Category: स्वस्थ शरीर
By: Salan Khalkho | ☺3 min read
कुछ बातों का अगर आप ख्याल रखें तो आप अपने बच्चों को गर्मियों के तीखे तेवर से बचा सकती हैं। बच्चों का शरीर बड़ों की तरह विकसित नहीं होता जिसकी वजह से बड़ों की तुलना में उनका शरीर तापमान को घटाने और रेगुलेट करने की क्षमता कम रखता है।

गर्मियों के मौसम में जब पारा 45 डिग्री को पर करता है तो बड़े बड़ों का जीना मुश्किल हो जाता है। ऐसे मैं बच्चों का विशेष ख्याल रखना बहुत जरुरी हो जाता है। बच्चों का शरीर बड़ों की तरह विकसित नहीं होता जिसकी वजह से बड़ों की तुलना में उनका शरीर तापमान को घटाने और रेगुलेट करने की क्षमता कम रखता है।
जब गर्मी अपने चरम पे पहुँचता है तो उसका असर बच्चे की सेहत पे दिखने लगता है। ऐसा इसलिए क्योँकि हमारा शरीर एक निश्चित तापमान पे ही (37 डिग्री तक) ठीक ढंग से काम कर सकता है। तापमान इससे जायदा होने पर बहुत सारे शरीक क्रियाओं पे इसका बुरा असर पड़ता है। यहां तक की एक निश्चित तापमान से ज्यादा होने पर हम बीमार तक महसूस करने लगते हैं।
यहां पर हम आप को कुछ बातें बता रहें हैं जिनका अगर आप ख्याल रखें तो आप अपने बच्चों को गर्मियों के तीखे तेवर से बचा सकती हैं।
गर्मियों में अपने बच्चों को हलके रंग के तथा जितना हो सके सूती के कपडे पहनाएं। ये ना केवल आरामदायक होंगे बल्कि यह आप के बच्चों के शरीर हवादार रखेंगे पसीने को आसानी से सोखेंगे। दूसरे मटेरियल के कपडे शरीरी से निकलने वाले पसीने को बहार जाने का उचित रास्ता प्रदान नहीं करेंगे और शरीर से चिपक कर परेशानी पैदा करेंगे। जो कपडे शरीर के पसीने को सूखने में मदद करते हैं वो गर्मियों में ठंडक पहुंचते हैं। गर्मियों के मौसम में शरीर बहुत तेजी से पसीने के रूप में तरल (पानी) खोता है जिसकी वजह से वजह से रक्त गाढ़ा होने लगता है।। ऐसे स्थिति में शरीर से पानी की कमी (dehydration) को पूरा करने के लिए अपने बच्चों को दिन भर थोड़ी-थोड़ी देरी पर पेय पदार्थ दें। गर्मियों में ठंडा पानी आपके बच्चे को रहत प्रदान करेगा, पानी की कमी को पूरा करेगा और शरीर के तापमान को भी बहुत हद तक काम करने मैं मदद करेगा। पेय पदार्थ जैसे जूस, शरबत वगैरह आप के बच्चे को अतिरिक्त ऊर्जा भी प्रदान करेंगे। लेकिन ध्यान रहे, चीनी का अत्यधिक सेवन (पेय पदार्थ के रूप में) शरीर के लिए अच्छा नहीं है। ये तरह तरह के बिमारियों को निमंत्रण देता है। सदा ठंडा जल सेहत के लिए सबसे अच्छा है। गर्मियों में बच्चों को नहलाने से दो फायदे होते हैं। उनके शरीर का तापमान कम होता है और त्वचा भी साफ होती है। और तो और त्वचा के छिद्र भी खुल जाते हैं जो पसीने को शरीर से आराम से निकलने में मदद करते हैं। बहुत माएँ अपने बच्चों को गर्मियों से बचने के लिए पाउडर लगाती है। यह गर्मियों से बचने को बहुत अच्छा विकल्प नहीं है। पाउडर त्वचा के छिद्र बंद कर देता है और इससे एलर्जी भी होने का डर होता है। AC और कूलर कमरे के वातावरण को अनुकूल करने का अच्छा तरीका है। मगर ध्यान रहे एक निश्चित तापमान से काम होने पर शारीरिक क्रिया बाधित होती है। छोटे बच्चों के लिए 27 डिग्री से काम का तापमान अच्छा नहीं है। अगर बच्चे बहार से खेल के आयें हों तो उन्हें तुरंत AC और कूलर के ठण्ड से बचना चाहिए। ऐसे मैं शरीर का तापमान तेज़ी से गिरता है जो उचित नहीं। सर्द-गरम से उन्हें बीमार होने का खतरा रहेगा। अगर आप कूलर का इस्तेमाल कर रहे हों तो समय-समय पर पानी बदनला ना भूलें। रुके पानी में मछर पनपते हैं और मलेरिया की सम्भावना को बढ़ाते हैं। अगर आप के घर के पास वाटर स्पोर्ट्स का विकल्प (व्यवस्था) है तो अपने बच्चों को उसका आनंद लेने दे। उन्हें तैरने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे एक साथ तीन मकसद पुरे होंगे - आप के बच्चे के शरीर का तापमान काम होगा, उसका मनोरंजन होगा और तो और तैरना एक अच्छा मनोरंजन भी है। गर्मियों में उदार के संक्रमण की सम्भावना काफी बढ़ जाती है। भोजन जल्दी ख़राब हो जाते हैं। जीवाणु जल्दी पनपते है और बीमारियां जैसे की उल्टी दस्त, जॉन्डिस और टाइफाइड का खतरा काफी बढ़ जाता है। छोटे बच्चों में विभिन रोगों से लड़ने की छमता काम होती है। इसीलिए एतिहात के तौर पे अपने बच्चों को तजा भोजन ही खिलाएं और सुरक्षित जल दें पिने के लिए। अगर आप के बच्चे स्तनपान करने की अवस्था में हैं तो उन्हें थोड़े थोड़े समयांतराल पर स्तनपान कराते रहें। माँ का दूध हर इन्फेक्शन से शुद्ध है और पोषण के साथ साथ भर पुर मात्रा मैं पानी की कमी को भी पूरा करता है। 1. गर्मियों में बच्चों को हलके कपडे पहनाएं

2. बच्चों के शरीर में पानी की कमी ना होने दें

3. बच्चों को नहलाने के फायदे

4. AC और कूलर है अच्छा विकल्प

5. बच्चों को लेने दें वाटर स्पोर्ट्स का आनंद

6. उदार के संक्रमण से सावधान

7. स्तनपान सबसे अच्छा

गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में विटामिन ए बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसकी कमी की खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में दैनिक आवश्यकता के अनुसार विटामिन ए मिले तो उससे गर्भ में पल रहे उसकी शिशु किसी के फेफड़े मजबूत बनते (strong lungs) हैं, आंखों की दृष्टि बेहतर होती है और त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है।
विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह से मदद करते हैं। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, शरीर के जख्मों को ठीक करते हैं, आंखों की दृष्टि को मजबूत बनाते हैं और शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करते हैं। लेकिन गर्भावस्था के द्वारा विटामिन आपके लिए और की आवश्यक हो जाता है। इस लेख में हम आपको 6 ऐसे महत्वपूर्ण विटामिन के बारे में बताएंगे जो अगर गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर को आहार के माध्यम से ना मिले तो यह आपके लिए तथा आपके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर का उतार चढाव, माँ और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में बिस्तर पर आराम करना चाहिए। सादा और सरल भोजन करना चाहिए। पानी और तरल का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। नमक का सेवन सिमित मात्र में करना चाहिए। लौकी का रस खाली पेट पिने से प्रेगनेंसी में बीपी की समस्या को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
गर्भपात बाँझपन नहीं है और इसीलिए आप को गर्भपात के बाद गर्भधारण करने के लिए डरने की आवश्यकता नहीं है। कुछ विशेष सावधानियां बारात कर आप आप दुबारा से गर्भवती हो सकती हैं और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। इसके लिए आप को लम्बे समय तक इन्तेजार करने की भी आवश्यकता नहीं है।
गर्भावस्था में उलटी आम बात है, लेकिन अगर दिन में थोड़े-थोड़े समय में ही तीन बार से ज्यादा उलटी हो जाये तो इसका बच्चे पे और माँ के स्वस्थ पे बुरा असर पड़ता है। कुछ आसान बातों का ध्यान रख कर आप इस खतरनाक स्थिति से खुद को और अपने होने वाले बच्चे को बचा सकती हैं। यह मोर्निंग सिकनेस की खतरनाक स्थिति है जिसे hyperemesis gravidarum कहते हैं।
डिस्लेक्सिया (Dyslexia) से प्रभावित बच्चों को पढाई में बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है। ये बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। डिस्लेक्सिया (Dyslexia) के लक्षणों का इलाज प्रभावी तरीके से किया जा सकता है। इसके लिए बच्चों पे ध्यान देने की ज़रुरत है। उन्हें डांटे नहीं वरन प्यार से सिखाएं और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करें।
6 महीने की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच होनी चाहिए। जबकि 6 महीने के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, अगर शिशु को एलर्जी नहीं है, तो आप उसे 6 महीने की उम्र से ही अंडा खिला सकती हैं। अंडे की पिली जर्दी, विटामिन और मिनिरल का बेहतरीन स्रोत है। इससे शिशु को वासा और कोलेस्ट्रॉल, जो उसके विकास के लिए इस समय बहुत जरुरी है, भी मिलता है।
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स्तनपान या बोतल से दूध पिने के दौरान शिशु बहुत से कारणों से रो सकता है। माँ होने के नाते यह आप की जिमेदारी हे की आप अपने बच्चे की तकलीफ को समझे और दूर करें। जानिए शिशु के रोने के पांच कारण और उन्हें दूर करने के तरीके।
सरसों का तेल लगभग सभी भारतीय घरों में पाया जाता है क्योंकि इसके फायदे हैं कई। कोई इसे खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करता है तो कोई इसे शरीर की मालिश करने के लिए इस्तेमाल करता है। लेकिन यह तेल सभी घरों में लगभग हर दिन इस्तेमाल होने वाला एक विशेष सामग्री है।
अगर आप भी अपने लाडले को भारत के सबसे बेहतरीन बोडिंग स्कूलो में पढ़ने के लिए भेजने का मन बना रहे हैं तो निचे दिए बोडिंग स्कूलो की सूचि को अवश्य देखें| आपका बच्चा बड़ा हो कर अपनी जिंदगी में ना केवल एक सफल व्यक्ति बनेगा बल्कि उसे शिक्षा के साथ इन बोडिंग स्कूलो से मिलगे ढेरों खुशनुमा यादें|
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गलतियों से सीखो। उनको दोहराओ मत। ऐसी ही कुछ गलतियां हैं। जो अक्सर माता-पिता करते हैं बच्चे को अनुशासित बनाने में।
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और teenage वाली उम्र में आते हैं उनके शरीर में तेज़ी से अनेक बदलाव आते हैं। अधिकांश बच्चे अपने माँ बाप से इस बारे कुछ नहीं बोलते। आप अपने बच्चों को आत्मविश्वास में लेकर उनके शरीर में हो रहे बदलाव के बारे में उन्हें समझएं ताकि उन्हें किसी और से कुछ पूछने की आवश्यकता ही न पड़े।