Category: शिशु रोग
By: Salan Khalkho | ☺19 min read
आप पाएंगे कि अधिकांश बच्चों के दांत ठेडे मेढे होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे अपने दांतो का ख्याल बड़ों की तरह नहीं रखते हैं। दिनभर कुछ ना कुछ खाते रहते हैं जिससे उनके दांत कभी साफ नहीं रहते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चों यह दातों का थोड़ा ख्याल रखें तो आप उनके दातों को टेढ़े (crooked teeth) होने से बचा सकते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आपको अपने बच्चों के दातों से संबंधित कौन-कौन सी बातों का ख्याल रखना है, और अपने बच्चों को किन बातों की शिक्षा देनी है जिससे वे खुद भी अपने दांतो का ख्याल रख सके।


दांत के टेढ़े होने की वजह लापरवाही है और कुछ प्राकृतिक कारण हैं। जो प्राकृतिक कारण हाँ उन पे आप का कोई नियंत्रण नहीं है। लकिन अगर दांत लापरवाही की वजह से टेढ़े हो रहे हैं, तो आप कुछ सावधानियां बरत कर इन्हें टेढ़े होने से बचा सकती है।
दोनों असावधानियों के बारे में हम आप को इस लेख बताएँगे।
बच्चों के दांत निम्न कारणों से टेढ़े होते हैं। अगर आप थोडा ख्याल रखें तो आप उनके दातों को टेढ़े होने से बचा सकती हैं।
अंगूठा चुसना बच्चों को मानसिक शांति और सुरक्षा की भावना प्रदान करता है। बच्चों का अंगूठा चूसना बिलकुल सामान्य बात है अगर आप का शिशु चार साल का है या इससे छोटा है।
3 साल की उम्र पार करते करते आप कोशिश करनी चाहिए कि आपके बच्चे की अंगूठा चूसने की आदत अब खत्म होने लगे। बेहतर तो यह होगा कि आपका बच्चा 4 साल का होते-होते अंगूठा चूसना पूरी तरह बंद कर दे।

लेकिन अगर आपका शिशु 5 साल का हो गया है और अभी भी अपना अंगूठा चूसता है तो उसकी यह आदत उसके दांतो को खराब कर देगी।
अंगूठा चूसने से दांत जबड़े को बाहर की तरफ धकेल देते हैं जिससे जबड़े अपने स्थान से हट जाते हैं और फिर उसी तरह विकसित होने लगते हैं।
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जब बच्चों के दूध के दांत खत्म होते हैं और स्थाई दांत उगते हैं तो जबड़ों की स्थिति विकृत होने की वजह से स्थाई दांत टेढ़े (crooked teeth) होने लगते हैं, जिन्हें ठीक करना मुश्किल काम है - और दांतों के डॉक्टर की सहायता लेनी पड़ती है।
लेकिन अगर आपके बच्चे 4 साल की उम्र पहुंचते पहुंचते अंगूठा चूसने की आदत पूरी तरह छोड़ दें, तो उनके दांत कब टेढ़े (crooked teeth) होंगे ही नहीं।
आप अपने बच्चे को ऐसे कामों में व्यस्त कर दें जिससे उन्हें अंगूठा चूसने की नौबत ही ना पड़े। इसके लिए इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे अधिकांश मामलों में अंगूठे तक चूसते हैं जब उन्हें भूख लगती है, उन्हें बोर महसूस होता है, वे थके हुए होते हैं यह हताहाश होते हैं।
कोशिश करें कि यह नौबत ना आए, बच्चों को समय पर आहार दें, या अगर आपके बच्चे थक गए हैं तो उन्हें सोने में मदद करें।
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अगर आपका शिशु बोर महसूस कर रहा है तो आप उसे कोई अन्य खिलौना खेलने को दे सकते हैं। बच्चों में अंगूठा चूसने की आदत को खत्म करने के लिए हमारी इस लेख को जरूर पढ़ें।
बच्चों की दांत की खराब होने की दूसरी सबसे बड़ी वजह - उनके दातों का साफ नहीं रहना है। बच्चे हर वक्त कुछ ना कुछ खाते रहते हैं जिससे उनके दातों में हमेशा कुछ ना कुछ आहार रहता है जो उनके दांतों में कीटाणुओं को बढ़ने के लिए मौका प्रदान करता है।
यह संभव नहीं है कि आप अपने बच्चे के दातों को हर आहार के बाद साफ करें। लेकिन आप इस बात का ध्यान रख सकती हैं कि सुबह उठने के बाद सबसे पहले आप का शिशु अपने दांतों को ठीक तरह से साफ करें, और रात को सोने से पहले भी अपने दांतों को ठीक से साफ़ करें।
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इससे आपके शिशु के दांतो में और उसके मसूड़ों में कीड़े नहीं लगेंगे और दांत खराब नहीं होंगे। अगर आपके बच्चों के दांत स्वस्थ है - तो इस बात की पूरी संभावना है कि उसके दांत एक सीध में और खूबसूरत उगेंगे।
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बच्चे बड़ों की नकल करना पसंद करते हैं, विशेषकर अपने माता पिता की। इसीलिए, सुबह और रात को सोने से पहले जब आप अपने दांतो को साफ करें तो उसी समय अपने बच्चों को भी ब्रश दें ताकि वे भी अपने दांतो को साफ करें।
इस तरह हर दिन करने से आपके बच्चों में हर दिन अपने दांतों को साफ करने की आदत पड़ जाएगी। फिर आपको कभी भी उनको अपने दांतो को साफ करने के लिए बोलना नहीं पड़ेगा, वे खुद ही अपने दांतो को निर्धारित समय पर हर दिन साफ करना चाहेंगे।
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कई बार ऐसे मामले होते हैं जब कुछ बच्चों के दूध के दांत समय से पहले दुर्घटना की वजह से टूट जाते हैं। उदाहरण के लिए - खेलते खेलते झूले से गिर जाने की वजह से दांत का टूट जाना, या तेजी से दौड़ते वक्त दरवाजे या दीवार से टकराकर गिरने की वजह से दातों का टूट जाना, इत्यादि।
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अगर आपके बच्चे के दूध के दांत टूट जाए, तो दो दांतो के बीच में एक रिक्त स्थान पैदा हो जाता है। इससे अगल बगल के दातों को खेलने का मौका मिलता है और वह सामान्य से ज्यादा बड़े हो जाते हैं।
यह स्थिति अच्छी नहीं है क्योंकि जब दांतो को फैलने का मौका मिलता है तो वे जबड़े में बने अपने स्थान को भी जोड़ा कर देते हैं।

बाद में जब स्थाई दांत उगते हैं तो उन्हें पर्याप्त स्थान बढ़ने के लिए नहीं मिलता है। इस वजह से बाद में जो स्थाई दांत आते हैं वे टेढ़े (crooked teeth) उगते हैं।
अगर आपके बच्चे के दूध के दांत समय से पहले टूट गए हैं तो आप अपने बच्चे को दांतों के डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
दांतो का डॉक्टर आपके शिशु के अगल-बगल के दांतो का निरीक्षण करेगा और इस बात का आकलन करेगा कि क्या कोई उपाय करने की आवश्यकता है या नहीं। और अगर उपाय करने की आवश्यकता है तो दातों का डॉक्टर आपको इसके बारे में बताएगा।
यह लेख बच्चों पर आधारित है। इस लेख में हमने कोशिश किया है कि ऐसी सावधानियों के बारे में आपको बताएं जिनका अगर पालन किया जाए तो बच्चों के दांत कभी टेढ़े (crooked teeth) हो ही नहीं।
लेकिन चौकी दांतों का टेढ़े (crooked teeth) होना बड़ों के लिए भी एक गंभीर विषय है, इसीलिए इस लेख में हम आपको यही बताएंगे कि व्यस्क लोगों को कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि उनके दांत खराब ना हो।
तो चलिए देखते हैं कि कौन कौन सी वजह है जिन से बड़ों के भी दाम टेढ़े (crooked teeth) हो सकते हैं।
यह सुनने में थोड़ा अजीब सा लगता है कि पेट के बल सोने की वजह से भी दांत टेढ़े (crooked teeth) हो सकते हैं। लेकिन जब आप पीठ के बल सोते हैं, सिर को एक तरफ करके तो आपके चेहरे पर खून का दबाव बढ़ता है।

अगर आपको पेट के बल सोने की आदत है, तो इस परिस्थिति में हर दिन चेहरे पर खून का दबाव बनता है। हर रात, बार-बार इस प्रकार का दबाव बनने की वजह से दांत और मसूड़ों के आकार में परिवर्तन होता है जिसकी वजह से दांत बाहर की तरफ निकले हुए दिखने लगते हैं।
कई बार दांत एक दूसरे के ऊपर चढ़ने की भी कोशिश करते हैं। सोने की वजह से अपने दांतो को खराब होने से बचाने के लिए आप हर दिन अलग स्थिति (position) में सोने की कोशिश करें। इससे दांतों पर, जबड़ों पे, और चेहरे पर एक ही तरह का दबाव हर दिन बार-बार नहीं पड़ेगा।
अगर किसी दुर्घटना हुआ आपके दांत टूट जाएं, तो अगल-बगल के दांत समय के साथ-साथ उसके स्थान को फेंकने की कोशिश करेंगे। इस कोशिश में दांत अपने स्थान से खस्केंगे और अपनी खूबसूरती को खो देंगे।
आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प यह है कि जैसे ही आपके दांत किसी दुर्घटना वश टूटे, आप दांतों के डॉक्टर से मिले और टूटे हुए दांत की स्थान पर अन्य विकल्प के बारे में परामर्श करें।
टूटे हुए दांत की जगह को भरने के लिए आज बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं जो आपके चेहरे की खूबसूरती को भी बढ़ाएंगे और अगल बगल के दांतो को खराब होने से भी बचाएंगे।
क्या काम करते वक्त आपको अपने मुंह में कलम डालकर चबाने की आदत है, या नाखून उतरने की आदत है, या आप अत्यधिक मात्रा में toothpicks कच्चे माल करती हैं, या जरूरत से ज्यादा चिंगम खाती हैं, तो भी पूरी संभावना है कि आगे चलकर कुछ समय बाद आपके दांत टेढ़े (crooked teeth) हो जाएंगे।

कुछ न कुछ मुंह में डालकर हर जवानी की वजह से दांतों पर अनावश्यक दबाव बनता है। यह अनावश्यक दबाव जब बार-बार पड़ता है तो यह दातों को अपने स्थान से घर का देता है जिससे दांत टेढ़े (crooked teeth) बनते हैं और अपने खूबसूरती को खो देते हैं।
दांत चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लोग उन लोगों को ज्यादा पसंद करते हैं जिनके दांत एक सीध में होते हैं, खूबसूरत होते हैं और सफेद होते हैं। ऊपर बताई गई बातों का अगर आप ध्यान रखें तो आपकी भी दांत सुंदर स्वस्थ और एक सीध में रहेंगे।
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छोटे बच्चों के मसूड़ों के दर्द को तुरंत ठीक करने का घरेलु उपाय हम आप को इस लेख में बताएँगे। शिशु के मसूड़ों से सम्बंधित तमाम परेशानियों को घरेलु नुस्खे के दुवारा ठीक किया जा सकता है। घरेलु उपाय के दुवारा बच्चों के मसूड़ों के दर्द को ठीक करने का सबसे बड़ा फायेदा ये होता है की उनका कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। यह शिशु के नाजुक शारीर के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं और इनसे किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होने का भी डर नहीं रहता है। लेकिन बच्चों का घरेलु उपचार करते समय आप को एक बात का ध्यान रखना है की जो घरेलु उपचार बड़ों के लिए होते हैं - जरुरी नहीं की बच्चों के लिए भी वह सुरक्षित हों। उदाहरण के लिए जब बड़ों के मसूड़ों में दरद होता है तो दांतों के बीच लोंग दबा लेने से आराम पहुँचता है। लेकिन यह विधि बच्चों के लिए ठीक नहीं है क्यूंकि इससे बच्चों को लोंग के तेल से छाले पड़ सकते हैं। बच्चों के लिए जो घरेलु उपाय निर्धारित हैं, केवल उन्ही का इस्तेमाल करें बच्चों के मसूड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए।
आसन घरेलु उपचार दुवारा अपने बच्चे के शारीर से चेचक, चिकन पॉक्स और छोटी माता, बड़ी माता के दाग - धब्बों को आसानी से दूर करें। चेचक में शिशु के शारीर पे लाल रंग के दाने निकल, लेकिन अफ़सोस की जब शिशु पूरितः से ठीक हो जाता है तब भी पीछे चेचक - चिकन पॉक्स के दाग रह जाते हैं। चेचक के दाग के निशान चेहरे और गर्दन पर हो तो वो चेहरे की खूबसूरती को बिगाड़ देते है। लेकिन इन दाग धब्बों को कई तरह से हटाया जा सकता है - जैसे की - चिकन पॉक्स के दाग हटाने के लिए दवा और क्रीम इस्तेमाल कर सकती हैं और घरेलु प्राकृतिक उपचार भी कर सकती हैं। हम आप को इस लेख में सभी तरह के इलाज के बारे में बताने जा रहें हैं।
सुपरफूड हम उन आहारों को बोलते हैं जिनके अंदर प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। सुपर फ़ूड शिशु के अच्छी शारीरिक और मानसिक विकास में बहुत पूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये बच्चों को वो सभी पोषक तत्व प्रदान करते हैं जो शिशु के शारीर को अच्छी विकास के लिए जरुरी होता है।
मीठी चीनी किसे पसंद नहीं। बच्चों के मन को तो ये सबसे ज्यादा लुभाता है। इसीलिए रोते बच्चे को चुप कराने के लिए कई बार माँ-बाप उसे एक चम्मच चीनी खिला देते हैं। लेकिन क्या आप को पता है की चीनी आप के बच्चे के विकास को बुरी तरह से प्रभावित कर देते है। बच्चों को चीनी खिलाना बेहद खतरनाक है। इस लेख में आप जानेंगी की किस तरह चीनी शिशु में अनेक प्रकार की बिमारियौं को जन्म देता है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार चार से छह महीने पे शिशु शिशु का वजन दुगना हो जाना चाहिए। 4 महीने में आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए ये 4 बातों पे निर्भर करता है। शिशु के ग्रोथ चार्ट (Growth charts) की सहायता से आप आसानी से जान सकती हैं की आप के शिशु का वजन कितना होना चाहिए।
6 महीने के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। जबकि 6 महीने की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
घरेलु नुस्खे जिनकी सहायता से आप अपने बच्चे के पेट में पल रहे परजीवी (parasite) बिना किसी दवा के ही समाप्त कर सकेंगे। पेट के कीड़ों का इलाज का घरेलु उपाए (stomach worm home remedies in hindi). शिशु के पेट के कीड़े मारें प्राकृतिक तरीके से (घरेलु नुस्खे)
कोई जरुरत नहीं की बच्चे बरसात के दिनों में घर की चार दीवारों के बीच सिमट के रह जाएँ| इन मजेदार एक्टिविटीज के जरिये बनाये घर पर ही बच्चों के लिए मजेदार माहौल|
अगर आप किसी भी कारण से अंगूर का छिलका उतरना चाहते हैं, तो इसका एक आसन और नायब तरीका है जिसके मदद से आप झट से ढेरों अंगूर के छिलकों को निकल सकते हैं| अब आप बिना समस्या के आसानी से अंगूर का छिलका उत्तार सकेंगे|
मछली में omega-3 fatty acids होता है जो बढ़ते बच्चे के दिमाग के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है| ये बच्चे के nervous system को भी मजबूत बनता है| मछली में प्रोटीन भी भरपूर होता है जो बच्चे के मांसपेशियोँ के बनने में मदद करता है और बच्चे को तंदरुस्त और मजबूत बनता है|शिशु आहार - baby food
6 month से 2 साल तक के बच्चे के लिए गाजर के हलुवे की रेसिपी (recipe) थोड़ी अलग है| गाजर बच्चे की सेहत के लिए बहुत अच्छा है| गाजर के हलुवे से बच्चे को प्रचुर मात्रा में मिलेगा beta carotene and Vitamin A.
दो साल के बच्चे के लिए मांसाहारी आहार सारणी (non-vegetarian Indian food chart) जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं। अगर आप सोच रहे हैं की दो साल के बच्चे को baby food में क्या non-vegetarian Indian food, तो समझिये की यह लेख आप के लिए ही है।
बच्चों के शुरुआती दिनों मे जो उनका विकास होता है उसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है| इसका असर उनके बाकि के सारी जिंदगी पे पड़ता है| इसी लिए बेहतर यही है की बच्चों को घर का बना शिशु-आहार (baby food) दिया जाये जो प्राकृतिक गुणों से भरपूर हों|
सेक्स से सम्बंधित बातें आप को अपने बच्चों की उम्र का ध्यान रख कर करना पड़ेगा। इस तरह समझएं की आप का बच्चा अपने उम्र के हिसाब से समझ जाये। आप को सब कुछ समझने की जरुरत नहीं है। सिर्फ उतना बताएं जितना की उसकी उम्र में उसे जानना जरुरी है।
आपका बच्चा जितना तरल पदार्थ लेता हैं। उससे कही अधिक बच्चे के शरीर से पसीने, दस्त, उल्टी और मूत्र के जरिये पानी बाहर निकल जाता है। इसी स्तिथि को डिहाइड्रेशन कहते हैं। गर्मियों में बच्चे को डिहाइड्रेशन का शिकार होने से बचने के लिए, उसे थोड़े-थोड़े समय पर, पुरे दिन तरल पदार्थ या पानी देते रहना पड़ेगा।
हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (HIB) वैक्सीन (Hib Vaccination। Haemophilus Influenzae Type b in Hindi) - हिंदी, - हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (HIB) का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
गर्मी के दिनों में बच्चों को सूती कपडे पहनाएं जो पसीने को तुरंत सोख ले और शारीर को ठंडा रखे। हर दो घंटे पे बच्चे को पानी पिलाते रहें। धुप की किरणों से बच्चे को बचा के रखें, दोपहर में बच्चों को लेकर घर से बहार ना निकाले। बच्चों को तजा आहार खाने को दें क्यूंकि गर्मी में खाने जल्दी ख़राब या संक्रमित हो जाते हैं। गर्मियों में आप बच्चों को वाटर स्पोर्ट्स के लिए भी प्रोत्साहित कर सकती हैं। इससे बच्चों के शरीर का तापमान कम होगा तथा उनका मनोरंजन और व्यायाम दोनों एक साथ हो जाएगा।
ठोस आहार के शुरुवाती दिनों में बच्चे को एक बार में एक ही नई चीज़ दें। नया कोई भी भोजन पांचवे दिन ही बच्चे को दें। इस तरह से, अगर किसी भी भोजन से बच्चे को एलर्जी हो जाये तो उसका आसानी से पता लगाया जा सकता है।
नवजात बच्चों द्वारा बार-बार उल्टी करना सामान्य बात है क्योंकि वे अपने खाद्य - पदार्थ के साथ में तालमेल बिठा रहे होते हैं और उनका शरीर विकसित हो रहा होता है। उलटी के गंभीर लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले।