Category: प्रेगनेंसी
By: Salan Khalkho | ☺4 min read
Vitamin A एक वसा विलेय विटामिन है जिस के अत्यधिक सेवन से गर्भ में पल रहे शिशु में जन्म दोष की समस्या की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है कि विटामिन ए गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि शिशु के विकास के लिए विटामिन ए एक महत्वपूर्ण घटक भी है।

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गर्भवती महिलाओं के लिए विटामिन ए का सेवन कितनी मात्रा में करना चाहिए जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए फायदेमंद हो( और इसी प्रकार से नुकसान ना पहुंचाएं)।

विटामिन ए गर्भवती महिला तथा गर्भ में पल रहे शिशु की आंखों को स्वस्थ रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। विटामिन ई न केवल शरीर को अनेक प्रकार की बीमारियों से बचाता है बल्कि यह गर्भ में पल रहे बच्चे के शारीरिक विकास को भी गति प्रदान करता है। विटामिन ए शिशु के ग्रंथियों के निर्माण में आवश्यक है। ग्रंथियों में हार्मोन का निर्माण होता है और हार्मोन के द्वारा ही शरीर का सही तरह से विकास होता है तथा शरीर सही तरह से कार्य करता है।

विटामिन ए केवल सप्लीमेंट के द्वारा ही नहीं प्राप्त होता है बल्कि आप अपने आहार में फल और सब्जियों को सम्मिलित करके भी शरीर में विटामिन की आवश्यकता को पूरी कर सकती हैं। हर चीज में विटामिन ए की मात्रा पाई जाती है वह इस तरह से हैं - गाजर, हरी सब्जियां, संतरे, दूध, मांस मछली, अंडा, और मक्खन आदि। गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में इन फल सब्जियों को और दूध से बने उत्पादों को जरूर सम्मिलित करना चाहिए ताकि उनके शरीर के विटामिन ए की आवश्यकता की पूर्ति हो सके तथा मां और बच्चे दोनों ही स्वस्थ रहें।

गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को 2500 आइ यु या 750 माईक्रोग्राम विटामिन ए की आवश्यकता पड़ती है। अगर आप गर्भवती हैं या गर्भधारण की योजना बना रही हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि गर्भधारण के प्रथम महीने से ही आपको हर दिन विटामिन ए की ( डॉक्टर द्वारा निर्धारित) खुराक लेने की आवश्यकता है। अगर आप विटामिन ए की सही मात्रा हर दिन लेंगे तो इससे आपके घर में पल रहे शिशु का सिर, दिल, दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड का विकास अच्छी तरह से होगा और शिशु का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। लेकिन अगर आप आवश्यकता से ज्यादा विटामिन A का सेवन करती हैं तो आपका लीवर खराब हो सकता है तथा गर्भपात की भी संभावना बढ़ जाती है। आप अपने लिए विटामिन ए की सही मात्रा का पता स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह ले कर पता कर सकते हैं।

जैसा कि हम पहले ही आपको बता चुके हैं कि कथा के दौरान विटामिन ए बहुत आवश्यक है। इसकी कमी से गर्भवती महिला तथा बच्चे दोनों को नुकसान पहुंच सकता है। इसीलिए या बेहद जरूरी है की गर्भावस्था के दौरान आप विटामिन ए की कमी के लक्षणों को ठीक तरह से पहचान पाए। ताकि ऐसे कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत उनका समाधान किया जा सके। विटामिन ए की कमी के लक्षण इस तरह से हैं - नींद न आना, नाइट ब्लाइंडनेस, निमोनिया की शिकायत, कमजोर इम्यून सिस्टम इत्यादि।

गर्भावस्था के दौरान अगर विटामिन ए की कमी हो जाए तो गर्भ में पल रहे बच्चे कि फेफड़े में वायु संचरण करने वाली नलिका की मांसपेशियों में बदलाव आ सकता है। बदलाव की वजह से वायु संवहन नलिका संकुचित हो जाती है जिथे शिशु ठीक तरह से सांस नहीं ले पाता है और जन्म के बाद शिशु में अस्थमा के जोखिम का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन ए की कमी की वजह से फेफड़ों में संरचनात्मक एवं कार्यात्मक असमानताएं भी पैदा हो सकती है।
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UHT Milk एक विशेष प्रकार का दूध है जिसमें किसी प्रकार के जीवाणु या विषाणु नहीं पाए जाते हैं - इसी वजह से इन्हें इस्तेमाल करने से पहले उबालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दूध में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले दूध के सभी पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं। यानी कि UHT Milk दूध पीने से आपको उतना ही फायदा प्राप्त होता है जितना कि गाय के ताजे दूध को पीने से। यह दूध जिस डब्बे में पैक करके आता है - आप इसे सीधा उस डब्बे से ही पी सकते हैं।
शिशु की तिरछी आंखों (Squint eyes) को एक सीध में किस तरह लाया जाये और बच्चे को भैंगापन से बचने के तरीकों के बारे में जाने इस लेख में। अधिकांश मामलों में भेंगेपन को ठीक करने के लिए किसी विशेष इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। समय के साथ यह स्वतः ही ठीक हो जाता है - लेकिन शिशु के तीन से चार महीने होने के बाद भी अगर यह ठीक ना हो तो तुरंत शिशु नेत्र विशेषज्ञ की राय लें।
नवजात शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है इस वजह से उन्हें कई बार कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ता है। एक चम्मच में थोड़े से हिंग को चार-पांच बूंद पानी के साथ मिलाएं। इस लेप को बच्चे के नाभि पे लगाने से उसे थोडा आराम मिलेगा। बच्चे को स्तनपान करना जरी रखें और हर थोड़ी-थोड़ी देर पे स्तनपान करते रहें। नवजात शिशु को पानी ना पिलायें।
महिलाओं में गर्भधारण न कर पाने की समस्या बहुत से कारणों से हो सकती है। अगर आप आने वाले दिनों में प्रेगनेंसी प्लान कर रहे हैं तो हम आपको बताएंगे कुछ बातें जिनका आपको खास ध्यान रखने की जरूरत है। लाइफस्टाइल के अलावा और भी कुछ कारण है जिनकी वजह से बहुत सारी महिलाएं कंसीव नहीं कर पाती हैं।
अगर बच्चे में उन्माद या अवसाद की स्थिति बहुत लंबे समय तक बनी रहती है या कई दिनों तक बनी रहती है तो हो सकता है कि बच्चा बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) इस समस्या से पीड़ित है। कुछ दुर्लभ घटनाओं में बच्चे में उन्माद और अवसाद दोनों के लक्षण एक ही वक्त में तेजी से बदलते हुए देखने को मिल सकते हैं।
मीठी चीनी किसे पसंद नहीं। बच्चों के मन को तो ये सबसे ज्यादा लुभाता है। इसीलिए रोते बच्चे को चुप कराने के लिए कई बार माँ-बाप उसे एक चम्मच चीनी खिला देते हैं। लेकिन क्या आप को पता है की चीनी आप के बच्चे के विकास को बुरी तरह से प्रभावित कर देते है। बच्चों को चीनी खिलाना बेहद खतरनाक है। इस लेख में आप जानेंगी की किस तरह चीनी शिशु में अनेक प्रकार की बिमारियौं को जन्म देता है।
जब तक आपका शिशु पूर्ण रूप से स्तनपान पर निर्भर है तब तक आप को अपने भोजन का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। कुछ आहार ऐसे हैं जो आपके शिशु के विकास में बाधा डाल सकते हैं। वहीं कुछ ऐसे आहार हैं जो आप के स्तनपान को आपके शिशु के लिए अरुचि पूर्ण बना सकते हैं। तथा कुछ ऐसे भी आ रहे हैं जिन्हें स्तनपान के दौरान ग्रहण करने से आपकी शिशु को एलर्जी तक हो सकती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि स्तनपान के दौरान आपको कौन-कौन से आहारों से दूर रहने की आवश्यकता है। Foods you should avoid during breastfeeding.
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अगर आप का शिशु जब भी अंडा खाता है तो बीमार पड़ जाता है या उसके शारीर के लाल दाने निकल आते हैं तो इसका मतलब यह है की आप के शिशु को अंडे से एलर्जी है। अगर आप के शिशु को अंडे से एलर्जी की समस्या है तो आप किस तरह अपने शिशु को अंडे की एलर्जी से बचा सकती है और आप को किन बातों का ख्याल रखने की आवश्यकता है।
संगती का बच्चों पे गहरा प्रभाव पड़ता है| बच्चे दोस्ती करना सीखते हैं, दोस्तों के साथ व्यहार करना सीखते हैं, क्या बात करना चाहिए और क्या नहीं ये सीखते हैं, आत्मसम्मान, अस्वीकार की स्थिति, स्कूल में किस तरह adjust करना और अपने भावनाओं पे कैसे काबू पाना है ये सीखते हैं| Peer relationships, peer interaction, children's development, Peer Influence the Behavior, Children's Socialization, Negative Effects, Social Skill Development, Cognitive Development, Child Behavior
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बच्चे बरसात के मौसम का आनंद खूब उठाते हैं। वे जानबूझकर पानी में खेलना और कूदना चाहते हैं। Barsat के ऐसे मौसम में आप की जिम्मेदारी अपने बच्चों के प्रति काफी बढ़ जाती हैं क्योकि बच्चा इस barish में भीगने का परिणाम नहीं जानता। इस स्थिति में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
अकॉर्डियन पेपर फोल्डिंग तकनीक से बनाइये घर पे खूबसूरत सा मोमबत्ती स्टैंड| बनाने में आसान और झट पट तैयार, यह मोमबत्ती स्टैंड आप के बच्चो को भी बेहद पसंद आएगा और इसे स्कूल प्रोजेक्ट की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है|
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6 माह से 1 साल तक के शिशु को आहार के रूप में दाल का पानी,चावल का पानी,चावल,सूजी के हलवा,चावल व मूंग की खिचड़ी,गूदेदार, पके फल, खीर, सेरलेक्स,पिसे हुए मेवे, उबले हुए चुकंदर,सप्ताह में 3 से 4 अच्छे से उबले हुए अंडे,हड्डीरहित मांस, भोजन के बाद एक-दो चम्मच पानी भी शिशु को पिलाएं।
बच्चों में पेट दर्द का होना एक आम बात है। और बहुत समय यह कोई चिंता का कारण नहीं होती। परन्तु कभी कभार यह गंभीर बीमारियोँ की और भी इशारा करती। पेट का दर्द एक से दो दिनों के अंदर स्वतः ख़तम हो जाना चाहिए, नहीं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
बच्चो में कुपोषण का मतलब भूख से नहीं है। हालाँकि कई बार दोनों साथ साथ होता है। गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार बच्चों को उसकी बढ़ने के लिए जरुरी पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते। बच्चों को कुपोषण से बचने के लिए हर संभव प्रयास जरुरी हैं क्योंकि एक बार अगर बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाये तो उसे दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता।
टाइफाइड जिसे मियादी बुखार भी कहा जाता है, जो एक निश्चित समय के लिए होता है यह किसी संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से दूषित वायु और जल से होता है। टाइफाइड से पीड़ित बच्चे में प्रतिदिन बुखार होता है, जो हर दिन कम होने की बजाय बढ़ता रहता है। बच्चो में टाइफाइड बुखार संक्रमित खाद्य पदार्थ और संक्रमित पानी से होता है।