Category: प्रेगनेंसी
By: Admin | ☺8 min read
डिलीवरी के बाद लटके हुए पेट को कम करने का सही तरीका जानिए। क्यूंकि आप को बच्चे को स्तनपान करना है, इसीलिए ना तो आप अपने आहार में कटौती कर सकती हैं और ना ही उपवास रख सकती हैं। आप exercise भी नहीं कर सकती हैं क्यूंकि इससे आप के ऑपरेशन के टांकों के खुलने का डर है। तो फिर किस तरह से आप अपने बढे हुए पेट को प्रेगनेंसी के बाद कम कर सकती हैं? यही हम आप को बताएँगे इस लेख मैं।

प्रसव के बाद पेट कम करिये और हो जाइये फिट
क्या आप भी डिलीवरी के बाद दुबारा से पेट कम करना चाहती हैं?
सिजेरियन डिलीवरी के बाद पेट बिलकुल लटक और यह अपने आप ठीक भी नहीं होता है। इससे शारीर बहुत ज्यादा मोटा और पेट काफी ज्यादा बहार की तरह निकला लगता है।
कुछ महिलाओं की स्थिति तो ऐसे होती है की जैसे अभी भी वो गर्भवती हैं।
घबराइए नहीं, समस्या का हल है।
बिना व्यायाम (no exercise) किये और बिना मेहनत किये आप अपने पेट को आसानी से अन्दर कर सकती हैं।
हर स्त्री चाहती है की उसकी कमर पतली हो और पेट अन्दर।
इस लेख में आप पढ़ेंगी की किस तरह से आप मां बनने के बाद भी रह सकती हैं सुपरफिट!
जी हाँ!
ये बिलकुल मुमकिन है,
इन तरीको से आप गर्भावस्था के बाद आसानी से मोटापा कम कर सकती हैं। डिलीवरी के बाद पेट कम करना कोई आसंभव बात नहीं है।
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अगर आप थोडा ध्यान दें तो आप पाएंगी की आप की बहुत सी सहेलियां ऐसी हैं जो प्रसव के बाद भी फिट हैं।
क्या आप ने कभी सोचा की कुछ महिलाएं किस तरह से डिलीवरी के बाद स्तनों व् पेट के ढीलेपन से आसानी से छुटकारा पा लेती हैं। इस लेख में आप जानेंगी गर्भावस्था के बाद पेट कम करने के घरेलू उपाय।
माताएं प्रसव के बाद कैसे रहें फिट?
यह चिंता डिलीवरी के बाद अधिकांश महिलाओं को रहती है। लेकिन डिलीवरी के बाद दुबारा से पेट कम करना उतना मुश्किल काम नहीं है जितना की लगता है।

हाँ, लेकिन एक बात जरूर है। अगर आप सही में डिलीवरी के बाद पेट कम करना चाहती है तो आप को कुछ निर्देशों का पालन अवशय करना पड़ेगा। आप कितनी जल्दी बढे हुए पेट को कम कर पाएंगी - ये इस बात पे निर्भर करता है की आप कितने लगन के साथ प्रेगनेंसी के बाद पेट कम करने का उपाय को अपनाती हैं।
काम चाहे कितना आसान या मुश्किल हो, फल तभी प्राप्त होता है जब उसमें निरंतर लगे रहा जाये। जब तक की नतीजा हासिल न हो जाये।
काम मुश्किल नहीं है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। बच्चे की डिलीवरी के बाद मां के बढे हुए पेट को कम करने के लिए आप को कुछ घरेलु उपायों को अपनाते रहना पड़ेगा।
और ये आप को तब तक करते रहना पड़ेगा जब ताकि आप सही में आप का पेट कम न हो जाये।
जो उपाय हम आप को बताने जा रहे हैं, उसे अपनाने से पहले आप को अपने बढे हुए पेट का नाप लेना पड़ेगा।
बढे हुए पेट का नाप लेने की आवश्यकता क्योँ है?
इसलिए क्योँकि शारीरिक परिवर्तन इतना धीरे-धीरे होता है की पता भी नहीं चलता ही की जो मेहनत आप कर रही हैं उसका कुछ नतीजा भी हासिल हो रहा है या की नहीं?
कई बार तो दोस्त और रिश्तेदार बताते हैं की आप का पेट कितना अंदर चला गया है। तब जा के लगता है की मेहनत सफल हुआ।

लेकिन कई बार दोस्तों और रिश्तेदारों से ये तारीफ मिलने से पहले ही कुछ महिलाएं हतहास जो जाती हैं और डिलीवरी के बाद पेट कम करने के उपाय को करना बंद कर देती हैं।
उन्हें लगता है की उनकी मेहनत का कोई भी फल उन्हें प्राप्त नहीं हो रहा है।
जबकि ऐसा नहीं है।
इन उपायों के दुवारा पेट कम तो होता है लेकिन ये सब रातों-रात नहीं होता है। इसमें कुछ महीनों का समय लगता है।
फिर भी एक तरीका है जिसकी मदद से आप ये जाँच सकती हैं की हर सप्ताह आप अपना पेट कम करने में कितनी सफल हुई।
इसके लिए आप को चाहिए एक डायरी और एक लम्बाई नापने वाली टेप। प्रसव के बाद के बढे हुए पेट को कम करने के घरेलु उपायों को अपनाने से पहले आप को अपने बढे हुए पेट का नाप लेना होगा।
डायरी में आज की तारीख डालिये और उसके बगल में अपने पेट की चौड़ाई का नाप लिखिए।
ये काम आप को हर सप्ताह के अंत में करना है।
अगर आप ये काम नहीं करेंगी तो आप बहुत जल्दी हतहाष हो जाएंग। और शायद पेट कम करने के अपने मेहनत को बीच में ही बंद कर दें।
लेकिन इस तरह से जब आप अपनी डायरी में हर सप्ताह अपने पेट के नए नाप को लिखती हैं तो आप अपनी आखों से देख सकती हैं की हर सप्ताह आप ने कितना खोया। इससे आप का मनोबल बना रहेगा और आप दुगने उत्साह के साथ प्रेगनेंसी के बाद पेट कम करने का उपाय में लगी रहेंगी।
इससे आप की सफलता तय है।
नार्मल हो या सिजेरियन डिलीवरी के बाद पेट कम करना हर माँ चाहती है।
चलिए, अब देखते हैं की आप को करना क्या पड़ेगा।
लेकिन उसे पहले ये जानते हैं की क्या नहीं करना पड़ेगा
प्रेगनेंसी के बाद पेट कम करने से पहले ये पढ़ें नहीं तो हो सकता है खतरनाक परिणाम
प्रेगनेंसी के बाद आप के खान पान का आप के बच्चे पे प्रभाव पड़ता है। जब तक आप अपने बच्चे को स्तनपान करा रही हैं, अपना पेट कम करने या वजन कम करने के लिए ऐसा कुछ भी नहीं खाएं जो आप के बच्चे की सेहत के लिए बुरा है। उपवास तो बिलकुल भी नहीं करें।

आप के शिशु को बेहतर विकास के लिए आप के दूध की आवश्यकता है। अगर आप ठीक तरह से आहार नहीं लेंगी तो आप अपने बच्चे को स्तनपान के जरिये पोषण नहीं प्रदान कर पाएंगी। इसीलिए पेट कम करने और मोटापा घटने वाले विज्ञापन और सुझावों से दूर रहें।
हम इस लेख में आप को सिजेरियन डिलीवरी के बाद पेट कम करने वाले घरेलु उपाय बताएँगे जो आप के बच्चे की अच्छी सेहत को ध्यान में रख के लिखा गया है
माँ बनने के बाद, आप पाएंगी की आप के शरीर में पेट कमर और हिप्स पर चर्बी अधिक जमा हो जाती हैं। लेकिन आप न तो कोई हैवी एक्सरसाइज कर सकती हैं और न ही खान पान में बदलाव कर सकती हैं, क्योँकि अब आप अकेली नहीं हैं।

आप का शिशु आप पे निर्भर है। आप को अपना पेट बहुत ही नेचुरल तरीके से घटना है। आप को डिलीवरी के बाद पेट कम करने के घरेलू नुस्खे को ही अपनाना है। वो भी जो आप के बच्चे के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित हों।
जब आप गर्भवती थी तो आप के शरीर ने अपना वजन कुछ करने से बढ़ाया। आप के शरीर का वजन बढ़ने में 9 महीनों का समय लगा है। तो आप को अपने शरीर का वजन घटाने के लिए उसे कुछ समय देना पड़ेगा।
आप दोबारा से सुन्दर काया पा सकती हैं। लेकिन उसके लिए आप को अपने बॉडी तो थोड़ा समय देना पड़ेगा। सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात।

डिलीवरी के प्रथम एक महीने में तो आप को पेट कम करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। दुसरे महीने से आप को धीरे-धीरे वजन कम करना चाहिए। आप को अपने पहली जैसी सुन्दर काया पाने में 6 महीने से 12 महीने का समय लग सकता है।
अगर आप ने अपने शरीर को वजन कम करने के लिए इतना समय नहीं दिया तो आप को अतिरिक्त वजन, मधुमेह और ह्रदय रोगों के पैदा होने की सम्भावना बन सकती है।
ये अक्सर देखा गया है की प्रेगनेंसी के बाद अधिकांश महिलाएं सोना बहुत पसंद करती हैं। शिशु विशेषज्ञ के अनुसार, प्रेगनेंसी के प्रथम 6 सप्ताह एक्सरसाइज के लिए उपयुक्त नहीं होता।
अगर डिलेवरी सिजेरियन यानी ऑपरेशन के दुवारा हुआ है तो समय सिमा और बढ़ सकती है। क्योँकि एक्सरसाइज की वजह से ज्यादा जोर पड़ने पे टांके खुलने की सम्भावना रहती है।

आप को अपना आलस छोड़ना पड़ेगा। आप को एक्सरसाइज (exercise) करने की आवश्यकता नहीं है। आप पैदल चलना शुरू करें। पहले दिन थोड़ा चलें।
फिर जैसे जैसे दिन बीते - इसे थोड़ा और बढ़ाते जाएँ। ऑपरेशन के पहले 6 सप्ताह बस यूँही घूमते रहें। आप का जोर केवल इस बात पे हो की आप को अपना आलस छोड़ना है और पैदल चलने की आदत विकसित करनी है।
पैदल चलना सबसे सुरक्षित exercise है, लेकिन फिर भी अगर आप को इस वजह से कहीं दर्द का आभास हो या बहुत ज्यादा थकान महसूस हो तो इसे कुछ दिनों के लिए रोक दें। कुछ दिनों के बाद फिर से शुरू करें।

कुछ महीनो के बाद से आप पेट अंदर करने के लिए स्विमिंग, जोगिंग, योगा और एरोबिक्स जैसे एक्सरसाइज कर सकते हैं।
प्रेगनेंसी की वजह से जो शारीरिक वजन बढ़ता है, उसकी मुख्या वजह है शरीर में वासा का एकत्रित (accumulate) होना। पानी एक ऐसा घरेलु नुस्खा है जो शरीर में जमे फालतू चर्बी को आसानी से खतम कर देता है।
शिशु के जन्म के बाद माँ को दिन में कम से कम 8 से 10 ग्लास पानी हर दिन पीना चाहिए।
आप के शरीर में पेट और हिप्स कमर में जमी चर्बी सबसे ज्यादा ज़िद्दी होती है। इसे हटाना बहुत मुश्किल काम है। लेकिन पानी इसे आसानी से कर सकता है।

पानी में कोई कैलोरी नहीं होता है। लेकिन इसे शरीर को हजम करने में कैलोरी खर्च करना पड़ता है। चर्बी, आप के शरीर में एक प्रकार की जमा कैलोरी है।
पानी सिर्फ आप के शरीर में जमा चर्बी को ही काट का नहीं हटाता है बल्कि शरीर में जमा विषैले पदार्थों और हानिकारक टॉक्सिक पदार्थो को भी बहार निकलता है।
पानी एक और महत्वपूर्ण कार्य करता है। ये आप के शरीर की मेटाबोलिज्म को भी बढ़ा देता है। यानी की आप जो आहार ग्रहण करती हैं, आप का शरीर उसे बढे हुए मेटाबॉलिज्म के कारण कैलोरी में बदल देता है।
जब मेटाबॉलिज्म कमजोर होता है तो आहार शरीर में कैलोरी में बदलने की बजाये वासा के रूप में एकत्रित हो जाता है।
आप पानी को कई रूप में ग्रहण कर सकती हैं, जैसे की मिल्कशेक, ताज़ा फलो का रस, सूप आदि।
गर्भावस्था के बाद एक साथ 7-8 घंटे लगातार सोना संभव नहीं रहता है क्योँकि आप को बच्चे का भी ध्यान रखना पड़ता है।
बच्चे को हर थोड़ी-थोड़ी देर पे स्तनपान करने की आवश्यकता है क्योँकि उसका पेट छोटा है। इस वजह से शिशु के जन्म के बाद माँ का पूरी नींद सो पाना बहुत मुश्किल होता है।

लेकिन नींद नहीं पूरा हो पाने की वजह से शरीर का मेटाबॉलिज्म बुरी तरह बिगड़ जाता है। इस वजह से शरीर में मोटापा बहुत तेज़ी से बढ़ता है।
आप को अपनी नींद पूरी करने के लिए जब जब मौका मिले सो लेना चाहिए। डिलीवरी के बाद नींद पूरी काने के लिए नींद एक बेहतर दवा है।
शिशु को स्तनपान करने से आप की काया बिगड़ती नहीं, बल्कि बनती है। ये मत सोचिये की सत्नपान करने से आप के स्तन लटक जायेंगे या उनके आकर बिगड़ जायेंगे। जो होना है वो होगा, चाहे आप स्तनपान कराएं या नहीं।
लेकिन स्तनपान करने से आप का वजन कम होता है और पेट अंदर जाता है। जब आप स्तनपान कराती है तो आप के शरीर को संकेत मिलता है की डिलीवरी हो चुकी है और आप के शरीर को अब पूर्व स्थिति में चले जाना चाहिए।

प्रेगनेंसी हॉर्मोन के कारण आप का शरीर बहुत लचीला हो गया था ताकि आप आसानी से बच्चे को जन्म दे सके। स्तनपान करने से आप के शरीर का ये लचीला पन कम होता है और शरीर में खिंचाव पैदा होता है। इस वजह से आप का बाहर निकला हुआ पेट अंदर जाता है।
स्तनपान करने के लिए एक माँ को 500 calorie की आवश्यकता पड़ती है। जब तक आप अपने बच्चे को स्तनपान करा रही होती हैं, तब तक आप हर दिन करीब 600-800 calorie हर दिन जला रही होती हैं।
यह देखा गया है की कुछ महिलाएं केवल स्तनपान से डिलीवरी के प्रथम छह महीनो में ही प्रेगनेंसी का बढ़ा हुआ वजन कम कर लेती हैं।
जैसे ही आप अपने बच्चे को स्तनपान करना बंद करें, आप को अपने आहार में जरुरी बदलाव लाने की आवश्यकता है।
जब आप स्तनपान करना बंद करती हैं तो आप को कम कैलोरी की आवश्यकता पड़ती है। यानी की आपको अपने आहार में कटौती करनी चाहिए। साथ ही आप को अपनी एक्सरसाइज भी बढ़ानी चाहिए।
माँ बनना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। लेकिन इसके साथ ढेरों जिम्मेदारियां भी आती हैं। बच्चे की देखभाल और उससे सम्बंधित ढेरों काम आप को आसानी से तनाव में डाल सकता है।

मानसिक तनाव आप के पेट कम करने के प्रयास को कम कर सकता है। इसीलिए जितना हो सके तनाव मुक्त रहें।
तनाव से बचने के लिए आप बच्चे से सम्बंधित कुछ काम अपने पति के साथ बाँट सकती हैं। इससे आप को थोड़ा समय आराम करने के लिए मिल जायेगा।

ताजे दूध की तुलना में UHT Milk ना तो ताजे दूध से बेहतर है और यह ना ही ख़राब है। जितना बेहतर तजा दूध है आप के शिशु के लिए उतना की बेहतर UHT Milk है आप के बच्चे के लिए। लेकिन कुछ मामलों पे अगर आप गौर करें तो आप पाएंगे की गाए के दूध की तुलना में UHT Milk आप के शिशु के विकास को ज्यादा बेहतर ढंग से पोषित करता है। इसका कारण है वह प्रक्रिया जिस के जरिये UHT Milk को तयार किया जाता है। इ लेख में हम आप को बताएँगे की UHT Milk क्योँ गाए के दूध से बेहतर है।
पोक्सो एक्ट बच्चों पे होने वाले यौन शोषण तथा लैंगिक अपराधों से उनको सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। 2012 में लागु हुआ यह संरक्षण अधिनियम एवं नियम, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों पे हो रहे लैंगिक अपराधों पे अंकुश लगाने के लिए किया गया है। Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) का उल्लेख सेक्शन 45 के सब- सेक्शन (2) के खंड “क” में मिलता है। इस अधिनियम के अंतर्गत 12 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ यौन उत्पीडन करने वाले दोषी को मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान निर्धारित किया गया है।
जी हाँ! अंगूठा चूसने से बच्चों के दांत ख़राब हो जाते हैं और नया निकलने वाला स्थयी दांत भी ख़राब निकलता है। मगर थोड़ी सावधानी और थोड़ी सूझ-बूझ के साथ आप अपने बच्चे की अंगूठा चूसने की आदत को ख़त्म कर सकती हैं। इस लेख में जानिए की अंगूठा चूसने के आप के बच्चों की दातों पे क्या-क्या बुरा प्रभाव पडेग और आप अपने बच्चे के दांत चूसने की आदत को किस तरह से समाप्त कर सकती हैं। अंगूठा चूसने की आदत छुड़ाने के बताये गए सभी तरीके आसन और घरेलु तरीके हैं।
बच्चों को UHT Milk दिया जा सकता है मगर नवजात शिशु को नहीं। UHT Milk को सुरक्षित रखने के लिए इसमें किसी भी प्रकार का preservative इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह बच्चों के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है। चूँकि इसमें गाए के दूध की तरह अत्याधिक मात्र में पोषक तत्त्व होता है, नवजात शिशु का पाचन तत्त्व इसे आसानी से पचा नहीं सकता है।
बच्चों की आंखों में काजल लगाने से उनकी खूबसूरती बहुत बढ़ जाती है। लेकिन शिशु की आंखों में काजल लगाने के बहुत से नुकसान भी है। इस लेख में आप शिशु की आँखों में काजल लगाने के सभी नुकसानों के बारे में भी जानेंगी।
छोटे बच्चों के मसूड़ों के दर्द को तुरंत ठीक करने का घरेलु उपाय हम आप को इस लेख में बताएँगे। शिशु के मसूड़ों से सम्बंधित तमाम परेशानियों को घरेलु नुस्खे के दुवारा ठीक किया जा सकता है। घरेलु उपाय के दुवारा बच्चों के मसूड़ों के दर्द को ठीक करने का सबसे बड़ा फायेदा ये होता है की उनका कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। यह शिशु के नाजुक शारीर के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं और इनसे किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होने का भी डर नहीं रहता है। लेकिन बच्चों का घरेलु उपचार करते समय आप को एक बात का ध्यान रखना है की जो घरेलु उपचार बड़ों के लिए होते हैं - जरुरी नहीं की बच्चों के लिए भी वह सुरक्षित हों। उदाहरण के लिए जब बड़ों के मसूड़ों में दरद होता है तो दांतों के बीच लोंग दबा लेने से आराम पहुँचता है। लेकिन यह विधि बच्चों के लिए ठीक नहीं है क्यूंकि इससे बच्चों को लोंग के तेल से छाले पड़ सकते हैं। बच्चों के लिए जो घरेलु उपाय निर्धारित हैं, केवल उन्ही का इस्तेमाल करें बच्चों के मसूड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए।
बच्चों को या बड़ों को - टॉन्सिल इन्फेक्शन किसी को भी हो सकता है जब शारीर की रोग प्रतिरोधक छमता कमजोर पड़ जाती है। चूँकि बच्चों की रोगप्रतिरोधक छमता बड़ों की तुलना में कम होती है, टॉन्सिल इन्फेक्शन बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है। लेकिन कुछ आसन से घरेलु उपचार से इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान अपच का होना आम बात है। लेकिन प्रेगनेंसी में (बिना सोचे समझे) अपच की की दावा लेना हानिकारक हो सकता है। इस लेख में आप पढ़ेंगी की गर्भावस्था के दौरान अपच क्योँ होता है और आप घरेलु तरीके से अपच की समस्या को कैसे हल कर सकती हैं। आप ये भी पढ़ेंगी की अपच की दावा (antacids) खाते वक्त आप को क्या सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।
ADHD शिशु के पेरेंट्स के लिए बच्चे को अनुशाशन सिखाना, सही-गलत में भेद करना सिखाना बहुत चौनातिपूर्ण कार्य है। अधिकांश ADHD बच्चे अपने माँ-बाप की बातों को अनसुना कर देते हैं। जब आप का मन इनपे चिल्लाने को या डांटने को करे तो बस इस बात को सोचियेगा की ये बच्चे अंदर से बहुत नाजुक, कोमल और भावुक हैं। आप के डांटने से ये नहीं सीखेंगे। क्यूंकि यह स्वाभाव इनके नियंत्रण से बहार है। तो क्या आप अपने बच्चे को उसके उस सवभाव के लिए डांटना चाहती हैं जो उसके नियंत्रण में ही नहीं है।
हर माँ-बाप को कभी-ना-कभी अपने बच्चों के जिद्दी स्वाभाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अधिकांश माँ-बाप जुन्झुला जाते है और गुस्से में आकर अपने बच्चों को डांटे देते हैं या फिर मार भी देते हैं। लेकिन इससे स्थितियां केवल बिगडती ही हैं। तीन आसान टिप्स का अगर आप पालन करें तो आप अपने बच्चे को जिद्दी स्वाभाव का बन्ने से रोक सकती हैं।
औसतन एक शिशु को दिन भर में 1000 से 1200 कैलोरी की आवश्यकता पड़ती है। शिशु का वजन बढ़ने के लिए उसे दैनिक आवश्यकता से ज्यादा कैलोरी देनी पड़ेगी और इसमें शुद्ध देशी घी बहुत प्रभावी है। लेकिन शिशु की उम्र के अनुसार उसे कितना देशी घी दिन-भर में देना चाहिए, यह देखिये इस तलिके/chart में।
शिशु की खांसी एक आम समस्या है। ठंडी और सर्दी के मौसम में हर शिशु कम से कम एक बार तो बीमार पड़ता है। इसके लिए डोक्टर के पास जाने की अव्शाकता नहीं है। शिशु खांसी के लिए घर उपचार सबसे बेहतरीन है। इसका कोई side effects नहीं है और शिशु को खांसी, सर्दी और जुकाम से रहत भी मिल जाता है।
शिशु को डेढ़ माह (six weeks) की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को कई प्रकार के खतरनाक बिमारिओं से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
शिशु के जन्म के तुरंत बाद कौन कौन से टीके उसे आवश्यक रूप से लगा देने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी येहाँ प्राप्त करें - complete guide।
गर्भावस्था के बाद तंदरुस्ती बनाये रखना बहुत ही चुनौती पूर्ण होता है। लेकिन कुछ छोटी-मोती बातों का अगर ख्याल रखा जाये तो आप अपनी पहली जैसी शारीरिक रौनक बार्कर रख पाएंगी। उदहारण के तौर पे हर-बार स्तनपान कराने से करीब 500 600 कैलोरी का क्षय होता है। इतनी कैलोरी का क्षय करने के लिए आपको GYM मैं बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चे के बुद्धिस्तर को बढ़ा सकते हैं और बच्चे में आत्मविश्वास पैदा कर सकते हैं। जैसे ही उसके अंदर आत्मविश्वास आएगा उसकी खुद की पढ़ने की भावना बलवती होगी और आपका बच्चा पढ़ाई में मन लगाने लगेगा ,वह कमज़ोर से तेज़ दिमागवाला बन जाएगा। परीक्षा में अच्छे अंक लाएगा और एक साधारण विद्यार्थी से खास विद्यार्थी बन जाएगा।
हर मां बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई में तेज निकले। लेकिन शिशु की बौद्धिक क्षमता कई बातों पर निर्भर करती है जिस में से एक है शिशु का पोषण।अगर एक शोध की मानें तो फल और सब्जियां प्राकृतिक रूप से जितनी रंगीन होती हैं वे उतना ही ज्यादा स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। रंग बिरंगी फल और सब्जियों में भरपूर मात्रा में बीटा-कैरोटीन, वीटामिन-बी, विटामिन-सी के साथ साथ और भी कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं।
अगर आप इस बात को ले के चिंतित है की अपने 4 से 6 माह के बच्चे को चावल की कौन सी रेसेपी बना के खिलाये - तो यह पढ़ें चावल से आसानी से बन जाने वाले कई शिशु आहार। चावल से बने शिशु आहार बेहद पौष्टिक होते हैं और आसानी से शिशु में पच भी जाते हैं।
पांच दालों से बनी खिचड़ी से बच्चो को कई प्रकार के पोषक तत्त्व मिलते हैं जैसे की फाइबर, विटामिन्स, और मिनरल्स (minerals)| मिनरल्स शरीर के हडियों और दातों को मजबूत करता है| यह मेटाबोलिज्म (metabolism) में भी सहयोग करता है| आयरन शरीर में रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है और फाइबर पाचन तंत्र को दरुस्त रखता है|
डेंगू महामारी एक ऐसी बीमारी है जो पहले तो सामान्य ज्वर की तरह ही लगता है अगर इसका इलाज सही तरह से नहीं किया गया तो इसका प्रभाव शरीर पर बहुत भयानक रूप से पड़ता है यहाँ तक की यह रोग जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू का विषाणु मादा टाइगर मच्छर के काटने से फैलता है। जहां अधिकांश मच्छर रात के समय सक्रिय होते हैं, वहीं डेंगू के मच्छर दिन के समय काटते हैं।