Category: शिशु रोग
By: Vandana Srivastava | ☺6 min read
हाइपोथर्मिया होने पर बच्चे के शरीर का तापमान, अत्यधिक कम हो जाता है। हाईपोथर्मिया से पीड़ित वे बच्चे होते हैं, जो अत्यधिक कमज़ोर होते हैं। बच्चा यदि छोटा हैं तो उससे अपने गोद में लेकर ,कम्बल आदि में लपेटकर उससे गर्मी देने की कोशिश करें।

अगर कभी आप का बच्चा अचानक से अत्यधिक थका हुआ लगे या उसके अंदर कुछ असामान्य परिवर्तन दिखे तो सबसे पहले उसके शरीर का तापमान चेक करें। यदि उसके शरीर का तापमान कम लगे तो ये समझ लेना चाहिए की आपके बच्चे को अल्प ताप या हाइपोथर्मिया की बीमारी हैं जो ठंड के मौसम में अधिक प्रभावी होती हैं।
हाइपोथर्मिया होने पर बच्चे के शरीर का तापमान, अत्यधिक कम हो जाता है। हाईपोथर्मिया से पीड़ित वे बच्चे होते हैं, जो अत्यधिक कमज़ोर होते हैं। गांव में रहने वाले अधिकतर बच्चे हाइपोथर्मिया के शिकार हो जाते हैं और इसी कारण से इन बच्चों की मृत्यु दर बढ़ जाती है।
जब तक बच्चा माँ के पेट में रहता है, तब तक उसका तापमान कुछ और रहता है, लेकिन जन्म लेने के बाद ही वह बाहर के तापमान में आ जाता है, जिसे वह एकदम नहीं सह पाता है। इस समय बच्चों को ठंड लग जाती है और वह निमोनिया का शिकार हो जाता है।
जब बच्चें के शरीर का तापमान अत्यंत कम हो जाता है तो उसका हार्ट, नर्वस सिस्टम और कई अंग सही से काम नहीं करते। और यदि समय से इसका इलाज न हो तो कुछ समय के बाद वह जानलेवा साबित हो सकते हैं।
हाइपोथर्मिया को अल्पताप भी कहा जाता है। यह बच्चे के शरीर की एक ऐसी स्थिती होती है, जिसमें शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है।जब तापमान बहुत कम हो जाए या शरीर की गर्मी पैदा करने की क्षमता कम होने लगे तो हाइपोथर्मिया होता है।

बच्चों में हाइपोथर्मिया होने का सबसे बड़ा कारण ठंड है। बच्चा जितनी देर ठंड के संपर्क में रहता है, उतना ही उसके शरीर का तापमान कम होता जाता है। इसी वजह से ठंड का मौसम बच्चे के लिए नुकसान दायक होता है। इसके अतिरिक्त बच्चे का वज़न, उसके शरीर में वसा का प्रभाव, अन्य खनिज तत्वों की कमी भी हाइपोथर्मिया होने का एक कारण है।

बीमारी काबू में ना आने पर डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। आपका चिकित्सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।
बहुत सारे माँ बाप इस बात को लेकर परेशान रहते हैं की क्या वे अपने बच्चे को UHT milk 'दे सकते हैं' या 'नहीं'। माँ बाप का अपने बच्चे के खान-पान को लेकर परेशान होना स्वाभाविक है और जायज भी। ऐसा इस लिए क्यूंकि बच्चों के खान-पान का बच्चों के स्वस्थ पे सीधा प्रभाव पड़ता है। कोई भी माँ बाप अपने बच्चों के स्वस्थ के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता है।
शिशु के जन्म के तुरंत बाद आपके शरीर को कई प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे स्तनपान माताओं के लिए बेस्ट आहार। ये आहार ऐसे हैं जो डिलीवरी के बाद आपके शरीर को रिकवर (recover) करने में मदद करेंगे, शारीरिक ऊर्जा प्रदान करेंगे तथा आपके शिशु को उसकी विकास के लिए सभी पोषक तत्व भी प्रदान करेंगे।
शिशु में जुखाम और फ्लू का कारण है विषाणु (virus) का संक्रमण। इसका मतलब शिशु को एंटीबायोटिक देने का कोई फायदा नहीं है। शिशु में सर्दी, जुखाम और फ्लू के लक्षणों में आप अपने बच्चे का इलाज घर पे ही कर सकती हैं। सर्दी, जुखाम और फ्लू के इन लक्षणों में अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं।
कुछ साधारण से उपाय जो दूर करें आप के बच्चे की खांसी और जुकाम को पल में - सर्दी जुकाम की दवा - तुरंत राहत के लिए उपचार। बच्चों की तकलीफ को दूर करने के लिए बहुत से आयुर्वेदिक घरेलु उपाय ऐसे हैं जो आप के किचिन (रसोई) में पहले से मौजूद है। बस आप को ये जानना है की आप उनका इस्तेमाल किस तरह कर सकती हैं अपने शिशु के खांसी को दूर करने के लिए।
शिशु को 2 वर्ष की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मेनिंगोकोकल के खतरनाक बीमारी से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
शिशु के जन्म के तुरंत बाद कौन कौन से टीके उसे आवश्यक रूप से लगा देने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी येहाँ प्राप्त करें - complete guide।
कॉलरा वैक्सीन (Cholera Vaccine in Hindi) - हिंदी, - कॉलरा का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
ठण्ड के दिनों में बच्चों का अगर उचित ख्याल न रखा जाये तो वे तुरंत बीमार पड़ सकते हैं। कुछ विशेष स्वधानियाँ अगर आप बरतें तो आप का शिशु ठण्ड के दिनों में स्वस्थ और सुरक्षित रह सकता है। जानिए इस लेख में ठंड में बच्चों को गर्म रखने के उपाय।
एक नवजात बच्चे को जब हिचकी आता है तो माँ-बाप का परेशान होना स्वाभाविक है। हालाँकि बच्चों में हिचकी कोई गंभीर समस्या नहीं है। छोटे बच्चों का हिचकियाँ लेने इतना स्वाभाविक है की आप का बच्चा तब से हिचकियाँ ले रहा है जब वो आप के गर्भ में ही था। चलिए देखते हैं की आप किस तरह आपने बच्चे की हिचकियोँ को दूर कर सकती हैं।
बच्चों के हिचकी का कारण और निवारण - स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के बाद आप के बच्चे को हिचकी आ सकती है। यह होता है एसिड रिफ्लक्स (acid reflux) की वजह से। नवजात बच्चे का पेट तो छोटा सा होता है। अत्यधिक भूख लगने के कारण शिशु इतना दूध पी लेते है की उसका छोटा सा पेट तन (फ़ैल) जाता है और उसे हिचकी आने लगती है।
संगती का बच्चों पे गहरा प्रभाव पड़ता है| बच्चे दोस्ती करना सीखते हैं, दोस्तों के साथ व्यहार करना सीखते हैं, क्या बात करना चाहिए और क्या नहीं ये सीखते हैं, आत्मसम्मान, अस्वीकार की स्थिति, स्कूल में किस तरह adjust करना और अपने भावनाओं पे कैसे काबू पाना है ये सीखते हैं| Peer relationships, peer interaction, children's development, Peer Influence the Behavior, Children's Socialization, Negative Effects, Social Skill Development, Cognitive Development, Child Behavior
आटे का हलुवा इतना पौष्टिक होता है की इसे गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है| आटे का हलुआ शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सबसे बेहतरीन शिशु आहार है। आटे का हलुवा शिशु के लिए उचित और सन्तुलित आहार है|
दो साल के बच्चे के लिए मांसाहारी आहार सारणी (non-vegetarian Indian food chart) जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं। अगर आप सोच रहे हैं की दो साल के बच्चे को baby food में क्या non-vegetarian Indian food, तो समझिये की यह लेख आप के लिए ही है।
माता- पिता अपने बच्चों को गर्मी से सुरक्षित रखने के लिए तरह- तरह के तरीके अपनाते तो हैं , पर फिर भी बच्चे इस मौसम में कुछ बिमारियों के शिकार हो ही जाते हैं। जानिए गर्मियों में होने वाले 5 आम बीमारी और उनसे अपने बच्चों को कैसे बचाएं।
मेनिंगोकोकल वैक्सीन (Meningococcal Vaccination in Hindi) - हिंदी, - मेनिंगोकोकल का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
बच्चों के रोने के कई वजह हो सकते हैं जैसे की भूख की वजह से, थकन की वजह से, पेट के दर्द या गैस की समस्या की वजह से। जब आप का शिशु रोये तो सबसे पहले आप उसे अपनी गोद में ले लें। शांत ना होने पे आप उसे स्तनपान कराएँ और उसके डायपर को जांचे की कहीं वह गिला तो नहीं है। अगर शिशु फिर भी ना शांत हो तो उसे चुसनी या पैसिफायर से शांत कराने की कोशिश करें, फिर भी ना शांत हो तो उसे सुलाने की कोशिश करने, यह भी देखें की कहीं शिशु को ज्यादा गर्मी या ठण्ड तो नहीं लग रहा है या उसे कहीं मछरों ने तो नहीं कटा है। इन सब के बावजूद अगर आप का शिशु रोये तो आप उसे तुरंत डोक्टर के पास लेके जाएँ।
पांच दालों से बनी खिचड़ी से बच्चो को कई प्रकार के पोषक तत्त्व मिलते हैं जैसे की फाइबर, विटामिन्स, और मिनरल्स (minerals)| मिनरल्स शरीर के हडियों और दातों को मजबूत करता है| यह मेटाबोलिज्म (metabolism) में भी सहयोग करता है| आयरन शरीर में रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है और फाइबर पाचन तंत्र को दरुस्त रखता है|
बच्चों को गोरा करने के कुछ तरीके हैं (rang gora karne ka tarika) जिनके इस्तेमाल से आप अपने बच्चे को जीवन भर के लिए साफ और गोरी त्वचा दे सकतें हैं। हर माँ आपने बच्चों को लेके बहुत सी चीज़ों के लिए चिंतित रहती है। उनमें से एक है बच्चे की त्वचा। अक्सर मायें चाहती हैं की उनके बच्चे की त्वचा मे कोई दाग न हो।
बच्चो में कुपोषण का मतलब भूख से नहीं है। हालाँकि कई बार दोनों साथ साथ होता है। गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार बच्चों को उसकी बढ़ने के लिए जरुरी पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते। बच्चों को कुपोषण से बचने के लिए हर संभव प्रयास जरुरी हैं क्योंकि एक बार अगर बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाये तो उसे दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता।