Category: शिशु रोग
By: Admin | ☺7 min read
घरों में इस्तेमाल होने वाले गेहूं से भी बच्चे बीमार पड़ सकते हैं! उसकी वजह है गेहूं में मिलने वाला एक विशेष प्रकार का प्रोटीन जिसे ग्लूटेन कहते हैं। इसी प्रोटीन की मौजूदगी की वजह से गेहूं रबर या प्लास्टिक की तरह लचीला बनता है। ग्लूटेन प्रोटीन प्राकृतिक रूप से सभी नस्ल के गेहूं में मिलता है। कुछ लोगों का पाचन तंत्र गेहुम में मिलने वाले ग्लूटेन को पचा नहीं पता है और इस वजह से उन्हें ग्लूटेन एलर्जी का सामना करना पड़ता है। अगर आप के शिशु को ग्लूटेन एलर्जी है तो आप उसे रोटी और पराठे तथा गेहूं से बन्ने वाले आहारों को कुछ महीनो के लिए उसे देना बंद कर दें। समय के साथ जैसे जैसे बच्चे का पाचन तंत्र विकसित होगा, उसे गेहूं से बने आहार को पचाने में कोई समस्या नहीं होगी।

आपको सुनने में यह बात थोड़ा अटपटा सा लगे लेकिन सच तो यह है कि कुछ लोगों को साधारण से रोटी से भी एलर्जी हो सकता है।
जी हां, इसकी वजह है रोटी बनाने में इस्तेमाल होने वाले गेहूं में मिलने वाला एक प्रकार का प्रोटीन जिसे ग्लूटेन कहा जाता है। कुछ लोगों का पाचन तंत्र अन्य लोगों की तरह ग्लूटेन को आसानी से पचा नहीं पाता है जिसकी वजह से उन्हें ग्लूटेन एलर्जी की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मात्र रोटी ही अकेला ऐसा आहार नहीं है, बल्कि बहुत से आहार हैं जिन्हें अपने शिशु को देते वक्त आप को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। कई प्रकार के आहार से शिशु को एलर्जी होने की सम्भावना रहती है। उदहारण के लिए अंडे से एलर्जी या फिर दूध से भी एलर्जी, शिशु को हो सकती है।
इस लेख में हम मुख्या रूप से बात करेंगे गेहूं से होने वाले एलर्जी के बारे में।

अगर आपके शिशु को या आपके परिवार में किसी को भी पाचन में समस्या होती है, यह शरीर पर लाल चकत्ते पड़ रहे हैं, बातों को आसानी से भूल जाते हैं, या फिर हाथ पैरों में झुनझुनाहट का एहसास होता है, सर दर्द तथा जोड़ों का दर्द रहता है, आराम करने के बावजूद थकावट बना रहता है, सर भारी लगता है, ध्यान लगाने में दिक्कत होती है, तो हो सकता है कि आप के परिवार का वह व्यक्ति ग्लूटेन एलर्जी से पीड़ित है। ग्लूटेन एलर्जी के और भी बहुत सारे लक्षण हैं जिनके बारे में हम इस लेख में चर्चा करेंगे।

आप के शिशु को अगर अक्सर कब्ज रहता है या फिर परिवार के किसी सदस्य को तो इसकी वजह ग्लूटेन एलर्जी हो सकती है। गेहूं में मौजूद ग्लूटेन की वजह से केवल कब्ज ही नहीं होता है बल्कि किसी को दस्त तो किसी को गैस की शिकायत भी हो सकती है या फिर कुछ लोग ग्लूटेन एलर्जी की वजह से एसिडिटी की समस्या से पीड़ित हो सकते हैं।
अगर ग्लूटेन एलर्जी की वजह से आप के परिवार के किसी व्यक्ति को पाचन में दिक्कत हो रही है तो आप उनके आहारों में तीन से चार हफ्ता के लिए ऐसे बदलाव करें की उन्हें 3 से 4 हफ्तों के लिए गेहूं से बने कोई उत्पाद ना दें।
गेहूं से बने उत्पाद बंद करने के 3 से 4 हफ्तों के बाद अगर आप उनकी पाचन क्षमता में सुधार महसूस करें तो इसका मतलब समझ लीजिए कि इसकी वजह ग्लूटेन एलर्जी ही है।
यह एक चौंकाने वाला तथ्य है, लेकिन सच बात तो यह है कि कुछ महिलाएं ग्लूटेन एलर्जी की वजह से मां बनने के सुख से वंचित रह जाती है।

अगर आप काफी समय से गर्भधारण की कोशिश कर रही हैं लेकिन अभी तक गर्भधारण नहीं कर पायीं तो हो सकता है इसके पीछे वजह ग्लूटेन एलर्जी हो।
लेकिन एक बात और आपको बताना मैं जरूरी समझता हूं। वह यह है कि ग्लूटेन एलर्जी की वजह से गर्भधारण ना कर पाने के पीछे केवल महिलाएं ही नहीं वरन पुरुषों पर भी इसका असर देखा गया है।
चाहे वजह जो भी हो, शरीर पर लाल चकत्तों का होना, एलर्जी की निशानी है। शरीर पर एलर्जी की वजह से हो सकती है, इसकी एक वजह ग्लूटेन एलर्जी भी हो सकती है।

जब शरीर किसी आहार या वस्तु को स्वीकार नहीं करता है तब वह एलर्जी जैसे लक्षणों को प्रदर्शित करता है। बहुत से लोगों का पाचन तंत्र गेहूं में मिलने वाले ग्लूटेन को स्वीकार नहीं करता है। और इस वजह से उन लोगों के शरीर पर लाल चकत्ते दिखने लगते हैं।
अगर आपके शरीर पर या आपके परिवार के किसी सदस्य के शरीर पर लाल चकत्ते दिखाई दे और इसकी वजह आपको निश्चित तौर पर पता नहीं है तो आप कुछ दिनों के लिए उन्हें आहार में रोटी या गेहूं से बने हुए कोई भी उत्पाद ना दे।
कुछ सप्ताह के बाद अगर उनके शरीर पर दिखने वाले लाल चकत्ते खत्म हो जाए और इस स्थिति में सुधार हो, तो निश्चित तौर पर लाल चकत्तों की वजह ग्लूटेन एलर्जी कही जा सकती है।
बुढ़ापे में भूलने की बीमारी एक आम बात है - लेकिन अगर बिना वजह आप या आपके परिवार का कोई व्यक्ति अक्सर बातें भूल जाता है यह भुलक्कड़ जैसा बर्ताव करता है तो हो सकता है इसके पीछे की वजह ग्लूटेन एलर्जी हो।

ऐसे व्यक्तियों को आप पाएंगे कि वह बात-बात में असमंजस में पड़ जाते हैं और बहुत देर तक किसी बात पर ध्यान नहीं लगा पाते हैं या ध्यान लगाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, तो यह ग्लूटेन एलर्जी का संकेत हो सकता है।
लेकिन भूलने की बीमारी की वजह और भी बहुत सारी हो सकती है इसीलिए साफ तौर पर निश्चित करने के लिए कि इसकी वजह ग्लूटेन एलर्जी है कुछ जरूरी टेस्ट करवाने की जरूरत पड़ेगी। ऐसी स्थिति में डॉक्टर की राय आवश्यक है।
जो व्यक्ति डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं उनमें यह एक आम समस्या है। इसी में कुछ देर तक बैठे रहने या सोने के उपरांत उठने पर हाथ और पैरों में झनझनाहट या उनमें कोई हरकत नहीं होना पाया जाता है।

क्योंकि यह लक्षण मुख्य रूप से डायबिटीज की ओर इशारा करता है इसीलिए इस लक्षण को केवल ग्लूटेन एलर्जी से नहीं जोड़ा जा सकता है।
अगर आपने य फिर आपके परिवार की किसी व्यक्ति में ग्लूटेन एलर्जी से संबंधित दूसरे लक्षणों के साथ-साथ यह लक्षण भी दिखाई दे तो आप इसे निश्चित तौर पर ग्लूटेन एलर्जी कह सकती हैं।
जो लोग ग्लूटेन की समस्या से पीड़ित पाए गए हैं उन्हें अक्सर सर दर्द की समस्या और माइग्रेन जैसी समस्याओं से भी पीड़ित पाया गया है।

अगर आपके परिवार का कोई सदस्य अक्सर सर दर्द की समस्या से पीड़ित रहता है और तमाम इलाज के बाद भी उसका सिर दर्द ठीक नहीं हो रहा है तो हो सकता है इसकी वजह उसका खानपान हो।
ऐसी स्थिति में यह सुनिश्चित करने के लिए कि कहीं इसके पीछे वजह ग्लूटेन एलर्जी तो नहीं, आप उनके आहार में गेहूं से बने कोई भी प्रोडक्ट देना बंद कर दे।
अगर उनके सर दर्द की समस्या और माइग्रेन की समस्या में कुछ समय पश्चात आराम मिलता है तो इसकी वजह ग्लूटेन एलर्जी हो सकती है।
ग्लूटेन एलर्जी की वजह से पीड़ित व्यक्तियों की उंगलियों, घुटनों, तथा कूल्हों में दर्द और जोड़ों में सूजन भी पाया गया है।

अगर आपके परिवार के किसी सदस्य को काफी समय से जोड़ों के दर्द की समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो कुछ समय के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार उन्हें ग्लूटेन फ्री डाइट आजमाने को कहें।
अगर इससे उनके जोड़ों के दर्द की समस्या में आराम मिलता है तो बेहतर यही होगा कि वह अपने आहार में जितना ज्यादा हो सके गेहूं से बने उत्पाद को सम्मिलित ना करें।
अगर आपका खानपान ठीक है और आप पर्याप्त मात्रा में आराम भी कर रही है लेकिन फिर भी आपको अक्सर थकावट का एहसास लगा रहता है और इसके साथ-साथ आप को चक्कर आते हैं, आपका सिर भारी रहता है तो हो सकता है इसकी वजह ग्लूटेन एलर्जी हो।

यह लक्षण ग्लूटेन एलर्जी के साथ-साथ और भी कई बीमारियों में देख सकते हैं इसीलिए जरूरी यह है कि आप अपने डॉक्टर से अवश्य जांच कराएं ताकि इस लक्षण की सही वजह पता लग सके।
सारे जांच के बाद अगर यह निष्कर्ष निकलता है कि चक्कर की समस्या, सिर भारी रहना और अक्सर थकावट बने रहना की वजह ग्लूटेन एलर्जी है तो आपको अपने खानपान में परिवर्तन करने की आवश्यकता पड़ेगी।
कई बार देखा गया है कि कुछ लोग जो ग्लूटेन एलर्जी की समस्या से पीड़ित हैं, उन्हें किसी विषय पर ध्यान केंद्रित करने मैं भी समस्या आती है।

उदाहरण के लिए अगर आपका शिशु क्लास में ध्यान नहीं लगा पा रहा है तो इसे एडीएचडी यानि अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर कहा जाता है और इसकी वजह ग्लूटेन एलर्जी हो सकता है।
अगर बचपन में ही ग्लूटेन एलर्जी के बारे में पता लग जाए तो जरूरी बचाव करके शिशु एक स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकता है।
यूँ तो अवसाद के बहुत सारे कारण होते हैं लेकिन इसका एक कारण ग्लूटेन एलर्जी भी है। सही तौर पर यह स्थापित करने के लिए आपके अवसाद का कारण ग्लूटेन एलर्जी है या नहीं आप कुछ सप्ताह के लिए अपने आहार से गेहूं से बने सभी उत्पाद खाना बंद कर दें।

ग्लूटेन एलर्जी संबंधित ऊपर दिए गए लक्षणों में से अगर तीन या चार लक्षण भी आप में दिखें तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि संभव है कि आप ग्लूटेन एलर्जी की समस्या से पीड़ित है।
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कोरोना महामारी के इस दौर से गुजरने के बाद अब तक करीब दर्जन भर मास्क आपके कमरे के दरवाजे पर टांगने होंगे। कह दीजिए कि यह बात सही नहीं है। और एक बात तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कम से कम एक बार आपके मन में यह सवाल तो जरूर आया होगा कि क्या कपड़े के बने यह मास्क आपको कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमनी क्रोम से बचा सकता है?
स्कूल शुरू हो गया है। अपको अपने बच्चे को पिछले साल से और अच्छा करने के लए प्रेरित करना है। आदतें ही हमें बनाती या बिगाडती हैं। अच्छी आदतें हमें बढ़िया अनुशासन और सफलता की ओर ले जातीं हैं। बच्चे बड़े होकर भी अच्छा कर सकें, इसलिए उन्हें बचपन से ही सही गुणों से अनुकूलित होना ज़रूरी है
बदलते परिवेश में जिस प्रकार से छोटे बच्चे भी माइग्रेन की चपेट में आ रहे हैं, यह जरूरी है कि आप भी इसके लक्षणों को जाने ताकि आप अपने बच्चों में माइग्रेन के लक्षणों को आसानी से पहचान सके और समय पर उनका इलाज हो सके।
4 से 6 सप्ताह के अंदर अंदर आपके पीरियड फिर से शुरू हो सकते हैं अगर आप अपने शिशु को स्तनपान नहीं कराती हैं तो। लेकिन अगर आप अपने शिशु को ब्रेस्ट फीडिंग करवा रही हैं तो इस स्थिति में आप का महावारी चक्र फिर से शुरू होने में 6 महीने तक का समय लग सकता है। यह भी हो सकता है कि जब तक आप शिशु को स्तनपान कराना जारी रखें तब तक आप पर महावारी चक्र फिर से शुरू ना हो।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएचएफएस) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में सिजेरियन डिलीवरी के माध्यम से शिशु के जन्म वृद्धि दर में दोगुने का इजाफा हुआ है। सिजेरियन डिलीवरी में इस प्रकार की दोगुनी वृद्धि काफी चौंका देने वाली है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी वजह सिजेरियन डिलीवरी के जरिए अस्पतालों की मोटी कमाई है।
अगर आप का शिशु सर्दी और जुकाम से परेशान है तो कुछ घरेलु उपाय आप के शिशु को आराम पहुंचा सकते हैं। सर्दी और जेड के मौसम में बच्चों का बीमार पड़ना आम बात है। इसके कई वजह हैं। जैसे की ठण्ड के दिनों में संक्रमण को फैलने के लिए एकदम उपयुक्त माहौल मिल जाता है। कुछ बच्चों को ठण्ड से एलेर्जी होती है और इस वजह से भी उनमे सर्दी और जुकाम के लक्षण दीखते हैं।
बच्चों को सर्दी जुकाम बुखार, और इसके चाहे जो भी लक्षण हो, जुकाम के घरेलू नुस्खे बच्चों को तुरंत राहत पहुंचाएंगे। सबसे अच्छी बात यह ही की सर्दी बुखार की दवा की तरह इनके कोई side effects नहीं हैं। क्योँकि जुकाम के ये घरेलू नुस्खे पूरी तरह से प्राकृतिक हैं।
भारत सरकार के टीकाकरण चार्ट 2018 के अनुसार अपने शिशु को आवश्यक टीके लगवाने से आप का शिशु कई घम्भीर बिमारियौं से बचा रहेगा। टिके शिशु को चिन्हित बीमारियोँ के प्रति सुरक्षा प्रदान करते हैं। भरता में इस टीकाकरण चार्ट 2018 का उद्देश्य है की इसमें अंकित बीमारियोँ का जड़ से खत्म किया जा सके। कई देशों में ऐसा हो भी चूका है और कुछ वर्षों में भारत भी अपने इस लक्ष्य को हासिल कर पायेगा।
शिशु का टीकाकार शिशु को बीमारियोँ से बचाने के लिए बहुत जरुरी है। मगर टीकाकार से शिशु को बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है। जानिए की आप किस तरह अपने शिशु को टीकाकरण २०१८ से हुए दर्द से शिशु को कैसे राहत पहुंचा सकते हैं।
छोटे बच्चों को पेट दर्द कई कारणों से हो सकता है। शिशु के पेट दर्द का कारण मात्र कब्ज है नहीं है। बच्चे के पेट दर्द का सही कारण पता होने पे बच्चे का सही इलाज किया जा सकता है।
बच्चों की मन जितना चंचल होता है, उनकी शरारतें उतनी ही मन को मंत्रमुग्ध करने वाली होती हैं। अगर बच्चों की शरारतों का ध्यान ना रखा जाये तो उनकी ये शरारतें उनके लिए बीमारी का कारण भी बन सकती हैं।
शिशु के जन्म के पहले वर्ष में पारिवारिक परिवेश बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चे के पहले साल में ही घर के माहौल से इस बात का निर्धारण हो जाता है की बच्चा किस तरह भावनात्मक रूप से विकसित होगा। शिशु के सकारात्मक मानसिक विकास में पारिवारिक माहौल का महत्वपूर्ण योगदान है।
कद्दू (pumpkin) में प्रचुर मात्रा मैं विटामिन C, आयरन और बहुत से दूसरे पौष्टिक तत्त्व होता हैं| कद्दू शिशु आहार के लिए एकदम उपयुक्त सब्जी है| बहुत ही आसान step-by-step निर्देश का पालन कर घर पे बनाइये कद्दू की प्यूरी - शिशु आहार| घर का बना कद्दू (Pumpkin) का पुरी - शिशु आहार (baby food) 6-9 months old Babies
Jaundice in newborn: Causes, Symptoms, and Treatments - जिन बच्चों को पीलिया या जॉन्डिस होता है उनके शरीर, चेहरे और आँखों का रंग पीला पड़ जाता है। पीलिया के कारण बच्चे को केर्निकेटरस नामक बीमारी हो सकती है। यह बीमारी बच्चे के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है।
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अगर आप का शिशु 6 महिने का हो गया है और आप सोच रही हैं की अपने शिशु को क्या दें खाने मैं तो - सूजी का खीर सबसे बढ़िया विकल्प है। शरीर के लिए बेहद पौष्टिक, यह तुरंत बन के त्यार हो जाता है, शिशु को इसका स्वाद बहुत पसंद आता है और इसे बनाने में कोई विशेष तयारी भी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
सब्जियौं में ढेरों पोषक तत्त्व होते हैं जो बच्चे के अच्छे मानसिक और शारीर विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब शिशु छेह महीने का हो जाये तो आप उसे सब्जियों की प्यूरी बना के देना प्रारंभ कर सकती हैं। सब्जियों की प्यूरी हलकी होती है और आसानी से पच जाती है।
टाइफाइड वैक्सीन का वैक्सीन आप के शिशु को टाइफाइड के बीमारी से बचता है। टाइफाइड का वैक्सीन मुख्यता दो तरह से उपलबध है। पहला है Ty21a - यह लाइव वैक्सीन जिसे मुख के रस्ते दिया जाता है। दूसरा है Vi capsular polysaccharide vaccine - इसे इंजेक्शन के द्वारा दिया जाता है। टाइफाइड वैक्सीन का वैक्सीन पहले दो सालों में 30 से 70 प्रतिशत तक कारगर है।
सर्दी - जुकाम और खाँसी (cold cough and sore throat) को दूर करने के लिए कुछ आसान से घरेलू उपचार (home remedy) दिये जा रहे हैं, जिसकी सहायता से आपके बच्चे को सर्दियों में काफी आराम मिलेगा।