Category: बच्चों की परवरिश
By: Admin | ☺9 min read
अगर आप अपने बच्चे के व्यहार को लेकर के परेशान हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। बच्चों को डांटना और मरना विकल्प नहीं है। बच्चे जैसे - जैसे उम्र और कद काठी में बड़े होते हैं, उनके व्यहार में अनेक तरह के परिवेर्तन आते हैं। इनमें कुछ अच्छे तो कुछ बुरे हो सकते हैं। लेकिन आप अपनी सूझ बूझ के से अपने बच्चे में अच्छा व्यहार (Good Behavior) को विकसित कर सकती हैं। इस लेख में पढ़िए की किस तरह से आप अपने बच्चे में अच्छा परिवर्तन ला सकती हैं।
हर मां बाप अपने बच्चों को बेहतर से बेहतर परवरिश देना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि उनके बच्चों में वह सभी सुसंस्कार हो जो उन्हें जिंदगी में आगे बढ़ने में मदद करें। मां-बाप अपनी तरफ से पूरी कोशिश भी करते हैं।
लेकिन फिर भी,
अधिकांश मां बाप अपने बच्चों के व्यवहार से खुश नहीं रहते हैं। क्योंकि हजार कोशिशों के बाद भी वे अपने बच्चों में अच्छा व्यहार (Good Behavior) नहीं पाते हैं। बहुत हद तक बच्चों के इस व्यवहार के लिए मां-बाप खुद जिम्मेदार होते हैं।
उन्हें कई बार स्कूल से कई बार पड़ोसियों से यह सुनने को मिलता है कि उनके बच्चे ने कभी यह कर दिया तो कभी वह कर दिया।
ऐसे में मां-बाप की सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि वह अपने बच्चों में अच्छे गुणों का विकास किस तरह करें।
इस लेख में आप पढ़ेंगे कि किस तरह अपने बच्चे के व्यवहार को नियंत्रित कर सकती हैं और उसके अंदर अच्छे गुणों का निर्माण।
एक बात बताइए,
जब आपका बच्चा स्कूल जाने से कतराता है, और पढ़ाई से जी चुराता है, तो क्या करती हैं? अधिकांश मां-बाप अपने बच्चों पर गुस्सा करते हैं।
कुछ मां-बाप कहते हैं कि अगर तुम स्कूल नहीं जाओगे, और पढ़ाई नहीं करोगे तो मैं तुमसे बात नहीं करूंगी, वहीं कुछ मां-बाप ऐसे हैं जो अपने बच्चों पर हाथ तक उठा देते हैं।
लेकिन, क्या आपने कभी सोचा, कि आपके इस तरह के व्यवहार से आपके बच्चे को क्या सीख मिलती है। आपका बच्चा आप से बहुत कुछ सीखता है।
जिस तरह का व्यवहार आप अपने बच्चे के सामने प्रदर्शित करते हैं, उसी तरह के व्यवहार का विकास आपके बच्चों में होता है।
इसीलिए जब आपका बच्चा आपकी बात ना माने, बदमाशी करें, पढ़ाई ना करें, तो आपको किस तरह से समझाना है यह जानने की आवश्यकता है।
अगर आप अपने बच्चे की किसी विशेष व्यवहार की वजह से परेशान हैं तो उसे डांटने यह समझाने से पहले उसके इस विशेष व्यवहार की वजह जानने की कोशिश करें।
कई बार बच्चे किसी कारणवश इस तरह व्यवहार करते हैं जो आपको गुस्से में डाल सकता है। अगर आपके बच्चे का आईक्यू लेवल (IQ Level) कम है या टीचर आपके बच्चे को पसंद नहीं करती है तो आपका बच्चा हो सकता है पढ़ाई करने से कतराए या फिर स्कूल ना जाना चाहे। और भी कई कारण हो सकते।
यह केवल एक उदाहरण है। जरूरी नहीं कि आपके बच्चे का आईक्यू लेवल (IQ Level) कम है। या उसकी टीचर उसे पसंद नहीं करती है।
ऐसे बहुत से कारण हो सकते हैं जिनकी वजह से आपका बच्चा स्कूल ना जाना चाहे। ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए आपको अपने बच्चे के साथ बैठकर बात करने की आवश्यकता है।
जैसे ही आपका बच्चा स्कूल जाना शुरू करें, आप हर दिन उससे उसके स्कूल के बारे में बात करें। जरूरी नहीं कि इसके लिए आप कोई विशेष समय निकालें।
खेलते खेलते या फिर साथ बैठकर खाना खाते खाते आप उससे पूछ सकती हैं कि आज का आज का दिन कैसा था, स्कूल में उसका समय कैसे गुजरा, उसके दोस्तों के बारे में, इत्यादि।
आप अपने बच्चे के लिए एक निश्चित दिनचर्या का भी निर्धारण करें। इससे आपकी बच्ची को पता रहेगा कि उसे हर दिन किस समय पर पढ़ना है और किस समय पर खेलना है।
शुरुआत में हो सकता है आपको अपने बच्चे को एक निश्चित दिनचर्या में डालने में थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़े।
एक बार आपका बच्चा इस निश्चित दिनचर्या का अभ्यस्त हो जाए तो फिर आपको हर दिन उसे पढ़ने के लिए बैठने के लिए नहीं बोलना पड़ेगा।
वह समय पर पढ़ने के लिए बैठेगा और समय पर खेलने के लिए जाएगा। बच्चों में अच्छी आदतों को विकसित करने में कुछ सप्ताह से लेकर कुछ महीनों का समय लग सकता है।
लेकिन एक बार आपके बच्चे को एक निश्चित दिनचर्या का आदत लग जाए तो वह उसे सहज लगने लगेगा।
अगर कभी स्कूल से वापस घर आने पर आप अपने बच्चे को उदास पाएं तो प्यार से उससे इसकी वजह पूछे।
हो सकता है उसकी टीचर ने उसे डांटा हो या फिर उसके साथियों के साथ उसकी लड़ाई हुई हो। अगर आपका बच्चा कहे कि उसे उसकी टीचर ने डांटा है या फिर उसका उसके साथियों से से लड़ाई हुआ है, तो आप उसे बोले कि आप उसकी टीचर से बात करेंगे।
आप उसके स्कूल जाकर बात भी जरूर करें लेकिन बात करते वक्त कभी भी उसकी टीचर पर कोई दोष ना लगाएं। कहीं ऐसा ना हो कि आप अनजाने में उसकी टीचर को उस का दुश्मन बना बैठे।
कुछ बच्चे अत्यधिक क्रियाशील होते हैं। ऐसे बच्चों को हाइपरऐक्टिव(Hyper Active) कहते हैं। अक्सर टीचर ऐसे बच्चों परेशान रहती है और इन्हें इग्नोर करना शुरु कर देती है।
अगर आपका शिशु हाइपरऐक्टिव(Hyper Active) की समस्या से पीड़ित है तो आप उसकी टीचर से निवेदन कर सकती हैं कि वह आपके बच्चे को मॉनिटर(Monitor)जैसी जिम्मेदारी दे।
इससे आपके बच्चे में हाइपरऐक्टिव(Hyper Active) कि गुणों का इस्तेमाल सही दिशा में हो सकेगा। साथी आपके बच्चे में जिम्मेदारी निभाने की गुणों का विकास होगा।
अगर किसी वक्त आपका बच्चा पढ़ाई ना करना चाहे तो आप बहुत ज्यादा उस पर दबाव ना बनाएं। अगर आप उसे पढ़ाई करने के लिए मजबूर करेंगी तो हो सकता है आगे चलकर आपका बच्चा जिद्दी स्वभाव का हो जाए। कुछ देर रुक कर आप अपने बच्चे को फिर से पढ़ाई करने के लिए बोल सकती हैं।
बच्चे के पढ़ाई के समय आप खुद भी बच्चे के साथ बैठकर और अपने आप को उसके पढ़ाई में सम्मिलित कीजिए। आप अपने बच्चे से पूछ सकती हैं कि आज उसे स्कूल में कौन-कौन से विषय पढ़ाए गए।
अगर आपका शिशु बड़ा है तो आप उससे बोल सकती हैं कि वह अपने विषय को आप को पढ़ाएं। आप को पढ़ाने के दौरान आपका बच्चा खुद दिखेगा।
अगर आपका बच्चा छोटा है तो आप उसे किस्से कहानियों के माध्यम से या खेल-खेल में पढ़ा सकती हैं। उदाहरण के लिए जब आप किचन में काम कर रही हैं और आपका बच्चा आपके साथ है तो आप उसे आलू करने के लिए कह सकती हैं। आप उसके पढ़ाई को दिलचस्प बनाने के लिए नए-नए तरीके ईजाद कर सकती हैं।
हर बच्चे की अपनी कुछ पसंद और नापसंद होती है। क्योंकि आप अपने बच्चे के साथ रहती हैं उसकी बहुत ही पसंद और नापसंद के बारे में आपको पता होगा।
जो विषय आपकी बच्ची को ज्यादा पसंद है उन विषयों पर उसे ज्यादा फोकस करने दे। आप उसके दोस्तों को भी घर बुलाकर साथ पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। इससे आपके बच्चे का मन पढ़ाई में ज्यादा लगेगा।
अगर आपका बच्चा पलटकर आपको जवाब देता है या गाली गलौज करता है तो अक्सर मां बाप बुरी तरह रिएक्ट करते हैं।
कई बार तो बच्चे को उल्टा सीधा बोलते हैं या फिर बच्चे पर चिल्लाते हैं। कई बार तो इसकी वजह से बच्चों को मार तक पड़ती है। आप बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार करने से बचें और संयम से काम लें।
यदि आपका बच्चा इस तरह व्यहार कर रहा है तो आप उसे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दें। जब आप खुद भी पूरी तरह से शांत हो जाएं तब आप उससे बातें करें।
इससे आपके बच्चे को एक बात पता चलेगी कि उसके चीखने और चिल्लाने का आपके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
धीरे धीरे समय के साथ आपका बच्चा पूरी तरह चलाना बंद कर देगा क्योंकि वह जान जाएगा कि उसके चिल्लाने का किसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
जब आपके बच्चे का गुस्सा शांत हो जाए तब आप उसके साथ बैठकर स्वयं से बातें करें। आप अपने बच्चे के व्यवहार को लेकर बार-बार उसे पूरे दी नहीं। ऐसा करने पर आपके बच्चे कई ego हर्ट होगा।
आप खुद भी अपने बच्चे के सामने कभी गाली गलौज करते माल ना करें और ना ही ऐसी भाषा का इस्तेमाल करें जो आप अपने बच्चे के मुंह से सुनना चाहते हैं।
अगर आपका बच्चा गलत भाषा का प्रयोग करें तो आप उसे शांति से कहें कि ऐसी भाषा गलत लोग बोलते हैं। आप अपने बच्चे को समझाएं कि उसका Background और Work Culture अलग है और ऐसी भाषा के प्रयोग को प्रोत्साहित नहीं करता है।
5 साल के उम्र के बच्चे जानबूझकर ऐसी बातें करते हैं जिससे उनके मां-बाप को बेज्जती महसूस होता है। ऐसा इसलिए करते हैं ताकि अपने मां बाप के सामने वह अपने आप को शक्तिशाली दिखा सकें और यह दिखा सके कि आप अच्छे पैरेंट्स नहीं है।
ऐसी स्थिति में कुछ मां-बाप बहुत आहत महसूस करते हैं। आप इस तरह से व्यवहार करें कि जैसे आप पर उसकी बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। आप शांति और संयम से काम लें।
अक्सर मां-बाप जब देखते हैं कि उनके बच्चे ने चोरी की है या किसी दूसरे की कोई वस्तु उठाकर लाया है तो वह अपने बच्चे को खूब डांटते हैं और मारते हैं।
कुछ मां-बाप बच्चे को उसके भाई-बहनों के सामने जलील करने के लिए यह बोल देते हैं कि अपनी चीजों को संभाल कर रखो क्योंकि यह चोर है।
इस प्रकार की बातें आपके बच्चे को अंदर से चोट पहुंचा सकती है। आप अपने बच्चे के साथ ऐसा व्यवहार करने से बचें, साथी उस के गलत व्यवहार पर पर्दा भी ना डालें। प्यार से उसे सही और गलत में अंतर करना सिखाए।
अगर आपका बच्चा चोरी करें तो उसे मारने पीटने की बजाय आप उसे कोई सजा दे सकती हैं। उदाहरण के लिए आप उसे उसका कोई पसंदीदा प्रोग्राम ना देखने दे या उसी की आउटिंग पर ना ले जाएं या उसकी खिलौनों को कुछ देर के लिए उसे दूर कर दे। इससे आपके बच्चे को यह पता लगेगा कि उसे कौन सा व्यवहार आपको पसंद नहीं है।
आज के माहौल में आपको अपने बच्चे के बारे में सभी प्रकार की जानकारी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए इसके स्कूल में कौन-कौन से दोस्त हैं, उसकी क्लास टीचर कौन है, तथा और भी कई दैनिक बातों को आप को पता होनी चाहिए।
आप अपने बच्चे के बैग को रेगुलरली चेक करें। लेकिन अपने बच्चे के सामने उसकी बैग को चेक ना करें।
अगर आपको अपने बच्चे के बैग में कोई नई वस्तु दिखे तो उसके विषय में अपने बच्चे से अवश्य पूछे कि उसे वह वस्तु कहां से मिली। अगर आपका बच्चा झूठ बोलता है तो उसकी बेइज्जती नहीं करें बल्कि उसे प्यार से पूछो।
अगर वह किसी की वस्तु उठाकर लाया है तो उसे लौटाने के लिए कहे लेकिन पूरी क्लास के सामने उसे माफी मांगने के लिए ना कहें।
बच्चों में सही और गलत की समझ नहीं होती है। सही और गलत की समझ का विकास बच्चों में उम्र के साथ धीरे-धीरे होता है। अपने बच्चे को जरूर समझाएं कि किसी के सम्मान को बिना पूछे या बिना मांगे ले कर आना गलत है।
अगर कोई आपको यह बताएं कि आपके बच्चे ने चोरी की है तो उसे यह ना कहें कि आप यह मान ही नहीं सकते हैं। इससे आपके बच्चे को प्रोत्साहन मिलेगा।
सबके सामने अपने बच्चे से चोरी के बारे में ना पूछो बल्कि अकेले में उससे पूछें। अपने बच्चे को बताएं कि चोरी करना गलत बात है।
चोरी करने पर उसे हमेशा इस बात का डर बना रहेगा कि कहीं कोई चोरी की हुई वस्तु उसके पास देख ना ले। इस समस्या से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका यही है कि चोरी ही ना किया जाए।
पेरेंट्स होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने बच्चे को वो सारी चीजें उपलब्ध कराएं जिससे चोरी की तरफ उसका ध्यान नहीं जाए।
अभी अपने बच्चे को झूठ बोलता पाए तो ओवर रिएक्ट ना करें। सबके सामने अपने बच्चे को डांटे नहीं और ना ही उसे सही गलत का पाठ पढ़ाए।
इसके बदले में उसे उदाहरण के द्वारा सही और गलत बताएं। अपने बच्चे को सिखाएं कि सच बोलना बहुत हिम्मत का काम है और आप चाहते हैं कि आपका बच्चा बहुत हिम्मती बने।
आप अपने बच्चे को बताएं कि गलती होने पर वह डरी नहीं और ना ही झूठ बोले। गलतियां सबसे होती हैं, मगर कोशिश करना चाहिए की गलतियां दोबारा ना हो।
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