Category: प्रेगनेंसी
By: Editorial Team | ☺8 min read
गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में विटामिन ए बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसकी कमी की खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में दैनिक आवश्यकता के अनुसार विटामिन ए मिले तो उससे गर्भ में पल रहे उसकी शिशु किसी के फेफड़े मजबूत बनते (strong lungs) हैं, आंखों की दृष्टि बेहतर होती है और त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है।

लेकिन, जिस तरह इसकी कमी शिशु के विकास को प्रभावित करती है ठीक उसी तरह विटामिन ए की अधिकता भी शिशु के लिए घातक परिणाम पैदा कर सकती है।
यानी कि गर्भावस्था के दौरान विटामिन ए की संतुलित मात्रा ही शिशु और मां दोनों के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी है। इसकी कमी भी नुकसान पहुंचाती है और इसकी अधिकता भी नुकसान पहुंचाती है।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था के दौरान कौन कौन से भोजन आप अपने आहार में सम्मिलित करें जिनसे दैनिक आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त मात्रा में विटामिन ए मिल सके तथा कौन-कौन से सप्लीमेंट से आपको दूर रहना चाहिए ताकि आपका शिशु सुरक्षित रहे।

अगर गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला में विटामिन ए की कमी हो जाए तो शिशु के जन्म के बाद उसके शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होता है। ऐसे बच्चे जन्म के बाद ज्यादा संक्रमण के शिकार पाए जाते हैं तथा और बच्चों की तुलना में यह बार-बार और ज्यादा आसानी से बीमार पड़ जाते हैं।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में विटामिन ए (vitamin A) का सही संतुलन गर्भ में शिशु को स्वस्थ और तंदुरुस्त बनाता है, तथा जन्म के बाद यह बच्चे शारीरिक रूप से संक्रमण से लड़ने में ज्यादा सक्षम होते हैं।

विटामिन ए गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह शिशु की आंखों की विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा शिशु के त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है और शिशु का रोग प्रतिरोधक तंत्र विकसित करता है।
यह गर्भ में पल रहे शिशु के फेफड़ों के विकास में भी योगदान देता है जिससे शिशु के फेफड़े इस योग्य बनते हैं कि वह वायु से ऑक्सीजन लेकर शिशु के रक्त कोशिकाओं तक पहुंचा सके और उसकी रक्त कोशिकाओं में से carbon dioxide बाहर निकाल सके।

गर्भावस्था के दौरान विटामिन ए की उचित मात्रा मिल पाना बहुत मुश्किल काम है। अगर शरीर में विटामिन ए की अधिकता हो जाए तो यह गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को प्रभावित करता है जिससे शिशु में birth defects उत्पन्न हो जाता है।
लेकिन अगर शरीर में विटामिन ए की कमी हो जाए तो यह शिशु के फेफड़ों के विकास को तथा त्वचा की कोशिकाओं की विकास को प्रभावित करता है। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को अपने आहार के द्वारा विटामिन ए की कमी को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान विटामिन ए की उचित मात्रा गर्भ में पल रहे शिशु को समान रूप से विकसित होने में मदद करेगा।
गर्भावस्था के दौरान विटामिन ए गर्भवती महिला के रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाता है जिससे पूरे गर्भकाल के दौरान महिला का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि पूरे गर्भकाल के दौरान महिला को विटामिन ए (vitamin A) की सही मात्रा मिल सके। महिलाओं के शरीर में third trimester के दौरान विटामिन ए की कमी आमतौर पर देखी गई है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यही वह समय होता है जब गर्भ में पल रहे शिशु में विटामिन ए की आवश्यकता बहुत बढ़ जाती है। इस दौरान शिशु का शारीरिक विकास बहुत तेज गति से हो रहा होता है और शरीर में खून की मात्रा भी बहुत बढ़ जाती है।
गर्भवती महिला का शरीर गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर देता है जिससे गर्भवती महिला के शरीर में विटामिन ए की कमी की संभावना बढ़ जाती है। इसी गर्भ अवस्था के third trimester के दौरान गर्भवती महिला को सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके शरीर में विटामिन A की कमी ना हो पाए।

विटामिन ए वसा में घुल जाने वाला विटामिन है। यह मुख्य रूप से शिशु के लीवर (liver) और fat cells में संचित होता है। अगर गर्भवती महिला को आहार के द्वारा उचित मात्रा में हर दिन विटामिन ए मिले तो गर्भ में पल रहे शिशु का शरीर इसे संचित करना शुरू कर देता है ताकि आगामी महीनों में जब शरीर को इसकी ज्यादा आवश्यकता पड़े तो इन्हें इस्तेमाल किया जा सके।
शिशु के शरीर में विटामिन ए की कमी जन्म के बाद उसके तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है जिससे शिशु में संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और वह आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाता है।

गर्भवती महिला आहार के माध्यम से अपने शरीर में विटामिन ए की कमी को आसानी से पूरा कर सकती हैं। आप निम्न भोजन को अपने आहार में सम्मिलित करके विटामिन ए की कमी को पूरा कर सकती हैं।
आमतौर पर दैनिक जीवन में एक महिला को जितने विटामिन ए की आवश्यकता पड़ती है उससे कहीं ज्यादा आवश्यकता पड़ती है गर्भावस्था के दौरान।

गर्भावस्था के दौरान एक महिला को प्रतिदिन100mcg per day विटामिन ए की आवश्यकता पड़ती है। शिशु के जन्म के बाद अगर आप अपने शिशु को स्तनपान कराती हैं तो प्रतिदिन आपके शरीर में इसकी आवश्यकता 350mcg per day तक बढ़ जाती है।
क्योंकि विटामिन ए दूध तथा दूध से बने उत्पाद और कुछ फल सब्जियों में भी पाया जाता है, इस वजह से अगर गर्भवती महिला संतुलित आहार पर जोर दे तो उसे अपने आहार से दैनिक जीवन की आवश्यकता के अनुसार विटामिन ए मिल जाएगा।
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ये पांच विटामिन आप के बच्चे की लंबाई को बढ़ने में मदद करेगी। बच्चों की लंबाई को लेकर बहुत से मां-बाप परेशान रहते हैं। हर कोई यही चाहता है कि उसके बच्चे की लंबाई अन्य बच्चों के बराबर हो या थोड़ा ज्यादा हो। अगर शिशु को सही आहार प्राप्त हो जिससे उसे सभी प्रकार के पोषक तत्व मिल सके जो उसके शारीरिक विकास में सहायक हों तो उसकी लंबाई सही तरह से बढ़ेगी।
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ठण्ड के दिनों में बच्चों को बहुत आसानी से जुकाम लग जाता है। जुकाम के घरेलू उपाय से आप अपने बच्चे के jukam ka ilaj आसानी से ठीक कर सकती हैं। इसके लिए jukam ki dawa की भी जरुरत नहीं है। बच्चों के शारीर में रोग प्रतिरोधक छमता इतनी मजबूत नहीं होती है की जुकाम के संक्रमण से अपना बचाव (khud zukam ka ilaj) कर सके - लेकिन इसके लिए डोक्टर के पास जाने की आवशकता नहीं है। (zukam in english, jukam in english)
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