Category: बच्चों की परवरिश
By: Admin | ☺8 min read
हर माँ-बाप को कभी-ना-कभी अपने बच्चों के जिद्दी स्वाभाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अधिकांश माँ-बाप जुन्झुला जाते है और गुस्से में आकर अपने बच्चों को डांटे देते हैं या फिर मार भी देते हैं। लेकिन इससे स्थितियां केवल बिगडती ही हैं। तीन आसान टिप्स का अगर आप पालन करें तो आप अपने बच्चे को जिद्दी स्वाभाव का बन्ने से रोक सकती हैं।
हर माँ-बी आप यही चाहते हैं की अपने बच्चों को वे अच्छी से अच्छी परवरिश दे सकें।
लेकिन फिर भी तमाम कोशिशों के बावजूब भी बच्चे इस तरह का व्यहार करते हैं की माँ-बाप को दूसरों के सामने लज्जित होना पड़ जाता है।
बच्चे जिद्दी हों तो क्या करें?
अधिकांश माँ-बाप के मन में उठने वाला ये एक आम सवाल है।
ये हर माँ-बाप की कहानी है। अधकांश माँ-बाप अपने बच्चों के बिहेवियर और परफॉर्मेंस से खुश नहीं होते। जब बच्चे बात ना सुने तो माँ-बाप को बहुत तकलीफ होती है। इस लेख में हम आप को बताएँगे जिद्दी बच्चों के लिए उपाय इन हिंदी।
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अब बच्चे को वश में करने का टोटका तो कोई है नहीं। जिद्दी बच्चों के लिए टोटके जैसे अन्धविश्वास चीज़ों की जरुरत आप को नहीं पड़ेगी अगर आप इस लेख में लिखे बातों को ध्यान से पढ़ें।
परेशान मत होइए, बच्चों को सँभालने के और उनको अच्छी शिक्षा देने के टिप्स हम आप को बताएँगे।
लेकिन एक बात आप को समझना पड़ेगा, की बच्चों की बहुत सी शैतानियों और बदमाशियों के लिए कहीं-ना-कहीं माँ-बाप भी दोषी हैं।
यानी की इस लेख को आप को खुले विचारों से पढ़ना पड़ेगा।
जब बच्चे बदमाशी करते हैं तो माँ-बाप क्या कदम उठाते हैं, ये इस बात को निर्धारित करता है की बच्चे सु-विचारों के बनेगे या बदमाश।
कहा जाता है की "छोटा परिवार सुखी परिवार"। आज का दौर छोटे परिवार का ही है, यानी की nuclear family का। लेकिन अगर इसकी तुलन joint family से करें तो छोटे परिवार की अपनी ही समस्याएं होती है।
जब बच्चे बहुत छोटे होते हैं तब काम बहुत होता है और समय नहीं। ऐसे में माएं अक्सर तनाव की स्थिति में रहती हैं। कई बार तो ऐसा होता है की माओं को कई कई दिनों तक सोना तक नसीब नहीं होता है।
ऐसे में घर के काम काज के साथ साथ बच्चों को संभालना, बहुत मुश्किल काम होता है।
लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं ये समस्याएं थोड़ी कम हो जाती हैं। लेकिन इनके बदले दूसरी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी चुनौती ये होती है की बच्चों को कैसे अन्तर्मुखी होने से बचाएं।
संयुक्त परिवारों में बहुत से सदस्य होते हैं जिनकी वजह से बच्चों को दूसरों के संवाद (interact) करने का बहुत मौका मिलता है। लेकिन एककल परिवार में बच्चों को ये मौके कम ही मिलते हैं।
पिता सुबह काम पे चले जाते हैं, माएं घर के काम काज में व्यस्त हो जाती हैं, और बच्चों को अकेले खेलना पड़ता है।
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Solution - माता-पिता दोनों को अपनी तरफ से ये कोशिश करनी चाहिए की बच्चों खूब बोलें का मौका मिले। अंतराष्ट्रीय स्तर पे हुए शोध में यह बात सामने आयी है की जो पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ खूब बातें करते हैं, उनके बच्चों का बौद्धिक विकास दुसरे बच्चों से ज्यादा बेहतर होता है।
अपने बच्चों के साथ खूब बातें करें। उनके सवालों का जवाब दें। आप अपनी तरफ से ये कोशिश करें की आप का जवाब तर्कसंगत हो।
लेकिन इस बात की आशा न करें की आप के बच्चे की जिज्ञासा शांत हो जाएगी। इस स्थिति का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें ताकि आप जब आप के बच्चे क्यों, कैसे, क्या होगा - वाले सवाल करें तो आप उनपे नाराज न हों और न ही जुंझलायें। बच्चों से सकारात्मक बातें करें। उनसे उनके दोस्तों और स्कूल के बारे में पूंछे।
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ऑफिस का काम और घर का काम दोनों जरुरी है। लेकिन आप का बच्चा आप की प्राथमिकता होने चाहिए।
शिशु के जीवन पहले कुछ साल उसके बौद्धिक और सामाजिक विकास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। शिशु के जीवन के पहले कुछ साल "mile stone years" कहे जाते हैं क्योँकि जो विकास इस समय अंतराल में नहीं हो पाता है वो शिशु के जीवन में फिर कभी नहीं हो पाता है।
इसीलिए पहले कुछ साल शिशु को अकेला न छोड़ें। आप उन्हें छोटे–छोटे कामों में भी लगा सकती हैं जिससे की आप का बच्चा कुछ सीखे भी और आप को भी थोड़ा वक्त मिल सके।
बच्चे को ऐसे कामो में लगाएं जिस में उसकी रूचि हो। बच्चों के विकास के लिए आप उन्हें educational toys दे सकती हैं।
कई बार माता-पिता बच्चों से पीछा छुटाने के लिए उनकी हर मांग पूरी कर देते हैं। धीरे धीरे किसी भी चीज़ के लिए जिद करना बच्चे की आदत बन जाती है।
Solution - बच्चों की हर मांग को पूरा न करें। ये देखें की जो बच्चे मांग रहे हैं क्या वो वाकई उनके लिए लाभदायक है। बच्चों की अनुचित मांग के लिए उन्हें तर्कसंगत तरीके से समझएं।
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बच्चों के साथ समय बिताएं और उनसे ढेर सारी बातें करें। आगे चल के आप के बच्चे अपनी बात खुल के आप से कर पाएंगे।
बच्चों से बातें करने से उन्हें अकेला नहीं लगेगा, उन्हें ये भी नहीं लगेगा की आप उन्हें ignore कर रहे हैं। इस तरह से आप आप अपने बच्चों को जिद्दी बनने से भी बचा सकती हैं।
कुछ दिनों पहले में अपने एक मित्र के परिवार के साथ घर के करीब स्थित एक shopping mall में गया। वहां पे बच्चों के खिलौनों के लिए एक kids section था।
वहां पे तरह तरह के खिलौने थे। लेकिन उनके बच्चे को ऐसा खिलौना पसंद आया जो बहुत ही महंगा था और बहुत ही नाजुक भी। लाख समझने के बाद भी उनका बच्चा नहीं माना।
खिलौना न मिलने की स्थिति में वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा और वहां रखे सभी खिलौनों को तोड़ने की कोशिश करने लगा।
आखिर कार मेरे मित्र को अपने बच्चे के लिए वही महगा खिलौना लेने पड़ा। लेकिन इसका नतीजा क्या हुवा? बच्चे को यह पता चल गया की अगर वो इसी तरह का तमाशा करेगा तो उसे शांत करने के लिए उसके माँ-बाप उसकी हर बात को मान लेंगे।
ऐसे बच्चे अक्सर शैतानी की हर सिमा लाँघ देते हैं और जरुरत पड़े तो हाथ-पैर चालने से भी नहीं हिचकते हैं। बात सिर्फ यहीं पे ख़त्म नहीं होती है।
ऐसे बच्चे स्कूल में दुसरे बच्चों से भी लड़ने में परहीज नहीं करते हैं। वो समझते हैं की चिल्लाना और मारपीट करने से उनकी हर बात को मान लिया जायेगा।
ये बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए खुद को भी हानि पहुंचा सकते हैं, और खेलते समय दुसरे बच्चों से वास्तु छीनने की कोशिश करते हैं। कभी-कभी दुसरे बच्चों पे हाथ तक उठा देते हैं।
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Solution - अगर माँ-बाप निचे दिए छह बातों का ख्याल रखें तो वे अपने बच्चों को उग्र-स्वाभाव का बनने से रोक सकते हैं।
धीरे-धीरे लगातार प्रयास से आप अपने बच्चे से स्वाभाव में सकारात्मक परिवर्तन ला पाएंगी। बच्चों के स्वाभाव को सुधारना बेहद कठिन कार्य है।
अक्सर देखा गया है की जो बच्चे पढाई से कतराते हैं वे पढाई में भी कमजोर होते हैं। असल में उनके पढाई से कतराने की वजह ही यही होती है।
चूँकि वे इस बात को जानते हैं की दुसरे बच्चों की तुलना में उन्हें पढाई उतनी सहजता से नहीं आती है, इसीलिए वे अपनी कमजोरियोँ को छुपाने के लिए उनसे दूर भागते हैं या फिर कुछ ऐसा बचकाना बर्ताव करते हैं जो आप उनसे उम्मीद नहीं करते हैं।
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ऐसी स्थिति में माँ-बाप अक्सर वो करते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए। जैसे माँ बोलेगी की तुमसे बात नहीं करुँगी, पापा बोलेंगे की मैं अबसे तुम्हे खिलौने खरीद के नहीं दूंगा।
तुम बेकार हो, बेवकूफ हो, बुद्धू हो और न जाने क्या क्या। कई बार तो माँ-बाप बच्चे को गुस्से से थप्पड़ तक मर देते हैं।
इससे कुछ भी नहीं होने वाला है। मार-पीट या उन्हें कोसने से वे पढाई में बेहतर होने से रहे।
तो फिर क्या किया जाये?
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Solution - सर्वप्रथम यह जानने की कशिश करें की आप का बच्चा पढाई से क्योँ कतरा रहा है। अगर उसे कुछ विषय में परेशानी हो रही है तो उसे पढ़ाएं।
बच्चों को प्यार से पढ़ाएं ताकि बच्चों में पढाई के प्रति रूचि बानी रहे। कुछ बच्चों का आईक्यू लेवल औरों से कम होता है। उन्हें पढाई में विशेष सहायता की आवश्यकता होती है।
इसका आलावा जब बच्चा स्कूल जाने लगे तो उससे बैठ के बातें करें। उसे समझएं की उसे सप्ताह में कितने दिन स्कूल जाना है, और उसे कितनी देर बैठ के पढाई करनी है।
इससे आप का बच्चा पढाई से नहीं भागेगा। बच्चे को यह भी बताएं की उसे स्कूल दुसरे दोस्त भी मिलेंगे जो उसके साथ खेलेंगे।
अगर आप का बच्चा कभी स्कूल से उदास लौटता है उससे प्यार से भरोसे में लेकर पूंछे की वो क्योँ उदास है।
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अगर आप का बच्चा बातये की बच्चों ने उसे परेशान किया या स्कूल के टीचर ने, तो उसे बोलेन की आप स्कूल जा कर टीचर से बात करेंगे।
लेकिन स्कूल जाकर टीचर पे दोषारोपण करने की बजाये टीचर से बात करें को बच्चा घर पे परेशान और उदास रहता है, अपनी तरफ से देख लीजिये।
कुछ बच्चे हाइपर एक्टिव होते हैं। ऐसे बच्चों को स्कूल में अक्सर डांट पड़ती है। इन्हे स्कूल में सबसे शैतान बच्चों के रूप में जाना जाता है।
अगर आप का बच्चा हाइपर एक्टिव है तो उसकी स्कूल टीचर से बात करें की उसे किस तरह से स्कूल में नियंत्रित रखा जा सकता है।
स्कूल टीचर से आग्रह करें की उसे मॉनिटर जैसी जिम्मेदारी दें जिससे उसकी ऊर्जा का भरपूर उपयोग भी हो सके और उसमे जिम्मेदारी की भावना पनपे।
घर पे जरुरी नहीं की आप छोटे बच्चे को पढाई की टेबल पे ही बैठा के पढ़ाएं। जब आप किचिन में काम कर रही होती हैं तभी आप उसे खेल - खेल में बहुत कुछ सीखा सकती हैं जैसे की आलू गिनना। इससे पढाई उसके लिए दिलचस्प बन जायेगा।
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