Category: शिशु रोग
By: Vandana Srivastava | ☺8 min read
बच्चों में होने वाली कुछ खास बिमारियों में से सीलिएक रोग (Celiac Disease ) एक ऐसी बीमारी है जिसे सीलिएक स्प्रू या ग्लूटन-संवेदी आंतरोग (gluten sensitivity in the small intestine disease) भी कहते हैं। ग्लूटन युक्त भोजन लेने के परिणामस्वरूप छोटी आंत की परतों को यह क्षतिग्रस्त (damages the small intestine layer) कर देता है, जो अवशोषण में कमी उत्पन्न करता (inhibits food absorbtion in small intestine) है। ग्लूटन एक प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और ओट्स में पाया जाता है। यह एक प्रकार का आटो इम्यून बीमारी (autoimmune diseases where your immune system attacks healthy cells in your body by mistake) है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने ही एक प्रोटीन के खिलाफ एंटी बाडीज (antibody) बनाना शुरू कर देती है।
भारत में हर साल १०,००,००० से ज्यादा लॊग सीलिएक रोग से पीड़ित होते हैं। यह एक ऑटोइम्म्युन बीमारी है जो ग्लूटेन (एक प्रकार का प्रोटीन है) के खाने से होता है। ग्लूटेन गेहूं, जौ, राई और ओट्स में पाया जाता है
अगर आप माँ हैं और काम भी करती हैं, तो समझ सकती हैं की घर और काम दोनों को एकसाथ मैनेज करना (work life balance) कितना मुश्किल होता है।
फास्टफूड और होटल का खाना (fastfood joint and restaurant food) तो आप जानती ही हैं की कितना पोस्टिक (healthy) होता है। अगर परिवार इसी पर निर्भर है तो कोई ताजुब की बात नहीं अगर आये दिन परिवार का कोई-न-कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है।
बच्चों में होने वाली कुछ खास बिमारियों में से सीलिएक रोग (Celiac Disease ) एक ऐसी बीमारी है जिसे सीलिएक स्प्रू या ग्लूटन-संवेदी आंतरोग (gluten sensitivity in the small intestine disease) भी कहते हैं। ग्लूटन युक्त भोजन लेने के परिणामस्वरूप छोटी आंत की परतों को यह क्षतिग्रस्त (damages the small intestine layer) कर देता है, जो अवशोषण में कमी उत्पन्न करता (inhibits food absorption in small intestine) है। ग्लूटन एक प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और ओट्स में पाया जाता है। यह एक प्रकार का आटो इम्यून बीमारी (autoimmune diseases where your immune system attacks healthy cells in your body by mistake) है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने ही एक प्रोटीन के खिलाफ एंटी बाडीज (antibody) बनाना शुरू कर देती है।
ये तो आप को पता ही है की बहार के खानों की चीजों में कितना मिलावट (food adultration) होता है। जाहिर सी बात है की इसकी वजह से हमे शुद्ध आहार (healthy food) नहीं मिल पा रहा है।
पिछले कुछ सालों में हमारी जीवन शैली (lifestyle) मैं बहुत बदलाव हुए हैं। हमारा आहार-विहार (eating habits) बदल गया है।
आज के व्यस्त जीवन (busy lifestyle) में जहाँ माता पिता दोनों काम करते (working parents) हैं, घर पे खाना बनाना भी बहुतों के लिया असंभव सा हो गया है। फास्टफूड और होटल का खाना आम बात हो गया है। यह कहना ज्यादा उचित रहेगा की अब हमारा भोजन उतना पोस्टिक (healthy food) नहीं रहा। इसकी वजह से हम लोगों में और हमारे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता (decreased immunity) कम होती जा रही है।
हम लोगों के बच्चे तरह- तरह की बिमारियों से प्रभावित होते जा रहे हैं इन्ही में से एक बीमारी है सीलिएक रोग (Celiac Disease )। सीलिएक रोग को लेकर जागरूकता जरूरी है जब हम इस बीमारी के बारे में और इसके निदान के तरीके जानेंगे, तभी हम आपने बच्चों में इसका सही निदान कर पाएंगे।
आइये, हम बतातें है की सीलिएक रोग (Celiac Disease ) क्या है और आप आपने बच्चों की इससे कैसे बचा सकते हैं
सीलिएक रोग शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करता है और इससे जुड़े दो सौ से भी ज्यादा लक्षण हैं।बच्चों में ज्यादातर पेट से सम्बंधित लक्षण पाएं जाते हैं।इसका सम्बन्ध सिर्फ आँतों से ही नहीं है बल्कि शारीरिक विकास में बाधा पहुँचाने से भी है। सीलिएक रोग के लक्षण धीमे से लेकर तीव्र तक हो सकते हैं।
सीलिएक रोग होने के तीन कारण होते हैं - जीन, ग्लूटन का सेवन और रोग सक्रिय करने के लिए किसी परिस्थिति का होना जिसे ट्रिगर कहा जाता है, किसी भी उम्र में सक्रिय हो सकता है। सीलिएक रोग ग्लूटन प्रोटीन, जो की ब्रेड,पास्ता, दलिया, बिस्कुट आदि के माध्यम से पनपता है। इसका दूसरा कारण परिवार में पहले से किसी को हुआ रहा हो (genetics)। मधुमेह (diabetes), कोलाइटिस (colitis), आदि रोगों से ग्रस्त लोगों में होता हैं।
सीलिएक रोग के रोग अवधि (celiac disease recovery period) आंत की क्षति को ठीक होने के लिए लगने वाला समय हर व्यक्ति में अलग –अलग अवधि का होता है और यह अवधि छः माह से लेकर दो वर्ष तक की हो सकती है।
ग्लूटन-रहित आहार (gluten free diet) लेने पर ठीक प्रतीत होने में हर व्यक्ति को अलग अलग समय लगता है। अधिकतर लोगों को कुछ दिनों में ही ठीक लगने लगता है और आमतौर पर लक्षण जैसे मतली, अतिसार और पेट फूलना (acid reflux, belching, diarrhoea, fat in stool, heartburn, indigestion, nausea, passing excessive amounts of gas, vomiting, or flatulence) आदि कुछ सप्ताहों में ठीक हो जाते हैं।
सीलिएक रोग का एक ही इलाज है - जिंदगी भर ग्लूटन का परहेज़। परहेज़ करने के कुछ हफ़्तों में तबियत में सुधार होने लगता है परंतु आँतों का पूरा सुधार होने में अधिकतर दो साल का समय लग जाता है। समय पर इलाज न होने पर आँतों को नुकसान पहुँचता रहेगा जिसके फलस्वरूप शरीर के विभिन्न अंगों में जटिलताएं आती जाएँगी (if it is not treated on time, it may damage the small intestine, making it hard to absorb nutrients and cause a wide range of complications)।
डॉक्टर के द्वारा बताई विटामिन और पोषण की दवा तुरंत शुरू करें। अगर बच्चे को सीलिएक रोग है तब ग्लूटन युक्त बिस्कुट, ब्रेड, टॉफी, उसकी पहुँच से दूर रखें। अपने बच्चे के लिए घर से कुछ खाने का सामान लेकर सदा चलें। ऐसे रेस्तरॉ का चुनाव करें जहाँ आपको ग्लूटन मुक्त आहार मिलने की सम्भावना हो। कोशिश करें कि आप भी बच्चे के सामने ग्लूटन युक्त आहार न खाएं। अगर आप हिम्मत और आशा से इस बदलाव का सामना करेंगे तो आपका बच्चा भी इस बदलाव को आसानी से स्वीकार कर पायेगा। सीलिएक रोग पर काबू करने के लिए उसकी पसंदीदा चीज़ो को मना करना होगा और बच्चे को अपने परहेज़ के लिए धीरे -धीरे खुद ही जिम्मेदार बनाना होगा और उसे समझाना जरूरी है कि ग्लूटन खाने से तुरंत नहीं तो कुछ समय बाद शरीर को नुकसान पहुँच सकता है।
सीलिएक रोग परमानेंट ज़रूर है मगर जिंदगी भर, ग्लूटन का परहेज़ कर इस रोग पर काबू किया जा सकता है।