Category: प्रेगनेंसी
By: Admin | ☺6 min read
नौ महीने बच्चे को अपनी कोख में रखने के बाद, स्त्री का शारीर बहुत थक जाता है और कमजोर हो जाता है। शिशु के जन्म के बाद माँ की शारीरिक मालिश उसके शारीर की थकान को कम करती है और उसे बल और उर्जा भी प्रदान करती है। मगर सिजेरियन डिलीवरी के बाद शारीर के जख्म पूरी तरह से भरे नहीं होते हैं, इस स्थिति में यह सावल आप के मन में आ सकता है की सिजेरियन डिलीवरी के बाद मालिश कितना सुरक्षित। इस लेख में हम इसी विषय पे चर्चा करेंगे।
शिशु के जन्म के बाद मां का शरीर बहुत थक जाता है। मुख्यता प्रसव पीड़ा की वजह से और 9 महीने अपनी कोख में शिशु को पालने पोसने की वजह से।
जाहिर है, शिशु के जन्म के बाद आप चाहेंगी कि आपके शरीर की मालिश हो ताकि आपका शरीर पहले जैसा मजबूत हो सके।
डिलीवरी की पूरी प्रक्रिया के दौरान शरीर पर बहुत स्ट्रेस पड़ता है, विशेषकर आपके पेट के निचले हिस्से में और आपके कूल्हों पर।
मालिश से शरीर की मांसपेशियों में रक्त और ऑक्सीजन का संचार बढ़ जाता है। इससे आपके शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकलने में सहूलियत मिलती है और शरीर को बहुत आराम पहुँचता है।
लेकिन, शिशु के जन्म के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण सवाल एक स्त्री के मन में आता है वह यह है कि क्या मालिश करवाना सुरक्षित है? यह सवाल और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है अगर आप के शिशु का जन्म सिजेरियन ऑपरेशन के द्वारा हुआ है।
कुछ लोगों का मानना होता है कि नॉर्मल डिलीवरी के वक्त ही मां बहुत अधिक थकती है, लेकिन सच बात तो यह है, कि चाहे शिशु का जन्म नॉर्मल डिलीवरी के माध्यम से हो यह सिजेरियन ऑपरेशन के द्वारा, शरीर को बहुत तकलीफों से गुजरना पड़ता है।
कई महीनों तक थकान, दबाव, और स्ट्रेस में दिन गुजरते हैं। मालिश शरीर के थकान में कमी आती है और मांसपेशियों को बहुत आराम मिलता है।
अगर मालिश से संबंधित यह सवाल आप के भी मन में आता है कि क्या शिशु के जन्म के बाद शारीरिक मालिश सुरक्षित है और अगर हां तो शिशु के जन्म के कितने दिन बाद मालिश कराना बेहतर है? - तो यह लेख आपके लिए ही है। डिलीवरी के बाद अपने शरीर की मालिश करवाते वक्त आप निम्न बातों का ध्यान रखें।
अधिकांश डॉक्टर और विशेषज्ञ इस बात की राय देते हैं की शिशु के जन्म के बाद मालिश करवाने से पहले कम से कम 3 हफ्तों का अंतर अवश्य रखें।
शरीर को कम से कम इतनी समय की आवश्यकता पड़ेगी की वह ऑपरेशन के घाव से और स्ट्रेस से उबर सके। घाव के भर जाने पर उन में संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता है।
अपने हाथों पर और पैरों पर मालिश करवाना सुरक्षित रहता है। आप अपने पेट पर मालिश ना करवाएं। आप बैठ कर अपनी पीठ पर भी मालिश करवा सकती हैं।
शिशु के जन्म के बाद मालिश करवाना सुरक्षित रहता है और फायदेमंद भी। लेकिन अगर कुछ बातों का ध्यान नहीं रखा गया तो इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।
हम यहां दो ऐसे दुष्परिणाम की चर्चा करने जा रहे हैं जो सावधानीपूर्वक मालिश नहीं करवाने से कई महिलाओं को गुजरना पड़ता है।
डिलीवरी के बाद, विशेषकर सिजेरियन डिलीवरी के बाद, स्त्री को मालिश से, जो सबसे बड़ा खतरा रहता है, वह है संक्रमण का। मालिश के दौरान टांके में चोट लगने से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए कोशिश करें कि ऑपरेशन वाली जगह पर तेल की मालिश ना की जाए।
साफ सफाई का बहुत ध्यान रखा जाए। और हो सके तो ऑपरेशन वाली जगह पर मालिश ना किया जाए तो संक्रमण से बहुत हद तक बचा जा सकता है।
कई बार मालिश के बाद त्वचा पर सूजन या लालिमा देखी गई है। इसकी वजह है मालिश के द्वारा त्वचा पर होने वाली एलर्जी की समस्या। अगर मालिश के बाद आपकी त्वचा पर ललिपन या सूजन दिखे तो कुछ दिनों के लिए मालिश को टाल दें और तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लें।
यह बात सच है कि सिजेरियन ऑपरेशन के बाद या नॉर्मल डिलीवरी के बाद, मालिश करवाने से शरीर को बहुत आराम मिलता है। इसके साथ ही शरीर को जल्द ठीक होने में भी मदद मिलता है।
लेकिन जब तक घाव पूरी तरह भर ना जाए, तब तक उस जगह पर बहुत ही हल्के हाथों से मालिश करें।
इतने नरम हाथों से मालिश करें ताकि मालिश के दौरान उस जगह पर दर्द ना हो। मालिश से, मालिश वाली जगह पर रक्त का संचार बढ़ जाता है इससे घाव जल्दी भरने में मदद मिलता है।
शिशु के जन्म के बाद मालिश आपके शरीर के लिए बहुत आवश्यक है, लेकिन अगर कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाए तभी।
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