Category: बच्चों का पोषण
By: Editorial Team | ☺9 min read
अधिकांश मां बाप को इस बात के लिए परेशान देखा गया है कि उनके बच्चे सब्जियां खाना पसंद नहीं करते हैं। शायद यही वजह है कि भारत में आज बड़ी तादाद में बच्चे कुपोषित हैं। पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां शिशु के शरीर में कई प्रकार के पोषण की आवश्यकता को पूरा करते हैं और शिशु के शारीरिक और बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सब्जियों से मिलने वाले पोषक तत्व अगर शिशु को ना मिले तो शिशु का शारीरिक विकास रुक सकता है और उसकी बौद्धिक क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। हो सकता है शिशु शारीरिक रूप से अपनी उचित लंबाई भी ना प्राप्त कर सके। मां बाप के लिए बच्चों को सब्जियां खिलाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। अक्षर मां बाप यह पूछते हैं कि जब बच्चे सब्जियां नहीं खाते तो किस तरह खिलाएं?
लेकिन बच्चों को सब्जियां खिलाना क्यों इतना मुश्किल काम है?
इसी विषय में हम इस लेख में चर्चा करेंगे और आपको यह भी बताएंगे कि अगर आपका लाडला सब्जियां खाना पसंद नहीं करता है तो आप किस तरह से उसे सब्जियों को खाने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
लिखो अब तक पड़ेगा क्योंकि इसमें हम आपको यह भी बताएंगे की शिशु को उसकी उम्र के अनुसार हर दिन कितनी मात्रा में फल और सब्जी देनी चाहिए तथा उम्र के अनुसार उसकी दैनिक Serving Recommendations क्या होगी।
बच्चे सब्जियां खाना पसंद नहीं करते हैं इसके कई कारण हो सकते हैं जिनके बारे में हम नीचे चर्चा करेंगे। यह बहुत आवश्यक है आपके लिए समझना कि आपका शिशु क्यों सब्जियां खाना क्यों पसंद नहीं करता। सही वजह पता होने पर आप प्रभावी तरीके से अपने शिशु के अंदर सब्जियों को खाने के लिए उत्साह पैदा कर सकती हैं।
बच्चों में आहार से संबंधित neophobia एक प्रकार की फोबिया है जो कि बच्चों में 2 से 6 साल की उम्र में आम देखी जाती है।
प्राकृतिक तौर पर बच्चों का मस्तिष्क इस प्रकार से बना हुआ रहता है ताकि वे हानिकारक और जहरीले पदार्थों से अपने आप को बचा सके। जब उन्हें आहार में कोई ऐसा स्वाद मिलता है जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं चखा है तो वे उससे दूर भागने की चेष्टा करते हैं। लेकिन यही वह समय होता है जब शिशु के अंदर स्वाद के आधार पर आहार को चुनने की स्वतंत्रता का विकास होता है। यह दोनों ही वजह मिल कर के मां बाप के लिए थोड़ी मुश्किलें पैदा कर देते हैं।
दूसरा कारण है सब्जियों का स्वाद पसंद ना आना। मात्र बच्चे ही नहीं वरन बहुत से व्यस्क भी सब्जियों को इसलिए नहीं खाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें उसका स्वाद पसंद नहीं होता।
अधिकांश मामलों में यह वह लोग होते हैं जिन्हें बचपन में इनके मां बाप ने सब्जियों को खाने के लिए जोर नहीं दिया और इन्हें सब्जियों के फायदों के बारे में नहीं बताया। अगर आप इन लोगों से बातें करें तो आपको पता चलेगा कि सब्जियां यह इसलिए नहीं खाते हैं क्योंकि सब्जियों में इन्हें कड़वा स्वाद प्रतीत होता है।
हकीकत में उन्हें लगने वाला यह कड़वा स्वाद सब्जियों में मौजूद कैल्शियम और फाइटोन्यूट्रिएंट्स (calcium and phytonutrients) की वजह से होता है। लेकिन सब्जियों में मौजूद यह फाइटोन्यूट्रिएंट्स शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र (natural self-defense system) के लिए बहुत आवश्यक।
आपको यह जानकर ताजुब होगा कि यह फाइटोन्यूट्रिएंट्स जितना हमारे लिए महत्वपूर्ण है उतना ही इन पौधों के लिए भी। सच माने तो फाइटोन्यूट्रिएंट्स का स्वाद पौधे को कीट पतंगों और कीड़ों से बचाता है। कई विश्व स्तरीय शोध में यह बात पता चला है कि सब्जियों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट इंसान के शरीर में मौजूद कैंसर की कोशिकाओं को मारते हैं और ट्यूमर बनने की प्रक्रिया को रोकते हैं।
इसीलिए जो लोग सब्जियों का सेवन पर्याप्त मात्रा में करते हैं उनके अंदर कैंसर और हृदय रोग संबंधी संभावना बहुत कम होती है।
हजारों सालों में जिस प्रकार से इंसानी मस्तिष्क का विकास हुआ है वह मीठे स्वाद की तरफ आकर्षित और कड़वे स्वाद से दूर हट ना चाहते हैं। यही वजह है कि मीठे आहार के तरफ बच्चों में प्राकृतिक रूप से झुकाव पाया जाता है और सिर्फ बच्चों में ही नहीं, बड़ों में भी यह देखा गया है।
कड़वे या खट्टे आफ की तुलना में मीठे आहार हमें ज्यादा स्वादिष्ट लगते हैं। सब्जियों में हल्का सा कड़वा स्वाद होता है जिस वजह से बच्चे सब्जियां खाना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखिएगा कि विशेषज्ञों के अनुसार आहार में अत्यधिक मीठा लेने से मोटापे (obesity) से संबंधित कई प्रकार की बीमारियां शरीर में बढ़ती है।
हमारे मस्तिष्क की संरचना इस प्रकार से हुई है कि खट्टे और कड़वे स्वाद वाले आहार हमें पसंद नहीं आते हैं। तो फिर ऐसा क्यों होता है कि जब हम बड़े हो जाते हैं तो हमें करेला और नींबू अच्छा लगने लगता है? क्या हमारी जीत में मौजूद स्वाद कोशिकाएं (taste buds) बदल गई है?
ऐसी बात नहीं है, सच बात तो यह है कि हम लोग जैसे जैसे बड़े हुए, खट्टे और कड़वे स्वाद वाले आहार से कई बार सामना होने से यह हमें स्वाभाविक लगने लगे। इसीलिए जब आप शिशु को कोई भी आहार पहली बार देती हैं तो वह तुरंत ही उसे खाने के लिए इच्छुक नहीं होता है। उसके स्वाद के प्रति आकर्षण विकसित होने में उसे थोड़ा समय लगता है।
इसीलिए शिशु विशेषज्ञ यह कहते हैं कि आप अपने शिशु को नए आहार कम से कम 10 से 15 बार खिलाने की कोशिश करें। धीरे-धीरे शिशु को नए आहार अच्छे लगने लगेंगे और उन्हें खिलाने के लिए आपको इतना परेशान नहीं होना पड़ेगा।
सब्जियां नहीं खाने के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
सब्जियों में प्रचुर मात्रा में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शिशु के शारीरिक विकास और बौद्धिक विकास के लिए बहुत आवश्यक है साथी यह शिशु के शरीर को स्वस्थ रखने का भी काम करते हैं। सब्जियों में folic acid, vitamin A, vitamin C, और dietary fibre पाया जाता है। अगर बच्चों को सब्जियां नहीं चलाती हैं तो उनमें निम्न स्वास्थ संबंधी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं।
हर बच्चे का स्वभाव भिन्न होता है इसीलिए जो तरीका एक बच्चे पर काम करेगा वह शायद दूसरे बच्चे पर काम ना करें इसलिए आपको हर बच्चे के स्वभाव को जागना पड़ेगा और उसके अनुसार तरीके अपनाने पड़ेंगे।
बच्चों का स्वभाव होता है कि वे किसी भी प्रकार के नए आहार को खाने से बचें। विशेषकर अगर उस आहार का स्वाद कड़वा, खट्टा, या गरम (तीखा) है। अगर शिशु सब्जियां खाना पसंद नहीं कर रहा है तो आप कभी भी उसे जबरदस्ती ना खिलाए।
अगर आप उस सब्जी को जबरदस्ती खिलाने की कोशिश करेंगे तो शायद वह दोबारा उसे कभी खाना ना चाहे। हर बच्चे के अंदर अलग अलग स्वाद के प्रति झुकाव अलग अलग होता है। लेकिन यह हर दिन बदलता रहता है। आपका शिशु किसी विशेष सब्जी को खाना ना चाहे तो आप संयम बनाए रखें और अगले दिन या कुछ दिनों बाद फिर से प्रयास करें।
निरंतर प्रयास करते करते आपका शिशु एक दिन उस सब्जी को खाना प्रारंभ कर देगा। हर दिन अपने शिशु को नया सब्जी दें। वह कुछ सब्जियों को खाने से इनकार करेगा तो कुछ सब्जियों को खा लेगा। आप अपना संयम बनाए रखें और निरंतर प्रयास करते रहे। धीरे धीरे आप के शिशु को हर प्रकार के सब्जी खाने का अभ्यास हो जाएगा और फिर वह सब्जियों से भागेगा नहीं।
आप जो भी करते हैं आपके बच्चे जाने अनजाने उसका अनुकरण करने की कोशिश करते हैं। अगर आप अपने आहार में मौसम के अनुसार उपलब्ध सब्जियों को समिलित करते हैं तो आपका शिशु भी अपने आहार में सब्जियों को खाने का इच्छुक होगा। घर पर हर दिन पूरे परिवार को एक साथ खाना खाने पर जोड़ दीजिए ताकि घर की छोटे बच्चे बड़ों से भोजन से संबंधित अच्छी आदतों को सीख सकें।
अगर आपका शिशु आपको अलग अलग तरह के फल और सब्जियों का आनंद लेते हुए देखेगा तो वह भी उन्हें खाने के लिए इच्छुक होगा और उन्हें खाते वक्त आनंदित अनुभव करेगा।
जब आप घर पर आहार तैयार करें तो इस दौरान किचन में बच्चों को भी कुछ छोटे-मोटे काम करने को दें जिससे उन्हें यह महसूस होगा कि आहार को तैयार करने में उन्होंने भी योगदान दिया है और इस तरह वह आहार को महत्व देंगे।
जब आप बाजार जाएं तो घर का राशन खरीदते समय बच्चों को भी सम्मिलित करें। उन से बोले कि वे अपने पसंद के फल और सब्जियों को लेकर के आए। इस तरह उन में सब्जियों और फल के प्रति उत्सुकता जागेगी। यह एक बहुत अच्छा मौका भी होगा अपने बच्चों को यह बताने का कि कौन सी सब्जियों का क्या महत्व है और उन्हें क्यों खाना चाहिए?
बच्चों की उम्र के अनुसार हर दिन उन्हें कितनी फल सब्जियों की मात्रा देनी चाहिए इसके बारे में आपको हम नीचे Serving Recommendations बता रहे हैं। आप चाहे तो इसका प्रिंट आउट निकाल कर रख सकते हैं ताकि बच्चों को आहार देते समय आप इन्हें देख सकें।