Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺2 min read
अगर आप के शिशु को गाए के दूध से एक्जिमा होता है मगर UTH milk या फार्मूला दूध देने पे उसे एक्जिमा नहीं होता है तो इसकी वजह है गाए के दूध में पाई जाने वाली विशेष प्रकार की प्रोटीन जिससे शिशु के शारीर में एलर्जी जैसी प्रतिक्रिया होती है।

सुनने में थोडा अटपटा लगे लकिन सच बात तो यह है की बहुत से बच्चों को गाए के दूध से एलर्जी होती है। लेकिन अगर इन्ही बच्चों को फार्मूला मिल्क या UHT milk दिया जाये तो उससे इन्ही बच्चों को कोई तकलीफ नहीं होती है। इस लेख में हम आप को बताएँगे की ऐसा क्योँ होता है। वैसे UHT milk और भी बहुत से फायेदे हैं। छोटे बच्चों में UHT Milk के सभी फाएदों के बारे में जानने के लिए आप इस लेख को पढ़ सकती हैं।
सबसे पहले तो आप को यह समझना पड़ेगा की दूध से सम्बंधित बच्चों तो दो तरह की समस्या होती है:
यह दोनों ही चीजें अलग-अलग हैं। चलिए विस्तार से समझते हैं की Lactose intolerance और Milk protein allergy में क्या अंतर है।
दूध में एक विशेष प्रकार का sugar पाया जाता है जिसे Lactose कहते हैं। कुछ बच्चों का शारीर दूध में पाए जाने वाले इस sugar (Lactose) को हजम (digest) नहीं कर पता है। इस वजह से उनके शारीर दूध में मौजूद Lactose की वजह से प्रभावित होता है। इस स्थिति को Lactose Intolerance कहते हैं।
यह समस्या पैदा होती है दूध में मौजूद एक विशेष प्रकार के प्रोटीन की वजह से। कुछ बच्चे दूध में मौजूद इस प्रोटीन के प्रति एलर्जिक होता हैं। जब ये बच्चे दूध पिते हैं तो उनके शारीर में एलर्जिक प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है - जैसे की बीमार पड़ जाना, पेट में गैस का बनना, दस्त होना इत्यादि। शिशु में एक्जिमा की समस्या की मुख्या वजह है - दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन के प्रति एलर्जी।
आप शायद यह सोच रहे होंगे की बच्चों में एक्जिमा गाए के दूध से ही क्योँ होता है और फार्मूला मिल्क या UHT milk से क्योँ नहीं। इसकी वजह यह है की फार्मूला मिल्क या UHT milk को तयार करते समय उसे अत्याधिक तापमान (UHT = Ultra High Temperature) से गुजरा जाता है जिस वजह से दूध में मौजूद एलर्जी पैदा करने वाला प्रोटीन का स्वरूप बदल जाता है। और इस वजह से फार्मूला मिल्क या UHT milk को पिने पे भी शिशु के शारीर पे एक्जिमा पैदा करने वाले कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं।
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शिशु में हिचकी आना कितना आम बात है तो - सच तो यह है की एक साल से कम उम्र के बच्चों में हिचकी का आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। हिचकी आने पे डॉक्टरी सलाह की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हिचकी को हटाने के बहुत से घरेलू नुस्खे हैं। अगर हिचकी आने पे कुछ भी न किया जाये तो भी यह कुछ समय बाद अपने आप ही चली जाती है।
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जब आपका बच्चा बड़े क्लास में पहुँचता है तो उसके लिए ट्यूशन या कोचिंग करना आवश्यक हो जाता है ,ऐसे समय अपने बच्चे को ही इस बात से अवगत करा दे की वह अपना ध्यान खुद रखें। अपने बच्चे को ट्यूशन भेजने से पहले उसे मानसिक रूप से तैयार केर दे की उसे क्या पढाई करना है।
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आटे का हलुवा इतना पौष्टिक होता है की इसे गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है| आटे का हलुआ शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सबसे बेहतरीन शिशु आहार है। आटे का हलुवा शिशु के लिए उचित और सन्तुलित आहार है|
जन्म के समय जिन बच्चों का वजन 2 किलो से कम रहता है उन बच्चों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम रहती है| इसकी वजह से संक्रमणजनित कई प्रकार के रोगों से बच्चे को खतरा बना रहता है|
सेक्स से सम्बंधित बातें आप को अपने बच्चों की उम्र का ध्यान रख कर करना पड़ेगा। इस तरह समझएं की आप का बच्चा अपने उम्र के हिसाब से समझ जाये। आप को सब कुछ समझने की जरुरत नहीं है। सिर्फ उतना बताएं जितना की उसकी उम्र में उसे जानना जरुरी है।
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चावल का पानी (Rice Soup, or Chawal ka Pani) शिशु के लिए एक बेहतरीन आहार है। पचाने में बहुत ही हल्का, पेट के लिए आरामदायक लेकिन पोषक तत्वों के मामले में यह एक बेहतरीन विकल्प है।
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भारत सरकार टीकाकरण अभियान के अंतर्गत मुख्या और अनिवार्य टीकाकरण सूची / newborn baby vaccination chart 2022-23 - कौन सा टीका क्यों, कब और कितनी बार बच्चे को लगवाना चाहिए - पूरी जानकारी। टीकाकरण न केवल आप के बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाता है वरन बिमारियों को दूसरे बच्चों में फ़ैलाने से भी रोकते हैं।