Category: स्वस्थ शरीर
By: Vandana Srivastava | ☺7 min read
वैज्ञानिकों ने शोध में यह पाया की जो बच्चे अंगूठा चूसते (thumb sucking) हैं वे बाकि बच्चों से ज्यादा सेहतमंद (healthy) होते हैं। अंगूठा चूसने वाले बच्चों में एलर्जी (allergy) की बीमारी औसतन पांच गुना तक कम हो जाती है। मगर इसके कुछ साइड एफ्फेक्ट्स (side effects) भी हैं जैसे की उबड़ खाबड़ दांत और बोलने (Protruded Teeth & Speech Impairment) से सम्बंधित परेशानियां।
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एक अमेरिकी रिसर्च के अनुसार अंगूठा चूसने वाले बच्चे सेहतमंद (thumb sucking children are more healthy) होते हैं।
बहुत माँ बाप के लिए यह एक यह एक चौकाने वाला तथ्य है।
अधिकतर माता - पिता बच्चो के अंगूठा चूसने से परेशान रहते हैं क्योंकि इससे पेट में गन्दगी जाने का डर रहता (sucking thumb poses risk of infection through contamination) हैं और बीमारियों का खतरा रहता हैं।
परन्तु अंगूठा चूसना बच्चों के स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा होता हैं क्योंकि अंगूठा चूसने से जो गन्दगी बच्चे के शरीर में जाती हैं उसमे मौजूद कुछ तत्व बच्चे के शरीर में वायरस से लड़ने की ताकत देते हैं। Habit of sucking thumb may appear counter intuitive, but since this constantly exposes the body to infection, your child's body gets accustomed to fighting infection.
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि बच्चे का शरीर कई तरह के एलर्जी (sucking thumb prevents allergy) से बचा रहता हैं। जो बच्चे अंगूठा नहीं चूसते हैं वे बच्चे दूषित वातावरण (polluted environment) के कारण छींकने लगते हैं। कुछ बच्चो की एलर्जी का असर उनकी त्वचा पर देखने को मिलता है। लेकिन जो बच्चे अंगूठा चूसते हैं उनपर इसका असर नहीं पड़ता हैं, बल्कि अंगूठे के जरिये जो गन्दगी जाती हैं वह शरीरी में इम्यून सिस्टम (immune system) मजबूत करता है और बैक्टीरिया से लड़ने में सहायता करता है। जिससे बच्चे का स्वास्थ्य ठीक रहता है। यही वजह से की रफ़ - टफ पलने वाले बच्चे अधिक स्वस्थ (healthy) रहते हैं क्योंकि जो बच्चे धूल - मिट्टी में खेलते हैं उनमे वायरस से लड़ने की क्षमता अधिक होती हैं। यही वजह है कि ग्रामीण बच्चे, शहरी बच्चो के मुकाबले अधिक मजबूत होते हैं। रिसर्च में पाया गया हैं कि बच्चों की ऐसी आदतों के लिए उत्साहित नहीं करना चाहिए, लेकिन जो बच्चे गंदगी में खेलते - कूदते हैं उनका शरीर रोगों से बेहतर रूप से लड़ पाता है।


अंगूठा चूसना बच्चों के लिए सेहतमंद (healthy) होते हुए भी माता - पिता के लिए चिंता का विषय बन जाता है, इसलिए बच्चों के अंदर से यह आदत खत्म करना आवश्यक है क्योंकि सामान्यतः सभी बच्चे अंगूठा नहीं चूसते, इन में से अगर आप का बच्चा अंगूठा चूसता है तो, आप पूरी कोशिश करते हैं कि आप का बच्चा इस आदत को छोड़ दे और सामान्य जीवन जीने लगे।
जो बच्चे अंगूठा चूसते हैं, उनमें बात-चीत (speech impairment) करने सम्बन्धी परेशानियां देखने को मिलती है। यही नहीं, उनके दांत उबड़ खाबड़ (protruded teeth) भी हो जाते हैं। अंगूठा चूसना बच्चों के लिए स्वाभाविक (instinct) है बच्चे जन्म से पहले से ही अंगूठा चूसने लगते हैं। अंगूठा चूसने से बच्चे सुरक्षित महसूस करते हैं। कुछ बच्चे सोते अंगूठा चूसने की आवशयकता महसूस करते हैं।

आइए हम आप को इसके बारे में कुछ ज़रूरी बातें बताते हैं, जिससे आप अपने बच्चे की इस आदत से छुटकारा पा सकते हैं।
अंगूठा चूसना एक स्वाभाविक गुण है जो ४ साल की उम्र के बाद स्वतः समाप्त हो जाता है। जन्म के दौरान बच्चा सीखता है की अंगूठा चूसना न केवल पोषण प्रदान (feeling of nutrition fulfillment) करता है, बल्कि उसे आनंद, आराम और सुरक्षित होने का एहसास प्रदान करता है। अधिकतर बच्चे दो से चार साल तक की उम्र तक स्वतः अंगूठा चूसना छोड़ देते हैं। मगर यदि आदत पांच साल के बाद भी जारी रहे तो आगे चल कर बात करने में दिकत पैदा कर सकता है।

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इन सभी तरीको से आप अपने बच्चे के अंगूठा चूसने की आदत को बदल सकते हैं। वैसे आप अपने बच्चे को प्यार और सहानुभूति तथा स्पर्श के माध्यम से उसके अंदर सुरक्षा और आत्मविश्वास कि भावना पैदा करके अपने बच्चे को सेहतमंद बना सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक मात्रा में विटामिन सी लेना, गर्भ में पल रहे शिशु के लिए घातक हो सकता है। कुछ शोध में इस प्रकार के संभावनाओं का पता लगा है कि गर्भावस्था के दौरान सप्लीमेंट के रूप में विटामिन सी का आवश्यकता से ज्यादा सेवन समय पूर्व प्रसव (preterm birth) को बढ़ावा दे सकता है।
Vitamin E शरीर में कोशिकाओं को सुरक्षित रखने का काम करता है यही वजह है कि अगर आप गर्भवती हैं तो आपको अपने भोजन में ऐसे आहार को सम्मिलित करने पड़ेंगे जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन इ (Vitamin E ) होता है। इस तरह से आपको गर्भावस्था के दौरान अलग से विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
छोटे बच्चों की सही और गलत पर करना नहीं आता इसी वजह से कई बार अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर पाते हैं और अपने अंदर की नाराजगी को जाहिर करने के लिए दूसरों को दांत काट देते हैं। अगर आपका शिशु भी जिसे बच्चों को या बड़ो को दांत काटता है तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस तरह से आप उसके इस आदत को छुड़ा सकती है।
8 लक्षण जो बताएं की बच्चे में बाइपोलर डिसऑर्डर है। किसी बच्चे के व्यवहार को देखकर इस निष्कर्ष पर पहुंचना कि उस शिशु को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder), गलत होगा। चिकित्सीय जांच के द्वारा ही एक विशेषज्ञ (psychiatrist) इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि बच्चे को बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) है या नहीं।
विज्ञान और तकनिकी विकास के साथ साथ बच्चों के थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) को ठीक करना अब बिना तार के संभव हो गया है। मुस्कुराहट चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाता है। लेकिन अगर दांत थेड़े-मेढे (crooked teeth) तो चेहरे की खूबसूरती को कम कर देते हैं। केवल इतना ही नहीं, थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) आपके बच्चे के आत्मविश्वास को भी कम करते हैं। इसीलिए यह जरूरी है कि अगर आपके बच्चे के दांत थेड़े-मेढे (crooked teeth) हो तो उनका समय पर उपचार किया जाए ताकि आपके शिशु में आत्मविश्वास की कमी ना हो। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह आप अपने बच्चे के थेड़े-मेढे दातों (crooked teeth) को बिना तार या ब्रेसेस के मदद के ठीक कर सकते हैं।
जब तक आपका शिशु पूर्ण रूप से स्तनपान पर निर्भर है तब तक आप को अपने भोजन का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। कुछ आहार ऐसे हैं जो आपके शिशु के विकास में बाधा डाल सकते हैं। वहीं कुछ ऐसे आहार हैं जो आप के स्तनपान को आपके शिशु के लिए अरुचि पूर्ण बना सकते हैं। तथा कुछ ऐसे भी आ रहे हैं जिन्हें स्तनपान के दौरान ग्रहण करने से आपकी शिशु को एलर्जी तक हो सकती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि स्तनपान के दौरान आपको कौन-कौन से आहारों से दूर रहने की आवश्यकता है। Foods you should avoid during breastfeeding.
शिशु में हिचकी आना कितना आम बात है तो - सच तो यह है की एक साल से कम उम्र के बच्चों में हिचकी का आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। हिचकी आने पे डॉक्टरी सलाह की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हिचकी को हटाने के बहुत से घरेलू नुस्खे हैं। अगर हिचकी आने पे कुछ भी न किया जाये तो भी यह कुछ समय बाद अपने आप ही चली जाती है।
बच्चों के पेट में कीड़े होना बहुत ही आम बात है। अगर आप के बच्चे के पेट में कीड़े हैं तो परेशान या घबराने की कोई बात नहीं। बहुत से तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों के पेट के कीड़ों को ख़तम (getting rid of worms) किया जा सकता है।
शिशु के जन्म के पहले वर्ष में पारिवारिक परिवेश बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चे के पहले साल में ही घर के माहौल से इस बात का निर्धारण हो जाता है की बच्चा किस तरह भावनात्मक रूप से विकसित होगा। शिशु के सकारात्मक मानसिक विकास में पारिवारिक माहौल का महत्वपूर्ण योगदान है।
संगती का बच्चों पे गहरा प्रभाव पड़ता है| बच्चे दोस्ती करना सीखते हैं, दोस्तों के साथ व्यहार करना सीखते हैं, क्या बात करना चाहिए और क्या नहीं ये सीखते हैं, आत्मसम्मान, अस्वीकार की स्थिति, स्कूल में किस तरह adjust करना और अपने भावनाओं पे कैसे काबू पाना है ये सीखते हैं| Peer relationships, peer interaction, children's development, Peer Influence the Behavior, Children's Socialization, Negative Effects, Social Skill Development, Cognitive Development, Child Behavior
पुलाय एक ऐसा भारतीय आहार है जिसे त्योहारों पे पकाय जाता है और ये स्वस्थ के दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है| बच्चों के लिए तो यह विशेष लाभकारी है| इसमें ढेरों सब्जियां होती है और बच्चे बड़े मन से खाते हैं| Pulav शिशु आहार baby food|
पालन और याम से बना ये शिशु आहार बच्चे को पालन और याम दोनों के स्वाद का परिचय देगा। दोनों ही आहार पौष्टिक तत्वों से भरपूर हैं और बढ़ते बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। रागी का खिचड़ी - शिशु आहार - बेबी फ़ूड baby food बनाने की विधि| पढ़िए आसान step-by-step निर्देश पालक और याम से बने शिशु आहार को बनाने की विधि (baby food) - शिशु आहार| For Babies Between 7 to 12 Months
भारत में रागी को finger millet या red millet भी कहते हैं। रागी को मुख्यता महाराष्ट्र और कर्नाटक में पकाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे नाचनी भी कहा जाता है। रागी से बना शिशु आहार (baby food) बड़ी सरलता से बच्चों में पच जाता है और पौष्टिक तत्वों के मामले में इसका कोई मुकाबला नहीं।
दो साल के बच्चे के लिए शाकाहारी आहार सारणी (vegetarian Indian food chart) जिसे आप आसानी से घर पर बना सकती हैं। अगर आप सोच रही हैं की दो साल के बच्चे को baby food में क्या vegetarian Indian food, तो समझिये की यह लेख आप के लिए ही है। संतुलित आहार चार्ट
दस साल के बच्चे के आहार सरणी मैं वो सभी आहार सम्मिलित किया जा सकते हैं जिन्हे आप घर पर सभी के लिए बनती हैं। लेकिन उन आहारों में बहुत ज्यादा नमक, मिर्चा और चीनी का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आप जायके के लिए हलके मसलों का इस्तेमाल कर सकती हैं जैसे की धनिया पाउडर।
बच्चे के साथ अगर पेरेंट्स सख़्ती से पेश आते है तो बच्चे सारे काम सही करते हैं। ऐसे वो सुबह उठने के बाद दिनचर्या यानि पेशाब ,पॉटी ,ब्रश ,बाथ आदि सही समय पर ले कर नाश्ते के लिए रेड़ी हो जायेंगे। और खुद से शेक और नाश्ता तथा कपड़े भी सही रूप से पहन सकेंगे।
बहुत लम्बे समय तक जब बच्चा गिला डायपर पहने रहता है तो डायपर वाली जगह पर रैशेस पैदा हो जाते हैं। डायपर रैशेस के लक्षण अगर दिखें तो डायपर रैशेस वाली जगह को तुरंत साफ कर मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम लगा दें। डायपर रैशेज होता है बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से और मेडिकेटिड पाउडर या क्रीम में एंटी बैक्टीरियल तत्त्व होते हैं जो नैपी रैशिज को ठीक करते हैं।
आप के बच्चे के लिए सही सनस्क्रीन का चुनाव तब तक संभव नहीं है जब तक की आप को यह न पता हो की आप के बच्चे की त्वचा किस प्रकार की है और कितने प्रकार के सनस्क्रीन बाजार में उपलब्ध हैं।
बच्चों को बुद्धिमान बनाने के लिए जरुरी है की उनके साथ खूब इंटरेक्शन (बातें करें, कहानियां सुनाये) किया जाये और ऐसे खेलों को खेला जाएँ जो उनके बुद्धि का विकास करे। साथ ही यह भी जरुरी है की बच्चों पर्याप्त मात्रा में सोएं ताकि उनके मस्तिष्क को पूरा आराम मिल सके। इस लेख में आप पढेंगी हर उस पहलु के बारे में जो शिशु के दिमागी विकास के लिए बहुत जरुरी है।
हर प्रकार के मिनरल्स और विटामिन्स से भरपूर, बच्चों के लिए ड्राई फ्रूट्स बहुत पौष्टिक हैं| ये विविध प्रकार के नुट्रिशन बच्चों को प्रदान करते हैं| साथ ही साथ यह स्वादिष्ट इतने हैं की बच्चे आप से इसे इसे मांग मांग कर खयेंगे|