Category: टीकाकरण (vaccination)
By: Vandana Srivastava | ☺9 min read
हेपेटाइटिस ‘बी’ वैक्सीन (Hepatitis B vaccine) के टीके के बारे में समपूर्ण जानकारी - complete reference guide - हेपेटाइटिस बी एक ऐसी बीमारी है जो रक्त, थूक आदि के माध्यम से होती है। हेपेटाइटिस बी के बारे में कहा जाता है की इसमें उपचार से बेहतर बचाव है इस रोग से बचने के लिए छह महीने के अंदर तीन टीके लगवाएं जाते हैं। विश्व स्वास्थ संगठन का कहना है की दुनिया भर में ढाई करोड़ लोगों को लिवर की गंभीर बीमारी है। हेपेटाइटिस बी से हर साल अत्यधिक मृत्यु होती है, परंतु इस का टीका लगवाने से यह खतरा 95 % तक कम हो जाता है।
हेपेटाइटिस के कारण हर साल दुनिया भर में कम से कम 14 लाख लोगों की जान जाती है. कई तरह के टीकाकरण अभियानों के बावजूद लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता की कमी है
हेपेटाटाइटिस में अलग अलग तरह के संक्रामक रोग होते हैं जिन्हें ए बी सी डी और ई में बांटा गया है। 90 फीसदी मौतें हेपेटाइटिस बी और सी के कारण होती हैं।
एशिया में होने वाली मौतों की संख्या काफी ज्यादा है। इसमें चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है। एड्स की तरह हेपेटाइटिस बी और सी वायरस का संक्रमण भी गर्भवती महिला से बच्चे को होता है।
इसके अलावा संक्रमित सुई और असुरक्षित यौन संबंध बनाने से भी संक्रमण का खतरा रहता है।
इसीलिए आवश्यक है की हर बच्चे को टीकाकरण चार्ट - 2018 के अनुसार समय पे टीका लगवाया जाये और बच्चे को तथा देशो को हेपेटाइटिस ‘बी’ की महामारी से बचाया जा सके।
हेपेटाटाइटिस वायरस के शरीर में प्रवेश करने के बाद बुखार होता है और मरीज की भूख में कमी आती है। धीरे धीरे यह लीवर को पूरी तरह खराब कर देता है। अब तक इसका कोई इलाज मौजूद नहीं है। ऐसे में शोधकर्ताओं की मांग है कि सावधानी पर ज्यादा ध्यान दिया जाए।
बच्चे के शरीर में किसी भी बीमारी से बचने के लिए प्राकृतिक सुरक्षा होती है। जिससे इम्युनिटी सिस्टम कहा जाता है। जब बच्चे को कोई बीमारी होती है, तो उससे लड़ने के लिए बच्चे का शरीर रसायनों का उत्पन्न करता है, जिन्हें एंटीबॉडीज नाम से जाना जाता है।
बीमारी का प्रकोप ख़त्म होने के बाद भी ये एंटीबॉडीज बच्चे के शरीर में ही रहते हैं। ये बच्चे के शरीर में उस बीमारी को पैदा करने वाले जीव के प्रति प्रतिरोधित बना देते हैं। यह इम्यून सिस्टम थोड़े समय के लिए या फिर जिंदगी भर भी बच्चे के साथ बनी रह सकती है।
टीकाकरण के माध्यम से बच्चे का शरीर का सामना बीमारी से कराया जाता है, ताकि उसका शरीर इसके प्रति इम्यून सिस्टम को विकसित कर सके। कुछ टीके बच्चो को मुख के ज़रिये से दिए जाते हैं, वहीं कुछ अन्य सुई के माध्यम से दिए जाते हैं। कुछ की खुराक निश्चित समय पर दी जाती है, उसी में से एक है हेपेटाइटिस बी का टीका।
हेपेटाइटिस बी एक ऐसी बीमारी है जो रक्त, थूक आदि के माध्यम से होती है। हेपेटाइटिस बी के बारे में कहा जाता है की इसमें उपचार से बेहतर बचाव है। हेपेटाइटिस बी के कीटाणु का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट करवाया जाता है।
इस रोग से बचने के लिए छह महीने के अंदर तीन टीके लगवाएं जाते हैं। विश्व स्वास्थ संगठन का कहना है की दुनिया भर में ढाई करोड़ लोगों को लिवर की गंभीर बीमारी है। हेपेटाइटिस बी से हर साल अत्यधिक मृत्यु होती है, परंतु इस का टीका लगवाने से यह खतरा 95 % तक कम हो जाता है।
हेपेटाइटिस B के वैक्सीन से हेपेटाइटिस B को कम किया जा सकता है। हेपेटाइटिस B की वैक्सीन को अलग से अथवा अन्यव वैक्सीन्स के साथ एक ही टीके में लिया जा सकता है। 1982 से आरंभ करते हुए, अमेरिका के कुछ बच्चोंथ के लिए, तथा 1991 में सभी बच्चोंं के लिए रूटीन हेपेटाइटिस B के वैक्सीनेशन के लिए सिफारिश की गई थी।
जो लोग पहले से इस्तेमाल की हुई सुई का उपयोग करते हैं। या फिर अपने सुई को दूसरों के साथ बाँटते हैं।
जरुरी नहीं की हेपेटाइटिस बी के लक्षण सब में दिखें। फिर भी यहां पर दिए गए कुछ लक्षण हेपेटाइटिस बी के रोगियों में पाए जा सकते हैं। (बिना इन लक्षण के भी हेपेटाइटिस बी के मरीज हो सकते हैं।)
कुछ बच्चो को इसके अलावा एक खुराक और भी दी जा सकती, जो चौथी खुराक होती है। यह एक ऐसा इंजेक्शन होता है, जिसके अंदर कई प्रकार के बीमारियों से बचने के टीके होते हैं। अगर बचपन में यह टीका नहीं लगता है तो 18 वर्ष की उम्र तक में यह टीका लगवाना पड़ता है। टीका लगवाने से हेपेटाइटिस बी प्रकोप से लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान होती है। बल्कि कह सकते हैं की आजीवन आपका बच्चा सुरक्षित रहा सकता है।
हेपेटाइटिस का टीका कुछ स्थिति में नहीं लगवाना चाहिये जैसे
किसी भी दवा की भाँति इस टीके के भी गंभीर रिएक्शन हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिये।