Category: बच्चों का पोषण
By: Vandana Srivastava | ☺8 min read
ठोस आहार के शुरुवाती दिनों में बच्चे को एक बार में एक ही नई चीज़ दें। नया कोई भी भोजन पांचवे दिन ही बच्चे को दें। इस तरह से, अगर किसी भी भोजन से बच्चे को एलर्जी हो जाये तो उसका आसानी से पता लगाया जा सकता है।

जन्म के कुछ महीने तक बच्चा सिर्फ माँ के दूध पर ही आश्रित रहता है। माँ के दूध से ही उसे सम्पूर्ण पोषण मिलता है। उसे किसी अन्य खाद्य पदार्थ कि आवश्कता नहीं पड़ती है, परन्तु जब बच्चा छः महीने का हो जाता है तो उसे अपने विकास के लिए अन्य पोषक खाद्य पदार्थ कि आवश्कता महसूस होने लगती है। यह पोषक पदार्थ अनाजों, सब्ज़ियों और फलों के माध्यम से मिलते हैं। जिन्हें वह विभिन्न प्रकार से ग्रहण करता है।
ठोस आहार के शुरुवाती दिनों में बच्चे को एक बार में एक ही नई चीज़ दें। नया कोई भी भोजन पांचवे दिन ही बच्चे को दें। इस तरह से, अगर किसी भी भोजन से बच्चे को एलर्जी हो जाये तो उसका आसानी से पता लगाया जा सकता है।
आप अपने बच्चे को फल जैसे - केले, सब्जियां और कुछ अन्य अनाज जैसे की चावल शुरुवाती दिनों में दे सकती हैं। जब आपका बच्चा सात महीने का हो जाए, तो आप उसे माँ के दूध के साथ साथ ग्लूटेन देना भी शुरु कर सकती हैं जो की मुख्य रूप से गेहूं में पाया जाता है।



इस तरह से अपने बच्चे को प्यार व दुलार से बना अपने हाथ का बना हुआ खाद्य पदार्थ ही देंजो उसके विकास को गति दे। यदि आपका बच्चा खाना खाने में आना कानी करता है तो बहुत ही सहन शीलता से किसी भी तरीके से बच्चे को खिलाएं और साथ में अपना दूध भी दें।
Vitamin E शरीर में कोशिकाओं को सुरक्षित रखने का काम करता है यही वजह है कि अगर आप गर्भवती हैं तो आपको अपने भोजन में ऐसे आहार को सम्मिलित करने पड़ेंगे जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन इ (Vitamin E ) होता है। इस तरह से आपको गर्भावस्था के दौरान अलग से विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
अगर आप के शिशु को गाए के दूध से एक्जिमा होता है मगर UTH milk या फार्मूला दूध देने पे उसे एक्जिमा नहीं होता है तो इसकी वजह है गाए के दूध में पाई जाने वाली विशेष प्रकार की प्रोटीन जिससे शिशु के शारीर में एलर्जी जैसी प्रतिक्रिया होती है।
बच्चों की आंखों में काजल लगाने से उनकी खूबसूरती बहुत बढ़ जाती है। लेकिन शिशु की आंखों में काजल लगाने के बहुत से नुकसान भी है। इस लेख में आप शिशु की आँखों में काजल लगाने के सभी नुकसानों के बारे में भी जानेंगी।
ये आहार माइग्रेन के दर्द को बढ़ाते करते हैं। अगर माइग्रेन है तो इन आहारों को न खाएं और न ही किसी ऐसे व्यक्ति को इन आहारों को खाने के लिए दें जिसे माइग्रेन हैं। इस लेख में हम आप को जिन आहारों को माइग्रेन के दौरान खाने से बचने की सलाह दे रहे हैं - आप ने अनुभव किया होगा की जब भी आप इन आहारों को कहते हैं तो 20 से 25 minutes के अंदर सर दर्द का अनुभव होने लगता है। पढ़िए इस लेख में विस्तार से और माइग्रेन के दर्द के दर्द से पाइये छुटकारा।
फूड पाइजनिंग (food poisining) के लक्षण, कारण, और घरेलू उपचार। बड़ों की तुलना में बच्चों का पाचन तंत्र कमज़ोर होता है। यही वजह है की बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) एक आम बात है। इस लेख में हम आपको फूड पाइजनिंग यानि विषाक्त भोजन के लक्षण, कारण, उपचार इलाज के बारे में बताएंगे। बच्चों में फूड पाइजनिंग (food poisoning) का घरेलु इलाज पढ़ें इस लेख में:
विटामिन ई - बच्चों में सीखने की क्षमता को बढ़ता है। उनके अंदर एनालिटिकल (analytical) दृष्टिकोण पैदा करता है, जानने की उक्सुकता पैदा करता है और मानसिक कौशल संबंधी छमता को बढ़ता है। डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को ऐसे आहार लेने की सलाह देते हैं जिसमें विटामिन इ (vitamin E) प्रचुर मात्रा में होता है। कई बार अगर गर्भवती महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई नहीं मिल रहा है तो विटामिन ई का सप्लीमेंट भी लेने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि विटामिन ई की कमी से बच्चों में मानसिक कौशल संबंधी विकार पैदा होने की संभावनाएं पड़ती हैं। प्रेग्नेंट महिला को उसके आहार से पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई अगर मिले तो उसकी गर्भ में पल रहे शिशु का तांत्रिका तंत्र संबंधी विकार बेहतर तरीके से होता है।
स्वस्थ शरीर और मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। विटामिन डी हमारे रक्त में मौजूद कैल्शियम की मात्रा को भी नियंत्रित करता है। यह हमारे शारीरिक विकास की हर पड़ाव के लिए जरूरी है। लेकिन विटामिन डी की सबसे ज्यादा आवश्यक नवजात शिशु और बढ़ रहे बच्चों में होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटे बच्चों का शरीर बहुत तेजी से विकास कर रहा होता है उसके अंग विकसित हो रहे होते हैं ऐसे कई प्रकार के शारीरिक विकास के लिए विटामिन डी एक अहम भूमिका निभाता है। विटामिन डी की आवश्यकता गर्भवती महिलाओं को तथा जो महिलाएं स्तनपान कराती है उन्हें भी सबसे ज्यादा रहती है।
गर्भपात बाँझपन नहीं है और इसीलिए आप को गर्भपात के बाद गर्भधारण करने के लिए डरने की आवश्यकता नहीं है। कुछ विशेष सावधानियां बारात कर आप आप दुबारा से गर्भवती हो सकती हैं और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। इसके लिए आप को लम्बे समय तक इन्तेजार करने की भी आवश्यकता नहीं है।
बचपन में अधिकांश बच्चे तुतलाते हैं। लेकिन पांच वर्ष के बाद भी अगर आप का बच्चा तुतलाता है तो बच्चे को घरेलु उपचार और स्पीच थेरापिस्ट (speech therapist) के दुवारा इलाज की जरुरत है नहीं तो बड़े होने पे भी तुतलाहट की समस्या बनी रहने की सम्भावना है। इस लेख में आप पढेंगे की किस तरह से आप अपने बच्चे की साफ़ साफ़ बोलने में मदद कर सकती हैं। तथा उन तमाम घरेलु नुस्खों के बारे में भी हम बताएँगे जिन की सहायता से बच्चे तुतलाहट को कम किया जा सकता है।
आसन घरेलु तरीके से पता कीजिये की गर्भ में लड़का है या लड़की (garbh me ladka ya ladki)। इस लेख में आप पढेंगी गर्भ में लड़का होने के लक्षण इन हिंदी (garbh me ladka hone ke lakshan/nishani in hindi)। सम्पूर्ण जनकरी आप को मिलेगी Pregnancy tips in hindi for baby boy से सम्बंधित। लड़का होने की दवा (ladka hone ki dawa) की भी जानकारी लेख के आंत में दी जाएगी।
शिशु में जुखाम और फ्लू का कारण है विषाणु (virus) का संक्रमण। इसका मतलब शिशु को एंटीबायोटिक देने का कोई फायदा नहीं है। शिशु में सर्दी, जुखाम और फ्लू के लक्षणों में आप अपने बच्चे का इलाज घर पे ही कर सकती हैं। सर्दी, जुखाम और फ्लू के इन लक्षणों में अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं।
अगर आप के शिशु को केवल रात में ही खांसी आती है - तो इसके बहुत से कारण हो सकते हैं जिनकी चर्चा हम यहाँ करेंगे। बच्चे को रात में खांसी आने के सही कारण का पता लगने से आप बच्चे का उचित उपचार कर पाएंगे। जानिए - सर्दी और जुकाम का लक्षण, कारण, निवारण, इलाज और उपचार।
अब तक ३०० बच्चों की जन ले चूका है हत्यारा ब्लू-व्हेल गेम। अगर आप ने सावधानी नहीं बाराती तो आप का भी बच्चा हो सकता है शिकार। ब्लू-व्हेल गेम खलता है बच्चों के मानसिकता से। बच्चों का दिमाग बड़ों की तरह परिपक्व नहीं होता है। इसीलिए बच्चों को ब्लू-व्हेल गेम से सुरक्षित रखने के लिए माँ-बाप की समझदारी और सूझ-बूझ की भी आवश्यकता पड़ेगी।
अगर किसी भी कारणवश बच्चे के वजन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है तो यह एक गंभीर मसला है। वजन न बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सही कारण का पता चल चलने पे सही दिशा में कदम उठाया जा सकता है।
आज के बदलते परिवेश में जो माँ-बाप समय निकल कर अपने बच्चों के साथ बातचीत करते हैं, उसका बेहद अच्छा और सकारात्मक प्रभाव उनके बच्चों पे पड़ रहा है। बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए सिर्फ पैसों की ही नहीं वरन समय की भी जरुरत पड़ती है। बच्चे माँ-बाप के साथ जो क्वालिटी समय बिताते हैं, वो आप खरीद नहीं सकते हैं। बच्चों को जितनी अच्छे से उनके माँ-बाप समझ सकते हैं, कोई और नहीं।
बच्चे के साथ अगर पेरेंट्स सख़्ती से पेश आते है तो बच्चे सारे काम सही करते हैं। ऐसे वो सुबह उठने के बाद दिनचर्या यानि पेशाब ,पॉटी ,ब्रश ,बाथ आदि सही समय पर ले कर नाश्ते के लिए रेड़ी हो जायेंगे। और खुद से शेक और नाश्ता तथा कपड़े भी सही रूप से पहन सकेंगे।
बहुत लम्बे समय तक जब बच्चा गिला डायपर पहने रहता है तो डायपर वाली जगह पर रैशेस पैदा हो जाते हैं। डायपर रैशेस के लक्षण अगर दिखें तो डायपर रैशेस वाली जगह को तुरंत साफ कर मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम लगा दें। डायपर रैशेज होता है बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से और मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम में एंटी बैक्टीरियल तत्त्व होते हैं जो नैपी रैशिज को ठीक करते हैं।
अगर आप का शिशु भी रात को सोने के समय बहुत नटखट करता है और बिलकुल भी सोना नहीं चाहता है तो जानिए अपने शिशु की सुलाने का आसन तरीका। लेकिन बताये गए तरीकों को आप को दिनचर्या ताकि आप के शिशु को रात को एक निश्चित समय पे सोने की आदत पड़ जाये।
क्या आप चाहते हैं की आप का बच्चा शारारिक रूप से स्वस्थ (physically healthy) और मानसिक रूप से तेज़ (mentally smart) हो? तो आपको अपने बच्चे को ड्राई फ्रूट्स (dry fruits) देना चाहिए। ड्राई फ्रूट्स घनिस्ट मात्रा (extremely rich source) में मिनरल्स और प्रोटीन्स प्रदान करता है। यह आप के बच्चे के सम्पूर्ण ग्रोथ (complete growth and development) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
टीकाकरण बच्चो को संक्रामक रोगों से बचाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।अपने बच्चे को टीकाकरण चार्ट के अनुसार टीके लगवाना काफी महत्वपूर्ण है। टीकाकरण के जरिये आपके बच्चे के शरीर का सामना इन्फेक्शन (संक्रमण) से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।