Category: टीकाकरण (vaccination)

शिशु टीकाकरण चार्ट - 2022-23 Updated

By: Salan Khalkho | 29 min read

भारत सरकार टीकाकरण अभियान के अंतर्गत मुख्या और अनिवार्य टीकाकरण सूची / newborn baby vaccination chart 2022-23 - कौन सा टीका क्‍यों, कब और कितनी बार बच्‍चे को लगवाना चाहिए - पूरी जानकारी। टीकाकरण न केवल आप के बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाता है वरन बिमारियों को दूसरे बच्चों में फ़ैलाने से भी रोकते हैं।

टीकाकरण चार्ट 2022 - 2023 (INDIA - टीकाकरण सारणी)

गर्भधारण करने से पहले का टिका - गर्भधारण करने वाली महिला के लिए
TT-1 गर्भधारण करने से पहले
TT-2 TT-1 के चार सप्तहा बाद
TT-Booster डोज़


3 साल के भीतर, TT-1 के 2 डोज़ लगने के बाद


नवजात शिशु का टिका
BCG जन्म के तुरंत बाद, या जितनी जल्दी हो सके यह टिका शिशु को लगवाएं
Hepatitis-B जन्म होते ही शिशु के जन्म के 24 घंटे के भीतर Hepatitis-B का तयीका शिशु को लगवाएं
OPV-0 शिशु के जन्म के 15 दिनों के भीतर OPV-0 का टिका नवजात शिशु को लगवाएं
OPV 1,2,3 नवजात शिशु जब 6 सप्ताह का होता है नवजात शिशु जब 10 सप्ताह का होता है नवजात शिशु जब 14 सप्ताह का होता है OPV का टिका आप अपने शिशु को अगले 5 साल के भीतर कभी भी दिलवा सकते हैं।
Pentavalent 1,2,3 नवजात शिशु जब 6 सप्ताह का होता है नवजात शिशु जब 10 सप्ताह का होता है नवजात शिशु जब 14 सप्ताह का होता है Pentavalent का टिका आप अपने शिशु को अगले 1 साल के भीतर कभी भी दिलवा सकते हैं।
Rotavirus# नवजात शिशु जब 6 सप्ताह का होता है नवजात शिशु जब 10 सप्ताह का होता है नवजात शिशु जब 14 सप्ताह का होता है Rotavirus का टिका आप अपने शिशु को अगले 1 साल के भीतर कभी भी दिलवा सकते हैं।
IPV IPV का टिका दो टुकड़ों में - जब शिशु 6 सप्ताह का और 14 सप्ताह का होता है
Measles/MR 1st Dose शिशु के 9 महीने पूर्ण करने पर, तथा 12 महीने से पहले। इसे शिशु को 5 साल तक की उम्र तक कभी भी दिलवा सकते हैं
JE-1 शिशु के 9 महीने पूर्ण करने पर, तथा 12 महीने से पहले।
Vitamin A (1st Dose)


शिशु के 9 महीने पूर्ण करने पर, Measles-रूबेला के ठीके के साथ।


बच्चों का टिका
DPT Booster-1 16-24 महीने पूर्ण होने पे
Measles/MR2nd dose 16-24 महीने पूर्ण होने पे
OPV Booster 16-24 महीने पूर्ण होने पे
JE-2 16-24 महीने पूर्ण होने पे
Vitamin A (2nd-to-9th dose) 16-18 महीने पूर्ण होने पे - इसके बाद 1 डोज़ हर 6 महीने पर - जब तक शिशु 5 साल का न हो जाये
DPT Booster-2 5-6 साल की उम्र में
TT शिशु के 10 साल पूर्णहोने पे तथा शिशु जब 16 साल का होता है



बच्चों का टीकाकरण चार्ट 2017

टीकाकरण क्या है

भारत में हर साल करीब 17,00,000 बच्चे विभिन प्रकार के बीमारियों के कारण मर जाते हैं। बच्चों का टीकाकरण ( टीकाकरण चार्ट 2022-23) एक सरल उपाय है बच्चों को बहुत सी खतरनाक बीमारियों से बचाने का। सभी बच्चों को अच्छी सेहत का अधिकार है। आप अपने बच्चों को अच्छी सेहत दे सकती हैं टीकाकरण चार्ट 2022 - 2023 (Immunization schedule in India 2022 - 2023) को पढ़ कर और उनके अनुसार बच्चों को टिक लगा कर। शिशु टीकाकरण चार्ट जानना सभी माता-पिता के लिए जरूरी है।

इस लेख में आप सीखेंगे - You will read in this article

  1. आवश्यक टीके
  2. राष्ट्रीय टीकाकरण के अंतर्गत लगने वाले टीके
  3. नोट: बच्चों का टीकाकरण में सावधानियां
  4. टीकाकरण के बाद बुखार
  5. टिके की आवशकता
  6. टीकाकरण का महत्व
  7. टीकाकरण न होने का दुष्प्रभाव 
  8. टीकाकरण के पुरे कोर्स का महत्व
  9. टीकाकरण का इतिहास
  10. टीकाकरण चार्ट 2022 - 2021
  11. बच्चे के जन्म के समय दिए जाने वाला टीका
  12. 6 सप्ताह और डेढ़ माह की उम्र में दिए जाने वाला टीका
  13. 10 सप्ताह और ढाई माह की उम्र में दिए जाने वाला टीका
  14. 14 सप्ताह की उम्र में दिए जाने वाला टीका
  15. 6 महीने की उम्र में दिए जाने वाला टीका
  16. 9 महीने की उम्र में दिए जाने वाला टीका
  17. 10-12 महीने की उम्र में दिए जाने वाला टीका
  18. 1 वर्ष की उम्र में दिए जाने वाला टीका
  19. 15-18 महीने की उम्र में दिए जाने वाला टीका
  20. 2 वर्ष की उम्र में दिए जाने वाला टीका
  21. Video: बच्चों को कौन कौन से ठीके देना महत्वपूर्ण हैं
  22. भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना mission इंद्रधनुष 

आवश्यक टीके

जन्म के समय बच्चे कमजोर होते हैं। उनमे रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक छमता नहीं होती है। इसीलिए बच्चों का टीकाकरण जरुरी होता है। टीकाकरण से बच्चों के शारीर में antibodies बनते हैं जो बच्चे के शारीर को बिमारियौं से लड़ने के लिए तयार करते हैं। देखें - टीकाकरण चार्ट 2022।

हर माँ-बाप अपने बच्चे की अच्छी देखभाल मैं कोई कसार नहीं छोड़ते हैं।  मगर अच्छी देखभाल करने के लिए जानकारी भी तो होना जरुरी है। इसीलिए माँ-बाप को बच्चों से सम्बंधित हर जानकारी से वाकिफ होना चाहिए। Kidhealthcenter.com मैं हमारी यही कोशिश रहती है की हम माँ-बाप को बच्चों से सम्बंधित हर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करा सकें जिससे की वे अपने बच्चों का अच्छा ख्याल रख सकें। जानकारी होने पे बच्चे की बीमारी में माँ-बाप सही देख-रेख करने मैं सक्षम होते हैं।  

जब बच्चे का जन्म होता है तो बहुत से antibodies (बीमारियोँ से लड़ने की शक्ति) बच्चे को उसकी माँ से विरासत में मिलती है। यह एंटीबाडी बच्चे के शरीर में umbilical cord के द्वारा पहुँचती है। कुछ antibodies बच्चे को माँ से स्तनपान के जरिये मिलती रहती है। मगर यह antibodies बच्चे मैं बहुत देर तक infection से नहीं लड़ सकती है।

Infection से लड़ने के लिए बच्चे के शरीर को खुद सक्षम बनना होगा। विभिन प्रकार के टिके जो बच्चे को लगाए जाते हैं उन्ही के द्वारा बच्चे का शरीर अनेक प्रकार के बीमारियोँ से लड़ने में और उन बीमारियोँ  से बच्चे को बचने में माहिर बनता है। इन टीकों के मदद से बच्चे का शरीर जिंदगी भर बीमारियोँ से लड़ने में सक्षम बनता है। यूँ कहें की ये टिके ही बच्चे को सारी उम्र बीमारी से बचाते हैं। 

टिके बच्चों के लिए जीवन रक्षक हैं मगर माँ-बाप को बच्चों के टिके के बारे मैं सही जानकारी होना अतिआवश्यक है। भारत (India) मैं पिछले कुछ दशक में कई प्रकार के जानलेवा बीमारियोँ का उन्मूलन किया जा चूका है। यह सिर्फ सरकार की दूरदर्शिता और लोगों के बीच जागरूकता के कारण हो सका है। इस लेख में आप जानेंगे कुछ बेहद जरुरी टिके (new born baby vaccination) के बारे में। 

बीसीजी का टीका (B.C.G. vaccination) 
यह टीका बच्चे को पैदा होते ही लगाया जाता है और यह टीका अंतर्त्वचीय इंजेक्शन के रूप में लगाया जाता है। बीसीजी का टीका बच्चे को टीबी से बचाता है। 

डीपीटी का टीका (D.P.T. vaccination)
डीपीटी का टीका बच्चे को डिफ्थीरिया, परट्यूसिस और टिटनेस जैसे गंभीर जानलेवा बीमारियोँ से बचाता है। डिफ्थीरिया एक ऐसे बीमारी है जिसकी शुरुआत तो गले के खराश से होती है मगर समय के साथ ये आगे चलकर जीवन के कई जटिलताओं को बढ़ा देता है। परट्यूसिस को आम भाषा मैं काली खासी। यह फेपड़ों के infection से सम्बंधित बीमारी है। टिटनेस की वजह से घाव जल्दी नहीं भरते। डीपीटी का टीका इन सभी बीमारियोँ से बचाता है और इसे भी अंतर्त्वचीय इंजेक्शन की तरह लगाया जाता है। डीपीटी का टीका (D.P.T. vaccination) के बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त करें।

खसरे का टीका
खसरे का टिके एक प्रकार के संक्रामक वायरल से बचाता है। इस बीमारी मैं शिशु को शरीर पे छोटे दाने निकल आते हैं और बुखार भी चढ़ जाता है। जब बच्चा 9 months का हो जाता है तब बच्चे को खसरे का टीका दिया जाता है।  खसरे का टीका के बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त करें

हेपेटाइटिस बी का टीका
हेपेटाइटिस बी एक बेहद भयंकर बीमारी है जो की jaundice की बीमारी से भी खतरनाक है। हेपेटाइटिस बी का टीका बच्चों की जॉन्डिस और हेपेटाइटिस बी की बीमारी से रक्षा करता है। हेपेटाइटिस एक प्रकार का संक्रामक वायरल है जो लिवर को बुरी तारक छतीग्रस्त कर देता  है। हेपेटाइटिस बी का टीका शिशु को अलग अलग समय पर तीन शॉट्स की series में दिया जाता है। हेपेटाइटिस बी का टीका के बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त करें।

चिकनपॉक्स का टीका (chickenpox vaccination) 
यह टीका बच्चों को चिकनपॉक्स के वायरल संक्रमण से बचाता है। इस टिके को शिशु को दो dose में दिया जाता है। पहला dose बच्चे को 12-से-15 महीने के दौरान दिया जाता है। और दूसरा dose बच्चे को 4-से-5 साल के बीच दिया जाता है। चिकनपॉक्स का टीका (chickenpox vaccination) के बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त करें।

ऍमऍमआर का टीका (MMR vaccination)
ऍमऍमआर का टीका शिशु को खसरा, टोंसिल्स और रूबेला से बचाने के लिए दिया जाता है। ऍमऍमआर का टीका (MMR vaccination) के बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त करें

इन्फ्लुएंजा का टीका
इन्फ्लुएंजा साँस की बीमारी है जो श्वसन प्रणाली को छति पहुँचता हैं। इस बीमारी मैं बच्चे को साँस लेने मैं काफी तकलीफ होती है। यह टीका जब बच्चा 6 महीना का होता है तब उसे दिया जाता है। इन्फ्लुएंजा का टीका के बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त करें। इन्फ्लुएंजा का टीका के बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त करें

रोटा वायरस का टीका
रोटा वारस की वजह से शिशु को  आंत्रशोथ और दस्त हो सकता है। यह टीका शिशु को आंत्रशोथ और दस्त से बचाता है।  रोटा वायरस का टीका के बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त करें

HIB का टीका - हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (HIB) वैक्सीन
मस्तिष्कावरण शोथ की वजह से शिशु के brain और spinal cord को नुकसान पहुँचता है। हिब का टीका बच्चे को मस्तिष्कावरण शोथ से बचाता है। इस टिके की dose बच्चे को चार श्रृंखला में दी जाती है। पहले दो टिके, पहले दो महीने मैं और दूसरे दो टिके 12 month पे दिए जाते हैं। HIB का टीका के बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त करें

ऊपर दी गयी सारी बीमारी बहुत खतरनाक है। अगर बच्चों को ये महत्वपूर्ण टीके समय पे लगाए गए तो बच्चों को इन जानलेवा बीमारियोँ से बचाया जा सकता है और बच्चों को जिंदगी भर इन बीमारियोँ से दूर रखा जा सकता है। बच्चो को समय पे टीके लगवाने के लिए अपने बच्चे के डॉक्टर से संपर्क करें और उससे टीके के schedule को प्राप्त करें। 

टीकाकरण कार्यक्रम - राष्ट्रीय टीकाकरण के अंतर्गत लगने वाले टीके

जब माता पिता टीकाकरण का महत्व जानते हैं और टीकाकरण अभियान का लाभ उठा कर आपने बच्चों को टीकाकरण कार्यक्रम के तहत टीकाकरण चार्ट 2022 (Vaccination chart and scheduler for Indian babies) के अनुसार आपने बच्चों को टीका लगवाते हैं तो बच्चे तंदरुस्त होते हैं और नानां प्रकार के बीमारियों से बचे रहते हैं।

नोट: बच्चों का टीकाकरण में सावधानियां (Caring for Your Child Before and After Immunization)

टीकाकरण के बाद अगर आप निचे दिए गए लक्षण आपने बच्चों में देखें तो बिना समय गवांयें तुरंत डॉक्टर को संपर्क करें। If you are wondering what precautions to take after baby is vaccinated, here is what you need to keep in your mind.

टीकाकरण के बाद बुखार

टीका लगाने के बाद बच्चे में हल्के-फुल्के लक्षण जैसे: हल्का बुखार, दर्द, सूजन इत्यादि नज़र आ सकते हैं। यह आम बात है और चिंता की कोई बात नहीं। परंतु अगर बच्चे का रोना न रुके। बच्चा लगातार रोये और काफी देर बाद तक भी आराम न मिले तो डॉक्टर को संपर्क करें। अगर भुखार तेज़ हो, दर्द और सूजन बहूत ज्यादा नजर आये तो डॉक्टर को तुरंत संपर्क करें।

डीपीटी के टीके दर्द और सूजन दे सकते हैं

डीपीटी का इंजेक्शन (डी पी टी का टीका) के बाद बच्चों में इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन और लाली हियो सकती है। उस जगह पर गांठ भी बन सकता है जो कुछ सप्ताह बाद अपने आप ही ख़तम हो जायेगा। इसमें कोई चिंता की बात नहीं। दर्द और भुखार कम करने के लिए डॉक्टर पैरासेटेमोल पिलाने के लिए दे सकते हैं। जरुरत पड़ने पर डॉक्टर 4 से 6 घंटे के बाद शिशु को फिर से इंजेक्शन लगा सकते हैं।

एमएमआर के टिके के लगभग 4 से 10 दिनों के बाद, बच्चे को बुखार हो सकते है। यह आम बात है और चिंता की कोई बात नहीं।

टीका बच्चों में बीमारी होने की सम्भावना को कम करता है। परंतु यह जरुरी नहीं की टीकाकरण के बाद बच्चा बीमार ही न पड़े।

टिके की आवशकता

टीकाकरण चार्ट 2022 - 2023 (टीकाकरण सूची / newborn baby vaccination chart) आपको यह बताएगा की कौन सा टीका क्‍यों, कब, कहां और कितनी बार आप को अप्पने बच्‍चे को लगवाना चाहिए। टीकाकरण न केवल आप के बच्चों को गंभीर बीमारी से बचत है वरन बिमारियों को दूसरे बच्चों में फ़ैलाने से भी रोकते हैं। टीके बच्चे के रोग प्रतिरोधक तंत्र को मज़बूत बनाते हैं और उन्हें तरह तरह के जीवाणु तथा विषाणुओं से लड़ने की छमता प्रदान करता हैं WHO recommendations for routine immunization of your child.

टीकाकरण का महत्व

आपको यह भी जानने की जरुरत है कि बीमार बच्‍चे या अक्षम या कुपोषण से पीड़ित बच्चों को भी टीका लगवाना सुरक्षित होता है। टीकाकरण का महत्व बहूत है और इसे सभी माँ बाप को जाने की जरुरत है। सिर्फ बच्चों का टीकाकरण ही नहीं जरुरी है, बल्कि एक गर्भवती महिला को भी अपने शिशु को टिटनेस से बचाने के लिए टीका लगवाने की जरूरत होती है। 

टीकाकरण का महत्व - Importance of vaccine for the baby

बच्चों के सुरुआति पहले वर्षों में लगातार ठीके लगवाने की जरुरत पड़ती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार बच्चों में 50 प्रतिशत मौतें कुकर खांसी से, 30 प्रतिशत मौतें पोलियो से और करीब 20 प्रतिशत मौतें खसरे से होते हैं।

टीकाकरण न होने का दुष्प्रभाव

टीकाकरण अभियान इस लिए महत्वपूर्ण है (importance of infant and toddler vaccine schedule) क्योँकी यह कई प्रकार की बीमारियों से बच्चों को सुरक्षा प्रदान करती है। जिन बच्चों की टीकाकरण नहीं हुआ है वे बच्चे अत्यधिक बीमार या फिर आगे चल के कमजोर हो सकते हैं। ऐसा इस लिए क्योँकि उन में बहूत से आम परंतु खतरनाक बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक छमता विकसित नहीं हुई है। ऐसे बच्चे स्‍थायी रूप से अक्षम या कुपोषित सकते है। बहूत से बच्चे मर भी सकते हैं।

टिके की आवशकता

टीकाकरण तालिका 2022 - 2023 अनुपालन कर आप अपने बच्चे को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। टीका बहूत से ऐसे बीमारियों से बच्चों को बचत है जिन से ग्रसित होने पर बच्चे कमजोर हो जाते हैं और वे अच्‍छी तरह डेवेलप नहीं कर पाते या स्‍थायी रूप से अक्षम हो जाते हैं।

टीकाकरण के पुरे कोर्स का महत्व

बच्चों को हमेशा किसी भी ठीके का पुरे कोर्स दे। उसे बीच में बंद न करें। ऐसा करने से टीका काम करना बांड कर देता है। बाद में टीका देने का भी कोई असर नहीं होता है क्योँकि बीमारी के कीटाणु टीका के प्रति प्रतिरोध डेवेलप कर लेते हैं, जोकि काफी नुक्सान देह और हानिकारक है।

अगर पहले वर्ष में किसी कारण से बच्चे को कोई टीका नहीं मिला है तो जितनी जल्द से जल्द हो सके उसे टीका लगवाने का इंतेजाम करना चाहिए। राष्‍ट्रीय टीकाकरण दिवसों और टीकाकरण कार्यक्रम का भरपूर लाभ उठा कर टीकाकरण करवाएं।

कुछ बिमारियों के लिए पूरक टीके की खुराक जिसे 'बुस्‍टर शॉट्स' कहते हैं उपलब्ध है। यह साधारण ठीके से ज्यादा कारगर है और अधिक प्रभावी भी होती है। 

टीकाकरण का इतिहास

टीकाकरण आधुनिक समाज के लिए किसी वरदान से कम नहीं। पिछले ५० वर्षों में टीकाकरण ने जितनी जाने बचायी हैं उतनी शायद ही किसी दवा ने बचायी है। टीकाकरण का इतिहास बड़ा ही रोचक रहा है। 

  1. 429 BC में Thucydides नामक विचारक ने गौर किया की जिन लोगों को एक बार smallpox हो जाता है, उन्हें फिर दुबारा जिंदिगी में smallpox नहीं होता है।  
  2. 900 AD में चीन में ठीके का एक प्राचीनतम रूप की खोज हुई थी जिसे variolation नाम से जाना गया। इसका काफी बड़े पैमाने पे 14th और 17th centuries में इस्तेमाल हुआ। चीन से variolation की पद्ति पुरे विश्व में फैली। 
  3. साल 1796 में Edward Jenner नाम के एक अंग्रेज ने आधुनिक टीकाकरण के तरीके की खोज की। उसने अपने स्तर पे scientific community के समक्ष ये साबित किया की टीकाकरण एक कारगर तरीका है संक्रमण से बचने का। 
  4. एडवर्ड जेनर के कार्यों से टीकाकरण का महत्व और जागरूकता लोगों में बढ़ रहा था। साल 1803 में एडवर्ड जेनर को सरकारी funding प्राप्त हुआ। इस सरकारी मदद की वजह से टीकाकरण यूरोप और अमेरिका में  काफी प्रसिद्ध हुआ। 
  5. 1880 में Louis Pasteur ने टिके में सुधार कर rabies का टिका तैयार किया। सन 1920 तक टीकाकरण पुरे विश्व में काफी प्रसिद्ध हो गया। 

टीकाकरण चार्ट 2022 (टीकाकरण सूची / immunization schedule chart 2022)

List of vaccines for children by age with their diseases description

बच्चे के जन्म के समय दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given at Birth)

  1. B.C.G.
  2. हेपेटाइटिस बी का टीका- पहली खुराक
  3. पोलियो वैक्सीन - पहली खुराक

6 सप्ताह और डेढ़ माह की उम्र में दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given at 6 weeks)

  1. D.P.T. - पहली खुराक
  2. पोलियो का टिका- पहली खुराक (IPV1)
  3. हेपेटाइटिस बी का टीका - दूसरी खुराक
  4. हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (HIB) - पहली खुराक
  5. रोटावायरस- पहली खुराक
  6. न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड वैक्सीन- पहली खुराक

10 सप्ताह और ढाई माह की उम्र में दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given at 10 week)

  1. D.P.T. - दूसरी खुराक
  2. पोलियो का टिका- दूसरी खुराक (IPV2)
  3. न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड वैक्सीन- दूसरी खुराक
  4. हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (HIB) - दूसरी खुराक
  5. रोटावायरस- दूसरी खुराक

14 सप्ताह की उम्र में दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given at 14 weeks)

  1. D.P.T. - तीसरी खुराक
  2. पोलियो का टिका- तीसरी खुराक (IPV3)
  3. मुँह में लिया जाने वाला पोलियो वैक्सीन- दूसरी खुराक
  4. हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (HIB) - तीसरी खुराक
  5. न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड वैक्सीन- तीसरी खुराक
  6. रोटावायरस- तीसरी खुराक

6 महीने की उम्र में दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given at 6 month)

  1. मुँह में लिया जाने वाला पोलियो वैक्सीन - तीसरी खुराक OPV
  2. हेपेटाइटिस बी का टीका - तीसरी खुराक
  3. इन्फ्लुएंजा I
  4. इन्फ्लुएंजा II
  5. इन्फ्लुएंजा III

9 महीने की उम्र में दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given at 9 month)

  1. खसरे का टीका
  2. मुँह में लिया जाने वाला पोलियो वैक्सीन - चौथी खुराक

10-12 महीने की उम्र में दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given at 10 to 12 month)

  1. टाइफाइड कन्जुगेटेड वैक्सीन (TCV 1) - पहली खुराक
  2. हेपेटाइटिस A - पहली खुराक
  3. थोड़े समय बाद हेपेटाइटिस A - दूसरी खुराक

1 वर्ष की उम्र में दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given once child completes 1 year)

  1. कॉलरा
  2. जापानीज इन्सेफेलाइटिस - पहली खुराक
  3. जापानीज इन्सेफेलाइटिस - दूसरी खुराक
  4. जापानीज इन्सेफेलाइटिस - तीसरी खुराक
  5. वेरिसेला- पहली खुराक

15-18 महीने की उम्र में दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given at 15 to 18 months)

  1. एम एम आर (मम्प्स, खसरा, रूबेला) - पहली खुराक
  2. वेरिसेला- दूसरी खुराक
  3. D.P.T.- पहला बूस्टर डोज़
  4. हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी (HIB) - बूस्टर डोज़
  5. न्यूमोकोकल कन्जुगेटेड वैक्सीन- बूस्टर डोज़
  6. मुँह में लिया जाने वाला पोलियो वैक्सीन- पांचवा खुराक
  7. टाइफाइड कन्जुगेटेड वैक्सीन (TCV 2) - दूसरी खुराक
  8. टाइफाइड I
  9. टाइफाइड II

2 वर्ष की उम्र में दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given at the completion of 2 years)

  1. मेनिंगोकोकल

5 वर्ष की उम्र में दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given at the age of 5)

  1. एम एम आर (मम्प्स, खसरा, रूबेला) - दूसरी खुराक
  2. D.P.T.- दूसरा बूस्टर डोज़
  3. मुँह में लिया जाने वाला पोलियो वैक्सीन- छठा खुराक

10 वर्ष की उम्र में दिए जाने वाला टीका (List of vaccines to be given at the age of 10 years)

  1. टीडी (टेटनस, डिप्थीरिया)

Video: बच्चों को कौन कौन से ठीके देना महत्वपूर्ण हैं - Important vaccination for kids

राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार अथक परिश्रम कर रही है की देश में प्रतियेक बच्चा हो मुख्या बीमारियोँ के प्रति सुरक्षित। लेकिन आपको सुन कर ताजुब होगा की हल ही मैं National Health Mission (NHM) द्वारा जारी रिपोर्ट में पाया गया की हरयाणा के ६ ऐसे जिले हैं जहाँ immunization की दर ५१% से भी कम है।

भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना mission इंद्रधनुष

भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना mission इंद्रधनुष के अंतर्गत 90%  immunization का लक्ष्य रखा गया है। श्री नरेंद्र मोदी की सरकार इस कोशिश में है की इस लक्ष्य को December 2022 तक पूर्ण कर लिया जाये। यह निर्णय 2022 में होने वाले election के मध्य नजर लिया गया है ताकि सरकार Pro-Active Governance And Timely Implementation का उदहारण दे सके। 

भारत सरकार ने अभी तक तीन चरण पूर्ण कर लिए हैं। Mission Indradhanush के अंतर्गत 2.1 करोड़ बच्चों के के मुफ्त टीकाकरण का लक्ष्य है। इस टीकाकरण के जरिये बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियोँ से बचाया जा सकेगा। 

भारत में बच्चों का मृत्यु दर दूसरे देशों से ज्यादा है क्यूंकि यहां कई जानलेवा बीमारियां हैं जैसे की diphtheria, pertusis, tetanus, poliomyelitis, tuberculosis, measles, hepatitis B, meningitis and निमोनिया.  

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दस्त-में-शिशु-आहार

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बढ़ते बच्चों के लिए 7 महत्वपूर्ण पोष्टिक आहार
बढ़ते-बच्चों-के-लिए-पोष्टिक-आहार 12 साल तक की उम्र तक बच्चे बहुत तेजी से बढ़ते हैं और इस दौरान शिशु को सही आहार मिलना बहुत आवश्यक है। शिशु के दिमाग का विकास 8 साल तक की उम्र तक लगभग पूर्ण हो जाता है तथा 12 साल तक की उम्र तक शारीरिक विकास बहुत तेजी से होता है। इस दौरान शरीर में अनेक प्रकार के बदलाव आते हैं जिन्हें सहयोग करने के लिए अनेक प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है।
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बच्चे में अच्छा व्यहार (Good Behavior) विकसित करने का तरीका
बच्चे-में-अच्छा-व्यहार-(Good-Behavior) अगर आप अपने बच्चे के व्यहार को लेकर के परेशान हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। बच्चों को डांटना और मरना विकल्प नहीं है। बच्चे जैसे - जैसे उम्र और कद काठी में बड़े होते हैं, उनके व्यहार में अनेक तरह के परिवेर्तन आते हैं। इनमें कुछ अच्छे तो कुछ बुरे हो सकते हैं। लेकिन आप अपनी सूझ बूझ के से अपने बच्चे में अच्छा व्यहार (Good Behavior) को विकसित कर सकती हैं। इस लेख में पढ़िए की किस तरह से आप अपने बच्चे में अच्छा परिवर्तन ला सकती हैं।
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6 महीने के शिशु का आदर्श वजन और लम्बाई
6-महीने-के-शिशु-का-वजन 6 महीने के शिशु (लड़के) का वजन 7.9 KG और उसकी लम्बाई 24 से 27.25 इंच के आस पास होनी चाहिए। जबकि 6 महीने की लड़की का वजन 7.3 KG और उसकी लम्बाई 24.8 और 28.25 इंच होनी चाहिए। शिशु के वजन और लम्बाई का अनुपात उसके माता पिता से मिले अनुवांशिकी और आहार से मिलने वाले पोषण पे निर्भर करता है।
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शिशु को 6 महीने की उम्र में लगाये जाने वाले टीके
6-महीने-पे-टीका शिशु को 6 महीने की उम्र में कौन कौन से टिके लगाए जाने चाहिए - इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहां प्राप्त करें। ये टिके आप के शिशु को पोलियो, हेपेटाइटिस बी और इन्फ्लुएंजा से बचाएंगे। सरकारी स्वस्थ शिशु केंद्रों पे ये टिके सरकार दुवारा मुफ्त में लगाये जाते हैं - ताकि हर नागरिक का बच्चा स्वस्थ रह सके।
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नवजात शिशु के बैठना सिखाने के आसन तरीके
बच्चे-बैठना नवजात बच्चे चार से पांच महीने में ही बिना किसी सहारे के बैठने लायक हो जाते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चे को थोड़ी सी एक्सरसाइज कराएँ तो वे कुछ दिनों पहले ही बैठने लायक हो जाते हैं और उनकी मस्पेशियाँ भी सुदृण बनती हैं। इस तरह अगर आप अपने शिशु की सहायता करें तो वो समय से पहले ही बिना सहारे के बैठना और चलना सिख लेगा।
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भीगे चने खाने के फायदे भीगे बादाम से भी ज्यादा
भीगे-चने सुबह उठकर भीगे बादाम खाने के फायेदे तो सबको पता हैं - लेकिन क्या आप को पता है की भीगे चने खाने के फायेदे बादाम से भी ज्यादा है। अगर आप को यकीन नहीं हो रहा है तो इस लेख को जरूर पढिये - आप का भ्रम टूटेगा।
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अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) - कारण और बचाव
SIDS कुछ बातों का ख्याल अगर रखा जाये तो शिशु को SIDS की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है। अकस्मात शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) की वजह शिशु के दिमाग के उस हिस्से के कारण हो सकता है जो बच्चे के श्वसन तंत्र (साँस), दिल की धड़कन और उनके चलने-फिरने को नियंत्रित करता है।
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नवजात बच्चे में हिचकी - कारण और निवारण
बच्चे-में-हिचकी छोटे बच्चों में और नवजात बच्चे में हिचकी आना एक आम बात है। जानिए की किन-किन वजहों से छोटे बच्चों को हिचकी आ सकती है और आप कैसे उनका सफल निवारण कर सकती हैं। नवजात बच्चे में हिचकी मुख्यता 7 कारणों से होता है। शिशु के हिचकी को ख़त्म करने के घरेलु नुस्खे।
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बच्चों को बुखार व तेज दर्द होने पे क्या करें?
डिस्टे्रक्टर अगर आप के बच्चे को बुखार है और बुखार में तेज़ दर्द भी हो रहा है तो तुरंत अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएँ। बुखार में तेज़ दर्द में अगर समय रहते सही इलाज होने पे बच्चा पूरी तरह ठीक हो सकता है। मगर सही इलाज के आभाव में बच्चे की हड्डियां तक विकृत हो सकती हैं।
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देश बदलना है तो बच्चों को मातृभूमि से प्रेम करना सिखाएं!
india-Indian-Independence-Day-15-August हमें आपने बच्चों को मातृभूमि से प्रेम करने की शिक्षा देनी चाहिए तथा उनके अंदर ये भावना पैदा करनी चाहिए की वे अपने देश के प्रति समर्पित रहें और ये सोचे की हमने अपने देश के लिए क्या किया है। वे यह न सोचे की देश ने उनके लिए क्या किया है। Independence Day Celebrations India गणतंत्र दिवस भारत नरेन्द्र मोदी 15 August 2017
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बच्चों को बचाये एलेर्जी से भोजन के तीन दिवसीय नियम
तीन-दिवसीय-नियम तीन दिवसीय नियम का सीधा सीधा मतलब यह है की जब भी आप आपने बच्चे को कोई नया आहार देना प्रारम्भ कर रहे हैं तो तीन दिन तक एक ही आहार दें। अगर बच्चे मैं food allergic reaction के कोई निशान न दिखे तो समझिये की आप का बच्चा उस नए आहार से सुरक्षित है
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भारत में बच्चों के लिए 15 सर्वश्रेष्ठ सनस्क्रीन (Best Sunscreen for babies)
सर्वश्रेष्ठ-सनस्क्रीन आप के बच्चे के लिए सही सनस्क्रीन का चुनाव तब तक संभव नहीं है जब तक की आप को यह न पता हो की आप के बच्चे की त्वचा किस प्रकार की है और कितने प्रकार के सनस्क्रीन बाजार में उपलब्ध हैं।
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कागज का खूबसूरत मोमबत्ती स्टैंड
कागज-का-खूबसूरत-मोमबत्ती-स्टैंड अकॉर्डियन पेपर फोल्डिंग तकनीक से बनाइये घर पे खूबसूरत सा मोमबत्ती स्टैंड| बनाने में आसान और झट पट तैयार, यह मोमबत्ती स्टैंड आप के बच्चो को भी बेहद पसंद आएगा और इसे स्कूल प्रोजेक्ट की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है|
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छोटे बच्चों को सुलाने का आसान तरीका
शिशु-को-सुलाने- अगर आप का शिशु भी रात को सोने के समय बहुत नटखट करता है और बिलकुल भी सोना नहीं चाहता है तो जानिए अपने शिशु की सुलाने का आसन तरीका। लेकिन बताये गए तरीकों को आप को दिनचर्या ताकि आप के शिशु को रात को एक निश्चित समय पे सोने की आदत पड़ जाये।
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चावल का पानी बच्चों के लिए (चावल का सूप) for 6 to 9 month baby
चावल-का-पानी चावल का पानी (Rice Soup, or Chawal ka Pani) शिशु के लिए एक बेहतरीन आहार है। पचाने में बहुत ही हल्का, पेट के लिए आरामदायक लेकिन पोषक तत्वों के मामले में यह एक बेहतरीन विकल्प है।
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6 आसान तरीके बच्चों की लम्बाई बढ़ाने के
बच्चों-की-लम्बाई शोध (research studies) में यह पाया गया है की जेनेटिक्स सिर्फ एक करक, इसके आलावा और बहुत से करक हैं जो बढ़ते बच्चों के लम्बाई को प्रभावित करते हैं। जानिए 6 आसान तरीके जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को अच्छी लम्बी पाने में मदद कर सकते हैं।
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दिमागी बुखार - मेनिन्जइटिस (Meningitis) का वैक्सीन
दिमागी-बुखार दिमागी बुखार (मेनिन्जइटिस) की वजह से दिमाग को नुकसान और मौत हो सकती है। पहले, बहुत अधिक बच्चों में यह बीमारियां पाई जाती थी, लेकिन टीकों के इस्तेमाल से इस पर काबू पाया गया है। हर माँ बाप को अपने बच्चों को यह टिका अवश्य लगवाना चाहिए।
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