Category: शिशु रोग
By: Vandana Srivastava | ☺8 min read
मूत्राशय के संक्रमण के कारण बच्चों में यूरिन कम या बार-बार होना होने लगता है जो की एक गंभीर समस्या है। मगर सही समय पर सजग हो जाने से आप अपने बच्चे को इस बीमारी से और इस की समस्या को बढ़ने से रोक सकती हैं।
आज कल की बदली हुई जीवन शैली और व्यस्तता के कारण आप अपने बच्चे का पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पाती हैं और बच्चा किसी न किसी संक्रमण का शिकार हो जाता है। इसमें सबसे अधिक मूत्राशय के संक्रमण (frequent urination in children) की समस्या होती है। बच्चों में बार-बार पेशाब होने से परेशान हो जाते हैं और इस वजह से उन्हें जल्दी जल्दी प्यास भी लगने लगता है। Frequent urination in children causes them dehydration because of which they also frequently feel thirsty. इसी वजह से बार-बार पेशाब होने से बार बार प्यास भी लगता है। That's the reason frequent urination and thirst in children is interrelated.
अगर आपका बच्चा बार-बार पेशाब होने की समस्यास से परेशान हैं तो कुछ किसम के घरेलू उचार (home remedies for frequent urination in children) आपकी सहायता कर सकते हैं। बार-बार यूरिन करने जाना किसी को भी पसंद नहीं है। अगर बच्चे दिन में 4-5 बार यूरिन जाते हैं तो यह एक नार्मल सी बात है लेकिन जब यह बढ़ कर 8 बार हो जाए तो इस पर विचार कर देना आवश्य क बन जाता है। आखिर यह समस्याा कैसे पैदा हुई?, इस बारे में आपको जरुर सोंचना चाहिये। What causes frequent urination in children? अक्सर देखने को मिलता है की बच्चे दिन के समय ज्यादा बार-बार पेशाब होने की समस्यास से परेशान होते हैं। मगर बहुत से बच्चों में बार-बार पेशाब होने की समस्यास रात में भी होती है। In many cases frequent daytime urination in children is observed but there are also cases of frequent urination in children at night time too.
मूत्र विकार का सबसे बड़ा कारण बैक्टीरिया कवक है, (bacteria is the main reasons for frequent urination in children) इसके कारण मूत्र पथ के अन्य अंगो जैसे किडनी, यूरेटर, प्रोस्टेट ग्रंथि और योनि में भी इसके संक्रमण का असर देखने को मिलता (these are possible causes of frequent urination in children) है।
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पेशाब का बार-बार आना प्रारंभिक लक्षण है। शुरू में यह लक्षण रात में ही होता है। धीरे-धीरे यह मरीज को रोजमर्रा में भी परेशान करने लगता है। कुछ समय बाद रोगी इस पर नियंत्रण नहीं कर पाता और मरीज को मूत्र त्याग करने में भी परेशानी होती है व अंत में बूंद-बूंद कर यूरिन आता रहता है। कई बार मरीज शिकायत करते हैं कि उन्हें पेशाब नहीं आ रहा, यह मरीज के लिए प्रोस्टेट का प्रथम लक्षण भी हो सकता है। कई बार यूरिन होने में दर्द होना और कई बार यूरिन पास होने में बहुत समय लगना इस रोग का लक्षण हो सकता है।
खीरे का रस
खीरे के रस में एक बड़ा चम्मच नीबू का रस और शहद मिलाकर बच्चे को दें।
मूली के पत्तो का रस
मूली के पत्तो का रस दिन में तीन बार सेवन करायें।
अनार पेस्टक
यह मूत्राशय की गर्मी को कम करता है। अनार के छिलके का पेस्टम बनाइये और उसका छोटा भाग पानी के साथ दिन में दो बार खिलाएं। ऐसा 5 दिनों के लिये करें।
कुलथी का प्रयोग
कुलथी में कैल्शिययम, आयरन और पॉलीफिनॉल होता है, जो कि एंटीऑक्सीयडेंट से भरा होता है। थोड़ी सी कुलथी को गुड के साथ रोज सुबह लेने से मूत्राशय की खराबी दूर हो जाएगी।
तिल के बीज
तिल के दानों में एंटी ऑक्सीुडेंट्स, मिनरल्स और विटामिन्सए होते हैं। आप इसे गुड या फिर अजवाइन के साथ सेवन करवा सकते हैं।
शहद और तुलसी
एक चम्म च शहद के साथ 3-4 तुलसी की पत्ति्यां मिलाएं और खाली पेट सुबह खाएं।
दही
दही को हर रोज खाने के साथ खिलाना चाहिये। इसमें मौजूद प्रोबायोटिक ब्लै डर में खतरनाक बैक्टीेरिया को बढ़ने से रोकता है।
मेथी
मेथी पावडर को सूखी अदरक और शहद के साथ मिला कर पानी के साथ खिलाएं। ऐसा हर दो दिन पर करें। आपको रिजल्ट साफ दिखाई देगा।
बेकिंग सोडा
यह यूरिन के पीएच बैलेंस को नियंत्रित करेगा। आधा चम्माच बेकिंग सोडा को 1 गिलास पानी के साथ मिक्सप कर के पिलायें।
उबली पालक
अगर आप रात को डिनर के रूप में उबली हुई पालक खिलायीं है तो बार बार यूरिन जाने की समस्या पर कुछ विराम लग सकता है। यह आपके बच्चे को पोषण भी देगा।
खूब पानी पियें
आप जितना ज्यापदा बच्चे को पानी पिलायेंगी, बच्चे के शरीर से उतना ही ज्या दा हाइड्रेट रहेगा और किडनी से गंदगी निकलेगी।
यह एक गंभीर समस्या है लेकिन सही समय पर जागरूक हो कर अपने बच्चे को इस बीमारी और इस की समस्या को बढ़ने से रोक सकती हैं।