Category: शिशु रोग
By: Vandana Srivastava | ☺4 min read
ज़्यादातर 1 से 10 साल की उम्र के बीच के बच्चे चिकन पॉक्स से ग्रसित होते है| चिकन पॉक्स से संक्रमित बच्चे के पूरे शरीर में फुंसियों जैसी चक्तियाँ विकसित होती हैं। यह दिखने में खसरे की बीमारी की तरह लगती है। बच्चे को इस बीमारी में खुजली करने का बहुत मन करता है, चिकन पॉक्स में खांसी और बहती नाक के लक्षण भी दिखाई देते हैं। यह एक छूत की बीमारी होती है इसीलिए संक्रमित बच्चों को घर में ही रखना चाहिए जबतक की पूरी तरह ठीक न हो जाये|
कुछ दशकों पहले यह धारणा थी की हर बच्चे को एक बार चिकेनपॉक्स होना जरुरी है। मगर चिकनपॉक्स के वैक्सीन की ईजाद ने इस धारणा को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया।
चिकेनपॉक्स का वैक्सीन (chickenpox vaccine) हर साल अनगिनत बच्चों को तीव्र खुजली, बुखार, शरीर पर लाल दाग, फोड़े फुंसी, और जिंदगी भर न ख़तम होने वाले पुरे शरीर पर फोड़े के दागों को होने से बचाता है।
चिकेनपॉक्स कई तरह के कॉम्प्लीकेशन्स (chickenpox complications) अपने साथ ले कर आता है। जैसे की बैक्टीरियल इन्फेक्शन (bacterial infection), दिमाग में सूजन, निमोनिया (pneumonia) और कुछ बिरले घटनाओं में मोत भी हो सकती है।
डॉक्टरी सलाह के अनुसार हर बच्चे को, चाहे वो किसी भी उम्र का हो, चिकनपॉक्स का टिका (chickenpox vaccination) लगवाना जरुरी है। यह सिर्फ आप के बच्चे को ही नहीं वरन आप के बच्चे के द्वारा चिकनपॉक्स का संक्रमण (chickenpox infection) दूसरों को भी फैलने से बचाता है जो चिकनपॉक्स का टिका नहीं लगवा सकते हैं। जैसे की गर्भवती महिलाएं (pregnant women who can't be injected with live vaccine)।
चिकन पॉक्स, बच्चों में पाया जाने वाला एक आम संक्रामक (chickenpox is common infection) रोग है। इसकी बीमारी महामारी (chickenpox spreads like plague) की तरह फैलती है। इसी लिए अगर आप का बच्चा चिकन पॉक्स से ग्रसित हो जाये तो उसे तब तक घर पर ही रखें जब तक की वह पूरी तरह ठीक न हो जाये। अगर ठीक तरह से देख-भाल न की जाये तो चिकन पॉक्स से ग्रसित बच्चे को निमोनिये (pneumonia) भी हो सकता है क्यूंकि इस दौरान बच्चे का इम्यून सिस्टम (immune system is compromised) काफो कमजोर होता है। हालाँकि यह भी सच है की अच्छी देख-रेख में बिना किसी उपचार के ही बच्चा अपने समय पे ठीक हो जाता है। मगर इसका मतलब यह नहीं की बच्चे का उचित उपचार न किया जाये।
आम तौर पर जब मौसम बदलते हैं, तो आप के बच्चे के स्वास्थ्य में भी कुछ परिवर्तन आता हैं। कभी - कभी किसी संक्रमण के वजह से उसे कोई बीमारी लग जाती हैं जैसे चिकेनपॉक्स। चेचक बीमारी का घरेलु इलाज बहुत ही विस्तार में आप यहां पढ़ सकते हैं। इस अध्याय में हम आप को बताएँगे चिकन पाक्स (छोटी माता) के वक्सीनेशन से सम्बंधित महत्व पूर्ण जानकारी।
इस बीमारी से बचने के लिये टीकाकरण आवश्यक हैं इसके बारे में हम आपको कुछ जानकारियाँ दे रहे हैं जो निम्नलिखित हैं -
चिकनपॉक्स ( जिसे छोटी माता या वेरिसेला भी कहते हैं ), लोगों में होनेवाली एक आम बीमारी है। यह सामान्यत: हल्की होती है, लेकिन कई बार यह बीमारी गंभीर भी हो सकती है, विशेषकर छोटे बच्चों में।
जिन बच्च कों कभी चिकनपॉक्स नहीं हुई है, उन्हें नीचे दी गई उम्र पर चिकनपॉक्स के टीके की 2 खुराकें दी जानी चाहिए- प्रथम खुराक: 12-15 माह की उम्र पर, दूसरी खुराक: 4-6 वर्ष की उम्र में (इससे पहले भी दी जा सकती है, यदि प्रथम खुराक से कम से कम 3 माह बाद हो), 13 वर्ष और अधिक उम्र के लोगों कों (जिन्हें कभी चिकनपॉक्स नहीं हुआ है अथवा जिन्हें कभी चिकनपॉक्स का टीका नहीं लगाया गया ), दो खुराकों के बीच कम से कम 28 दिनों का अंतर होना चाहिये।
कोई भी व्यक्ति जिसका पूरा टीकाकरण नहीं किया गया हैं, और जिसे कभी चिकनपॉक्स नहीं हुई, उसे चिकनपॉक्स का टीका अथवा दो खुराकें दी जानी चाहिएं। इन खुराको का समय उस व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करता है। चिकनपॉक्स के टीके, दूसरे टीकों के साथ ही दिए जा सकते हैं।
यदि किसी व्यक्ति को पहले कभी ली गई चिकनपॉक्स के टीके की खुराक से अथवा जिलेटिन से अथवा नियोमाइसिन नामक एंटीबायोटिक से खतरनाक एलर्जी हुई हो, तो उसे चिकनपॉक्स का टीका नहीं लगवाना चाहिए।
जो लोग इंजेक्शन लगाने के लिए निर्धारित समय पर गंभीर रूप से बीमार हैं, उन्हें आमतौर पर तब तक चिकनपॉक्स का टीका लगवाने का इंतजार करना चाहिए जब तक वे ठीक नहीं हो जाएँ। अगर आप को HIV / AIDS है तो, अपने डॉक्टर से सलाह लें कि क्या आप चिकन पॉक्स की वैक्सीन को लगवा सकते है की नहीं।
किसी भी दवा की भांति, टीकों से भी गंभीर समस्याएं, जैसे कि गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। चिकनपॉक्स केटीकेसेगंभीर नुकसान, या मृत्यु होने का खतरा बहुत की कम होता है। चिकनपॉक्स का टीका लगवाना इसकी बीमारी के हो जाने से कहीं अधिक सुरक्षित है। चिकनपॉक्स का टीका लगवाने वाले अधिकांश लोगो को इसके कारण कोई भी समस्या नहीं होती। प्रतिक्रिया होने की संभावना आमतौर पर दूसरी खुराक की तुलना में पहली खुराक के बाद होने की संभावना अधिक रहती है।