Category: शिशु रोग
By: Admin | ☺13 min read
बहुत से बच्चों और बड़ों के दातों के बीच में रिक्त स्थान बन जाता है। इससे चेहरे की खूबसूरती भी कम हो जाती है। लेकिन बच्चों के दातों के बीच गैप (डायस्टेमा) को कम करने के लिए बहुत सी तकनीक उपलब्ध है। सबसे अच्छी बात तो यह है की अधिकांश मामलों में जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं, यह गैप खुद ही भर जाता है। - Diastema (Gap Between Teeth)
आपने देखा होगा कि कुछ बच्चे या बड़ों के दांतों के बीच में खाली जगह सा पैदा हो जाता है। इस प्रकार की स्थिति को सबसे ज्यादा सामने के दांतों में जिसे incisors कहा जाता है, देखा जा सकता है।
शिशु के दांतों के बीच इस तरह पैदा हुए गैप को डायस्टेमा कहते। दंत विशेषज्ञों के अनुसार दांतों के बीच में इस तरह का गैप (Space Between Teeth) तब पैदा होता है जब जबड़े और दांतो के बीच में ठीक तरह का संतुलन नहीं बन पाता है।
दांतों और जबड़ों के बीच में सही अनुपात में संतुलन ना होने के कारण ‘लेबिल फैरेनुलम’ यानी होठं के उत्तक खीच जाते हैं। खिंचाव की स्थिति पैदा होने पर दांतों के ऊपर दबाव बढ़ता है और दांतों के बीच में गैप यानी डायस्टेमा (Diastema - Gap Between Teeth) पैदा हो जाता।
डायस्टेमा से जुड़े आंकड़ों को अगर आप देखें तो आपको ताज्जुब लगेगा कि यह दांतो से संबंधित बहुत ही आम तरह की समस्या है। आंकड़ों के मुताबिक 97% पांच वर्षीय बच्चों में डायस्टेमा (Diastema - Gap Between Teeth) की शिकायत होती है। और अगर 6 से लेकर 8 साल तक की उम्र के बच्चों को देखा जाए तो लगभग 50% बच्चों में डायस्टेमा यानी दांतों के बीच गैप (Teeth spacing) की समस्या पाई जाती है।
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बच्चों में दांतों के बीच खाली जगह की समस्या पर हुए शोध में यह सामने आया है कि जैसे-जैसे बच्चे अपने उम्र में बड़े होते हैं वैसे वैसे उनके दांतो के बीच की खाली जगह (Space Between Teeth) भी स्वभाविक रुप से भर्ती जाती है।
यह माना जाता है की उम्र के साथ जिस प्रकार से शिशु अपने डील-डौल में बढ़ता है उसी अनुपात में उसके दांतो का आकार भी बढ़ता है। समय के साथ बच्चों के दांतों का बढ़ा हुआ आकार दो दांतो के बीच की खाली जगह को भर देता है।
डायस्टेमा के मामले में बचाव सबसे बेहतरीन उपचार है। अगर आपके बच्चे को अंगूठा चूसने का आदत है तो आप को अपनी तरफ से कोशिश करना पड़ेगा कि बच्चे की अंगूठा चूसने की आदत खत्म हो। साथ ही अगर बच्चे को आप दिनभर कुछ ना कुछ चॉकलेट मिठाई देती रहती है, तो आपको इसे भी देना बंद करना पड़ेगा।
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मौखिक स्वच्छता से बच्चे के दांतों में पैदा हो रहे रिक्त स्थान (Teeth spacing) को तुरंत रोका जा सकता है। आप बच्चे में नियमित रूप से ब्रश और फ्लॉस करने का आदत डेवलप करें। अपने शिशु के दांतो को साल में कम से कम 2 बार दांतो के डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।
अगर बच्चे में डायस्टेमा (Diastema - Gap Between Teeth) की वजह गलत जीवनशैली है तो थोड़ी सजगता और थोड़ी प्लानिंग के साथ आप अपने बच्चों के दांतों में पैदा हो रहे रिक्त स्थान (Space Between Teeth) को तुरंत रोक सकती है।
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लेकिन अगर आपके बच्चों के दांतो के बीच रिक्त स्थान होने की वजह खराब जीवनशैली नहीं है, तो आपको कोई विशेष चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
क्योंकि अधिकांश मामलों में जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होगा दांतों के बीच का रिक्त (Teeth spacing) स्थान खुद-ब-खुद भर जाएगा।
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अगर आपके शिशु के दांतो के बीच भी गैप पैदा हो गया है, तो आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। डायस्टेमा की वजह से शिशु को शारीरिक रूप से कोई तकलीफ नहीं होती है और ना ही उसे आहार ग्रहण करने में समस्या होती है।
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हां, लेकिन यह बात सच है कि बच्चे के दांतों के बीच में खाली जगह (Space Between Teeth) उत्पन्न हो जाने की वजह से हो सकता है आपके शिशु की सुंदरता में थोड़ा प्रभाव पड़े।
दांतों के बीच गैप की वजह से बच्चे को बात करने में भी थोड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन समय के साथ अधिकांश मामलों में इसे अपने आप ही ठीक हो जाना चाहिए।
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छोटे बच्चों में और बढ़ते बच्चों के दांतो के बीच में रिक्त स्थान का उत्पन्न होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इस प्रकार की सबसे ज्यादा घटना उस समय देखी जा सकती है जब शिशु 5 साल से 10 साल के बीच का हो।
8 साल की उम्र के बच्चों में यह सबसे ज्यादा दिखाई देता है। बच्चे के जीवन में उम्र के इस पड़ाव में शिशु का सिर आकार में बढ़ता है जिससे उसकी जबड़े भी आकार में बढ़ते हैं।
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लेकिन शिशु के जबड़े जिस अनुपात में बढ़ते हैं उस अनुपात में शिशु के दांत नहीं बढ़ते। इस वजह से दांतों के बीच में खाली जगह बन जाती है।
लेकिन थोड़े समय पश्चात जब दांत भी आकार में बढ़ जाते हैं तो यह खाली जगह को भर देते हैं। आमतौर पर देखा गया है कि जब शिशु 12 साल का होता है तब तक उसके दांतो के बीच के रिक्त स्थान अपने आप भर जाते हैं।
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यूं तो डायस्टेमा एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें उम्र के विशेष पडाव में बच्चों के दांतों के बीच में रिक्त स्थान पैदा हो जाता है जो अपने समय पर फिर भर भी जाता है।
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लेकिन कुछ मामलों में दांतों के बीच का यह रिक्त स्थान (Space Between Teeth) नहीं भी भरता है। ऐसा होने पर जब बच्चा व्यस्क हो जाता है तब भी उसके दांतो के बीच में रिक्त स्थान साफ साफ दिखाई देता है।
जैसा की मैंने ऊपर बताया कि कुछ मामलों में दांतों के बीच का रिक्त स्थान नहीं भी भर सकता है। जब दांतों के बीच का रिक्त स्थान डायस्टेमा के स्वाभाविक प्रक्रिया की वजह से उत्पन्न नहीं होता है - बल्कि दांतों के बीच पैदा हुआ खाली जगह किसी और कारण से होता हैं - तो यह अपने आप नहीं भरता है।
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इसका मुख्य कारण - दांतो और जबड़ों के बीच सही संतुलन का स्थापित नहीं हो पाना है। उदाहरण के लिए अगर निचला होंठ छोटा है या टेढ़ा है या अंदर की तरफ खींचा हुआ है तो डायस्टेमा (Diastema - Gap Between Teeth) की ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जो बिना ऑर्थोडोंटिक तकनीक के ठीक नहीं की जा सकती है।
कई बार बच्चे आदतन अपनी जीभ को मुंह में गलत तरीके से उलटते हैं या पकड़े रहते हैं जिससे जिब दांतों के बीच में (incisors) पर असहज दबाव पैदा करता है। इस वजह से भी दांतों के बीच में रिक्त स्थान (Space Between Teeth) पैदा हो जाता है।
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डायस्टेमा केवल बच्चों में ही नहीं होता है बल्कि यह व्यस्क लोगों में भी हो सकता है। वयस्कों में डायस्टेमा (Diastema - Gap Between Teeth) की मुख्य वजह उनकी गलत जीवनशैली है।
जब व्यस्कों का खान पान इस तरह का होता है कि उनके एल्वोलर हड्डी को नुकसान (Periodontal Disease) पहुंचे तो उसके परिणाम स्वरुप उनके incisors (Gap Between Front Teeth) के बीच खाली जगह उत्पन्न हो जाती है।
इसे पीरियडऑल्टल अवस्था कहते हैं। जिन व्यस्कों में डायस्टेमा की समस्या पाई गई, यह देखा गया है कि उनके दांत आकार में औसत से 77.2% कम थे।
जो बच्चे बचपन से ही अत्यधिक चॉकलेट और मिठाइयों का सेवन करते हैं और जिनके दांत में दिनभर कुछ ना कुछ मीठा खाद्य पदार्थ चिपका होता है, उनके दातों में भी कैविटी और दांतो के बीच रिक्त स्थान (Gap Between Front Teeth) पैदा हो जाना एक बहुत ही आम समस्या है।
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बच्चों में अगर डायस्टेमा की वजह खराब जीवनशैली है तो सबसे पहले डॉक्टर बच्चों की जीवनशैली को ठीक करने की सलाह देते हैं।
इसमें आप को बच्चों को चॉकलेट और मिठाइयां देना बंद करना पड़ेगा। इसके साथ ही आप को यह भी सुनिश्चित करना पड़ेगा कि जिस वक्त आपके बच्चे भोजन ग्रहण नहीं कर रहे हैं उस वक्त उनका मुंह साफ रहे।
इसके लिए जब भी बच्चे आहार ग्रहण करें तो आहार ग्रहण करने के पश्चात बच्चों को साफ पानी से मुंह को कुल्ली करना पड़ेगा।
इससे मुंह में मौजूद आहार के अवशेष बाहर आ जाएंगे और दांतो में जीवाणुओं को पनपने का कोई मौका नहीं मिलेगा। दांतो के डॉक्टर डायस्टेमा (Diastema - Gap Between Teeth) में बच्चे के दांतों के बीच की खाली जगह को भरने के लिए स्केलिंग और रूट प्लानिंग की सहायता ले सकते हैं।
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अगर आप अपने लिए या अपने बच्चे के लिए डायस्टेमा के उपचार कि विकल्पों के बारे में सोच रही हैं तो आपको अपने आप में या अपने बच्चे में सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा करना पड़ेगा।
अधिकांश मामलों में दांतो के डॉक्टर सफलतापूर्वक दांतों के बीच उत्पन्न रिक्त स्थानों (Dental Treatments for "Gapped Teeth") को भर देते हैं। डायस्टेमा खुद में कोई बीमारी नहीं है।
लेकिन अगर इनकी वजह खराब जीवन शैली है तो उस जीवनशैली को सर्वप्रथम बदलने की आवश्यकता है।
दांतों में रिक्त स्थान के साथ-साथ अगर खराब जीवनशैली की वजह से मसूड़ों में संक्रमण (Periodontal Disease) भी है तो दांतो की हड्डी के उपचार (Dental Treatments for "Gapped Teeth") के दौरान डॉक्टर मसूड़ों के इन संक्रमण को खत्म करने के लिए भी कार्य करेगा। जिससे संक्रमण (Periodontal Disease) के साथ-साथ मसूड़ों की सूजन भी खत्म हो जाएंगे।
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व्यस्कों में दांतो के बीच के रिक्त स्थान को ऑर्थोडोंटिक तकनीक से ठीक किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में दांतो को थोड़ा घुमा कर उनके बीच के रिक्त स्थान को (Gap Between Front Teeth) भरा जाता है।
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दांतों के बीच उत्पन्न रिक्त स्थान को बिना ऑर्थोडोंटिक तकनीक के भी छुपाया जा सकता है। इसके लिए कृत्रिम (cosmetic) सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है।
इस प्रक्रिया में दंत विशेषज्ञ या दांतों के डाक्टर सामने के दांतों के आकार को बड़ा बना देते हैं जिससे उनके बीच मौजूद रिक्त स्थान भर जाता है।
इस प्रक्रिया में दांतो की खूबसूरती बढ़ जाती है जिस वजह से चेहरे की सुंदरता में निखार आता है। यह वही प्रक्रिया है जिसमें टूथ कलर कम्पोजिट का इस्तेमाल करके दांतो के डॉक्टर दांतों के बीच उत्पन्न हुए क्रैक, या टूटे हुए दांतो को भी ठीक करते हैं। इस प्रक्रिया से चेहरे की मुस्कुराहट की खूबसूरती बहुत बढ़ जाती है।
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दांतों के बीच के गैप को खत्म करने के लिए यह भी एक आम सामान्य उपचार है। ब्रेसेस डायस्टेमा में इस्तेमाल होने वाले ब्रेसेस में तार और ब्रैकेट होते हैं।
इनकी इस्तेमाल से दांतों पर इस तरह का दबाव बनता है कि वह धीरे-धीरे अपने स्थान पर लौटना शुरू करते देते हैं और इस तरह से दांतों के बीच में उत्पन्न रिक्त स्थान खत्म हो जाता है।
यह एक बहुत ही रोचक प्रक्रिया है क्योंकि इसमें ना केवल दांतों के बीच की खाली जगह भर्ती है बल्कि आगे और बाहर की तरफ निकले हुए दांत अपनी जगह पर वापस भी लौटते हैं जिससे चेहरे की खूबसूरती बहुत बढ़ जाती है।
लेकिन ब्रेसेस के उपचार के द्वारा दांतों के बीच के रिक्त स्थान को खत्म करने की प्रक्रिया में बहुत तकलीफ होती है। इसीलिए अगर आप ब्रेसेस नहीं करवाना चाहती हैं तो आप सौंदर्य समाधान के विकल्पों के बारे में सोच सकती है।
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दांतों के बीच रिक्त स्थान या डायस्टेमा (Diastema - Gap Between Teeth) की समस्या कोई बीमारी नहीं है। इसकी वजह से ना तो दांतो में और ना ही मुंह में दर्द होता है।
अधिकांश मामलों में आहार ग्रहण करने में भी इसकी वजह से कोई समस्या नहीं आती है। लेकिन छोटे बच्चों में यह पाया गया है कि दांतो में खाली जगह की वजह से उन्हें बात करने में थोड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है।
इससे लगभग हर उम्र के लोग प्रभावित पाए गए - बच्चों से लेकर बूढों तक। खुशी की बात यह है कि अगर बच्चों के दांतों में रिक्त स्थान है तो वह समय के साथ-साथ जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं वैसे वैसे दांतों के बीच का यह रिक्त स्थान अपने आप भर जाता है।
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डायस्टेमा कि बहुत से मामलों में दांतों के बीच रिक्त स्थान इतना बारीक होता है कि उसे आसानी से नोटिस नहीं किया जा सकता है या वह चेहरे की खूबसूरती को बिगड़ते नहीं है।
लेकिन दांतों के बीच का रिक्त स्थान अगर इतना बड़ा हो जाए कि उस से चेहरे की सुंदरता पर प्रभाव पड़े तो आप ऑर्थोडोंटिक तकनीक या दांतो के सौंदर्य समाधान के द्वारा इसे ठीक करवाने पर विचार कर सकती हैं।
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