Category: टीकाकरण (vaccination)
By: Vandana Srivastava | ☺7 min read
अगर बच्चे को किसी कुत्ते ने काट लिया है तो 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए। डॉक्टरों के कथनानुसार यदि 72 घंटे के अंदर में मरीज इंजेक्शन नहीं लगवाता है तो, वह रेबीज रोग की चपेट में आ सकता है।

अगर बच्चे को किसी कुत्ते ने काट लिया है तो 72 घंटे के अंतराल में एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए।
इस संसार मैं हम मनुष्य अकेले नहीं हैं हमारे साथ पशु भी रहते हैं। कभी कभार जब इन्हे हम मनुष्यों से खतरा महसूस होता है तो यह अपने बचाव में हम पर आक्रमण कर देते हैं।
या फिर जब ये मानसिक रूप से बीमार होते हैं तो भी हम पर आक्रमण कर सकते हैं। इनके आक्रमण करने पर बड़े और बुजुर्ग तो अपना बचाव कर लेते हैं, लकिन छोटे बच्चों को नहीं पता होता की उनके किन कामों से पशु आक्रमण कर सकते हैं।
कई बार तो बच्चे पशु के पास खेलने तक चले जाते हैं। ऐसे मैं अगर वे पशु पक्षियां पालतू नहीं हुए तो वे खतरा भांप कर बच्चों को चोट भी पहुंचा सकते हैं।

पशु के काटने पर हमे विशेष धयान देने की आवश्यकता है क्यूंकि वे गन्दगी में रहते हैं और विभिन प्रकार के संक्रमण के शिकार भी होते हैं। इनके काटने पे बच्चों का शरीर कई प्रकार के जानलेवा वायरस और बैक्टीरिया से संक्रमति हो जाता है। ऐसी स्थिति में बच्चे के बचाव के लिए उसको कुछ दावा और वैक्सीन देना पड़ता हैं।

कुत्ता चाहे पालतू हो या फिर जंगली, अगर काट ले तो 72 घंटे के अंदर एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए, नहीं तो डॉक्टरों के कथनानुसार यदि 72 घंटे के अंदर में मरीज इंजेक्शन नहीं लगवाता है तो, वह रेबीज रोग की चपेट में आ सकता है।
ऐसा होने के बाद रेबीज का कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं हैं। साथ जंगली जानवर के काटे जाने के बाद मरीज को चाहिए कि अगर घाव अधिक गहरा नहीं हो, तो उसको साबुन से कम से कम पंद्रह मिनट तक अवश्य धोएं।इसके बाद बीटाडीन से उसकी ठीक तरह से सफाई करे व घाव को कभी भी ढके नहीं।
अगर घाव अधिक गहरा हो तो तुरंत ही चिकित्सक की सलाह ले और उसकी साफ - सफाई का धयान दे।

घरों में पले हुए कुत्तों को एंटी रेबीज का टीका अवश्य ही लगवाया जाए। अगर किसी घाव पर गलती से कुत्ते की लार गिर जाती है तो उससे भी रेबीज हो जाता है।यदि एक बार मरीज रेबीज की चपेट में आ गया तो उसका कोई ईलाज नहीं हैं। हालांकि उपचार के माध्यम से मरीज को कुछ राहत प्रदान कि जा सकती है। रेबीज रोग 19 वर्षो तक रोगी को अपनी गिरफ्त ले सकता है। अगर आप के घर में छोटे बच्चे हैं तब तो नितांत आवश्यक हो जाता है की आप अपने पालतू जानवरों को एंटी रेबीज़ का इंजेक्शन लगवाएं।

कुछ जानवर जैसे कुत्ता, बंदर, सुअर, चमगादड़ आदि के काटने से जो लार व्यक्ति के खून में मिल जाती है, उससे रेबीज नामक बीमारी होने का खतरा रहता है। रेबीज रोग सीधे रोगी के मानसिक संतुलन को खराब कर देता है। जिससे रोगी का अपने दिमाग पर कोई संतुलन नहीं होता है, किसी भी चीज को देख कर भड़क सकता है।

इस दवा का प्रयोग करने से पहले, अपने डॉक्टर को अपनी वर्तमान दवाओं,एलर्जी, पहले से मौजूद बीमारियों, और वर्तमान स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में जानकारी प्रदान करें। कुछ स्वास्थ्य परिस्थितियां आपको दवा के दुष्प्रभावों के प्रति ज्यादा संवेदनशील बना सकती हैं। अपने डॉक्टर के निर्देशों के अनुसार दवा का सेवन करें या उत्पाद पर प्रिंट किये गए निर्देशों का पालन करें। खुराक आपकी स्थिति पर आधारित होती है। यदि आपकी स्थिति में कोई सुधार नहीं होता है या यदि आपकी हालत ज्यादा खराब हो जाती है तो अपने डॉक्टर को बताएं।
कुत्ते के काटने पर उपचार मे तीन या पांच इंजेक्शन लगाए जाते है। उपचार मे एंटी रेबीज वैक्सीन एंटी रेबीज वैक्सीन व एंटी रेबीज सीरम दिया जाता है। डॉक्टर घाव की ग्रेडिंग करने के बाद मरीज का डोज तीन या पांच इंजेक्शन तय करता है और इस आधार पर इस रोग का उपचार किया जाता है। लेकिन वैज्ञानिक तौर पर इस रोग का ठोस उपचार नहीं है बस वायरस के असर को कम करने के लिए कुछ वैक्सीनेशन बने हुए है

यदि आप एक ही समय पर अन्य दवाओं या उत्पादों का सेवन करते हैं तो एंटी रेबीज वैक्सीन का प्रभाव परिवर्तित हो सकता है। यह दुष्प्रभावों के प्रति आपके बच्चो के प्रति खतरे को बढ़ा सकता है या इसकी वजह से शायद आपकी दवा अच्छी तरह से काम ना करे। उन सभी दवाओं, विटामिनों और हर्बल सप्लीमेंट के बारे में अपने डॉक्टर को बताएं जिनका आप प्रयोग कर रहे हैं, ताकि आपके डॉक्टर दवा के परस्पर प्रभावों से बचने में आपकी सहायता कर सकें।
यदि आप एंटी रेबीज वैक्सीन के प्रति सेंसटिव हैं तो एंटी रेबीज वैक्सीन आप के लिए निषेध हो सकता हैं। इसके अतिरिक्त, यदि आपको निम्नलिखित समस्याएं हैं तो एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लिया जाना चाहिए।
निम्नलिखित उन संभावित दुष्प्रभावों की सूची है जो उन दवाओ से हो सकते हैं जिनमें एंटी रेबीज वैक्सीन शामिल होता है। ये दुष्प्रभाव संभव हैं, लेकिन हमेशा नहीं होते हैं। कुछ दुष्प्रभाव असामान्य और गंभीर हो सकते हैं। यदि आपको निम्नलिखित में से किसी भी दुष्प्रभाव का पता चलता है, और यदि ये कम नहीं होते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लें।
यदि आपको किसी ऐसे दुष्प्रभाव का पता चलता है जो ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है तो के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आप अपने स्थानीय खाद्य और दवा प्रबंधन अधिकारी को भी दुष्प्रभावों की सूचना दे सकते हैं।
यदि आपकी कोई खुराक छूट जाती है तो याद आने पर जल्दी से जल्दी खुराक का सेवन करें। यदि आपकी अगली खुराक का समय निकट है तो छूटी हुई खुराक छोड़ दें और अपने खुराक का शिड्यूल दोबारा शुरू करें। छूटी हुई खुराक को पूरा करने के लिए अतिरिक्त दवा का सेवन ना करें। यदि आप नियमित रूप से अपनी खुराक लेना भूल जा रहे हैं तो अलार्म लगाएं या अपने परिवार के किसी सदस्य को याद दिलाने के लिए कहें। यदि हाल में आपने कई खुराकें छोड़ दी हैं तो छूटी हुई दवाओं की भरपाई के लिए समय में परिवर्तन और नए समय के बारे में चर्चा करने के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
बताई गई खुराक से ज्यादा का सेवन ना करें। ज्यादा दवा के इस्तेमाल से आपके लक्षणों में सुधार नहीं होगा, बल्कि इससे नुकसान या गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आपने या किसी और ने एंटी रेबीज वैक्सीन की ज्यादा खुराक ले ली है तो कृपया अपने नजदीकी अस्पताल या नर्सिंग होम के इमरजेंसी विभाग में जाएँ। आवश्यक जानकारी पाने में डॉक्टर की सहायता करने के लिए अपने साथ मेडिसिन बॉक्स, कंटेनर या लेबल ले जाएँ।
यदि आपको पता है कि किसी व्यक्ति की स्थिति आपके समान है या यदि ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी बीमारी आपके जैसी है तो भी कभी अपनी दवाएं दूसरे लोगों को ना दें। इसकी वजह से दवा की अधिमात्रा हो सकती है।
ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या मेडिसिन सेलर या प्रोडक्ट पैकेज से सलाह लें।
दवाओं को कमरे के सामान्य तापमान पर रखें। दवाओं को फ्रीज़ में ना रखें जब तक कि अंदर दिए गए पैकेज के अनुसार या बताया नही गया हैं। दवाओं को बच्चों और पालतू जानवरों से दूर रखें।
दवाओं को टॉयलेट में ना बहाएं जब तक कि ऐसा करने के लिए बताया नहीं गया है। इस प्रकार से फेंकी गयी दवाएं एन्वॉयरमेंट को नुकसान पहुंचा सकती हैं। एंटी रेबीज वैक्सीन को सुरक्षित रूप से समाप्त करने के बारे में और अधिक जानकारी पाने के लिए अपने मेडिसिन सेलर या डॉक्टर से सलाह लें।
एक्स्पायर्ड एंटी रेबीज वैक्सीन का प्रयोग न करे।
UHT milk को अगर ना खोला कए तो यह साधारण कमरे के तापमान पे छेह महीनो तक सुरक्षित रहता है। यह इतने दिनों तक इस लिए सुरक्षित रह पता है क्योंकि इसे 135ºC (275°F) तापमान पे 2 से 4 सेकंड तक रखा जाता है जिससे की इसमें मौजूद सभी प्रकार के हानिकारक जीवाणु पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। फिर इन्हें इस तरह से एक विशेष प्रकार पे पैकिंग में पैक किया जाता है जिससे की दुबारा किसी भी तरह से कोई जीवाणु अंदर प्रवेश नहीं कर पाए। इसी वजह से अगर आप इसे ना खोले तो यह छेह महीनो तक भी सुरक्षित रहता है।
बच्चों को उनके उम्र और वजन के अनुसार हर दिन 700-1000 मिग्रा कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है जिसे संतुलित आहार के माध्यम से आसानी से पूरा किया जा सकता है। एक साल से कम उम्र के बच्चों को 250-300 मिग्रा कैल्शियम की जरुरत पड़ती है। किशोर अवस्था के बच्चों को हर दिन 1300 मिग्रा, तथा व्यस्क और बुजुर्गों को 1000-1300 मिग्रा कैल्शियम आहारों के माध्यम से लेने की आवश्यकता पड़ती है।
ये आहार माइग्रेन के दर्द को बढ़ाते करते हैं। अगर माइग्रेन है तो इन आहारों को न खाएं और न ही किसी ऐसे व्यक्ति को इन आहारों को खाने के लिए दें जिसे माइग्रेन हैं। इस लेख में हम आप को जिन आहारों को माइग्रेन के दौरान खाने से बचने की सलाह दे रहे हैं - आप ने अनुभव किया होगा की जब भी आप इन आहारों को कहते हैं तो 20 से 25 minutes के अंदर सर दर्द का अनुभव होने लगता है। पढ़िए इस लेख में विस्तार से और माइग्रेन के दर्द के दर्द से पाइये छुटकारा।
गर्भावस्था के दौरान बालों पे हेयर डाई लगाने का आप के गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पे बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही इसका बुरा प्रभाव आप के शारीर पे भी पड़ता है जिसे आप एलर्जी के रूप में देख सकती हैं। लेकिन आप कुछ सावधानियां बरत के इन दुष्प्रभावों से बच सकती हैं।
गर्भवती महिला में उल्टी और मतली का आना डोक्टर अच्छा संकेत मानते हैं। इसे मोर्निंग सिकनेस भी कहते हैं और इसकी वजह है स्त्री के शारीर में प्रेगनेंसी हॉर्मोन (hCG) का बनना। जाने क्योँ जरुरी है गर्भावस्था में उल्टी और मतली के लक्षण और इसके ना होने से गर्भावस्था को क्या नुक्सान पहुँच सकता है।
बदलते मौसम में शिशु को जुकाम और बंद नाक की समस्या होना एक आम बात है। लेकिन अच्छी बात यह है की कुछ बहुत ही सरल तरीकों से आप अपने बच्चों की तकलीफों को कम कर सकती हैं और उन्हें आराम पहुंचा सकती हैं।
कॉलरा वैक्सीन (Cholera Vaccine in Hindi) - हिंदी, - कॉलरा का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
बच्चों के हिचकी का कारण और निवारण - स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के बाद आप के बच्चे को हिचकी आ सकती है। यह होता है एसिड रिफ्लक्स (acid reflux) की वजह से। नवजात बच्चे का पेट तो छोटा सा होता है। अत्यधिक भूख लगने के कारण शिशु इतना दूध पी लेते है की उसका छोटा सा पेट तन (फ़ैल) जाता है और उसे हिचकी आने लगती है।
अगर आप का बच्चा दूध पीते ही उलटी कर देता है तो उसे रोकने के कुछ आसन तरकीब हैं। बच्चे को पीट पे गोद लेकर उसके पीट पे थपकी देने से बच्चे के छोटे से पेट में फसा गैस बहार आ जाता है और फिर उलटी का डर नहीं रहता है।
10वीं में या 12वीं की बोर्ड परीक्षा में ज्यादा अंक लाना उतना मुश्किल भी नहीं अगर बच्चा सही और नियमित ढंग से अपनी तयारी (पढ़ाई) करे। शुरू से ही अगर बच्चा अपनी तयारी प्रारम्भ कर दे तो बोर्ड एग्जाम को लेकर उतनी चिंता और तनाव का माहौल नहीं रहेगा।
फाइबर और पौष्टिक तत्वों से युक्त, मटर की प्यूरी एक बेहतरीन शिशु आहार है छोटे बच्चे को साजियां खिलने का| Step-by-step instructions की सहायता से जानिए की किस तरह आप ताज़े हरे मटर या frozen peas से अपने आँखों के तारे के लिए पौष्टिक मटर की प्यूरी कैसे त्यार कर सकते हैं|
आटे का हलुवा इतना पौष्टिक होता है की इसे गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है| आटे का हलुआ शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सबसे बेहतरीन शिशु आहार है। आटे का हलुवा शिशु के लिए उचित और सन्तुलित आहार है|
टीकाकरण के बाद बुखार होना आम बात है क्यूंकि टिके के जरिये बच्चे की शरीर का सामना संक्रमण से कराया जाता है। जानिए की आप किस तरह टीकाकरण के दुष्प्रभाव को कम कर सकती हैं।
सब्जियों की puree एक बहुत ही आसान तरीका है झटपट baby food त्यार करने का| बच्चे को हरी सब्जियां खिलाइये, मगर बाजार से baby food खरीद कर नहीं बल्कि ताज़ा घर में बना कर| घर में बने बच्चे के आहार में आप को पता रहेगा की आप के बच्चे के भोजन में क्या-क्या है| बाजार का बना बेबी फ़ूड महंगा भी बहुत होता है| घर पे आप इसे बहुत ही कम कीमत में बना लेंगे|
हर बच्चे को कम से कम शुरू के 6 महीने तक माँ का दूध पिलाना चाहिए| इसके बाद अगर आप चाहें तो धीरे-धीरे कर के अपना दूध पिलाना बंद कर सकती हैं| एक बार जब बच्चा 6 महीने का हो जाता है तो उसे ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए| जब आप ऐसा करते हैं तो धीरे धीरे कर अपना दूध पिलाना बंद करें।
अकॉर्डियन पेपर फोल्डिंग तकनीक से बनाइये घर पे खूबसूरत सा मोमबत्ती स्टैंड| बनाने में आसान और झट पट तैयार, यह मोमबत्ती स्टैंड आप के बच्चो को भी बेहद पसंद आएगा और इसे स्कूल प्रोजेक्ट की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है|
मेनिंगोकोकल वैक्सीन (Meningococcal Vaccination in Hindi) - हिंदी, - मेनिंगोकोकल का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
गर्मी के दिनों में बच्चों को सूती कपडे पहनाएं जो पसीने को तुरंत सोख ले और शारीर को ठंडा रखे। हर दो घंटे पे बच्चे को पानी पिलाते रहें। धुप की किरणों से बच्चे को बचा के रखें, दोपहर में बच्चों को लेकर घर से बहार ना निकाले। बच्चों को तजा आहार खाने को दें क्यूंकि गर्मी में खाने जल्दी ख़राब या संक्रमित हो जाते हैं। गर्मियों में आप बच्चों को वाटर स्पोर्ट्स के लिए भी प्रोत्साहित कर सकती हैं। इससे बच्चों के शरीर का तापमान कम होगा तथा उनका मनोरंजन और व्यायाम दोनों एक साथ हो जाएगा।
अगर आप का शिशु बहुत ज्यादा उलटी करता है, तो आप का चिंता करना स्वाभाविक है। बच्चे के पहले साल में दूध पिने के बाद या स्तनपान के बाद उलटी करना कितना स्वाभाविक है, इसके बारे में हम आप को इस लेख में बताएँगे। हर माँ बाप जिनका छोटा बच्चा बहुत उलटी करता है यह जानने की कोशिश करते हैं की क्या उनके बच्चे के उलटी करने के पीछे कोई समस्या तो नहीं। इसी विषेय पे हम विस्तार से चर्चा करते हैं।