Category: शिशु रोग
By: Vandana Srivastava | ☺4 min read
दूध से होने वाली एलर्जी को ग्लाक्टोसेमिया या अतिदुग्धशर्करा कहा जाता है। कभी-कभी आप का बच्चा उस दूध में मौजूद लैक्टोज़ शुगर को पचा नहीं पाता है और लैक्टोज़ इंटॉलेन्स का शिकार हो जाता है जिसकी वजह से उसे उलटी , दस्त व गैस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ बच्चों में दूध में मौजूद दूध से एलर्जी होती है जिसे हम और आप पहचान नहीं पाते हैं और त्वचा में इसके रिएक्शन होने लगता है।
दूध बच्चों के लिए एक संपूर्ण आहार है। इसलिए क्यूंकि ये बच्चे को सभी पोषक तत्त्व प्रदान करता है जो उसके बौद्धिक और शारीरिक विकास के लिए बहुत जरुरी है।
बच्चा जन्म के कुछ महीनों तक सिर्फ माँ का ही दूध पीता है और कुछ नहीं। इस दौरान उसमे कोई भी विटामिन या मिनरल की कमी नहीं होती है।
क्यूंकि दूध वो सब प्रदान करता है जो एक बच्चे के शरीस को आवश्यक है। दूध कुदरत का एक अनमोल वरदान है और चमत्कार भी।
लेकिन यही माँ का दूध या कोई और भी दूध बच्चा न पी पाए तो यह एक घबराने का विषय बन जाता है कि उसका पेट कैसे भरेगा। हालाँकि ऐसा बहुत कम बच्चों में पाया जाता है कि उसे दूध से ही एलर्जी हो जाए। दूध से होने वाली एलर्जी को ग्लाक्टोसेमिया या अतिदुग्धशर्करा कहा जाता है।
हम अपने बच्चे को शक्तिवर्धक बनाने के लिए उसको अधिक से अधिक दूध पिलाना चाहते हैं लेकिन कभी-कभी आप का बच्चा उस दूध में मौजूद लैक्टोज़ शुगर को पचा नहीं पाता है और लैक्टोज़ इंटॉलेन्स का शिकार हो जाता है जिसकी वजह से उसे उलटी , दस्त व गैस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ बच्चों में दूध में मौजूद दूध से एलर्जी होती है जिसे हम और आप पहचान नहीं पाते हैं और त्वचा में इसके रिएक्शन होने लगता है। कभी- कभी स्थिति यह हो जाती है कि बच्चे को पित्ती, खाँसी, त्वचा पर लाल चकत्ते, बेहोशी या घरघराहट महसूस होती है।
दूध से एलर्जी होने पर बच्चे के अंदर कुछ बदलाव होने लगते हैं और ये लक्षण दिखने लगते हैं-
यदि आपके बच्चे में उपरोक्त लक्षण दिखाई पड़ने लगे तो आपको उसकी जांच करवानी चाहिए।
सबसे पहले मूत्र की जांच करवाएं। अगर मूत्र में एमिनो एसिड या ब्लड प्लाज़्मा पाया जाता है, इसका मतलब आपका बच्चा इस रोग से पीड़ित है। हेपाटोमेगली के द्वारा भी इस रोग की जाँच की जाती है।ब्लड शुगर में असामान्य गिरावट से भी इस रोग को पहचान जाता है। पेट में तरल पदार्थ की उपस्थिति से भी इस रोग के इस रोग के होने की पुष्टि की जाती है।
दूध से एलर्जी कई कारणों से हो सकती है:
दूध या दूध से बने कई खाद्य पदार्थ में लैक्टोज़ नामक एंजाइम होता है। इस प्रकार के प्रोटीन से शरीर में एक अलग तरह की प्रक्रिया उत्पन्न होती है। इस एंजाइम पर लैक्टोस नामक दूसरा एंजाइम प्रक्रिया करता है, जिससे ग्लूकोस और ग्लैक्टोस बनते हैं। जब यही एंजाइम बच्चे के शरीर में पर्याप्त मात्रा में नहीं होता है जो ग्लैक्टोस को ख़त्म कर सके। यही ग्लैक्टोस का स्तर शरीर में बढ़ता जाता है जिससे पूरे शरीर में विष फैल जाता है।
घरेलू उपचार से आराम न मिलने पर योग्य चिकित्सक से मिलें क्योंकि बच्चे के साथ लापरवाही नहीँ बरतनी चाहिए।