Category: शिशु रोग
By: Vandana Srivastava | ☺3 min read
अंडे से एलर्जी होने पर बच्चों के त्वचा में सूजन आ जाना , पूरे शरीर में कहीं भी चकत्ता पड़ सकता है ,खाने के बाद तुरंत उलटी होना , पेट में दर्द और दस्त होना , पूरे शरीर में ऐंठन होना , पाचन की समस्या होना, बार-बार मिचली आना, साँस की तकलीफ होना , नाक बहना, लगातार खाँसी आना , गले में घरघराहट होना , बार- बार छीकना और तबियत अनमनी होना |
आजकल प्रदूषण की वजह से कोई भी व्यक्ति स्वस्थ्य नहीं है खासकर हमारे बच्चे। बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिसके कारण वातावरण में उपस्थित कुछ चीज़ें उसे नुकसान पहुंचाती हैं। आजकल बच्चों में एलर्जी होना बहुत आम बात है , जिसके कारण उन्हें पूरे वर्ष यह समस्या बनी रहती है। हम लोगों की धारणा होती है की अंडा बहुत ही पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक होता है और यदि हम बच्चे के खाने में उसे शामिल कर दें तो हमारा बच्चा अधिक स्वस्थ्य हो जायेगा। क्या आप रोजाना अपने बच्चे को अंडा खिलाते हैं ? यदि हाँ तो आपको इसके फायदे और नुकसान को भी जानना चाहिए। अंडे स्वादिष्ट और हैल्दी होते हैं। फिर भी खास तौर पर इसके बहुत से साइड इफ़ेक्ट्स हैं जो कि शरीर पर विपरीत असर डालते हैं।
खाद्य पदार्थों से होने वाली बीमारियों में अंडे से एलर्जी एक मुख्य बीमारी है। अंडा खाने के कुछ देर बाद ही इससे होने वाली एलर्जी के लक्षण सामने आ जाते हैं।
अंडे से एलर्जी होने पर बच्चों में कुछ चीजें सामने पड़ने लगती हैं जैसे त्वचा में सूजन आ जाना , पूरे शरीर में कहीं भी चकत्ता पड़ सकता है ,खाने के बाद तुरंत उलटी होना , पेट में दर्द और दस्त होना , पूरे शरीर में ऐंठन होना , पाचन की समस्या होना, बार-बार मिचली आना, साँस की तकलीफ होना , नाक बहना, लगातार खाँसी आना , गले में घरघराहट होना , बार- बार छीकना और तबियत अनमनी होना।
जब आपके बच्चे में अंडे से एलर्जी के लक्षण दिखाई दे तो ये तीन परीक्षण करा लें- त्वचा-चुभन परीक्षण, रक्त परीक्षण, खाद्य परीक्षण। त्वचा-चुभन परीक्षण द्वारा विभिन्न प्रकार से त्वचा से एलर्जी का टेस्ट किया जाता है।रक्त परीक्षण द्वारा विभिन्न प्रकार से शरीर से खून निकाल कर उसकी जाँच की जाती है।खाद्य परीक्षण में बच्चे के खाने योग्य सभी सामग्रियों का टेस्ट किया जाता है।
अंडे से एलर्जी का मुख्य कारण उसमें पाया जाने वाला प्रोटीन है जो चिकेन के मांस में उपस्थित होता है। जिन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उनपर यह प्रोटीन अधिक असर डालता है। बाजार में उपलब्ध बटेर , टर्की , बत्तख आदि के अंडे बच्चों के लिए अत्यधिक नुकसानदायक होते हैं।
अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा अंडे की एलर्जी से पीड़ित है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। इस बीमारी को बहुत हलके में न लें क्योंकि अंडे से एलर्जी जीवन के लिए खतरा बन सकता है।
अगर आप स्तन पान कराने वाली माँ हैं तो आप भी अंडे के सेवन से बचें। एलर्जी होने पर यह समस्या तभी दूर होती है जब इसका पांच साल तक सेवन करने न दिया जाये।
अंडे को अच्छी तरह से उबालें व पकाएं और तभी बच्चे को खिलाएं। कच्चे अंडे का प्रयोग न करें। जिन खाद्य पदार्थों में अंडे का प्रयोग हो रहा है उसे पता कर लें कि वह अच्छी तरह से पका है या नहीं। अंडे से एलर्जी होने पर यह समस्या तब दूर होती है जब पांच साल तक अंडा व उससे बने खाद्य पदार्थ का सेवन न किया जाये।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप अपने बच्चे को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो छह महीने की उम्र तक वह माँ के ही दूध पर आश्रित रहे।