बड़ा होकर कितना लम्बा हो, यह बहुत हद तक उसकी जेनेटिक्स (genetics) द्वारा निर्धारित होता है।
इसका मतलब बच्चे औसतन अपने माँ-बाप की लम्बाई के बराबर लम्बे होते हैं। मगर इसके बावजूद कया आप ने कभी देखा कुश बच्चे अपने माँ और बाप से कुछ ज्यादा ही लम्बे निकल जाते हैं।
शोध (research studies) में यह पाया गया है की जेनेटिक्स सिर्फ एक करक, इसके आलावा और बहुत से करक हैं जो बढ़ते बच्चों के लम्बाई को प्रभावित करते हैं।
यहां पर हम आपको बताते हैं 6 आसान तरीके जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को अच्छी लम्बी पाने में मदद कर सकते हैं।
स्वस्थ से भरपूर आहार एक बच्चे को बढ़ने में मदद करता है। समतोल आहार (balanced diet) बढ़ते बच्चे के हडियोंको कैल्शियम प्रदान करता है और मास-पेशियों को बनने के लीये प्रोटीन। सही आहार मिले तो बच्चा अच्छी लम्बाई पकड़ेगा।
कार्बोहाइड्रेट - गेहूँ की चपाती, दालें और ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate) भरपूर होता है। कार्बोहाइड्रेट बढ़ते बच्चों को जरुरी ऊर्जा प्रदान करता है।
दूध और दूध की बनी चीज़ें - इनमें कैल्शियम और प्रोटीन भरपूर होता है जो बच्चों की हड्डियाँ मज़बूत करने के साथ-साथ उनकी लंबाई के लिए भी अच्छा है अपने बच्चों को दूध और दूध की बनी चीज़ें रोज दें।
प्रटीन से भरपूर आहार - प्रोटीन युक्त भोजन अपने बच्चों को खिलाएं। दाल, सीरीअल, मीट, अंडा और फिश में भरपूर होता है प्रोटीन।
विटामिन डी - यह विटामिन शरीर के लिए काफी महत्वपूर्ण है विशेषकर स्किन और मांसपेशियों के लिए। धूप में शरीर यह विटामिन खुद-बा-खुद बना लेता है। यह विटामिन आप के शिशु को अच्छी लम्बाई पाने में भी मदद करता है।

हर दिन एक्सरसाइज बढ़ते बच्चों को शारीरिक रूप से फिट और अच्छी लम्बाई पाने में मदद करता है। इस वीडियो में देखिये वो एक्सरसाइज जो आपके बच्चे को अच्छी लम्बाई पाने में मददगार साबित होगें।
बुरी आदतों बच्चों के सक्रिय बढ़त में बाध डालते हैं। अपने बच्चों को आर्टिफिशियल हॉर्मोन के कैप्सूल से दूर रखें। यह भी सुनाशित करें की आपके बच्चे बुरी संगती में न पड़े।
बुरी संगती में पड़कर कई बच्चे नाजुक उम्र में शराब और सिगरेट का सेवन शुरू कर देते हैं। यह बुरी आदतें ना केवल उनके इम्यून सिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं बल्कि उनके सक्रिय विकास को हमेशा के लिए बाधित कर देती हैं।
अच्छी नींद बच्चों के अच्छे विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। बच्चों को हर दिन कम से कम 8 घंटे जरूर सोना चाहिए।
उनके सोने के लिए घर में ऐसे प्रबंध करें की उनको पर्याप्त जगह मिल सके। वैज्ञानिक शोध में यह बात सामने आयी है की सोने की तंग जगह हड्डियों और पूरे शरीर को बढ़ने में रुकावट लती हैं।
जगह इतनी होनी चाहिए की बच्चे आराम से पैर फैला के सो सकें। साथ ही साथ अगर दिन का समय है तो कमरे के अंदर की रौशनी को इस तरह व्यस्थित करें ताकि माहौल सोने के अनुकूल बन सके।

यदि आप बच्चे की सेहत, खान पान और रोजाना व्यायाम का ध्यान रख रहे हैं फिर भी आप का बच्चा उस तरह लम्बा नहीं हो पा रहा जिस तरह उसे होना चाहिए, तो आप डॉक्टर से संपर्क करें। कई बार जब चीज़ें स्पष्ट ना हों तो एक डॉक्टर ही सही राय दे सकता है। एक बच्चे की लम्बाई 18 से 20 वर्ष तक ही बढ़ती है। इसका मतलब आप को डॉक्टर को समय रहते संपर्क करना चाहिए।
अगर इन सबके बावजूद किन्ही कारणों से आपका बच्चा अच्छी लम्बाई नहीं ले पा रहा है तो ना खुद निराश हों और ना ही आने बच्चे को निराश होने दें। हर किसी की शारीरिक बनावट भिन भिन होती है। सफलता का लम्बाई से कोई लेना देना नहीं है। सचिन तेंदुलकर और रानी मुखर्जी जैसे सफल लोगों की मिसाल दे कर अपने बच्चे का कान्फिडन्स बढ़ाएँ।
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Vitamin A एक वसा विलेय विटामिन है जिस के अत्यधिक सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु में जन्म दोष की समस्या की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है कि विटामिन ए गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि शिशु के विकास के लिए विटामिन ए एक महत्वपूर्ण घटक भी है।
बच्चों के शारीर पे एक्जिमा एक बहुत ही तकलीफदेह स्थिति है। कुछ बातों का ख्याल रखकर और घरेलु इलाज के दुवारा आप अपने शिशु को बहुत हद तक एक्जिमा की समस्या से छुटकारा दिला सकती हैं। इस लेख में आप पढ़ेंगी हर छोटी और बड़ी बात का जिनका आप को ख्याल रखना है अगर आप का शिशु एक्जिमा की समस्या से परेशान है!
विटामिन ई - बच्चों में सीखने की क्षमता को बढ़ता है। उनके अंदर एनालिटिकल (analytical) दृष्टिकोण पैदा करता है, जानने की उक्सुकता पैदा करता है और मानसिक कौशल संबंधी छमता को बढ़ता है। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को ऐसे आहार लेने की सलाह देते हैं जिसमें विटामिन इ (vitamin E) प्रचुर मात्रा में होता है। कई बार अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई नहीं मिल रहा है तो विटामिन ई का सप्लीमेंट भी लेने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन ई की कमी से बच्चों में मानसिक कौशल संबंधी विकार पैदा होने की संभावनाएं पड़ती हैं। प्रेग्नेंट महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई अगर मिले तो उसकी गर्भ में पल रहे शिशु का तांत्रिका तंत्र संबंधी विकार बेहतर तरीके से होता है।
होली मात्र एक त्यौहार नहीं है, बल्कि ये एक मौका है जब हम अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति के बारे में जागरूक कर सकते हैं। साथ ही यह त्यौहार भाईचारा और सौहाद्रपूर्ण जैसे मानवीय मूल्यों का महत्व समझने का मौका देता है।
शिशु में जुखाम और फ्लू का कारण है विषाणु (virus) का संक्रमण। इसका मतलब शिशु को एंटीबायोटिक देने का कोई फायदा नहीं है। शिशु में सर्दी, जुखाम और फ्लू के लक्षणों में आप अपने बच्चे का इलाज घर पे ही कर सकती हैं। सर्दी, जुखाम और फ्लू के इन लक्षणों में अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं।
शिशु को 10 सप्ताह (ढाई माह) की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को कई प्रकार के खतरनाक बिमारिओं से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
मखाने के फ़ायदे अनेक हैं। मखाना दुसरी ड्राई फ्रूट्स की तुलना में ज्यादा पौष्टिक है और सेहत के लिए ज्यादा फायेदेमंद भी। छोटे बच्चों को मखाना खिलने के कई फायेदे हैं।
अगर आप यह जानना चाहते हैं की आप के चहेते फ़िल्मी सितारों के बच्चे कौन से स्कूल में पढते हैं - तो चलिए हम आप को इसकी एक झलक दिखलाते हैं| हम आप को बताएँगे की शाह रुख खान और अक्षय कुमार से लेकर अजय देवगन तक के बच्चे कौन कौन से स्कूल से पढें|
अगर आप भी अपने लाडले को भारत के सबसे बेहतरीन बोडिंग स्कूलो में पढ़ने के लिए भेजने का मन बना रहे हैं तो निचे दिए बोडिंग स्कूलो की सूचि को अवश्य देखें| आपका बच्चा बड़ा हो कर अपनी जिंदगी में ना केवल एक सफल व्यक्ति बनेगा बल्कि उसे शिक्षा के साथ इन बोडिंग स्कूलो से मिलगे ढेरों खुशनुमा यादें|
कोई जरुरत नहीं की बच्चे बरसात के दिनों में घर की चार दीवारों के बीच सिमट के रह जाएँ| इन मजेदार एक्टिविटीज के जरिये बनाये घर पर ही बच्चों के लिए मजेदार माहौल|
चावल उन आहारों में से एक है जिसे शिशु को ठोस आहार शुरू करते वक्त दिया जाता है क्योँकि चावल से किसी भी प्रकार का एलेर्जी नहीं होता है और ये आसानी से पच भी जाता है| इसे पचाने के लिए पेट को बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है| यह एक शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है|
चावल का खीर मुख्यता दूध में बनता है तो इसमें दूध के सारे पौष्टिक गुण होते हैं| खीर उन चुनिन्दा आहारों में से एक है जो बच्चे को वो सारे पोषक तत्त्व देता है जो उसके बढते शारीर के अच्छे विकास के लिए जरुरी है|
खिचड़ी हल्का होता है और आसानी से पच जाता है| पकाते वक्त इसमें एक छोटा गाजर भी काट के डाल दिया जाये तो इस खिचड़ी को बच्चे के लिए और भी पोषक बनाया जा सकता है| आज आप इस रेसिपी में एहि सीखेंगी|
जुड़वाँ बच्चे पैदा होना इस गावं में आम बात है और इस गावं की खासियत भी| इसी कारण इस गावं में जुड़वाँ बच्चों की संख्या हर साल बढ़ रही है|
दूध वाली सेवई की इस recipe को 6 से 12 महीने के बच्चों को ध्यान मे रख कर बनाया गया है| सेवई की यह recipe है छोटे बच्चों के लिए सेहत से भरपूर| अब नहीं सोचना की 6 से 12 महीने के बच्चों को खाने मे क्या दें|
अगर आप अपने बच्चे को यौन शोषण की घटनाओं से बचाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने बच्चों के साथ समय बिताना शुरू करना पड़ेगा| जब बच्चा comfortable feel करना शुरू करेगा तो वो उन हरकतों को भी शेयर करेगा जो उन्हें पसंद नहीं|
सेक्स से सम्बंधित बातें आप को अपने बच्चों की उम्र का ध्यान रख कर करना पड़ेगा। इस तरह समझएं की आप का बच्चा अपने उम्र के हिसाब से समझ जाये। आप को सब कुछ समझने की जरुरत नहीं है। सिर्फ उतना बताएं जितना की उसकी उम्र में उसे जानना जरुरी है।
हर मां बाप अपने बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान करना चाहते हैं जिससे उनके शिशु को कभी भी कुपोषण जैसी गंभीर समस्या का सामना ना करना पड़े और उनके बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास बेहतरीन तरीके से हो सके। अगर आप भी अपने शिशु के पोषण की सभी आवश्यकताओं को पूरा करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले यह समझना पड़ेगा किस शिशु को कुपोषण किस वजह से होती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कुपोषण क्या है और यह किस तरह से बच्चों को प्रभावित करता है (What is Malnutrition & How Does it Affect children?)।
बच्चों के रोने के कई वजह हो सकते हैं जैसे की भूख की वजह से, थकन की वजह से, पेट के दर्द या गैस की समस्या की वजह से। जब आप का शिशु रोये तो सबसे पहले आप उसे अपनी गोद में ले लें। शांत ना होने पे आप उसे स्तनपान कराएँ और उसके डायपर को जांचे की कहीं वह गिला तो नहीं है। अगर शिशु फिर भी ना शांत हो तो उसे चुसनी या पैसिफायर से शांत कराने की कोशिश करें, फिर भी ना शांत हो तो उसे सुलाने की कोशिश करने, यह भी देखें की कहीं शिशु को ज्यादा गर्मी या ठण्ड तो नहीं लग रहा है या उसे कहीं मछरों ने तो नहीं कटा है। इन सब के बावजूद अगर आप का शिशु रोये तो आप उसे तुरंत डोक्टर के पास लेके जाएँ।
सेब और चावल के पौष्टिक गुणों से भर पूर यह शिशु आहार बच्चों को बहुत पसंद आता है। सेब में वो अधिकांश पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जो आप के शिशु के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उसे स्वस्थ रहने में सहायक हैं।