Category: बच्चों का पोषण
By: Admin | ☺11 min read
बढ़ते बच्चों के लिए विटामिन और मिनिरल आवश्यक तत्त्व है। इसके आभाव में शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है। अगर आप अपने बच्चों के खान-पान में कुछ आहारों का ध्यान रखें तो आप अपने बच्चों के शारीर में विटामिन और मिनिरल की कमी होने से बचा सकती हैं।
बढ़ते बच्चों को सही शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कई प्रकार के विटामिन और मिनरल की आवश्यकता पड़ती है।
बच्चों को उनके आहार से मिलने वाले विटामिन और मिनरल्स, शिशु की हड्डियों को, उनके मांसपेशियों को, और जरूरी अंगों, के निर्माण में सहायक होते हैं तथा अनेक प्रकार के संक्रमण से भी बचाते हैं।
अगर बच्चे को उसके बढ़ती उम्र में हर दिन सही मात्रा में सभी आवश्यक विटामिन और मिनरल ना मिले तो शिशु को कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास भी बाधित होता है।
आप के बढ़ते बच्चे को कई प्रकार के आवश्यक विटामिन और मिनरल की आवश्यकता पड़ती है। बच्चे के शरीर को इनकी जरूरत पड़ती है स्वास्थ्य विकास के लिए और अपनी सुरक्षा करने के लिए।
बढ़ते बच्चों के लिए आवश्यक विटामिन है - A, B, C, D, E और K, तथा आवश्यक मिनरल्स हैं - कैल्शियम, आयरन, आयोडीन, और जिंक।
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अगर कुछ समय अंतराल तक आपके बच्चे को उचित मात्रा में सभी आवश्यक विटामिन और मिनरल ना मिले तो उसका शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है।
इस अवस्था को विटामिन और मिनरल्स की कमी कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि अब आपके शिशु के शरीर में कुछ महत्वपूर्ण विटामिन और मिनरल की कमी हो गई है जिसकी वजह से आपके शिशु का शरीर सुचारु रुप से कार्य करने में सक्षम नहीं है।
अगर आपका शिशु हर दिन कुछ ही प्रकार के आहार (restricted diet) खा रहा है, तो आप को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
थोड़ी सी समझदारी के साथ आप अपने शिशु के डाइट में ऐसे आहरों को सम्मिलित कर सकती हैं जो शिशु के शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी को पूरा कर सके।
जो बच्चे अत्यधिक मात्रा में कोल्ड ड्रिंक, आलू के चिप्स और केक का सेवन करते हैं उनमें विटामिन और मिनरल की कमी होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों का पेट कोल्ड ड्रिंक और चिप्स और केक वगैरा से भर जाने के कारण वह उन आहारों को ग्रहण नहीं कर पाता है जिनसे उसके शरीर को आवश्यक विटामिन और मिनरल मिल सकें।
हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे विटामिन के बारे में जिनके कमी से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं। यह विटामिन है:
बच्चों में विटामिन डी की कमी होने से उसे रिकेट्स (rickets - सूखा रोग) तथा हड्डियों से संबंधित रोग होने की संभावना रहती है।
शिशु के शरीर में विटामिन B12 की कमी होने से उसके शरीर में खून की कमी हो जाती है। जो बच्चे केवल शाकाहारी आहारों पर निर्भर करते हैं उनके मां बाप को इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि उनके बच्चों को विटामिन B12 की आवश्यक मात्रा मिल सके।
अगर शिशु को उसके आहार से आवश्यक मात्रा में विटामिन B12 नहीं तो आपको अपने शिशु के डॉक्टर से मिलना चाहिए और उसकी राय पर आप अपने बच्चे को विटामिन B12 सप्लीमेंट भी दे सकती हैं।
बच्चों में कैल्शियम की कमी से उनमें रिकेट्स (rickets - सूखा रोग), ऑस्टियोपीनिया, और ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) होने की संभावना रहती है। ऑस्टियोपीनिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियों की घनिष्ठता (density) कम हो जाती है।
शिशु के शरीर में आयोडीन की कमी उसके विकास को कई प्रकार से प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए अगर बच्चे को पर्याप्त आयोडीन ना मिले तो उसे गण्डमाला (goitre) तथा कई अन्य प्रकार की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
आयोडीन की कमी शिशु के बौद्धिक क्षमता को भी प्रभावित करता है। इसी कमी शिशु को बौद्धिक रूप से अपंग बना सकती है।
बड़ों की तुलना में बच्चों में आयरन की कमी होने की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों के बढ़ते शरीर को आयरन की ज्यादा जरूरत होती है।
जो बच्चे पूर्ण रूप से शाकाहारी हैं उनमें आयरन की कमी के होने की संभावना और भी ज्यादा बढ़ जाती है। शाकाहारी आहारों में कुछ बहार ऐसे हैं जो शरीर में आयरन की कमी को पूरा करते हैं।
शिशु के शरीर में आयरन की कमी से उसे coeliac diseas तथा gastrointestinal blood loss हो सकता है। किशोर अवस्था की लड़कियों में पीरियड की वजह से खून की कमी होने का खतरा रहता है। आयरन की कमी से शिशु को थकान, ध्यान केंद्रित ना कर पाना और त्वचा में पीलापन के लक्षण देखे जा सकते हैं।
शिशु में सभी आवश्यक विटामिन और मिनरल की कमी को पूरा करने का सबसे बेहतर तरीका है कि आप अपने शिशु को अनेक प्रकार के फल सब्जियों और आहार खिलाएं।
शिशु का शरीर विटामिन और मिनरल्स को आसानी से अवशोषित कर लेता है जब उसे ये पोषक तत्व प्राकृतिक आहारों से मिलते हैं।
यहां पर हम आपको बताने जा रहे हैं उन सभी विटामिंस के बारे में जो आपकी शिशु के विकास के लिए बहुत जरूरी है। हम आपको यह भी बताएंगे कि आप अपने शिशु को यह विटामिन किन-किन आहारों के द्वारा प्रदान कर सकते हैं।
शिशु के शरीर को विटामिन A प्राप्त होता है संतरे, गाजर, गंजी (sweet potato), मीट, दूध, अंडा और कलेजी से। शिशु को विटामिन A की आवश्यकता पड़ती है आंखों के अच्छी विकास के लिए, त्वचा के लिए और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता के मजबूती के लिए।
शिशु को विटामिन B1 (thiamine) मिलता है मछली, मीट, ईस्ट एक्सट्रेक्ट (yeast extracts like Vegemite), आटे से बनी डबल रोटी और फोर्टिफाइड आहारों के द्वारा।
विटामिन B1 (thiamine) शिशु के शरीर को आहारों से ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करता है ताकि शिशु का तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां ठीक तरह से काम कर सकें।
शिशु के शरीर को विटामिन B2 (riboflavin) मिलता है दूध, दही, घी, मक्खन, अंडा, आटे से बने डबल रोटी, दूध और फोर्टिफाइड आहारों से। यह भी शिशु के शरीर को आहारों से ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करता है।
आप अपने शिशु के शरीर को विटामिन B3 (niacin) प्रदान कर सकती हैं उसे आहारों में मीट, मछली, चिकन, बादाम और yeast extracts दे कर के।
शिशु के शरीर को विटामिन B6 (pyridoxine) मिलता है मीट से, मछली से, आटे से बने रोटी से, सब्जियों से और बादाम से।
यह विटामिन शिशु के शरीर को प्रोटीन से ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करता है साथ ही रक्त की लाल कोशिकाओं के बनने में और मस्तिष्क के ठीक तरह से काम करने में मदद करता है।
शिशु को विटामिन B12 (cobalamin) की खुराक मिलती है मीट मछली अंडा और दूध से। शिशु को यह विटामिन 45 आहार के द्वारा भी प्राप्त होता है।
यह विटामिन शिशु के शरीर को लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है तथा शिशु के शारीरिक विकास को बढ़ावा देता है।
शिशु के शरीर को विटामिन C (ascorbic acid) फल और सब्जियों से प्राप्त होता है। विटामिन C (ascorbic acid) के कुछ प्रमुख स्रोत हैं संतरा, कीवी फ्रूट, कैप्सिकम और आलू।
यह शिशु के शरीर में collagen के बनने में मदद करता है, शिशु के शरीर को संक्रमण से बचाता है तथा शिशु के शरीर को आहारों में से आयरन को अवशोषित करने में मदद करता है।
शिशु के शरीर को विटामिन C (ascorbic acid) की उचित मात्रा अगर मिलती रहे तो उसके दांत हड्डी और मसूड़े स्वस्थ रहेंगे। शिशु के लिए आहार तैयार करते वक्त सब्जियों को बहुत ज्यादा ना पकाएं।
सब्जियों को बहुत ज्यादा पकाने से उनमें मौजूद विटामिन C (ascorbic acid) की बहुत सी मात्रा नष्ट हो जाती है।
शिशु का शरीर अपनी आवश्यकता का अधिकांश विटामिन D सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से बना लेता है। अगर शिशु के शरीर को पर्याप्त मात्रा में सूरज की किरणें मिले तो उसे विटामिन D की कमी नहीं होगी।
शिशु को आहारों से भी विटामिन D प्राप्त होता है। कुछ आहार जिनसे शिशु को विटामिन D प्राप्त होता है वह इस तरह है - fish liver oils, अंडे की जर्दी, मक्खन और डालडा।
शिशु के शरीर को विटामिन D की आवश्यकता पड़ती है कैल्शियम के अवशोषण के लिए ताकि शिशु की हड्डियां मजबूत और स्वस्थ बन सके।
विटामिन E मुख्य रूप से सूरजमुखी, कैनोला ऑयल, डाल और बादाम में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। य शिशु के रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत करता है, उसके शारीरिक विकास में सहयोग करता है, तथा स्वस्थ त्वचा और आंखों के विकास के लिए सहायक है।
विटामिन K दीदार सर्दियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जैसे कि ब्रोकोली और पालक का साग। शिशु को विटामिन K अंडे और राजमा से भी मिलता है।
शिशु के शरीर में मौजूद बैक्टीरिया भी विटामिन K के निर्माण में सहयोग करता है। विटामिन K एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है जो शरीर में खून के थक्कों को बनने में मदद करता है।
भोजपुरीफोलेट (folic acid) हरी पत्तेदार सब्जी, दलहन, और अनाज में पाया जाता है। यह प्रोटीन के अवशोषण में शरीर की सहायता करता है, शरीर में नई रक्त कोशिकाओं के बनने में और DNA के निर्माण में सहायता करता है। यह गर्भवती महिला के लिए भी बहुत आवश्यक है।
शिशु को आहारों के द्वारा आसानी से कैल्शियम प्राप्त हो सकता है। आहार जिम से शिशु के शरीर में कैल्शियम मिलता है वह है दूध, मक्खन, दही और पनीर।
इसके अलावा मछलियां जैसे कि sardines and salmon, तथा हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे कि kale और bok choy से भी मिलता है।
शिशु के लिए घर पर आहार तैयार करते वक्त अगर आप आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करती हैं तो शिशु को आसानी से उसकी शारीरिक आवश्यकता के अनुसार आयोडीन मिल जाएगा।
शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है। शिशु का शरीर किस तरह से नई कोशिकाओं का निर्माण करता है, ऊर्जा और ऑक्सीजन का इस्तेमाल करता है, इसे आयोडीन नियंत्रित करता है। गर्भवती महिलाओं को आयोडीन की अधिक मात्रा की आवश्यकता पड़ती है।
आहार चिंटू शिशु के शरीर को आयरन मिलता है तो इस प्रकार हैं - मीट चिकन मछली राजमा अंडा और फोर्टीफाइड आहार। आयरन विशेषकर महत्वपूर्ण है शिशु के दिमाग और खून के लिए। यह शिशु के पूरे शरीर में ऑक्सीजन को पहुंचाने में भी मदद करता है।
शिशु को जिंक मिलता है मीट, चिकन, दूध, मछली और अनाज से। यह सब शादी विकास में, चोट लगने पर घाव भरने में, और रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करता है।
अगर किसी कारणवश आपको यह लगता है कि आपके शिशु के शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी हो रही है तो आपको तुरंत अपने शिशु के डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। आपके शिशु का डॉक्टर उसके स्वास्थ्य से अच्छी तरह वाकिफ है इसीलिए वो सही राय देने में ज्यादा सक्षम है।
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