Category: शिशु रोग
By: Vandana Srivastava | ☺5 min read
छोटे बच्चों की प्रतिरोधक छमता बड़ों की तरह पूरी तरह developed नहीं होती। इस वजह से यदि उनको बिमारियों से नहीं बचाया जाये तो उनका शरीर आसानी से किसी भी बीमारी से ग्रसित हो सकता है। लकिन भारतीय सभ्यता में बहुत प्रकार के घरेलू नुस्खें हैं जिनका इस्तेमाल कर के बच्चों को बिमारियों से बचाया जा सकता है, विशेष करके बदलते मौसम में होने वाले बिमारियों से, जैसे की सर्दी।

अपने कलेजे के टुकड़े को सर्दी और खांसी से परेशान देखना किसी भी माँ बाप के लिए बेहद तकलीफ बात है। सर्दी की वजह से अगर बच्चे का नाक बंद है ये फिर सेंसिटिव हो गया है तो वो रोयेगा। उसे स्तनपान करा भी मुश्किल हो जायेगा।
सर्दी जुकाम एक आम बीमारी यह। यह कोई चिंता का विषय नहीं है। ना ही यह कोई गंभीर बीमारी है। शिशु विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे प्रथम दो सालों में औसतन 8 से 10 बार सर्दी जुकाम से ग्रसित होते हैं। तो यूँ समझ लीजिये की आप की कई रातें आप के बच्चे की सेवा में गुजर ने वाले हैं।
सर्दी जुकाम के विषाणु हाथ से हाथ के संपर्क से फैलते हैं और सर्दी जुकाम से ग्रसित व्यक्ति के छींकने से हवा के द्वारा भी फैलते हैं।
किसी ने सही कहा है की बचाव सबसे बेहतरीन इलाज है। कुछ चीज़ों का अगर आप ख्याल रखें तो आप अपने बच्चे को सर्दी जुकाम से बचा सकती हैं।
सर्दियों के मौसम में बच्चों को फल और सब्जियां पर्याप्त मात्रा में खिलाएं। बच्चों को dry fruit (ड्राई फ्रूट) बादाम, अखरोट, काजू, पिस्ता भी खिलाएं क्योंकि ये शरीर को देर तक गर्म रखते हैं। इसके अतिरिक्त बच्चों को निम्नलिखित आहार दे कर उन्हें सर्दी जुकाम से बचा सकते हैं।

माँ का दूध बच्चे के लिए अति महत्वपूर्ण है, खासकर जब वे बीमार हों यह उन्हें अदभुत संतुलित पोषक-तत्वों की श्रृंखला प्रदान करता हैजोकि उन्हें संक्रमण से लड़ने और शीघ्र स्वस्थ होने में सहायता करते हैं। 6 माह से कम आयु के शिशुओं को, सर्दी-खांसी से निजात दिलवाने के लिए, स्तनपान कराना चाहिए।

एक साल या उससे छोटी उम्र का बच्चा अगर सर्दी जुकाम से पीड़ित है तो शहद उसका सुरक्षित उपचार है। एक चम्मच नींबू के रस में 2 चम्मच कच्चा शहद मिला लें। 2-3 घंटे बाद बच्चे को थोड़ा-थोड़ा पिलाएं। एक गिलास गर्म-दूध, शहद मिलाकर पीने से सूखी खांसी एवं सीने के दर्द में राहत मिलती है।

एक वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए गर्म चिकन का सूप भी एक अच्छा विकल्प है। यह हल्का एवं पोषक होता है, तथा छाती जमने और नाक बंद होने से छुटकारा दिलाता है। इसमें उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट ठीक होने की प्रक्रिया को अधिक तेज कर देते हैं। आप दिन में दो से तीन बार यह बच्चों को सूप दे सकते हैं।

6 कप पानी में आधा कप बारीक कटे हुए अदरक की फांके और दालचीनी के 2 छोटे टुकड़ों को 20 मिनट तक धीमी आंच परपकाएं। बाद में इसे छान लें और चीनी या शहद के साथ मिलाकर दिन में 3 से 4 बार बच्चे को पिलाएं। 1 साल से कम आयु के बच्चों को बराबर मात्रा में गर्म-पानी मिलाकर पिलाएं।

आपके बच्चे को भरपूर तरल-पदार्थ मिलें नहीं तो वह निर्जलीकरण का शिकार हो सकता है, जिससे समस्या अधिक गंभीर हो सकती है। शरीर में पानी का उचित स्तर, मल -निकास को पतला करके आपके बच्चे के शरीर से कीटाणुओं का निकास करने में और बंद-नाक, छाती जमने आदि की समस्या से बचाता है।

संतरे में मौजूद विटामिन-सी सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण बढ़ाने में सहायक है। यही कोशिकाएं सर्दी-जुकाम के रोगाणुओं से लडती है। संतरा प्रतिरक्षा-तंत्र को दृढ़ता प्रदान करके खासी, गले की दर्द और नाक बहने की समस्या में राहत पहुंचाता है। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को प्रतिदिन 1 से 2 गिलास संतरे का रस पिलाएं। इससे कम आयु के बच्चों को बराबर मात्रा में पानी मिलाकर नियमित अंतराल के बाद पिलाएं। बड़े बच्चों को, विटामिन-सी की ख़ुराक अधिक करने के लिए, संतरे खाने को दिए जा सकते हैं।
इसके आलावा खान पान से समभंदित और भी कुछ विशेष बातों का ख्याल रखा जा सकता है। यहां पर कुछ points हैं जिनका अगर आप ख्याल रखें तो बहुत सारी बिमारियों से अपने बच्चे को बचा सकते हैं। बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है।
10 ऐसे आसान तरीके जिनकी सहायता से आप अपने नवजात शिशु में कब्ज की समस्या का तुरंत समाधान कर पाएंगी। शिशु के जन्म के शुरुआती दिनों में कब्ज की समस्या का होना बहुत ही आम बात है। अपने बच्चे को कब्ज की समस्या से होने वाले तकलीफ से गुजरते हुए देखना किसी भी मां-बाप के लिए आसान नहीं होता है।
जो बच्चे सिर्फ स्तनपान पर निर्भर रहते हैं उन्हें हर दिन मल त्याग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मां के दूध में उपलब्ध सभी पोषक तत्व शिशु का शरीर ग्रहण कर लेता है। यह बहुत ही आम बात है। प्रायर यह भी देखा गया है कि जो बच्चे पूरी तरह से स्तनपान पर निर्भर रहते हैं उनमें कब्ज की समस्या भी बहुत कम होती है या नहीं के बराबर होती है।
जो बच्चे फार्मूला दूध पर निर्भर रहते हैं उन्हें प्रायः देखा गया है कि वे दिन में तीन से चार बार मल त्याग करते हैं - या फिर कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जिन्हें अगर फार्मूला दूध दिया जाए तो वह हर कुछ कुछ दिन रुक कर मल त्याग करते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर (बीपी) ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए आप नमक का कम से कम सेवन करें। इसके साथ आप लैटरल पोजीशन (lateral position) मैं आराम करने की कोशिश करें। नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर (बीपी) चेक करवाते रहें और ब्लड प्रेशर (बीपी) से संबंधित सभी दवाइयां ( बिना भूले) सही समय पर ले।
बच्चों को उनके उम्र और वजन के अनुसार हर दिन 700-1000 मिग्रा कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है जिसे संतुलित आहार के माध्यम से आसानी से पूरा किया जा सकता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों को 250-300 मिग्रा कैल्शियम की जरुरत पड़ती है। किशोर अवस्था के बच्चों को हर दिन 1300 मिग्रा, तथा व्यस्क और बुजुर्गों को 1000-1300 मिग्रा कैल्शियम आहारों के माध्यम से लेने की आवश्यकता पड़ती है।
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, अगर शिशु को एलर्जी नहीं है, तो आप उसे 6 महीने की उम्र से ही अंडा खिला सकती हैं। अंडे की पिली जर्दी, विटामिन और मिनिरल का बेहतरीन स्रोत है। इससे शिशु को वासा और कोलेस्ट्रॉल, जो उसके विकास के लिए इस समय बहुत जरुरी है, भी मिलता है।
औसतन एक शिशु को दिन भर में 1000 से 1200 कैलोरी की आवश्यकता पड़ती है। शिशु का वजन बढ़ने के लिए उसे दैनिक आवश्यकता से ज्यादा कैलोरी देनी पड़ेगी और इसमें शुद्ध देशी घी बहुत प्रभावी है। लेकिन शिशु की उम्र के अनुसार उसे कितना देशी घी दिन-भर में देना चाहिए, यह देखिये इस तलिके/chart में।
क्या आप के पड़ोस में कोई ऐसा बच्चा है जो कभी बीमार नहीं पड़ता है? आप शायद सोच रही होंगी की उसके माँ-बाप को कुछ पता है जो आप को नहीं पता है। सच बात तो ये है की अगर आप केवल सात बातों का ख्याल रखें तो आप के भी बच्चों के बीमार पड़ने की सम्भावना बहुत कम हो जाएगी।
शिशु को 15-18 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मम्प्स, खसरा, रूबेला से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
शिशु को 5 वर्ष की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मम्प्स, खसरा, रूबेला, डिफ्थीरिया, कालीखांसी और टिटनस (Tetanus) से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
शिशु को डेढ़ माह (six weeks) की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को कई प्रकार के खतरनाक बिमारिओं से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
Indian baby sleep chart से इस बात का पता लगाया जा सकता है की भारतीय बच्चे को कितना सोने की आवश्यकता है।। बच्चों का sleeping pattern, बहुत ही अलग होता है बड़ों के sleeping pattern की तुलना मैं। सोते समय नींद की एक अवस्था होती है जिसे rapid-eye-movement (REM) sleep कहा जाता है। यह अवस्था बच्चे के शारीरिक और दिमागी विकास के लहजे से बहुत महत्वपूर्ण है।
अगर आप का बच्चा पढाई में मन नहीं लगाता है, होमवर्क करने से कतराता है और हर वक्त खेलना चाहता है तो इन 12 आसान तरीकों से आप अपने बच्चे को पढाई के लिए अनुशाषित कर सकते हैं।
शिशु के जन्म के पहले वर्ष में पारिवारिक परिवेश बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चे के पहले साल में ही घर के माहौल से इस बात का निर्धारण हो जाता है की बच्चा किस तरह भावनात्मक रूप से विकसित होगा। शिशु के सकारात्मक मानसिक विकास में पारिवारिक माहौल का महत्वपूर्ण योगदान है।
पालन और याम से बना ये शिशु आहार बच्चे को पालन और याम दोनों के स्वाद का परिचय देगा। दोनों ही आहार पौष्टिक तत्वों से भरपूर हैं और बढ़ते बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। रागी का खिचड़ी - शिशु आहार - बेबी फ़ूड baby food बनाने की विधि| पढ़िए आसान step-by-step निर्देश पालक और याम से बने शिशु आहार को बनाने की विधि (baby food) - शिशु आहार| For Babies Between 7 to 12 Months
Beta carotene से भरपूर गाजर छोटे शिशु के लिए बहुत पौष्टिक है। बच्चे में ठोस आहार शुरू करते वक्त, गाजर का प्यूरी भी एक व्यंजन है जिसे आप इस्तेमाल कर सकते हैं। पढ़िए आसान step-by-step निर्देश जिनके मदद से आप घर पे बना सकते हैं बच्चों के लिए गाजर की प्यूरी - शिशु आहार। For Babies Between 4-6 Months
11 महीने के बच्चे का आहार सारणी इस तरह होना चाहिए की कम-से-कम दिन में तीन बार ठोस आहार का प्रावधान हो। इसके साथ-साथ दो snacks का भी प्रावधान होना चाहिए। मगर इन सब के बावजूद आपके बच्चे को उसके दैनिक जरुरत के अनुसार उसे स्तनपान या formula milk भी मिलना चाहिए। संतुलित आहार चार्ट
माँ के दूध से मिलने वाले होर्मोनेस और एंटीबाडीज बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है| ये बच्चे के शरीर को viruses और bacteria से मुकाबला करने में सक्षम बनता है| स्तनपान वाले बच्चों में कान का infection, साँस की बीमारी और diarrhea कम होता है| उन बच्चों को डॉक्टर को भी कम दिखाना पड़ता है|
हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (HIB) वैक्सीन (Hib Vaccination। Haemophilus Influenzae Type b in Hindi) - हिंदी, - हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (HIB) का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
हैजा (कॉलरा) वैक्सीन के द्वारा आप अपने बच्चे को पूरी तरह हैजा/कॉलरा (Cholera) से बचा सकते हैं। हैजा एक संक्रमक (infectious) रोग हैं जो आँतों (gut) को प्रभावित करती हैं। जिसमें बच्चे को पतला दस्त (lose motion) होने लगता हैं, जिससे उसके शरीर में पानी की कमी (dehydration) हो जाती हैं जो जानलेवा (fatal) भी साबित होती हैं।
न्यूमोनिया फेफड़ो पर असर करने वाला एक ऐसा संक्रमण है जिसकी वजह से फेफड़ो में सूजन होती है और उसमें एक प्रकार का गीला पन आ जाता है, जिससे श्वास नली अवरुद्ध हो जाती है और बच्चे को खाँसी आने लगती है। यह बीमारी सर्दी जुकाम का बिगड़ा हुआ रूप है जो आगे चल कर जानलेवा भी साबित हो सकती है। यह बीमारी जाड़े के मौसम में अधिकतर होती है।
सबसे ज्यादा बच्चे गर्मियों के मौसम में बीमार पड़ते हैं और जल्दी ठीक भी नहीं होते| गर्मी लगने से जहां एक और कमजोरी बढ़ जाती है वहीं दूसरी और बीमार होने का खतरा भी उतना ही अधिक बढ़ जाता है। बच्चों को हम खेलने से तो नहीं रोक सकते हैं पर हम कुछ सावधानियां अपनाकर उनको गर्मी से होने वाली बीमारियों से जरूर बचा सकते हैं |