Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺4 min read
कौन नहीं चाहता की उनका शिशु गोरा हो! अगर आप भी यही चाहते हैं तो कुछ घरेलु नुस्खे हैं जिनकी सहायता से आप के शिशु की त्वचा गोरी और निखरी बन सकती है। जानिए की आप सांवले बच्चे को कैसे बनाएं गोरा

इसमें कोई ताजूब नहीं!
की अगर आप भी यही चाहती हैं की -
आप के शिशु की त्वचा साफ़ रंग की हो।
हमारे देश में अधिकतर लोग गोरे रंग के इतने दीवाने हैं की ज्योँ ही आप उन्हें अपने माँ बनने की खबर देंगे - वो आप को तरह तरह के नुस्खे बताने लगेंगे की क्या करें की बच्चा गोर पैदा हों।
हालाँकि शरीर की रंगत से कोई फरक नहीं पड़ता है। मगर फिर भी अगर आप यह चाहत रखती हैं की आप की शिशु का रंग गोरा हो तो हम आप को बताएँगे की आप क्या कर सकती हैं की आप के शिशु का रंग गोरा और साफ़ हो।
बेसन का लपे
आप अपने शिशु के लिए घर पे ही skin pack त्यार कर सकती है। इसके लिए आप को चाहिए दूध, हल्दी, ताज़ा cream, और बेसन। साडी सामग्री को आपस में मिला के लेप त्यार कर लें। इस लेप को शिशु के त्वचा पे लगा दें और 10 मिनट के लिए छोड़ दें। 10 मिनट के बाद एक गीले कपडे से शिशु की त्वचा से लेप को पोंछ के साफ़ कर दें। लेप में मौजूद कच्चा दूध शरीर पे मौजूद diarrhea फ़ैलाने वालेजीवाणुओं को मरने की छमता रखता है।
फलों का रस
शिशु की त्वचा के रंगत को निखारने का दूसरा तरीका है की आप बच्चे को अंगूर का रस पिलायें। अगर आप का शिशु 6 month से ज्यादा हो गया है तो आप उसे अंगूर का रस दे सकती हैं। छह महीने से कम उम्र के बच्चे को माँ के दूध के आलावा कुछ भी न दें। माँ का दूध बच्चे के शरीर में रोग प्रतरोधक छमता पैदा करता है जो उसे संक्रमण से बचता है। प्राकृतिक फलों का रस शिशु के त्वचा मुलायम और गोरा बनाता है।

हलके गरम तेल की मालिश
सदियोँ से हमारे भारत देश में बच्चों की तेल मालिश करने का रिवाज है। हलके गरम तेल की मालिश से शिशु की त्वचा nourished, और smooth बनती है। तेल मालिश से शिशु की त्वचा पे नमी की एक दूसरी परत चढ़ जाती है जो शिशु की त्वचा को शुष्क होने से बचाती है और तो और त्वचा पे सही मात्रा की नमी और तेल को नियंत्रित भी करती है।
हल्दी और चन्दन का लेप (Mild Body Pack)
शिशु की त्वचा वयस्कों की त्वचा से दस गुना ज्यादा मुलायम और नाजुक होती है। शिशु के शरीर पे हल्दी और चन्दन का लेप (Mild Body Pack) करने से उसके नाजुक त्वचा को आराम मिलता है और त्वचा की रंगत भी निखरती है। हल्दी और चन्दन का लेप (Mild Body Pack) को घर में टायर करने के लिए आप को चाहिए हल्दी पाउडर, चन्दन पाउडर और
केसर। इन सबको आपस में थोड़े पानी के साथ मिला के लेप त्यार कर लें। इस लेप को रुई या हाथों से ही शिशु की त्वचा पे लगा दें। इसे १० से १५ मिनट तक सूखने के लिए छोड़ दें। इसके बाद इस रुई के पोहे से या भीगे कपडे से आहिस्ता आहिस्ता पोंछ के साफ़ कर दें।
शिशु को सही तापमान में रखें
शिशु को सही तापमान में रखें क्यूंकि उनमे अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने की छमता नहीं होती है। जब बच्चे को नहलाएं तो पानी न तो ज्यादा गरम हो और न ही ज्यादा ठंडा। अत्यधि गरम या ठण्ड तापमान में आप के शिशु की त्वचा का रंग दब जायेगा। शिशु को नहलाने से पहले आप पानी को अपनी त्वचा पे छिड़क के देख लें की पानी का तापमान शिशु को नहलाने के लायक है या नहीं।
साबुन का इस्तेमाल न करें
अपने शिशु को नहलाने के लिए साबुन का इस्तेमाल न करें। साबुन से शिशु की नाजुक त्वचा को नुकसान पहुँच सकता है। शिशु को नहलाने के लिए आप घर पे की homemade bath pack त्यार कर सकती हैं। इसे त्यार करने के लिए आप थोड़े से दूध में गुलाब जब मिलाके इसे त्यार कर सकती हैं। शिशु को नहलाने के लिए विशेष तौर पे त्यार baby soap भी उपलब्ध है जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें सोडियम की बेहद कम मात्रा होती है जिस वजह से यह शिशु के नाजुक त्वचा को कोई हानि नहीं पहुंचता है।
Vitamin E शरीर में कोशिकाओं को सुरक्षित रखने का काम करता है यही वजह है कि अगर आप गर्भवती हैं तो आपको अपने भोजन में ऐसे आहार को सम्मिलित करने पड़ेंगे जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन इ (Vitamin E ) होता है। इस तरह से आपको गर्भावस्था के दौरान अलग से विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
ताजे दूध की तुलना में UHT Milk ना तो ताजे दूध से बेहतर है और यह ना ही ख़राब है। जितना बेहतर तजा दूध है आप के शिशु के लिए उतना की बेहतर UHT Milk है आप के बच्चे के लिए। लेकिन कुछ मामलों पे अगर आप गौर करें तो आप पाएंगे की गाए के दूध की तुलना में UHT Milk आप के शिशु के विकास को ज्यादा बेहतर ढंग से पोषित करता है। इसका कारण है वह प्रक्रिया जिस के जरिये UHT Milk को तयार किया जाता है। इ लेख में हम आप को बताएँगे की UHT Milk क्योँ गाए के दूध से बेहतर है।
हमारी संस्कृति, हमारे मूल्य जो हमे अपने पूर्वजों से मिली है, अमूल्य है। भारत के अनेक वीरं सपूतों (जैसे की सुभाष चंद्र बोस) ने अपने खून बहाकर हमारे लिए आजादी सुनिश्चित की है। अगर बच्चों की परवरिश अच्छी हो तो उनमें अपने संस्कारों के प्रति लगाव और देश के प्रति प्रेम होता है। बच्चों की अच्छी परवरिश में माँ-बाप की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। बच्चों की शिक्षा स्कूल से नहीं, वरन घर से शुरू होती है। आज हम आजादी की खुली हवा में साँस लेते हैं, तो सिर्फ इसलिए क्यूंकि क्रन्तिकरियौं ने अपने भविष्य को ख़त्म कर हमारे भविष्य को सुरक्षित किया है। उनके परित्याग और बलिदान का कर्ज अगर हमे चुकाना है तो हमे आने वाली पीड़ी को देश प्रेम का मूल्य समझाना होगा। इस लेख में हम आप को बताएँगे की किस तरह से आप सुभाष चंद्र बोस की जीवनी से अपने बच्चों को देश भक्ति का महत्व सिखा सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान स्त्रियौं को सुबह के वक्त मिचली और उल्टी क्योँ आती है, ये कितने दिनो तक आएगी और इसपर काबू कैसे पाया जा सकता है और इसका घरेलु उपचार। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं के शारीर में ईस्ट्रोजेन हॉर्मोन का स्तर बहुत बढ़ जाता है जिस वजह से उन्हें मिचली और उल्टी आती है।
शिशु का वजन जन्म के 48 घंटों के भीतर 8 से 10 प्रतिशत तक घटता है। यह एक नार्मल से बात है और सभी नवजात शिशु के साथ होता है। जन्म के समय शिशु के शरीर में अतिरिक्त द्रव (extra fluid) होता है - जो शिशु के जन्म के कुछ दिनों के अंदर तेज़ी से बहार आता है और शिशु का वजन कम हो जाता है। लेकिन कुछ ही दिनों के अंदर फिर से शिशु का वजन अपने जन्म के वजन के बराबर हो जायेगा और फिर बढ़ता ही जायेगा।
मौसम तेज़ी से बदल रहा है। ऐसे में अगर आप का बच्चा बीमार पड़ जाये तो उसे जितना ज्यादा हो सके उसे आराम करने के लिए प्रोत्साहित करें। जब शरीर को पूरा आराम मिलता है तो वो संक्रमण से लड़ने में ना केवल बेहतर स्थिति में होता है बल्कि शरीर को संक्रमण लगने से भी बचाता भी है। इसका मतलब जब आप का शिशु बीमार है तो शरीर को आराम देना बहुत महत्वपूर्ण है, मगर जब शिशु स्वस्थ है तो भी उसके शरीर को पूरा आराम मिलना बहुत जरुरी है।
आप के शिशु को अगर किसी विशेष आहार से एलर्जी है तो आप को कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ेगा ताकि आप का शिशु स्वस्थ रहे और सुरक्षित रहे। मगर कभी medical इमरजेंसी हो जाये तो आप को क्या करना चाहिए?
कुछ बातों का ख्याल अगर रखा जाये तो शिशु को SIDS की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है। अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की वजह शिशु के दिमाग के उस हिस्से के कारण हो सकता है जो बच्चे के श्वसन तंत्र (साँस), दिल की धड़कन और उनके चलने-फिरने को नियंत्रित करता है।
बच्चों के हिचकी का कारण और निवारण - स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के बाद आप के बच्चे को हिचकी आ सकती है। यह होता है एसिड रिफ्लक्स (acid reflux) की वजह से। नवजात बच्चे का पेट तो छोटा सा होता है। अत्यधिक भूख लगने के कारण शिशु इतना दूध पी लेते है की उसका छोटा सा पेट तन (फ़ैल) जाता है और उसे हिचकी आने लगती है।
अगर आप का बच्चा दूध पीते ही उलटी कर देता है तो उसे रोकने के कुछ आसन तरकीब हैं। बच्चे को पीट पे गोद लेकर उसके पीट पे थपकी देने से बच्चे के छोटे से पेट में फसा गैस बहार आ जाता है और फिर उलटी का डर नहीं रहता है।
अलग-अलग सांस्कृतिक समूहों के बच्चे में व्यवहारिक होने की छमता भिन भिन होती है| जिन सांस्कृतिक समूहों में बड़े ज्यादा सतर्क होते हैं उन समूहों के बच्चे भी व्याहारिक होने में सतर्कता बरतते हैं और यह व्यहार उनमे आक्रामक व्यवहार पैदा करती है।
इडली बच्चों के स्वस्थ के लिए बहुत गुण कारी है| इससे शिशु को प्रचुर मात्रा में कार्बोहायड्रेट और प्रोटीन मिलता है| कार्बोहायड्रेट बच्चे को दिन भर के लिए ताकत देता है और प्रोटीन बच्चे के मांसपेशियोँ के विकास में सहयोग देता है| शिशु आहार baby food
फाइबर और पौष्टिक तत्वों से युक्त, मटर की प्यूरी एक बेहतरीन शिशु आहार है छोटे बच्चे को साजियां खिलने का| Step-by-step instructions की सहायता से जानिए की किस तरह आप ताज़े हरे मटर या frozen peas से अपने आँखों के तारे के लिए पौष्टिक मटर की प्यूरी कैसे त्यार कर सकते हैं|
हर बच्चे को कम से कम शुरू के 6 महीने तक माँ का दूध पिलाना चाहिए| इसके बाद अगर आप चाहें तो धीरे-धीरे कर के अपना दूध पिलाना बंद कर सकती हैं| एक बार जब बच्चा 6 महीने का हो जाता है तो उसे ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए| जब आप ऐसा करते हैं तो धीरे धीरे कर अपना दूध पिलाना बंद करें।
बहुत लम्बे समय तक जब बच्चा गिला डायपर पहने रहता है तो डायपर वाली जगह पर रैशेस पैदा हो जाते हैं। डायपर रैशेस के लक्षण अगर दिखें तो डायपर रैशेस वाली जगह को तुरंत साफ कर मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम लगा दें। डायपर रैशेज होता है बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से और मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम में एंटी बैक्टीरियल तत्त्व होते हैं जो नैपी रैशिज को ठीक करते हैं।
जन्म के बाद गर्भनाल की उचित देखभाल बहुत जरुरी है। अगर शिशु के गर्भनाल की उचित देखभाल नहीं की गयी तो इससे शिशु को संक्रमण भी हो सकता है। नवजात शिशु में संक्रमण से लड़ने की छमता नहीं होती है। इसीलिए थोड़ी सी भी असावधानी बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
मां का दूध बच्चे के लिए सुरक्षित, पौष्टिक और सुपाच्य होता है| माँ का दूध बच्चे में सिर्फ पोषण का काम ही नहीं करता बल्कि बच्चे के शरीर को कई प्रकार के बीमारियोँ के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी प्रदान करता है| माँ के दूध में calcium होता है जो बच्चों के हड्डियोँ के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|
आपका बच्चा जितना तरल पदार्थ लेता हैं। उससे कही अधिक बच्चे के शरीर से पसीने, दस्त, उल्टी और मूत्र के जरिये पानी बाहर निकल जाता है। इसी स्तिथि को डिहाइड्रेशन कहते हैं। गर्मियों में बच्चे को डिहाइड्रेशन का शिकार होने से बचने के लिए, उसे थोड़े-थोड़े समय पर, पुरे दिन तरल पदार्थ या पानी देते रहना पड़ेगा।
सेब और सूजी का खीर बड़े बड़ों सबको पसंद आता है। मगर आप इसे छोटे बच्चों को भी शिशु-आहार के रूप में खिला सकते हैं। सूजी से शिशु को प्रोटीन और कार्बोहायड्रेट मिलता है और सेब से विटामिन, मिनरल्स और ढेरों पोषक तत्त्व मिलते हैं।
येलो फीवर मछर के एक विशेष प्रजाति द्वारा अपना संक्रमण फैलता है| भारत से जब आप विदेश जाते हैं तो कुछ ऐसे देश हैं जैसे की अफ्रीका और साउथ अमेरिका, जहाँ जाने से पहले आपको इसका वैक्सीन लगवाना जरुरी है क्योँकि ऐसे देशों में येलो फीवर का काफी प्रकोप है और वहां यत्र करते वक्त आपको संक्रमण लग सकता है|