Category: प्रेगनेंसी

सिजेरियन या नार्मल डिलीवरी - दोनों में क्या बेहतर है?

By: Admin | 9 min read

अक्सर गर्भवती महिलाएं इस सोच में रहती है की उनके शिशु के जन्म के लिए सिजेरियन या नार्मल डिलीवरी में से क्या बेहतर है। इस लेख में हम आप को दोनों के फायेदे और नुक्सान के बारे में बताएँगे ताकि दोनों में से बेहतर विकल्प का चुनाव कर सकें जो आप के लिए और आप के शिशु के स्वस्थ के लिए सुरक्षित हो।

सिजेरियन या नार्मल डिलीवरी - दोनों में क्या बेहतर है - cesarean delivery vs normal delivery

शिशु का जन्म इस संसार में दो तरीकों से होता है - या तो सिजेरियन (सी-सेक्शन) डिलीवरी के द्वारा या फिर नॉर्मल डिलीवरी के द्वारा।  

शिशु के जन्म के लिए दोनों में से किस विधि का इस्तेमाल  किया जाएगा - यह इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों में से कौन सी विधि मां और जन्म लेने वाले शिशु दोनों के लिए सबसे सुरक्षित रहेगी। 

कई बार डॉक्टर शिशु के जन्म के लिए सिजेरियन डिलीवरी का निर्णय लेते हैं जब किन्ही चिकित्सीय कारणों से नॉर्मल डिलीवरी संभव नहीं है या फिर नॉर्मल डिलीवरी में  मां की सेहत को खतरा हो सकता है।

इस लेख में:

  1. सिजेरियन डिलीवरी के कुछ मुख्य कारण
  2. सिजेरियन और न्रोमल डिलीवरी में अंतर
  3. नार्मल डिलीवरी क्या है?
  4. सिजेरियन डिलीवरी क्या है?
  5. सिजेरियन डिलीवरी के फायेदे
  6. सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान - माँ के लिए
  7. सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान - शिशु के लिए
  8. नार्मल डिलीवरी के फायेदे - माँ के लिए
  9. नार्मल डिलीवरी के फायेदे - शिशु के लिए
  10. नार्मल डिलीवरी के नुक्सान
  11. क्या सिजेरियन डिलीवरी में जान का खतरा है
  12. क्या नार्मल डिलीवरी में जान का खतरा हो सकता है?
  13. क्या पहला बच्चा ऑपरेशन के बाद दूसरा नार्मल डिलीवरी से हो सकता है?
  14. सिजेरियन डिलीवरी के बाद किस तरह ख्याल रखें  

सिजेरियन डिलीवरी के कुछ मुख्य कारण

सिजेरियन डिलीवरी के कुछ मुख्य कारण:

  1.  गर्भ में पल रहे बच्चे जुड़वा हैं
  2.  मां की चिकित्सीय स्थिति ठीक नहीं है
  3.  मां को डायबिटीज यानी मधुमेह है
  4.  मां को हाई ब्लड प्रेशर है
  5.  या फिर मां को कोई ऐसा संक्रमण या बीमारी है जो उसके गर्भ अवस्था को जटिल बना सकता है -   उदाहरण के लिए HIV यह herpes। 
  6.  आब्स्टिट्रिशन द्वारा निर्णय - कई बार कुछ आपातकालीन कारणों से जैसा की अगर शिशु को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है - तो ऐसे मामलों में सिजेरियन डिलीवरी करने के लिए तुरंत निर्णय लिया जा सकता है। 
  7. अधिकांश मामलों में गर्भवती महिला को पहले से इस बात की जानकारी होती है कि उसकी डिलीवरी नार्मल होगी या सिजेरियन से। 


सिजेरियन और न्रोमल डिलीवरी में क्या अंतर है? (What is the difference between normal delivery and cesarean?)

नॉर्मल डिलीवरी में शिशु का जन्म गर्भवती महिला के योनि मार्ग के द्वारा कराया जाता है।  जबकि सिजेरियन (सी-सेक्शन) डिलीवरी में गर्भवती महिला के पेट को ऑपरेशन के द्वारा खोल करके उसके गर्भाशय में से बच्चे को निकाला जाता है। 

सिजेरियन और न्रोमल डिलीवरी में क्या अंतर है

जब किसी चिकित्सीय कारणों के द्वारा नॉर्मल डिलीवरी में शिशु और मां दोनों की जान को या सेहत को अगर खतरा है तो उस स्थिति में सिजेरियन डिलीवरी का रास्ता अपनाया जाता है। 

आज के दौर में सिजेरियन डिलीवरी एक बहुत ही आम बात है।  इस संसार में जन्म लेने वाले हर दो में से एक बच्चे का जन्म सिजेरियन डिलीवरी के द्वारा होता है। 

नार्मल डिलीवरी क्या है

नार्मल डिलीवरी क्या है?

यह शिशु के जन्म की वह प्रक्रिया है जिसमें शिशु का जन्म गर्भवती महिला के योनि द्वार के द्वारा होता है। महिलाओं की अवधारणा है कि योनि प्रसव के द्वारा शिशु का जन्म एक प्राकृतिक अनुभव है क्योंकि इससे शिशु को जन्म देने वाली महिला अनुभव कर सकती है।  इसमें शिशु का जन्म ठीक उसी तरह से होता है जिस प्रकार से प्रकृति ने इसे निर्धारित किया है। 

सिजेरियन डिलीवरी क्या है

सिजेरियन डिलीवरी क्या है?

सिजेरियन डिलीवरी शिशु जन्म की वह प्रक्रिया है जिसमें  शिशु का जन्म योनिमार्ग की बजाए गर्भवती महिला के पेट का ऑपरेशन करके किया जाता है। 

सिजेरियन डिलीवरी के फायेदे

सिजेरियन डिलीवरी के फायेदे

नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में सिजेरियन डिलीवरी शिशु तथा मां दोनों की स्वस्थ के लिए  बेहद सुरक्षित है।  अधिकांश मामलों में सिजेरियन डिलीवरी पहले से निर्धारित होता है।  

इसमें शिशु की डिलीवरी का दिन  और समय दोनों निर्धारित होते हैं।  इस वजह से शिशु को जन्म देने वाली मां जन्म से संबंधित तैयारियां पहले से कर सकती हैं।  इस मामले में यह काफी सुविधाजनक है। 

सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान - माँ के लिए

सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान - माँ के लिए 

  1. सिजेरियन डिलीवरी के तमाम सुविधाओं के बावजूद इसके कुछ नुकसान भी हैं। 
  2. अगर गर्भवती महिला नॉर्मल डिलीवरी के द्वारा शिशु का जन्म कराने में सक्षम है तो सिजेरियन डिलीवरी से उसे ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा। 
  3. नॉर्मल डिलीवरी में एक महिला 12 घंटे से 48 घंटे के अंदर घर जाने में सक्षम हो जाती है।  लेकिन सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला को 4 से 5 दिनों तक अस्पताल में रुकना पड़ सकता है। 
  4. ऑपरेशन वाली जगह पर महिला को कुछ महीनों से लेकर कई सालों तक दर्द रह सकता है।
  5. सिजेरियन डिलीवरी में मां को खून की कमी और संक्रमण का खतरा बना रहता है।
  6. ऑपरेशन के दौरान आंत या मूत्राशय की घायल होने की संभावना भी बनी रहती है।
  7. सिजेरियन ऑपरेशन के तुरंत बाद महिला स्तनपान कराने में सक्षम नहीं रहती है।  स्तनपान कराने के लिए  शारीरिक रूप से सक्षम होने में उसे ऑपरेशन के बाद कुछ घंटों का समय लग सकता है। 
  8. सिजेरियन डिलीवरी के बाद रिकवरी प्रोसेस बढ़ जाती है।  इससे काफी असुविधा तथा दर्द भी होता है।
  9. त्वचा और नसों के आसपास शल्यचिकित्सा के निशान को ठीक  होने में समय लग सकता है।  घाव और निशान को ठीक होने में कम से कम 2 महीनों का समय लग सकता है। 
  10. अगर महिला के पहले शिशु का जन्म सिजेरियन डिलीवरी  के द्वारा हुआ है,  तो भविष्य मैं बाकी बच्चों के जन्म के लिए सिजेरियन डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है। 
  11. भविष्य में गर्भ अवस्था से संबंधित जटिलताओं का जोकिंग बढ़ जाता है।
  12. प्लसेन्ट (placenta) से संबंधित खतरे भी हर सिजेरियन डिलीवरी के बाद बढ़ते जाते हैं। 

सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान - शिशु के लिए

सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान - शिशु के लिए 

  1. सिजेरियन डिलीवरी से जुड़े अध्ययन में पाया गया कि ऑपरेशन द्वारा जन्मे  बच्चों में आगे चलकर के मोटापे की समस्या की संभावना बढ़ जाती है। 
  2. जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मधुमेह से संबंधित समस्या थी उन्हें सिजेरियन डिलीवरी के बाद आगे के कुछ सालों में मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है। 

नार्मल डिलीवरी के फायेदे - माँ के लिए 

नॉर्मल डिलीवरी से शिशु का जन्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह बहुत ही कठिन प्रक्रिया है।  इसमें एक मां को बहुत ही असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ता है।  

नार्मल डिलीवरी के फायेदे - माँ के लिए

लेकिन फिर भी इसके लाभ अनेक है।  सिजेरियन डिलीवरी के मुकाबले अगर शिशु का जन्म नॉर्मल डिलीवरी से हुआ है तो डिलीवरी के बाद मां को अस्पताल में रहकर रिकवर होने में बहुत कम समय लगता है। 

नॉर्मल डिलीवरी से 1 महीना 24 घंटे से 48 घंटे के अंदर घर जाने में सक्षम हो जाती है। शिशु के जन्म के बाद अगर जन्म देने वाली महिला की स्वास्थ्य स्थिति बेहतर है तो उसे अस्पताल जल्दी घर जाने की अनुमति दे देता है।  

लेकिन सिजेरियन डिलीवरी में पेट के ऑपरेशन के द्वारा शिशु का जन्म होता है और इस वजह से पेट की जख्मों को भरने में थोड़ा समय लगता है। जिस वजह से शिशु के जन्म के बाद मां को कुछ समय अस्पताल में बिताना पड़ता है। 

नॉर्मल डिलीवरी का एक फायदा यह भी है कि इसमें  शिशु के जन्म के लिए गर्भवती महिला के पीठ को  पीड़ा नहीं जाता है।  

इसका मतलब नॉर्मल डिलीवरी में महिला सिजेरियन डिलीवरी के खतरों से सुरक्षित रहती है।  उदाहरण के लिए  सिजेरियन डिलीवरी के बाद गंभीर रक्तस्राव, जलन,  संक्रमण,  और कई महीनों तक  टांको में दर्द की समस्या रह सकती है। 

नॉर्मल डिलीवरी के तुरंत बाद मां अपने शिशु को स्तनपान करा सकती है।  लेकिन सिजेरियन डिलीवरी के तुरंत बाद शिशु को स्तनपान कराना बहुत तकलीफ में हो सकता है यह  कुछ समय तक नामुमकिन भी हो सकता है। 

नार्मल डिलीवरी के फायेदे - शिशु के लिए 

सिजेरियन डिलीवरी की तुलना में नार्मल डिलीवरी में शिशु को अपनी मां के साथ प्रारंभिक संपर्क थोड़ा पहले मिल जाता है इस वजह से उसकी मां  अपने नवजात बच्चे को जल्दी स्तनपान कराना शुरू कर सकती है। 

नार्मल डिलीवरी के फायेदे - शिशु के लिए

योनि मार्ग से प्रसव के दौरान, इस बात की संभावना रहती है कि योनीमार्ग के चारों ओर की मांसपेशियां नवजात शिशु के फेफड़ों में पाए जाने वाले द्रव को निचोड़ने  का काम करेंगे। 

इससे शिशु को जन्म के समय सांस लेने की समस्या कम रहेगी।  इसी के साथ  योनि मार्ग से जन्म लेने वाले शिशुओं को अच्छी जीवाणुओं की एक प्रारंभिक खुराक भी प्राप्त हो जाती है।  यह बच्चों को संक्रमण से बचाती है  और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है। 

नार्मल डिलीवरी के नुक्सान 

नॉर्मल डिलीवरी के अपने फायदे हैं,  लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 

नॉर्मल डिलीवरी में शिशु का जन्म महिला के योनि मार्ग के द्वारा होता है।  इस वजह से योनि के चारों ओर की त्वचा और उत्तकों में खिंचाव पड़ जाते हैं।  

नार्मल डिलीवरी के नुक्सान

कुछ स्थिति में यह फट भी सकते हैं।  और ऐसा होने पर महिला को टांके की आवश्यकता भी हो सकती है। कुछ गंभीर परिस्थितियों में मूत्र और आंतों से संबंधित अंगों पर अत्यधिक जोर पड़ सकता है,  उसकी मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं और उन्हें चोट पीना सकती है। 

 नॉर्मल डिलीवरी से  संबंधित अध्ययनों में पता चला है कि जिन महिलाओं में योनि मार्ग के द्वारा अपने शिशु का प्रसव कराया है आगे चलकर के उनके आंत्र या मूत्र को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां कमजोर पड़ गई है और नियंत्रण से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ा है। 

नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिला को गुदा और योनिमुख के बीच का भाग - जिसे पेरिनेम - इसमें  काफी दर्द रहने की समस्या हो सकती है। 

क्या सिजेरियन डिलीवरी में जान का खतरा है

क्या सिजेरियन डिलीवरी में जान का खतरा है

भारत में हर साल करीब 45,000 महिलाएं  की मौत सिजेरियन डिलीवरी के वजह से होती है। ऑपरेशन के बाद अगर साफ सफाई का अच्छा ध्यान नहीं रखा जाए तो संक्रमण हो सकता है। इसे 'सेप्सिस' कहते हैं। 

विकसित देशों की तुलना में,  भारत में सेप्सिस की घटनाएं बहुत ज्यादा देखने को मिलती।  भारत में प्रसव के दौरान होने वाली मौतों में, सेप्सिस  तीसरा सबसे बड़ा कारण है। 

ऑपरेशन के दौरान अगर साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाए तो सिजेरियन डिलीवरी एक बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया है।  सच बात तो यह है कि सिजेरियन डिलीवरी के द्वारा मौत की घटना उन्हीं नहीं चाहिए।

क्या नार्मल डिलीवरी में जान का खतरा हो सकता है? 

शिशु का जन्म एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है। हमारे शरीर की संरचना इस तरह से हुई है कि यह एक शिशु को सुरक्षित रूप से जन्म दे सकें।  

क्या नार्मल डिलीवरी में जान का खतरा हो सकता है

यह हमारे शरीर का प्राकृतिक रूप से प्रजनन का हिस्सा है। अधिकांश मामलों में नॉर्मल डिलीवरी द्वारा शिशु का जन्म कराने में मां को तथा बच्चे को दोनों को किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं रहता है।  विशेषकर अगर  डिलीवरी के लिए किसी बाहरी तत्वों का इस्तेमाल नहीं किया गया है तो। 

 हलाकि  नॉर्मल डिलीवरी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है फिर भी इसके कुछ खतरे हैं।  नॉर्मल डिलीवरी के खतरों को और सिजेरियन ऑपरेशन के द्वारा किए गए डिलिवरी के खतरों की तुलना करके आप  अपने शिशु के जन्म के लिए, एक बेहतर निर्णय ले सकती हैं। 

तुलनात्मक रूप से नार्मल डिलीवरी ज्यादा सुरक्षित है अगर इसकी तुलना सिजेरियन डिलीवरी से करें तो।

क्या पहला बच्चा ऑपरेशन के बाद दूसरा नार्मल डिलीवरी से हो सकता है?

शिशु के जन्म के लिए नॉर्मल डिलीवरी हर मामले में एक बेहतर विकल्प है।  अगर आप के पहले बच्चे का जन्म सिजेरियन डिलीवरी के द्वारा हुआ है और आप दूसरे बच्चे के लिए नॉर्मल डिलीवरी प्लान करने का मन बना रही है तो यह पूरी तरह संभव है।  

क्या पहला बच्चा ऑपरेशन के बाद दूसरा नार्मल डिलीवरी से हो सकता है

लेकिन इसके लिए आपको कुछ तैयारियां करनी पड़ेगी और कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा  जिनके बारे में हम आपको नीचे बताएंगे। 

नॉर्मल डिलीवरी में गर्भवती महिला को बहुत ज्यादा पीड़ा से गुजरना पड़ता है।  लेकिन  डिलीवरी के बाद  पर्याप्त आराम और व्यायाम के द्वारा 6 सप्ताह में ही आप  शारीरिक रूप से सामान्य हो सकती हैं। 

पहले बच्चे कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद दूसरे बच्चे के नॉर्मल डिलीवरी के लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना पड़ेगा:

  1. आप की गर्भ में पल रहे शिशु का वजन संतुलित होना चाहिए।  अगर शिशु का वजन नॉर्मल नहीं है तो नॉर्मल डिलीवरी में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
  2. सिजेरियन डिलीवरी के बाद नॉर्मल डिलीवरी तभी संभव है अगर ऑपरेशन के वक्त मां के पेट में कोई इन्फेक्शन ना हुआ हो तो।  लेकिन अधिकांश मामलों में पाया गया है कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिलाओं को अक्सर किसी न किसी प्रकार की इंफेक्शन की शिकायत रहती है। 
  3. आप को समय समय पर अपना अल्ट्रासाउंड कराते रहना पड़ेगा ताकि आपके  गर्भ में पल रहे शिशु की स्थिति का पता चल सके।  अगर शिशु की पोजीशन सही नहीं है तो नॉर्मल डिलीवरी में आप को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। 

सिजेरियन डिलीवरी के बाद किस तरह ख्याल रखें 

  1. अगर आपके शिशु का जन्म सिजेरियन डिलीवरी के द्वारा हुआ है तो आप लोग कुछ बातों का खास ख्याल रखना पड़ेगा।  अगर आप इन बातों का ख्याल रखेंगे तो ऑपरेशन के द्वारा हुए घाव जल्दी भरेंगे और उम्र में संक्रमण भी नहीं लगेगा।  निम्न बातों का ख्याल रखें:
  2. ऑपरेशन के बाद भारी भरकम एक्साइज ना करें।  जोर पड़ने पर आपके गांव ताजे हो सकते हैं।  फ्रिज एरिया ऑपरेशन के बाद देखा गया है कि महिलाएं अपने पेट को लेकर ज्यादा परेशान रहती है।  पेट एक्सरसाइज करती हैं।  लेकिन एक्सरसाइज का जोर गांव पर पड़ सकता है।  इसीलिए कोई भी एक्सरसाइज करने से पहले एक बात अपने डॉक्टर की राय अवश्य ले ले।  साथ ही एहसास करते वक्त अपने घाव पर ध्यान रखें कहीं पर चोट तो नहीं पड़ रहा या उत्साहित से कहीं आपको दर्द तो नहीं हो रहा? सिजेरियन डिलीवरी के बाद किस तरह ख्याल रखें
  3. आप को साफ सफाई का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि सिजेरियन डिलीवरी के बाद संक्रमण से बचा जा सके।  और हर ऑपरेशन वाली जगह की सफाई करें ताकि उन में संक्रमण  ना पनपे पर।
  4. सिजेरियन डिलीवरी के बाद जब तक आपका घाव पूरी तरह न भर जाए और आप पूरी तरह स्वस्थ ना हो जाए तब तक अपने डॉक्टर के संपर्क में बने रहें।  लगातार डॉक्टरी परीक्षण कराते रहने से आप यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि आप का घाव ठीक तरह से भर रहा है या नहीं।
  5.  सिजेरियन डिलीवरी के बाद ऊंची जगह चढ़ने,   उदाहरण के लिए कुछ समय तक सीढ़ियां चढ़ने से बचें।  ऑपरेशन द्वारा बनी गांव में जोर पड़ने से कभी-कभी ब्लीडिंग की समस्या की हो सकती है। 
  6. आपको ऑपरेशन के बाद कम से कम 4 से 6 महीने तक सेक्स करने से बचना चाहिए। 
  7. जब तक आपका घाव पूरी तरह से नहीं भर जाता तब तक आपको अपने शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए।  हर दिन उचित मात्रा में पानी पीने से आप में डिहाइड्रेशन और कब्ज की समस्या नहीं होगी।  कब्ज की समस्या होने पर आपके घाव पर मल त्याग के द्वारा जोर पड़ सकता है। 
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्‍तविकता सुनिश्‍चित करने का हर सम्‍भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्‍सक से अवश्‍य संपर्क करें। आपका चिकित्‍सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्‍प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।

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रागी डोसा - शिशु आहार - बनाने की विधि
रागी-डोसा भारत में रागी को finger millet या red millet भी कहते हैं। रागी को मुख्यता महाराष्ट्र और कर्नाटक में पकाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे नाचनी भी कहा जाता है। रागी से बना शिशु आहार (baby food) बड़ी सरलता से बच्चों में पच जाता है और पौष्टिक तत्वों के मामले में इसका कोई मुकाबला नहीं।
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7 तरीके बच्चों को यौन शोषण से बचाने के
बाल-यौन-शोषण अगर आप अपने बच्चे को यौन शोषण की घटनाओं से बचाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने बच्चों के साथ समय बिताना शुरू करना पड़ेगा| जब बच्चा comfortable feel करना शुरू करेगा तो वो उन हरकतों को भी शेयर करेगा जो उन्हें पसंद नहीं|
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बच्चों को सिखाएं प्रेम और सहनशीलता का पाठ
प्रेम-और-सहनशीलता आज के दौर के बच्चे बहुत egocentric हो गए हैं। आज आप बच्चों को डांट के कुछ भी नहीं करा सकते हैं। उन्हें आपको प्यार से ही समझाना पड़ेगा। माता-पिता को एक अच्छे गुरु की तरह अपने सभी कर्तव्योँ का निर्वाह करना चाहिए। बच्चों को अच्छे संस्कार देना भी उन्ही कर्तव्योँ में से एक है।
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बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने के आसान तरीके
बच्चों-में-अच्छी-आदतें आपके बच्चों में अच्छी आदतों का होना बहुत जरुरी है क्योँकि ये आप के बच्चे को न केवल एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है बल्कि एक अच्छी सेहत भरी जिंदगी जीने में भी मदद करता है।
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शिशु के टीकाकरण से सम्बंधित महत्वपूर्ण सावधानियां
टीकाकरण-का-महत्व टीकाकरण बच्चो को संक्रामक रोगों से बचाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।अपने बच्चे को टीकाकरण चार्ट के अनुसार टीके लगवाना काफी महत्वपूर्ण है। टीकाकरण के जरिये आपके बच्चे के शरीर का सामना इन्फेक्शन (संक्रमण) से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।
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शिशुओं के लिए आयरन से भरपूर आहार
आयरन-से-भरपूर-आहार लाल रक्त पुरे शरीर में ऑक्सीजन पहुचाने में मदद करता है। लाल रक्त कोशिकायों के हीमोग्लोबिन में आयरन होता है। हीमोग्लोबिन ही पुरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचता है। बिना पर्याप्त आयरन के आपके शरीर में लाल रक्त की कमी हो जाएगी। बहुत से ऐसे भोजन हैं जिससे आयरन के कमी को पूरा किया जा सकता है।
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