Category: बच्चों का पोषण
By: Vandana Srivastava | ☺6 min read
क्या आप चाहते हैं की आप का बच्चा शारारिक रूप से स्वस्थ (physically healthy) और मानसिक रूप से तेज़ (mentally smart) हो? तो आपको अपने बच्चे को ड्राई फ्रूट्स (dry fruits) देना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स घनिस्ट मात्रा (extremely rich source) में मिनरल्स और प्रोटीन्स प्रदान करता है। यह आप के बच्चे के सम्पूर्ण ग्रोथ (complete growth and development) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

सर्दियों के मौसम में शरीर में गरमी लाने के लिए ड्राइफ्रूट्स (dry fruits) का प्रयोग बहुत फायदेमंद (beneficial) साबित होता है। ड्राइफ्रूट्स जैसे बादाम, पिस्ता, काजू, अखरोट बच्चों को काफी पसंद आता है।
पसंद के साथ ही साथ बच्चों के शरीर के विकास और पोषण में ड्राई फ्रूट्स का प्रयोग करना काफी आवश्यक है। Dry fruits play crucial role in providing nutrition required for overall development of a child.
सभी प्रकार के ड्राई फ्रूट्स बच्चों के सेहत के लिए अच्छी है। मगर ड्राई फ्रूट्स देते वक्त कुछ सावधानिएं बरतनी आवशयक हैं। जैसे की ड्राई फ्रूट्स में कैलोरीज बहुत घनिष्ठ मात्रा मैं होता है। आलू बुखारा (plum) में करीब 46 कैलोरी होता है। मगर 100 ग्राम dried plum (prunes) में करीब करीब 240 कैलोरीज होता है। आपको यह भी ध्यान रखना पड़ेगा की सुखाते वक्त फल का विटामिन भी समाप्त हो जाता है।
ताजे आलू बुखारा (plum) से आपके बच्चे को दैनिक आवश्यकता का 16% विटामिन C मिल जाता है। मगर जब यही आलू बुखारा (plum) सुख जाता है तो सिर्फ 1% विटामिन स शेष रह जाता है। एक और महत्वपूर्ण बात जो आपको ड्राई फ्रूट्स खरीदते वक्त ध्यान देनी पड़ेगी वो ये है की उसमे और क्या मिलाया गया है।
डब्बे (packing) के label को ध्यान से पढ़िए यह जानने के लिए की उसके flavor को बढ़ने के लिए और कितना चीनी डाला गया है। यह भी देखिये की चीनी के साथ साथ और क्या क्या डाला गया है। Read label before buying dry fruits.
ड्राई फ्रूट्स के बहुत से फायदे हैं। ये वजन को नियंत्रण में रखने में मदद करता है। ना ना प्रकार की बिमारियों से बचता है। cholesterol, diabetes, anemia, heart diseases और भी बहुत तरह की बोमरियों को नियंत्रण में रखता है। Dry fruits prevents many diseases.

यह तो आप जानते ही हैं की कुछ भोजन यादाश्त शक्ति (memory power) को बढ़ाते और साफ साफ सोचने (clarity in thinking) में मदद करते हैं। कुछ भोजन तो दिमाग के लिए इतने लाभप्रद हैं की ये मस्तिष्क की नई कोशिकाओं पैदा (generate new brain cells) करने मैं भी मदद करती हैं। शरीर की तरह मस्तिष्क को भी पोषण की आवश्यकता होती है।

जब आप के बच्चे के मस्तिष्क में जयादा neurons और connections (Synapses) हो तो आप का बच्चा सव्भाविक तौर पे बुद्धिमान होता है और उसका मस्तिष्क बहुत परिष्कृत तौर पे काम करता है। यूँ तो सभी ड्राई फ्रूट्स स्वस्थ दिमाग के लिए अच्छे हैं, परन्तु वे ड्राई फ्रूट्स जयादा मददगार हैं जो निम्न पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं:
काजू कुछ मिठास लिए हुए मुलायम तत्व का बना हुआ विटामिन-ई से भरपूर होता है। काजू के सेवन से त्वचा खिली रहती है और स्फूर्ति बनी रहती है। इसलिए कुछ लोग काजू का पेस्ट बच्चों के चेहरे पर भी लगाते हैं। सौन्दर्य के अलावा अन्य स्वस्थ्य सम्बन्धी फायदे देखें तो काजू शरीर में कॉलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करता है।

बादाम बच्चों के लिए आप हर रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। सुबह भीगा हुआ बादाम बच्चों को खिलने से उनके स्वस्थ्य में वृद्धि होती है। बादाम पीस कर दूध में मिलाकर पिलाना आपके बच्चे के लिए काफी फायदेमंद होगा। इसके अलावा शहद में बादाम भिगो कर रख दें और रोज दो - दो बादाम अपने बच्चे को खिलायें। बादाम केवल स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि सेहत के दृष्टिकोण से भी लाभकारी भी है।
बादाम का तेल बच्चों के बालों में मालिश के लिए भी उपयोगी होता है। बादाम में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और फाइबर होते हैं। इसको खिलाने से खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ जाती है। यह ब्लड सर्कुलेशन में भी फायदेमंद होता है।
इसके प्रयोग से आपके बच्चे के चहरे में चमक रहेगी। बादाम के सेवन से फेफड़ों की बीमारी से अपने बच्चे को बचाया जा सकता है।

पिस्ता भी आजकल बच्चों को पसंद आ रहा है। खाने में यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है और यह विटामिन ई से भरपूर होता है जो आपके बच्चे को खतरनाक पैराबैंगनी किरणों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त त्वचा कैंसर और ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करता है।
पिस्ता पाचनक्रिया के लिए लाभकारी है परन्तु इसका साधारण मात्रा में ही सेवन बच्चे को करवाएं, क्योंकि बादाम की तरह ही इसकी तासीर भी काफी गर्म होती है जो अधिक सेवन से पेट में गर्मी पैदा कर सकती है।

किशमिश से आपके बच्चे का ब्लड सर्कुलेशन नियंत्रित रहेगा। किशमिश का सेवन आंखों को हमेशा तरोताजा रकता है। इसके अतिरिक्त दातों की बीमारियों से बचाए रहने में यह महत्वपूर्ण है। किशमिश के प्रयोग से आपका बच्चा हमेशा तरोताज़ा और स्वस्थ्य रहेगा।

अखरोट में ओमेगा 3 फैटी एसिड्स होते हैं। यह आपके बच्चे की स्मरणशक्ति बढ़ाने और हृदय संबंधी बीमारियों से बचाने में काफी कारगर होता है। अखरोट खाने से दिमाग तेज़ भी होता है। इसलिए इस मौसम अपने बच्चों को अखरोट खिलाना ना भूलें। एक अखरोट और चार पांच दाना किशमिश मिलाकर खिलाने से बच्चा बिस्तर पर पेशाब करना छोड़ देता है।

यह सारे ड्राई फ्रूट्स आपके बच्चे की सेहत के लिए अत्यंत आवश्यक हैं इसलिए आप नियमित रूप से इसका सेवन अपने बच्चे को ज़रूर करवायें। आप का बच्चा हमेशा स्वस्थ्य और प्रसन्न रहेगा।
बच्चे बहुत ही जल्द एक ही प्रकार के भोजन से बोर हो जाते हैं। एक माँ के लिए ये काफी चुनौती की बात होती है की कैसे अपने बच्चे को हर दिन भोजन नई तरह से तैयार कर परोसें ताकि खाने में रूचि बनी रहे।
इस वीडियो में देखिये की किस तरह से आप आसानी से घर में ही ड्राई फ्रूट्स का पाउडर तैयार कर सकते हैं
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बच्चो में दांत सम्बंधी समस्या को लेकर अधिकांश माँ बाप परेशान रहते हैं। थोड़ी से सावधानी बारात कर आप अपने बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत को घर पे ही ठीक कर सकती हैं। चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए दांतों का बहुत ही महत्व होता है। इसीलिए अगर बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत हों तो माँ बाप का परेशान होना स्वाभाविक है। बच्चों के टेढ़े-मेढ़े दांत उनके चेहरे की खूबसूरती को ख़राब कर सकते हैं। इस लेख में हम आप को बताएँगे कुछ तरीके जिन्हें अगर आप करें तो आप के बच्चों के दांत नहीं आयेंगे टेढ़े-मेढ़े। इस लेख में हम आप को बताएँगे Safe Teething Remedies For Babies In Hindi.
आसन घरेलु उपचार दुवारा अपने बच्चे के शारीर से चेचक, चिकन पॉक्स और छोटी माता, बड़ी माता के दाग - धब्बों को आसानी से दूर करें। चेचक में शिशु के शारीर पे लाल रंग के दाने निकल, लेकिन अफ़सोस की जब शिशु पूरितः से ठीक हो जाता है तब भी पीछे चेचक - चिकन पॉक्स के दाग रह जाते हैं। चेचक के दाग के निशान चेहरे और गर्दन पर हो तो वो चेहरे की खूबसूरती को बिगाड़ देते है। लेकिन इन दाग धब्बों को कई तरह से हटाया जा सकता है - जैसे की - चिकन पॉक्स के दाग हटाने के लिए दवा और क्रीम इस्तेमाल कर सकती हैं और घरेलु प्राकृतिक उपचार भी कर सकती हैं। हम आप को इस लेख में सभी तरह के इलाज के बारे में बताने जा रहें हैं।
विटामिन ई - बच्चों में सीखने की क्षमता को बढ़ता है। उनके अंदर एनालिटिकल (analytical) दृष्टिकोण पैदा करता है, जानने की उक्सुकता पैदा करता है और मानसिक कौशल संबंधी छमता को बढ़ता है। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को ऐसे आहार लेने की सलाह देते हैं जिसमें विटामिन इ (vitamin E) प्रचुर मात्रा में होता है। कई बार अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई नहीं मिल रहा है तो विटामिन ई का सप्लीमेंट भी लेने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन ई की कमी से बच्चों में मानसिक कौशल संबंधी विकार पैदा होने की संभावनाएं पड़ती हैं। प्रेग्नेंट महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई अगर मिले तो उसकी गर्भ में पल रहे शिशु का तांत्रिका तंत्र संबंधी विकार बेहतर तरीके से होता है।
नौ महीने बच्चे को अपनी कोख में रखने के बाद, स्त्री का शारीर बहुत थक जाता है और कमजोर हो जाता है। शिशु के जन्म के बाद माँ की शारीरिक मालिश उसके शारीर की थकान को कम करती है और उसे बल और उर्जा भी प्रदान करती है। मगर सिजेरियन डिलीवरी के बाद शारीर के जख्म पूरी तरह से भरे नहीं होते हैं, इस स्थिति में यह सावल आप के मन में आ सकता है की सिजेरियन डिलीवरी के बाद मालिश कितना सुरक्षित। इस लेख में हम इसी विषय पे चर्चा करेंगे।
गर्भावस्था के दौरान मां और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए विटामिंस बहुत आवश्यक होते हैं। लेकिन इनकी अत्यधिक मात्रा गर्भ में पल रहे शिशु तथा मां दोनों की सेहत के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने से बचें। डॉक्टरों से संपर्क करें और उनके द्वारा बताए गए निश्चित मात्रा में ही विटामिन का सेवन करें। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में मल्टीविटामिन लेने के कौन-कौन से नुकसान हो सकते हैं।
गर्भपात बाँझपन नहीं है और इसीलिए आप को गर्भपात के बाद गर्भधारण करने के लिए डरने की आवश्यकता नहीं है। कुछ विशेष सावधानियां बारात कर आप आप दुबारा से गर्भवती हो सकती हैं और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। इसके लिए आप को लम्बे समय तक इन्तेजार करने की भी आवश्यकता नहीं है।
सभी बचों का विकास दर एक सामान नहीं होता है। यही वजह है की जहाँ कुछ बच्चे ढाई साल का होते होते बहुत बोलना शुरू कर देते हैं, वहीँ कुछ बच्चे बोलने मैं बहुत समय लेते हैं। इसका मतलब ये नहीं है की जो बच्चे बोलने में ज्यादा समय लेते हैं वो दिमागी रूप से कमजोर हैं, बल्कि इसका मतलब सिर्फ इतना है की उन्हें शारीरिक रूप से तयार होने में थोड़े और समय की जरूरत है और फिर आप का भी बच्चा दुसरे बच्चों की तरह हर प्रकार की छमता में सामान्य हो जायेगा।आप शिशु के बोलने की प्रक्रिया को आसन घरेलु उपचार के दुवारा तेज़ कर सकती हैं।
सभी बच्चे नटखट होते हैं। लेकिन बच्चों पे चलाना ही एक मात्र समस्या का हल नहीं है। सच तो ये है की आप के चिल्लाने के बाद बच्चे ना तो आप की बात सुनना चाहेंगे और ना ही समझना चाहेंगे। बच्चों को समझाने के प्रभावी तरीके अपनाएं। इस लेख में हम आप को बताएँगे की बच्चों पे चिल्लाने के क्या - क्या बुरे प्रभाव पड़ते हैं।
आसन घरेलु तरीके से पता कीजिये की गर्भ में लड़का है या लड़की (garbh me ladka ya ladki)। इस लेख में आप पढेंगी गर्भ में लड़का होने के लक्षण इन हिंदी (garbh me ladka hone ke lakshan/nishani in hindi)। सम्पूर्ण जनकरी आप को मिलेगी Pregnancy tips in hindi for baby boy से सम्बंधित। लड़का होने की दवा (ladka hone ki dawa) की भी जानकारी लेख के आंत में दी जाएगी।
जिस शिशु का BMI 85 से 94 परसेंटाइल (percentile) के बीच होता है, उसका वजन अधिक माना जाता है। या तो शिशु में body fat ज्यादा है या lean body mass ज्यादा है। स्वस्थ के दृष्टि से शिशु का BMI अगर 5 से 85 परसेंटाइल (percentile) के बीच हो तो ठीक माना जाता है। शिशु का BMI अगर 5 परसेंटाइल (percentile) या कम हो तो इसका मतलब शिशु का वजन कम है।
सर्दी और जुकाम की वजह से अगर आप के शिशु को बुखार हो गया है तो थोड़ी सावधानी बारत कर आप अपने शिशु को स्वस्थ के बेहतर वातावरण तयार कर सकते हैं। शिशु को अगर बुखार है तो इसका मतलब शिशु को जीवाणुओं और विषाणुओं का संक्रमण लगा है।
ठण्ड के मौसम में माँ - बाप की सबसे बड़ी चिंता इस बात की रहती है की शिशु को सर्दी जुकाम से कैसे बचाएं। अगर आप केवल कुछ बातों का ख्याल रखें तो आप के बच्चे ठण्ड के मौसम न केवल स्वस्थ रहेंगे बल्कि हर प्रकार के संक्रमण से बचे भी रहेंगे।
दैनिक जीवन में बच्चे की देखभाल करते वक्त बहुत से सवाल होंगे जो आप के मन में आएंगे - और आप उनका सही समाधान जाना चाहेंगी। अगर आप डॉक्टर से मिलने से पहले उन सवालों की सूचि त्यार कर लें जिन्हे आप पूछना चाहती हैं तो आप डॉक्टर से अपनी मुलाकात का पूरा फायदा उठा सकती हैं।
नवजात बच्चे चार से पांच महीने में ही बिना किसी सहारे के बैठने लायक हो जाते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चे को थोड़ी सी एक्सरसाइज कराएँ तो वे कुछ दिनों पहले ही बैठने लायक हो जाते हैं और उनकी मस्पेशियाँ भी सुदृण बनती हैं। इस तरह अगर आप अपने शिशु की सहायता करें तो वो समय से पहले ही बिना सहारे के बैठना और चलना सिख लेगा।
एलर्जी से कई बार शिशु में अस्थमा का कारण भी बनती है। क्या आप के शिशु को हर २० से २५ दिनों पे सर्दी जुखाम हो जाता है? हो सकता है की यह एलर्जी की वजह से हो। जानिए की किस तरह से आप अपने शिशु को अस्थमा और एलर्जी से बचा सकते हैं।
स्तनपान या बोतल से दूध पिने के दौरान शिशु बहुत से कारणों से रो सकता है। माँ होने के नाते यह आप की जिमेदारी हे की आप अपने बच्चे की तकलीफ को समझे और दूर करें। जानिए शिशु के रोने के पांच कारण और उन्हें दूर करने के तरीके।
केला पौष्टिक तत्वों का जखीरा है और शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सर्वोत्तम आहार। केला बढ़ते बच्चों के सभी पौष्टिक तत्वों की जरूरतों (nutritional requirements) को पूरा करता है। केले का smoothie बनाने की विधि - शिशु आहार in Hindi
दो साल के बच्चे के लिए मांसाहारी आहार सारणी (non-vegetarian Indian food chart) जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं। अगर आप सोच रहे हैं की दो साल के बच्चे को baby food में क्या non-vegetarian Indian food, तो समझिये की यह लेख आप के लिए ही है।
सेब में मौजूद पोषक तत्त्व आप के शिशु के बेहतर स्वस्थ, उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ताज़े सेबों से बना शिशु आहार आप के शिशु को बहुत पसंद आएगा।