Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺4 min read
यह तो हर माँ-बाप चाहते हैं की उनका शिशु स्वस्थ और सेहत पूर्ण हो। और अगर ऐसे स्थिति में उनके शिशु का वजन उसके उम्र और लम्बाई (कद-काठी) के अनुरूप नहीं बढ़ रहा है तो चिंता करना स्वाभाविक है। कुछ आहार से सम्बंधित diet chart का अगर आप ख्याल रखें तो आप का शिशु कुछ ही महीनों कें आवश्यकता के अनुसार वजन बना लेगा।

क्या?
आप के भी शिशु का वजन कम है?
क्या आप को पता है की आप के शिशु के उम्र और लम्बाई के अनुसार उसका कितना वजन होना चाहिए। आप शिशु की उम्र और लम्बाई की चार्ट को देखें और फिर तय करें की सही मैं आप का चिंता करना उचित है या नहीं।
शिशु के दुबले पतले होने के कई कारण हो सकते हैं
जैसे की अगर माँ और बाप दोनों ही पतले हैं तो गुंजाइश है की आप का शिशु भी दुबला पतला होगा। यह आनुवंशिकी (genetics) के कारण ऐसा है।
मगर आप और आप के पति अगर दोनों सही कद काठी के हैं और फिर भी आप का बच्चा दुबला और पतला है तो आप को अपने शिशु के डॉक्टर से इस विषय में बात करनी चाहिए।
इस बात को हमेशा याद रखियेगा की -
आप के बढ़ते शिशु का वजन समय के साथ बदलता रहेगा।
इसमें कोई भी चिंता की बात नहीं है।
मगर फिर भी अगर आप का शिशु दुसरे हम-उम्र बच्चों की तुलना में कुछ ज्यादा ही दुबला और पतला है तो चिंता की बात हो सकती है।
जिन बच्चों का वजन कम होता है उन बच्चों को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता रहती है - विशेषकर इसलिए क्योँकि कम वजन बच्चों मैं संक्रमण का खतरा बना रहता है।
अपने शिशु के डॉक्टर की सहायता से अपने शिशु के लिए diet chart त्यार करें। इसे आप चाहें तो घर पे भी त्यार कर सकती हैं।
आप के शिशु का डॉक्टर आहार में ऐसे ingredients लेने की सलाह दे सकता है जिसमें calories ज्यादा हों ताकि शरीर को इतनी ऊर्जा मिल सके की उसका वजन बढे।
आप ऐसे आहर का चयन करें जिसमे कैलोरी के साथ -साथ पोषक तत्वों का भी भंडार हो। जैसे की गाजर, दूध, दूध से बने उत्पाद, गेहूं के उत्पाद जैसे की रोटी और ब्रेड, आलू, पालक, चिकन, और अंडे।
ऐसे आहार अपने शिशु को न दें जिसमे empty calories हो - जैसे की cold drinks, आलू की चिप्स और जंक फ़ूड। चूँकि आप के शिशु का वजन कम है, जैसे ही उसके शरीर को थोड़ी भी कैलोरी मिलेगी, वह उसे सोख लेगा। फिर भले ही उसमे कोई पोषक तत्व हो या न हो। ऐसी स्थिति में आप के शिशु के शरीर से पोषक तत्वों की कमी हो जाएगी और वो बीमार पड़ सकता है। पोषक तत्वों की कमी शिशु से शिशु के विकाशील दिमाग पे विपरीत असर पड़ेगा।
शिशु को ऐसे आहार दें जिनमे घनिष्ट मात्रा में पोषक तत्त्व मौजूद हों - जैसे की केला, fruit custard और creamed soups। शिशु को आप उबले सब्जियां जैसे की गाजर, ब्रोकली, और दूसरी सब्जियां को cheese dip के साथ दे सकती हैं। अपने शिशु को आप egg roll भी दे सकती हैं जिसमे आप इस्तेमाल कर सकती है ताज़ा हरा मटर, बारीक़ कटा गाजर, या बारीक कटा beans।
दो आहारों के बीच जब आप के शहु को भूख लगे तो आप उसे काजू और मूमफली खाने को दे सकती हैं। इसके अपने बहुत से गुण हैं। मगर फील-हल सबसे बेहतर फायदा यह आप के शिशु का वजन बढ़ाने में करेगा।
अपने शिशु को आहार त्यार करें वक्त पौष्टिक तेलों का इस्तेमाल करें। जैसे की साधारण वनस्पति तेल की उपेक्षा आप गाए का शुद्ध देशी घी का इस्तेमाल कर सकती हैं।
Common terms - Slim Bachon Ka Vajan Badaye
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बच्चों को UHT Milk दिया जा सकता है मगर नवजात शिशु को नहीं। UHT Milk को सुरक्षित रखने के लिए इसमें किसी भी प्रकार का preservative इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह बच्चों के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है। चूँकि इसमें गाए के दूध की तरह अत्याधिक मात्र में पोषक तत्त्व होता है, नवजात शिशु का पाचन तत्त्व इसे आसानी से पचा नहीं सकता है।
ये आहार माइग्रेन के दर्द को बढ़ाते करते हैं। अगर माइग्रेन है तो इन आहारों को न खाएं और न ही किसी ऐसे व्यक्ति को इन आहारों को खाने के लिए दें जिसे माइग्रेन हैं। इस लेख में हम आप को जिन आहारों को माइग्रेन के दौरान खाने से बचने की सलाह दे रहे हैं - आप ने अनुभव किया होगा की जब भी आप इन आहारों को कहते हैं तो 20 से 25 minutes के अंदर सर दर्द का अनुभव होने लगता है। पढ़िए इस लेख में विस्तार से और माइग्रेन के दर्द के दर्द से पाइये छुटकारा।
अगर बच्चे में उन्माद या अवसाद की स्थिति बहुत लंबे समय तक बनी रहती है या कई दिनों तक बनी रहती है तो हो सकता है कि बच्चा बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) इस समस्या से पीड़ित है। कुछ दुर्लभ घटनाओं में बच्चे में उन्माद और अवसाद दोनों के लक्षण एक ही वक्त में तेजी से बदलते हुए देखने को मिल सकते हैं।
बच्चों का शारीर कमजोर होता है इस वजह से उन्हें संक्रमण आसानी से लग जाता है। यही कारण है की बच्चे आसानी से वायरल बुखार की चपेट पद जाते हैं। कुछ आसन घरेलु नुस्खों के दुवारा आप अपने बच्चों का वायरल फीवर का इलाज घर पर ही कर सकती हैं।
विटामिन डी की कमी से शिशु के शरीर में हड्डियों से संबंधित अनेक प्रकार की विकार पैदा होने लगते हैं। विटामिन डी की कमी को उचित आहार के द्वारा पूरा किया जा सकता। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप अपने शिशु को कौन कौन से आहार खिलाए जिनमें प्रचुर मात्रा में विटामिन डी पाया जाता है। ये आहार आपके शिशु को शरीर से स्वस्थ बनाएंगे और उसकी शारीरिक विकास को गति प्रदान करेंगे।
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर का उतार चढाव, माँ और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में बिस्तर पर आराम करना चाहिए। सादा और सरल भोजन करना चाहिए। पानी और तरल का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। नमक का सेवन सिमित मात्र में करना चाहिए। लौकी का रस खाली पेट पिने से प्रेगनेंसी में बीपी की समस्या को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
यूटीआई संक्रमण के लक्षण, यूटीआई संक्रमण से बचाव, इलाज। गर्भावस्था के दौरान क्या सावधानियां बरतें। यूटीआई संक्रमण क्या है? यूटीआई का होने वाले बच्चे पे असर। यूटीआई संक्रमण की मुख्या वजह।
नवजात शिशु को डायपर के रैशेस से बचने का सरल और प्रभावी घरेलु तरीका। बच्चों में सर्दियौं में डायपर के रैशेस की समस्या बहुत ही आम है। डायपर रैशेस होने से शिशु बहुत रोता है और रात को ठीक से सो भी नहीं पता है। लेकिन इसका इलाज भी बहुत सरल है और शिशु तुरंत ठीक भी हो जाता है। - पढ़िए डायपर के रैशेस हटाने के घरेलू नुस्खे।
भारत सरकार के टीकाकरण चार्ट 2018 के अनुसार अपने शिशु को आवश्यक टीके लगवाने से आप का शिशु कई घम्भीर बिमारियौं से बचा रहेगा। टिके शिशु को चिन्हित बीमारियोँ के प्रति सुरक्षा प्रदान करते हैं। भरता में इस टीकाकरण चार्ट 2018 का उद्देश्य है की इसमें अंकित बीमारियोँ का जड़ से खत्म किया जा सके। कई देशों में ऐसा हो भी चूका है और कुछ वर्षों में भारत भी अपने इस लक्ष्य को हासिल कर पायेगा।
एलर्जी से कई बार शिशु में अस्थमा का कारण भी बनती है। क्या आप के शिशु को हर २० से २५ दिनों पे सर्दी जुखाम हो जाता है? हो सकता है की यह एलर्जी की वजह से हो। जानिए की किस तरह से आप अपने शिशु को अस्थमा और एलर्जी से बचा सकते हैं।
माँ बनना बहुत ही सौभाग्य की बात है। मगर माँ बनते ही सबसे बड़ी चिंता इस बात की होती है की अपने नन्हे से शिशु की देख भाल की तरह की जाये ताकि बच्चा रहे स्वस्थ और उसका हो अच्छा शारीरिक और मानसिक विकास।
सरसों का तेल लगभग सभी भारतीय घरों में पाया जाता है क्योंकि इसके फायदे हैं कई। कोई इसे खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करता है तो कोई इसे शरीर की मालिश करने के लिए इस्तेमाल करता है। लेकिन यह तेल सभी घरों में लगभग हर दिन इस्तेमाल होने वाला एक विशेष सामग्री है।
क्या आप का शिशु potty (Pooping) करते वक्त रोता है। मल त्याग करते वक्त शिशु के रोने के कई कारण हो सकते हैं। अगर आप को इन कारणों का पता होगा तो आप अपने शिशु को potty करते वक्त होने वाले दर्द और तकलीफ से बचा सकती है। अगर potty करते वक्त आप के शिशु को दर्द नहीं होगा तो वो रोयेगा भी नहीं।
बचपन में शिशु का शारीर बहुत तीव्र गति से विकसित होता है। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में कैल्शियम एहम भूमिका निभाता है। बच्चों के active growth years में अगर उन्हें उनके आहार से कैल्शियम न मिले तो बच्चों का विकास प्रभावित हो सकता है।
सावधान - जानिए की वो कौन से आहार हैं जो आप के बच्चों के लिए हानिकारक हैं। बढते बच्चों का शारीर बहुत तीव्र गति से विकसित होता है। ऐसे में बच्चों को वो आहार देना चाहिए जिससे बच्चे का विकास हो न की विकास बाधित हो।
बच्चों के नाजुक पाचन तंत्र में लौकी का प्यूरी आसानी से पच जाता है| इसमें प्रचुर मात्रा में मिनरल्स पाए जाते हैं जैसे की कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन A, C. जो बच्चे के पोषण के लिए अच्छा है।
माँ का दूध बच्चे की भूख मिटाता है, उसके शरीर की पानी की आवश्यकता को पूरी करता है, हर प्रकार के बीमारी से बचाता है, और वो सारे पोषक तत्त्व प्रदान करता है जो बच्चे को कुपोषण से बचाने के लिए और अच्छे शारारिक विकास के लिए जरुरी है। माँ का दूध बच्चे के मस्तिष्क के सही विकास के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
खसरे का टीका (वैक्सीन) (measles Vaccine in Hindi) - हिंदी, - खसरे का टीका - दवा, ड्रग, उसे, जानकारी, प्रयोग, फायदे, लाभ, उपयोग, दुष्प्रभाव, साइड-इफेक्ट्स, समीक्षाएं, संयोजन, पारस्परिक क्रिया, सावधानिया तथा खुराक
अगर आप का शिशु भी रात को सोने के समय बहुत नटखट करता है और बिलकुल भी सोना नहीं चाहता है तो जानिए अपने शिशु की सुलाने का आसन तरीका। लेकिन बताये गए तरीकों को आप को दिनचर्या ताकि आप के शिशु को रात को एक निश्चित समय पे सोने की आदत पड़ जाये।
6 माह से 1 साल तक के शिशु को आहार के रूप में दाल का पानी,चावल का पानी,चावल,सूजी के हलवा,चावल व मूंग की खिचड़ी,गूदेदार, पके फल, खीर, सेरलेक्स,पिसे हुए मेवे, उबले हुए चुकंदर,सप्ताह में 3 से 4 अच्छे से उबले हुए अंडे,हड्डीरहित मांस, भोजन के बाद एक-दो चम्मच पानी भी शिशु को पिलाएं।