Category: स्वस्थ शरीर
By: Vandana Srivastava | ☺7 min read
आपके बच्चों में अच्छी आदतों का होना बहुत जरुरी है क्योँकि ये आप के बच्चे को न केवल एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है बल्कि एक अच्छी सेहत भरी जिंदगी जीने में भी मदद करता है।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, समाज में रहने के लिए उसके अंदर अच्छे गुणों और आदतों का होना आवश्यक है।
यह गुण मनुष्य के अंदर बचपन में ही पनपने लगता है, इसीलिए माता - पिता का यह कर्तव्य है की वह अपने बच्चे में जन्म के कुछ महीनों के बाद से ही छोटी - छोटी बातें सिखाना शुरू कर दें और जब थोड़ा सा बड़ा हो तो बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने शुरू कर दें।
अच्छी आदतों वो हैं जो आप के बच्चों को एक बेहतर इंसान बनने में मदद करती हैं। जैसे की बड़ों का आदर करना, अच्छी किताबें पढ़ना वगैरह जो आपको अपने बच्चों को जरूर सिखानी चाहियें।
ठीक इसी का उल्टा बुरी आदतें हैं। जैसे की समय को बर्बाद करना, सिगरेट पीना, महिलाओं को छेड़ना वगैरह वगैरह।
आपके बच्चों में अच्छी आदतों का होना बहुत जरुरी है क्योँकि ये आप के बच्चे को न केवल एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है बल्कि एक अच्छी सेहत भरी जिंदगी जीने में भी मदद करता है।
अच्छा सेहत भरा खाना और व्यायाम भी अच्छी आदतों में शामिल है। क्योँकि ये आप के बच्चे को बीमारियोँ से बचाता है और एक बेहतर जिंदिगी जीने में मदद करता है।

अच्छी आदतों के क्या फायदें अनेक है संतुलित भोजन (Balanced diet) शरीर को सुचारू रूप से चलने के लिए संपूर्ण पोषण देता है। हर दिन नियमित तौर पर व्यायाम करने से आप का बच्चा सही वजन को होता है। अच्छी आदतें आपके बच्चे को ना ना प्रकार के बीमारियोँ से भी बचता है।

अपने बच्चेे में सबसे पहले यह आदत डालें कि वह अपने शरीर की सफाई रखे जैसे दाँतों की सफाई, नहाना, नेल्स की कटिंग, कुछ भी खाने से पहले और टॉयलेट जाने के बाद हैंडवाश करना, अपने खिलौने आदि को ठीक से रखना, अपने कपड़ों को गन्दा ना करना।
अपने बच्चेी को सभी की इज्जोत और आदर करना सिखाएं। जैसे अपने से बड़ों से विनम्रता से बात करना, उनकी बात सुनना, ज़िद ना करना इत्यादी।

ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए अपने बच्चे को समय का महत्त्व सिखाएं जैसे समय से स्कूल जाना, समय से दूध पीना तथा भोजन करना, अपना सभी काम समय से करना, तथा समय से रात में सोना।
अपने बच्चे को सिखाएं की उन्हें अपने बड़ों की इज़्ज़त करनी चाहिये, उनके सभी कामों में उनकी मदद करवाएं।

अपने बच्चे को सही समय पर उठना और सही समय पर सोने की आदत डलवाएं।

अपने बच्चे में यह आदत डालें कि कहीं भी बाहर से आ कर या खेलने के बाद जब घर पहुचें तो अपने हाथ, पैर व चेहरा धुलें जिससे हाथ - पैर में लगी गंदगी साफ हो जाये तथा चेहरा धुलने से आँखों में पड़ी हुई गंदगी साफ हो जाएगी।
बच्चे के हाथ - पैर पर जमा धूल - मिट्टी न केवल पेट के इंफेक्शन औऱ सांस की बीमारियों का खतरा पैदा करती है बल्कि बच्चों को त्वचा संबंधी परेशानियां भी हो सकती हैं।
आपको अपने बच्चे के अंदर ईमानदारी की आदत डालना चाहिये। क्योंकि अगर आपका बच्चा ईमानदार है तो, वो न तो झूठ बोलेगा, न चोरी करेगा और न ही किसी को धोखा देगा, अपने काम के प्रति भी वह हमेशा ईमानदार रहेगा।
अपने बच्चे के अंदर यह आदत डालें कि वह अपने काम के प्रति निष्ठावान और एकाग्र हो। कई बार ऐसा होता है कि सही मार्गदर्शन के अभाव में बच्चे के अंदर लापरवाही से काम करने की आदत पड़ जाती है। बच्चे को हर काम परफेक्ट करना सिखाएं।

अपने बच्चे को दूसरों की मदद करना अवश्य सिखाएं। न केवल अपने परिचितों के प्रति बल्किध हर किसी के प्रति उसके मन में दया का भाव होना चाहिए और मददगार होना चाहिये।
दूसरों के प्रति सहयोग की भावना उसके जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।

बच्चे को निर्णायक होना सिखाएं। अगर बच्चा सही गलत में अंतर करना सीख जाएगा और उसे स्वीकार करना सीख जाएगा तो वह अपना निर्णय सही ले सकेगा।
आप अपने बच्चे में हर चीज़े बाँट कर इस्तेमाल और खाने की आदत डालें। अपनी चीज़े और खिलौनों को बाँट कर खेलें यह आदत बच्चे के आगे के जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होगा।

इन सभी आदतों को अगर आप आपने बच्चे के अंदर पैदा करेंगे तो यह आपके बच्चे के जीवन की अच्छी शुरुवात होगी और यह आदत बच्चे में धीरे धीरे आएगी क्योंकि आदत एक बार में नहीं बदलती है।
घरों में इस्तेमाल होने वाले गेहूं से भी बच्चे बीमार पड़ सकते हैं! उसकी वजह है गेहूं में मिलने वाला एक विशेष प्रकार का प्रोटीन जिसे ग्लूटेन कहते हैं। इसी प्रोटीन की मौजूदगी की वजह से गेहूं रबर या प्लास्टिक की तरह लचीला बनता है। ग्लूटेन प्रोटीन प्राकृतिक रूप से सभी नस्ल के गेहूं में मिलता है। कुछ लोगों का पाचन तंत्र गेहुम में मिलने वाले ग्लूटेन को पचा नहीं पता है और इस वजह से उन्हें ग्लूटेन एलर्जी का सामना करना पड़ता है। अगर आप के शिशु को ग्लूटेन एलर्जी है तो आप उसे रोटी और पराठे तथा गेहूं से बन्ने वाले आहारों को कुछ महीनो के लिए उसे देना बंद कर दें। समय के साथ जैसे जैसे बच्चे का पाचन तंत्र विकसित होगा, उसे गेहूं से बने आहार को पचाने में कोई समस्या नहीं होगी।
जी हाँ! अंगूठा चूसने से बच्चों के दांत ख़राब हो जाते हैं और नया निकलने वाला स्थयी दांत भी ख़राब निकलता है। मगर थोड़ी सावधानी और थोड़ी सूझ-बूझ के साथ आप अपने बच्चे की अंगूठा चूसने की आदत को ख़त्म कर सकती हैं। इस लेख में जानिए की अंगूठा चूसने के आप के बच्चों की दातों पे क्या-क्या बुरा प्रभाव पडेग और आप अपने बच्चे के दांत चूसने की आदत को किस तरह से समाप्त कर सकती हैं। अंगूठा चूसने की आदत छुड़ाने के बताये गए सभी तरीके आसन और घरेलु तरीके हैं।
गर्भावस्था में महिलाओं को पेट के साथ साथ स्तनों के पास वाली त्वचा में खुजली का सामना करना पड़ता है। यह इस लिए होता है क्यूंकि गर्भावस्था के दौरान अत्याधिक हार्मोनल परिवर्तन और त्वचा के खिचाव की वजह से महिलाओं की त्वचा अत्यंत संवेदनशील हो जाती है जिस वजह से उन्हें खुजली या अन्य त्वचा सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गर्भवती स्त्री के गर्भ में जैसे जैसे शिशु का विकास होता है और वो आकर में बढता है, पेट की त्वचा बहुत स्ट्रेच हो जाती है। पेट पे रक्त संचार भी बढ़ जाता है। पेट की त्वचा के स्ट्रेच होने और रक्त संचार के बढ़ने - दोनों - की वजह से भी पेट में तीव्र खुजली का सामना करना पड़ जाता है। इस लेख में हम आप को विस्तार से बताएँगे की खुजली की समस्या को गर्भावस्था के दौरान किस तरह से कम किया जा सकता है और इनके क्या क्या मुख्या वजह है।
मां बनने के बाद महिलाओं के शरीर में अनेक प्रकार के बदलाव आते हैं। यह अधिकांश बदलाव शरीर में हो रहे हार्मोनअल (hormonal) परिवर्तन की वजह से होते हैं। और अगले कुछ दिनों में जब फिर से शरीर में हार्मोन का स्तर सामान्य हो जाता है तो यह समस्याएं भी खत्म होनी शुरू हो जाती है। इनमें से कुछ समस्याएं ऐसी हैं जो एक मां को अक्सर बहुत परेशान कर देती है। इन्हीं में से एक बदलाव है बार बार यूरिन होना। अगर आपने कुछ दिनों पहले अपने शिशु को जन्म दिया है तो हो सकता है आप भी बार-बार पेशाब आने की समस्या से पीड़ित हो।
क्या आप के पड़ोस में कोई ऐसा बच्चा है जो कभी बीमार नहीं पड़ता है? आप शायद सोच रही होंगी की उसके माँ-बाप को कुछ पता है जो आप को नहीं पता है। सच बात तो ये है की अगर आप केवल सात बातों का ख्याल रखें तो आप के भी बच्चों के बीमार पड़ने की सम्भावना बहुत कम हो जाएगी।
शिशु के जन्म के तुरंत बाद कौन कौन से टीके उसे आवश्यक रूप से लगा देने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी येहाँ प्राप्त करें - complete guide।
अक्सर नवजात बच्चे के माँ- बाप जल्दबाजी या एक्साइटमेंट में अपने बच्चे के लिए ढेरों कपडे खरीद लेते हैं। यह भी प्यार और दुलार जाहिर करने का एक तरीका है। मगर माँ-बाप अगर कपडे खरीदते वक्त कुछ बातों का ध्यान न रखे तो कुछ कपड़ों से बच्चे को स्किन रैशेज (skin rash) भी हो सकता है।
आज के बदलते परिवेश में जो माँ-बाप समय निकल कर अपने बच्चों के साथ बातचीत करते हैं, उसका बेहद अच्छा और सकारात्मक प्रभाव उनके बच्चों पे पड़ रहा है। बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए सिर्फ पैसों की ही नहीं वरन समय की भी जरुरत पड़ती है। बच्चे माँ-बाप के साथ जो क्वालिटी समय बिताते हैं, वो आप खरीद नहीं सकते हैं। बच्चों को जितनी अच्छे से उनके माँ-बाप समझ सकते हैं, कोई और नहीं।
बच्चे को सुलाने के नायब तरीके - अपने बच्चे को सुलाने के लिए आप ने तरत तरह की कोशिशें की होंगी। जैसे की बच्चे को सुलाने के लिए उसको कार में कई चक्कर घुमाया होगा, या फिर शुन्य चैनल पे टीवी को स्टार्ट कर दिया होगा ताकि उसकी आवाज से बच्चा सो जाये। बच्चे को सुलाने का हर तरीका सही है - बशर्ते की वो तरीका सुरक्षित हो।
अंगूर में घनिष्ट मात्र में पाशक तत्त्व होते हैं जो बढते बच्चों के शारीरक और बौद्धिक विकास के लिए जरुरी है। अंगूर उन कुछ फलों में से एक हैं जो बहुत आसानी से बच्चों को digest हो जाते हैं। जब आपका बच्चा अपच से पीड़ित है तो अंगूर एक उपयुक्त फल है। बच्चे को अंगूर खिलाने से उसके पेट की acidity कम होती है। शिशु आहार baby food
दही तो दूध से बना है, तो जाहिर है की इससे आप के शिशु को calcium भरपूर मिलेगा| दही चावल या curd rice, तुरंत बन जाने वाला बेहद आसान आहार है| इसे बनान आसान है इसका मतलब यह नहीं की यह पोशाक तत्वों के मामले में कम है| यह बहुत से पोषक तत्वों का भंडार है| baby food शिशु आहार 9 month to 12 month baby
Beta carotene भरपूर, शकरकंद शिशु की सेहत और अच्छी विकास के लिए बहुत अच्छा है| जानिए इस step-by-step instructions के जरिये की आप घर पे अपने शिशु के लिए कैसे शकरकंद की प्यूरी बना सकते हैं| शिशु आहार - baby food
चावल का खीर मुख्यता दूध में बनता है तो इसमें दूध के सारे पौष्टिक गुण होते हैं| खीर उन चुनिन्दा आहारों में से एक है जो बच्चे को वो सारे पोषक तत्त्व देता है जो उसके बढते शारीर के अच्छे विकास के लिए जरुरी है|
बच्चे बरसात के मौसम का आनंद खूब उठाते हैं। वे जानबूझकर पानी में खेलना और कूदना चाहते हैं। Barsat के ऐसे मौसम में आप की जिम्मेदारी अपने बच्चों के प्रति काफी बढ़ जाती हैं क्योकि बच्चा इस barish में भीगने का परिणाम नहीं जानता। इस स्थिति में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
अकॉर्डियन पेपर फोल्डिंग तकनीक से बनाइये घर पे खूबसूरत सा मोमबत्ती स्टैंड| बनाने में आसान और झट पट तैयार, यह मोमबत्ती स्टैंड आप के बच्चो को भी बेहद पसंद आएगा और इसे स्कूल प्रोजेक्ट की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है|
कुछ बातों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चे के बुद्धिस्तर को बढ़ा सकते हैं और बच्चे में आत्मविश्वास पैदा कर सकते हैं। जैसे ही उसके अंदर आत्मविश्वास आएगा उसकी खुद की पढ़ने की भावना बलवती होगी और आपका बच्चा पढ़ाई में मन लगाने लगेगा ,वह कमज़ोर से तेज़ दिमागवाला बन जाएगा। परीक्षा में अच्छे अंक लाएगा और एक साधारण विद्यार्थी से खास विद्यार्थी बन जाएगा।
सेब में मौजूद पोषक तत्त्व आप के शिशु के बेहतर स्वस्थ, उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ताज़े सेबों से बना शिशु आहार आप के शिशु को बहुत पसंद आएगा।
सेब और सूजी का खीर बड़े बड़ों सबको पसंद आता है। मगर आप इसे छोटे बच्चों को भी शिशु-आहार के रूप में खिला सकते हैं। सूजी से शिशु को प्रोटीन और कार्बोहायड्रेट मिलता है और सेब से विटामिन, मिनरल्स और ढेरों पोषक तत्त्व मिलते हैं।
Porridge made of pulses and vegetables for children is deliciously tasty which children will love eating and is also nutritionally rich for their developing body. पौष्टिक दाल और सब्जी वाली बच्चों की खिचड़ी बच्चों को बहुत पसंद आएगी और उनके बढ़ते शरीर के लिए भी अच्छी है
बच्चों को दातों की सफाई था उचित देख रेख के बारे में बताना बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चों के दातों की सफाई का उचित ख्याल नहीं रखा गया तो दातों से दुर्गन्ध, दातों की सडन या फिर मसूड़ों से सम्बंधित कई बिमारियों का सामना आप के बच्चे को करना पड़ सकता है।