Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
बहुत सारे माँ बाप इस बात को लेकर परेशान रहते हैं की क्या वे अपने बच्चे को UHT milk 'दे सकते हैं' या 'नहीं'। माँ बाप का अपने बच्चे के खान-पान को लेकर परेशान होना स्वाभाविक है और जायज भी। ऐसा इस लिए क्यूंकि बच्चों के खान-पान का बच्चों के स्वस्थ पे सीधा प्रभाव पड़ता है। कोई भी माँ बाप अपने बच्चों के स्वस्थ के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता है।
UHT milk के बारे में सबसे पहले तो यह जान ले की आप अपने बच्चे को निसंकोच, बिना किसी चिंता के दे सकती हैं। UHT milk बच्चों के स्वस्थ के लिए बेहद सुरक्षित और स्वास्थवर्धक है। अगर आप का शिशु १२ महीने का हो गया है तो आप उसे UHT milk या गाए का दूध देना प्रारंभ कर सकती हैं। 12 महीने से पहले बच्चों को माँ के दूध के आलावा और कोई दूध नहीं देना चाहिए। जिन माओं का दूध बच्चों को पूरा नहीं पड़ता है या जो माताएं अपने बच्चों को किसी भी कारण से दूध पिलाने में आसमर्थ है वे अपने बच्चे को फार्मूला मिल्क दे सकती हैं।
UHT milk के बारे में इस लेख में हम आप को बताएँगे की क्योँ आप के बच्चे के लिए UHT milk बेहद सुरक्षित और स्वास्थवर्धक है।

समय के साथ जैसे जैसे आप का बच्चा बड़ा होता है, आप पाएंगी की आप के बच्चे की शारीरिक गतिविधियाँ भी तेज़ हो जाती हैं। आप यह भी पाएंगी आप के बच्चे की बातों थोड़ी समझदारी वाली बातें भी झलकने लगेगी।
कभी कभी तो आप को अपने छोटे से बच्चों की बातों को सुन कर ताजुब भी होगा की के बड़ों की तरह इतनी समझदारी भरी बातें कैसे कर लेता। यह सभी बातें इस तरफ इशारा करती है की आपके बच्चे का विकास ठीक तरह से हो रहा।
जब आपका बच्चा 1 साल का उम्र पूरा करता है तो वो अपने जन्म की लंबाई की तुलना में 50% ज्यादा बढ़ जाता है। इसी तरह से जब आपका बच्चा 2 साल की उम्र पूरी करता है तो वह अपने जन्म की लंबाई की तुलना में औसतन 75% ज्यादा बढ़ जाता है।
यह सारे पहलू ऐसे हैं जो इस बात को बताते हैं कि आपके बच्चे की विकास सुचारू रूप से हो रहा है। बच्चों के शारीरिक विकास के आधार पर बच्चों के मानसिक विकास का अंदाजा लगाना मुश्किल है।
बच्चों की बातों में समय के साथ जो सुधार होता है उसके आधार पर आप बच्चों के मानसिक विकास का अंदाजा लगा सकते हैं। बच्चों के जन्म के पहले कुछ सालों में बच्चों का मानसिक विकास बहुत तीव्र गति से होता है।
बच्चों पर हुए शोध में इस बात का पता लगा है कि जब बच्चे 2 साल की उम्र पूरी करते हैं तब उनके दिमाग का आकार जन्म के आकार से 3 गुना ज्यादा बढ़ जाता है। साथ ही एक व्यस्क व्यक्ति के दिमाग का 85 परसेंट पहुंच जाता है।
जब बच्चे 6 महीने की उम्र पूरा करते हैं तो उनमें ठोस आहार का शुरुआत कर दिया जाता है। लेकिन फिर भी जब तक बच्चे 12 महीने के ना हो जाए तब तक स्तनपान या फार्मूला मिल्क है बच्चे का मुख्य आहार रहता है।
स्तनपान या फार्मूला मिल्क से बच्चों को उनके शारीरिक आवश्यकताओं तथा मानसिक आवश्यकताओं के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं।
1 साल का उम्र पूरा करने के बाद शिशु का शरीर इतना परिपक्व हो जाता है कि वह आसानी से ठोस आहार को बचा सके। शरीर की आवश्यकताएं भी बढ़ती है।
इस समय मात्र दूध शिशु के लिए पर्याप्त नहीं होता। शिशु के लिए ठोस आहार अब पोषण का मुख्या जरिया होता है। एक साल के बाद बच्चों को आप गाए का दूध दे सकती हैं। गाए का दूध अब आप का शिशु आसानी से पचाने में सक्षम हो जाता है।
गाए के दूध में मिलने वाला पोषण बच्चों के विकास के लिए बहुत लाभकारी है। UHT milk में और गाए के दूध में कोई अंतर नहीं है। UHT milk को गाए के दूध से तयार किया जाता है।
गाए के दूध से UHT milk को तयार करने के लिए उसे कुछ second के लिए एक निश्चित तापमान पे गरम किया जाता है। इससे गाए के दूध में मौजूद सभी कीटाणु मर जाते हैं - लेकिन गाए के दूध में मौजूद सभी पोषक तत्त्व सुरक्षित रहते हैं। इसकी वजह से UHT दूध को कई दिनों तक साधारण तापमान पे भी रखने से यह ख़राब नहीं होता है। UHT दूध को इस्तेमाल करने से पहले इसे खौलाने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है।
आप को शायद यह सुन कर ताजुब लगेगा की गाए के दूध की तुलना में UHT milk कहीं ज्यादा सुरक्षित और स्वास्थवर्धक है। ऐसा इस लिए क्यूंकि की घर पे गाए के दूध को बार - बार खौलाने से उसके अन्दर मौजूद पोषक तत्वो की संख्या में तेज़ी से गिरावट आती है।
UHT milk में ऐसा नहीं होता है। इसे गाए के दूध से तयार करने के लिए ऐसे तकनिकी का इस्तेमाल किया जाता है जिससे गाए के दूध में मौजूद सभी पोषण तत्त्व सुरक्षित रहते हैं।
विश्व स्वस्थ संघटन WHO (World Health Organization) के अनुसार बच्चों को माँ का दूध २ साल तक पिलाते रहना चाहिए। माँ का दूध बच्चे को बहुत सारे जरुरी पोषक तत्त्व प्रदान करता है तथा बच्चे के अन्दर रोग-प्रतिरोधक छमता भी बढ़ता है।
तो निष्कर्ष यह ही की बच्चे को १ साल से पहले केवल स्तनपान कराएँ या फार्मूला मिल्क दें। जब बच्चा १ साल से बड़ा हो जाये तो आप उसे गाए का दूध या UHT milk ना प्रारंभ करें। गाए के दूध में या UHT milk में प्रचुर मात्र में पोषक तत्त्व होते है जो बच्चे के बढ़ते विकास के लिए बहुत जरुरी है।
UHT milk में आप को गाए के दूध में मौजूद सभी पोषक तत्त्व मिलेंगे। सच बात तो यह है की UHT milk में आप को गाए के दूध से भी ज्यादा पोषक तत्त्व मिलेंगे क्यूंकि गाए के दूध को उबालते वक्त बहुत सारे पोषकतत्व नष्ट हो जाते हैं।
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अगर आप के शिशु को गाए के दूध से एक्जिमा होता है मगर UTH milk या फार्मूला दूध देने पे उसे एक्जिमा नहीं होता है तो इसकी वजह है गाए के दूध में पाई जाने वाली विशेष प्रकार की प्रोटीन जिससे शिशु के शारीर में एलर्जी जैसी प्रतिक्रिया होती है।
जी हाँ! अंगूठा चूसने से बच्चों के दांत ख़राब हो जाते हैं और नया निकलने वाला स्थयी दांत भी ख़राब निकलता है। मगर थोड़ी सावधानी और थोड़ी सूझ-बूझ के साथ आप अपने बच्चे की अंगूठा चूसने की आदत को ख़त्म कर सकती हैं। इस लेख में जानिए की अंगूठा चूसने के आप के बच्चों की दातों पे क्या-क्या बुरा प्रभाव पडेग और आप अपने बच्चे के दांत चूसने की आदत को किस तरह से समाप्त कर सकती हैं। अंगूठा चूसने की आदत छुड़ाने के बताये गए सभी तरीके आसन और घरेलु तरीके हैं।
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बच्चों के शारीर पे एक्जिमा एक बहुत ही तकलीफदेह स्थिति है। कुछ बातों का ख्याल रखकर और घरेलु इलाज के दुवारा आप अपने शिशु को बहुत हद तक एक्जिमा की समस्या से छुटकारा दिला सकती हैं। इस लेख में आप पढ़ेंगी हर छोटी और बड़ी बात का जिनका आप को ख्याल रखना है अगर आप का शिशु एक्जिमा की समस्या से परेशान है!
आसन घरेलु उपचार दुवारा अपने बच्चे के शारीर से चेचक, चिकन पॉक्स और छोटी माता, बड़ी माता के दाग - धब्बों को आसानी से दूर करें। चेचक में शिशु के शारीर पे लाल रंग के दाने निकल, लेकिन अफ़सोस की जब शिशु पूरितः से ठीक हो जाता है तब भी पीछे चेचक - चिकन पॉक्स के दाग रह जाते हैं। चेचक के दाग के निशान चेहरे और गर्दन पर हो तो वो चेहरे की खूबसूरती को बिगाड़ देते है। लेकिन इन दाग धब्बों को कई तरह से हटाया जा सकता है - जैसे की - चिकन पॉक्स के दाग हटाने के लिए दवा और क्रीम इस्तेमाल कर सकती हैं और घरेलु प्राकृतिक उपचार भी कर सकती हैं। हम आप को इस लेख में सभी तरह के इलाज के बारे में बताने जा रहें हैं।
नौ महीने बच्चे को अपनी कोख में रखने के बाद, स्त्री का शारीर बहुत थक जाता है और कमजोर हो जाता है। शिशु के जन्म के बाद माँ की शारीरिक मालिश उसके शारीर की थकान को कम करती है और उसे बल और उर्जा भी प्रदान करती है। मगर सिजेरियन डिलीवरी के बाद शारीर के जख्म पूरी तरह से भरे नहीं होते हैं, इस स्थिति में यह सावल आप के मन में आ सकता है की सिजेरियन डिलीवरी के बाद मालिश कितना सुरक्षित। इस लेख में हम इसी विषय पे चर्चा करेंगे।
सभी बच्चे नटखट होते हैं। लेकिन बच्चों पे चलाना ही एक मात्र समस्या का हल नहीं है। सच तो ये है की आप के चिल्लाने के बाद बच्चे ना तो आप की बात सुनना चाहेंगे और ना ही समझना चाहेंगे। बच्चों को समझाने के प्रभावी तरीके अपनाएं। इस लेख में हम आप को बताएँगे की बच्चों पे चिल्लाने के क्या - क्या बुरे प्रभाव पड़ते हैं।
शिशु को बहुत छोटी उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) नहीं देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योँकि नवजात शिशु से ले कर एक साल तक की उम्र के बच्चों का शरीर इतना विकसित नहीं होता ही वो अपने शरीर का तापमान वयस्कों की तरह नियंत्रित कर सकें। इसलिए यह जाना बेहद जरुरी है की बच्चे को किस उम्र में आइस क्रीम (ice-cream) दिया जा सकता है।
एक नवजात बच्चे को जब हिचकी आता है तो माँ-बाप का परेशान होना स्वाभाविक है। हालाँकि बच्चों में हिचकी कोई गंभीर समस्या नहीं है। छोटे बच्चों का हिचकियाँ लेने इतना स्वाभाविक है की आप का बच्चा तब से हिचकियाँ ले रहा है जब वो आप के गर्भ में ही था। चलिए देखते हैं की आप किस तरह आपने बच्चे की हिचकियोँ को दूर कर सकती हैं।
अगर आप के बच्चे को बुखार है और बुखार में तेज़ दर्द भी हो रहा है तो तुरंत अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएँ। बुखार में तेज़ दर्द में अगर समय रहते सही इलाज होने पे बच्चा पूरी तरह ठीक हो सकता है। मगर सही इलाज के आभाव में बच्चे की हड्डियां तक विकृत हो सकती हैं।
पुलाय एक ऐसा भारतीय आहार है जिसे त्योहारों पे पकाय जाता है और ये स्वस्थ के दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है| बच्चों के लिए तो यह विशेष लाभकारी है| इसमें ढेरों सब्जियां होती है और बच्चे बड़े मन से खाते हैं| Pulav शिशु आहार baby food|
आठ महीने की उम्र तक कुछ बच्चे दिन में दो बार तो कुछ बच्चे दिन में तीन बार आहार ग्रहण करने लगते हैं। अगर आप का बच्चा दिन में तीन बार आहार ग्रहण नहीं करना चाहता तो जबरदस्ती ना करें। जब तक की बच्चा एक साल का नहीं हो जाता उसका मुख्या आहार माँ का दूध यानि स्तनपान ही होना चाहिए। संतुलित आहार चार्ट
बच्चे के साथ अगर पेरेंट्स सख़्ती से पेश आते है तो बच्चे सारे काम सही करते हैं। ऐसे वो सुबह उठने के बाद दिनचर्या यानि पेशाब ,पॉटी ,ब्रश ,बाथ आदि सही समय पर ले कर नाश्ते के लिए रेड़ी हो जायेंगे। और खुद से शेक और नाश्ता तथा कपड़े भी सही रूप से पहन सकेंगे।
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टीडी (टेटनस, डिप्थीरिया) वैक्सीन vaccine - Td (tetanus, diphtheria) vaccine in hindi) का वैक्सीन मदद करता है आप के बच्चे को एक गंभीर बीमारी से बचने में जो टीडी (टेटनस, डिप्थीरिया) के वायरस द्वारा होता है। - टीडी (टेटनस, डिप्थीरिया) वैक्सीन का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
चावल का पानी (Rice Soup, or Chawal ka Pani) शिशु के लिए एक बेहतरीन आहार है। पचाने में बहुत ही हल्का, पेट के लिए आरामदायक लेकिन पोषक तत्वों के मामले में यह एक बेहतरीन विकल्प है।
बच्चों को गोरा करने के कुछ तरीके हैं (rang gora karne ka tarika) जिनके इस्तेमाल से आप अपने बच्चे को जीवन भर के लिए साफ और गोरी त्वचा दे सकतें हैं। हर माँ आपने बच्चों को लेके बहुत सी चीज़ों के लिए चिंतित रहती है। उनमें से एक है बच्चे की त्वचा। अक्सर मायें चाहती हैं की उनके बच्चे की त्वचा मे कोई दाग न हो।
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