Category: टीकाकरण (vaccination)
By: Vandana Srivastava | ☺5 min read
हैजा (कॉलरा) वैक्सीन के द्वारा आप अपने बच्चे को पूरी तरह हैजा/कॉलरा (Cholera) से बचा सकते हैं। हैजा एक संक्रमक (infectious) रोग हैं जो आँतों (gut) को प्रभावित करती हैं। जिसमें बच्चे को पतला दस्त (lose motion) होने लगता हैं, जिससे उसके शरीर में पानी की कमी (dehydration) हो जाती हैं जो जानलेवा (fatal) भी साबित होती हैं।

बदलते हुए मौसम के प्रभाव से आपके बच्चे को अचानक से पतला दस्त आने लगता हैं तो उसे अनदेखा न करे बल्कि बच्चे का ध्यान रखते हुए उसका उपचार करे क्योकि ये किसी घातक संक्रामक बीमारी का संकेत हैं हो सकता है जैसे की हैजा (cholera)।
हैजा (cholera) एक संक्रमक रोग (infectious disease) हैं जो आँतों (gut) को प्रभावित करती हैं। जिसमें बच्चे को पतला दस्त (lose motion) होने लगता हैं, जिससे उसके शरीर में पानी की कमी (dehydration) हो जाती हैं जो जानलेवा (fatal) भी साबित होती हैं। ऐसा दूषित पानी या खाना (contaminated water and food) जिसमे वाइब्रियो कोलेरी बैक्टीरिया (ibrio cholerae bacteria) हो ,हैजा का कारण बनता हैं। जहाँ गन्दगी अधिक होती हैं वहाँ यह रोग अधिक फैलता हैं। बच्चो में इस रोग के होने की अधिक सम्भावना होती हैं , क्योकि उन में रोग प्रतिरोधक क्षमता (undeveloped immune power) कम होती हैं।
हैजा (कॉलरा) वैक्सीन के द्वारा आप अपने बच्चे को पूरी तरह हैजा/कॉलरा (Cholera) से बचा सकते हैं।

1. ओरल डोज़
ये टीका दो रूपो में होता हैं : निष्क्रिय और एटेनुएटेड।
2. इंजेक्शन
ये टीका जादा प्रभावी होता हैं।ये मृत्यु के खतरे को 50% कम कर देता हैं।
कॉलरा वैक्सीन, कॉलरा वायरस के निष्क्रिय स्वरूप (inactive form of cholera virus) को बेहद कम मात्रा में इस्तेमाल कर बनाया जाता है। कॉलरा वायरस के जीवविष (toxin) में से आविष्य हिस्से (non-toxic component of the toxin) का भी इस्तेमाल कॉलरा वैक्सीन में होता है। इसका नतीजा यह होता है की प्रितिक्रिया के रूप मैं शरीर का प्रतिरक्षित अनुक्रिया (Immune response) कॉलरा वायरस के प्रति सक्रिय हो जाता है बिना असल बीमारी को पहुचाये।

कॉलरा वैक्सीन की संभावित दुष्प्रभावों की सूची जो आप यहां पढ़ेंगे, विस्तृत नहीं है, इसके आलावा भी बहुत से दुष्प्रभावों हो सकते हैं। मगर यह भी जरुरी नहीं की हैजा वैक्सीन के हमेशा दुष्प्रभाव हों ही। इन बातों का जिक्र करना इसलिए जरुरी है क्योँकि कुछ बिरले घटनाओं में कॉलरा वैक्सीन के दुष्प्रभाव हानिकारक और नुकसानदेह हो सकते हैं। यदि आपको कॉलरा वैक्सीन के किसी भी दुष्प्रभाव का पता चलता है, और यदि ये कम नहीं होते हैं तो अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें।

यदि आपको किसी ऐसे दुष्प्रभाव का पता चलता है जो ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है तो डॉक्टरी सलाह के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आप अपने लोकल खाद्य और मेडिकल अफसर (local food and drug administration officer) को भी दुष्प्रभावों (side affects) की सूचना दे सकते हैं।
आपके मन में यह सवाल आया होगा कि क्या शिशु का घुटने के बल चलने का कोई फायदा है? पैरों पर चलने से पहले बच्चों का घुटनों के बल चलना, प्राकृतिक का एक नियम है क्योंकि इससे शिशु के शारीर को अनेक प्रकार के स्वस्थ लाभ मिलते हैं जो उसके शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक विकास के लिए बहुत जरूरी है।
बच्चों का शारीर कमजोर होता है इस वजह से उन्हें संक्रमण आसानी से लग जाता है। यही कारण है की बच्चे आसानी से वायरल बुखार की चपेट पद जाते हैं। कुछ आसन घरेलु नुस्खों के दुवारा आप अपने बच्चों का वायरल फीवर का इलाज घर पर ही कर सकती हैं।
जानिए कीवी फल खाने से शरीर को क्या क्या फायदे होते है (Health Benefits Of Kiwi) कीवी में अनेक प्रकार के पोषक तत्वों का भंडार होता है। जो शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से बचाने में सक्षम होते हैं। कीवी एक ऐसा फल में ऐसे अनेक प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को बैक्टीरिया और कीटाणुओं से भी लड़ने में मदद करते। यह देखने में बहुत छोटा सा फल होता है जिस पर बाहरी तरफ ढेर सारे रोए होते हैं। कीवी से शरीर को अनेक प्रकार के स्वास्थ लाभ मिलते हैं। इसमें विटामिन सी, फोलेट, पोटेशियम, विटामिन के, और विटामिन ई जैसे पोषक तत्वों की भरमार होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भी प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है। कीवी में ढेर सारे छोटे काले बीज होते हैं जो खाने योग्य हैं और उन्हें खाने से एक अलग ही प्रकार का आनंद आता है। नियमित रूप से कीवी का फल खाने से यह आपके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है यानी कि यह शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
जब शिशु हानिकारक जीवाणुओं या विषाणु से संक्रमित आहार ग्रहण करते हैं तो संक्रमण शिशु के पेट में पहुंचकर तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं और शिशु को बीमार कर देते हैं। ठीक समय पर इलाज ना मिल पाने की वजह से हर साल भारतवर्ष में हजारों बच्चे फूड प्वाइजनिंग की वजह से मौत के शिकार होते हैं। अगर समय पर फूड प्वाइजनिंग की पहचान हो जाए और शिशु का समय पर सही उपचार मिले तो शिशु 1 से 2 दिन में ही ठीक हो जाता है।
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर का उतार चढाव, माँ और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में बिस्तर पर आराम करना चाहिए। सादा और सरल भोजन करना चाहिए। पानी और तरल का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। नमक का सेवन सिमित मात्र में करना चाहिए। लौकी का रस खाली पेट पिने से प्रेगनेंसी में बीपी की समस्या को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान स्त्रियौं को सुबह के वक्त मिचली और उल्टी क्योँ आती है, ये कितने दिनो तक आएगी और इसपर काबू कैसे पाया जा सकता है और इसका घरेलु उपचार। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं के शारीर में ईस्ट्रोजेन हॉर्मोन का स्तर बहुत बढ़ जाता है जिस वजह से उन्हें मिचली और उल्टी आती है।
बच्चों का और 20 वर्ष से छोटे सभी लोगों का BMI गणना केवल फॉर्मूले के आधार पे नहीं किया जाता है। इसके बदले, BMI chart का भी इस्तेमाल किया जाता है। BMI chart के आधार पे जिन बच्चों का BMI 5th percentile से कम होता है उन्हें underweight माना जाता है।
सांस के जरिये भाप अंदर लेने से शिशु की बंद नाक खुलने में मदद मिलती है। गर्मा-गर्म भाप सांस के जरिये अंदर लेने से शिशु की नाक में जमा बलगम ढीला हो जाता है। इससे बलगम (कफ - mucus) के दुवारा अवरुद्ध वायुमार्ग खुल जाता है और शिशु बिना किसी तकलीफ के साँस ले पाता है।
शिशु को 15-18 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को मम्प्स, खसरा, रूबेला से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
चिकनगुनिया का प्रकोप भारत के कई राज्योँ में फ़ैल रहा है। इसके लक्षण बहुत ही भ्रमित कर देने वाले हैं। ऐसा इस लिए क्योँकि इसके लक्षण बहुत हद तक मलेरिया से मिलते जुलते हैं।
अगर आप भी इसी दुविधा में है की अपने शिशु को किस तेल से मालिश करें तो सबसे अच्छा रहेगा तो आप की जानकारी के लिए हम आज आप को बताएँगे बच्चों की मालिश करने के लिए सबसे बेहतरीन तेल।
सुबह उठकर भीगे बादाम खाने के फायेदे तो सबको पता हैं - लेकिन क्या आप को पता है की भीगे चने खाने के फायेदे बादाम से भी ज्यादा है। अगर आप को यकीन नहीं हो रहा है तो इस लेख को जरूर पढिये - आप का भ्रम टूटेगा।
कद्दू (pumpkin) में प्रचुर मात्रा मैं विटामिन C, आयरन और बहुत से दूसरे पौष्टिक तत्त्व होता हैं| कद्दू शिशु आहार के लिए एकदम उपयुक्त सब्जी है| बहुत ही आसान step-by-step निर्देश का पालन कर घर पे बनाइये कद्दू की प्यूरी - शिशु आहार| घर का बना कद्दू (Pumpkin) का पुरी - शिशु आहार (baby food) 6-9 months old Babies
आटे का हलुवा इतना पौष्टिक होता है की इसे गर्भवती महिलाओं को खिलाया जाता है| आटे का हलुआ शिशु में ठोस आहार शुरू करने के लिए सबसे बेहतरीन शिशु आहार है। आटे का हलुवा शिशु के लिए उचित और सन्तुलित आहार है|
टीकाकरण के बाद बुखार होना आम बात है क्यूंकि टिके के जरिये बच्चे की शरीर का सामना संक्रमण से कराया जाता है। जानिए की आप किस तरह टीकाकरण के दुष्प्रभाव को कम कर सकती हैं।
सूजी का हलवा protein का अच्छा स्रोत है और यह बच्चों की immune system को सुदृण करने में योगदान देता है। बनाने में यह बेहद आसान और पोषण (nutrition) के मामले में इसका कोई बराबरी नहीं।
हर प्रकार के आहार शिशु के स्वस्थ और उनके विकास के लिए ठीक नहीं होता हैं। जिस तरह कुछ आहार शिशु के स्वस्थ के लिए सही तो उसी तरह कुछ आहार शिशु के स्वस्थ के लिए बुरे भी होते हैं। बच्चों के आहार को ले कर हर माँ-बाप परेशान रहते हैं।क्योंकि बच्चे खाना खाने में बहुत नखड़ा करते हैं। ऐसे मैं अगर बच्चे किसी आहार में विशेष रुचि लेते हैं तो माँ-बाप अपने बच्चे को उसे खाने देते हैं, फिर चाहे वो आहार शिशु के स्वस्थ के लिए भले ही अच्छा ना हो। उनका तर्क ये रहता है की कम से कम बच्चा कुछ तो खा रहा है। लेकिन सावधान, इस लेख को पढने के बाद आप अपने शिशु को कुछ भी खिलने से पहले दो बार जरूर सोचेंगी। और यही इस लेख का उद्देश्य है।
छोटे बच्चे खाना खाने में बहुत नखरा करते हैं। माँ-बाप की सबसे बड़ी चिंता इस बात की रहती है की बच्चों का भूख कैसे बढाया जाये। इस लेख में आप जानेगी हर उस पहलु के बारे मैं जिसकी वजह से बच्चों को भूख कम लगती है। साथ ही हम उन तमाम घरेलु तरीकों के बारे में चर्चा करेंगे जिसकी मदद से आप अपने बच्चों के भूख को प्राकृतिक तरीके से बढ़ा सकेंगी।
आपके बच्चे के लिए किसी भी नए खाद्य पदार्थ को देने से पहले (before introducing new food) अपने बच्चे के भोजन योजना (diet plan) के बारे में चर्चा। भोजन अपने बच्चे को 5 से 6 महीने पूरा होने के बाद ही देना शुरू करें। इतने छोटे बच्चे का पाचन तंत्र (children's digestive system) पूरी तरह विकसित नहीं होता है
टीकाकरण बच्चो को संक्रामक रोगों से बचाने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।अपने बच्चे को टीकाकरण चार्ट के अनुसार टीके लगवाना काफी महत्वपूर्ण है। टीकाकरण के जरिये आपके बच्चे के शरीर का सामना इन्फेक्शन (संक्रमण) से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।