Category: बच्चों की परवरिश

बड़े होते बच्चों को सिखाएं ये जरुरी बातें - Sex Education

By: Salan Khalkho | 10 min read

जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और teenage वाली उम्र में आते हैं उनके शरीर में तेज़ी से अनेक बदलाव आते हैं। अधिकांश बच्चे अपने माँ बाप से इस बारे कुछ नहीं बोलते। आप अपने बच्चों को आत्मविश्वास में लेकर उनके शरीर में हो रहे बदलाव के बारे में उन्हें समझएं ताकि उन्हें किसी और से कुछ पूछने की आवश्यकता ही न पड़े।

बड़े होते बच्चों को सिखाएं ये जरुरी बातें - Sex Education

बच्चों की मासूमियत देखकर उन्हें कभी कुछ बोलने का जी ही नहीं करता। बच्चों की हर अदा माँ-बाप का मन मोह लेती है।  समय कब पंख लगा कर उड़ जाता है, ये तब पता चलता है जब बच्चे बड़े हो जाते हैं। और फिर कई बार ये लगता  है की काश बचपन में उन्हें यह अच्छी बात सीखा दी होते या वो बता दिया होता है। 

बहनों में आप की मनोदशा समझ सकती हूँ। इसीलिए बताना चाहूंगी की जरुरी है की बच्चों को समय रहते सही और गलत का ज्ञान दिया जाये ताकि बच्चे जहाँ भी जाएँ उन्हें वहां इज़्जत मिले। कोई यह न कहे की बच्चों के माँ-बाप ने कुछ सिखाया नहीं। इसके आलावा कुछ ऐसे भी सवाल होते हैं जो उम्र के अलग-अलग पड़ाव पे आप के बच्चों के मन में उठेंगे। हो सकता है संकोच से वो कभी आप से उन सवालों के जवाब न पूछें। 

educate your child about sex

बच्चों के toddler होने से लेकर उनके teenage उम्र तक का जो समय होता है, वही समय है जब बच्चों को अच्छे संस्कार दिए जाने चाहिए। लकिन toddler से लेकर teenage तक के बीच का जो समय होता है वो बड़ा मनमोहक होता। जी करता है बस उन्हें देखते रहे, उनकी हर नादानियों पर हस्ते रहें। 

लेकिन यह समय जब बच्चे छोटे होते हैं तो [बच्चों sex education] देने का भी होता है। जैसे की पांच साल तक के बच्चे को अपने शरीर के हर अंग के नाम पता होने चाहिए। अपने शरीर से सम्बंधित privacy के बारे में उन्हें पता होनी चाहिए। उन्हें यह भी पता होनी चाहिए की किस तरह से लोग उन्हें पकड़ सकते हैं या छू सकते हैं और सबसे महत्वपूर्ण यह है की उन्हें पता होना चाहिए की उनके शरीर के किस अंग को कोई भी व्यक्ति छू नहीं सकता या या किसी विशेष तरह से पकड़ नहीं सकता।

जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं उन में शारीरिक बदलाव आते हैं उनके मन में कई प्रकार के सवाल आते हैं। कुछ सवाल ऐसे होते हैं की बच्चे शर्म के कारण आप से कुछ पूछ नहीं पाते। ऐसे में जरुरी है की आप इंतज़ार न करें की जब आपका बच्चा पूछेगा तो बता देंगे। बहुत सी चजें ऐसे हैं जिनके बारे में बच्चों से बात करने में थोड़ी हिचक होगी। मगर कहीं ऐसा न हो की उन सवालों के उत्तर आपके बच्चे ऐसे स्रोतों से पता करें जिनसे आप नहीं चाहते की वो consult करें।

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कुछ ऐसे अनकही बातें होती हैं माँ-बाप और बच्चों के बीच जो जरुरी हैं बतानी बढ़ते बच्चों को। 

समय के साथ होने वाला शारीरक बदलाव

जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं और teenage वाली उम्र में आते हैं उनके शरीर में तेज़ी से अनेक बदलाव आते हैं।  अचानक से होने वाले इस बदलाव से जहाँ कुछ बच्चे घबरा जाते हैं तो वहीँ कुछ बच्चे शर्मा भी जाते हैं और उन बदलाव को छुपाने की कोशिश भी करते हैं। अधिकांश बच्चे अपने माँ बाप से इस बारे कुछ नहीं बोलते। 

बढ़ते बच्चों में शारीरिक बदलाव आते हैं child sex education

Solution - चूँकि माँ बच्चों के काफी करीब होती है, उसे ही पहल करनी पड़ेगी। यानी ये आप की जिम्मेदारी है की आप अपने बच्चों को आत्मविश्वास में लेकर उनके शरीर में हो रहे बदलाव के बारे में उन्हें समझएं ताकि उन्हें किसी और से कुछ पूछने की आवश्यकता ही न पड़े। आप अपने बच्चों को बताएं की जो भी शारीरिक बदलाव हो रहे हैं वो सब कुछ बिलकुल normal है। बताएं की जब आप उनकी उम्र की थी तब इन तमाम शारीरक बदलाव से आप को भी गुजरना पड़ा था। 

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यौवन - puberty  

जब बच्चे यौवन के देहलीज पे कदम रखते हैं तो कुछ मुख्या बदलाव उनके शरीर में होता है। जैसे की उनकी आवाज भारी हो जाती है, जघवास्थि के बाल (pubic hair) निकलते हैं, बहुत से बच्चों के चहरे पे अचानक से ढेर सरे दाने (pimple) निकल आते हैं, लम्बाई (height) अचानक से बढ़ने लगता है। Hormones में बदलाव आते हैं। अचानक से इतने सारे होने वाले बदलाव को बच्चे समझ नहीं पाते। कई बच्चे डर जाते हैं तो कई बच्चों में शर्म के कारण आत्मविश्वास की कमी भी अति है।

pubic hair, pimple, hormones, height - यौवन - puberty in children

Solution - सबसे उपयुक्त ये होगा की आप अपने बच्चे को समय से पहले, बिना इंतज़ार किये, होने वाले इन बदलावों के बारे में बताएं। मगर ऐसी उम्र में बताएं जब आप का बच्चा समझ सके की आप बात क्या कर रहें हैं। आप ये इंतज़ार न करें की जब आपका बच्चा आ कर आप से पूछेगा तो आप बता देंगे। आज का दौर अलग है। Internet और smartphone  के इस युग में बच्चों को समय से पहले ही सब जानकारी हो जाती है। इंटरनेट पे मिलने वाली हर जानकारी विश्वास योग नहीं होती। अधिकांश जानकारी ऐसी नहीं होती की उसे बच्चों के कोमल मन को परोसा जाये। सिर्फ एक माँ-बाप ही अपने बच्चों को सही जानकारी दे सकते हैं और वो भी सही वातावरण में। अपने बच्चों को समय से पहले educate करें और उन्हें मानसिक रूप से इन बदलावों के लिए तैयार करें। 

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मानसिक धर्म - माहवारी - Periods in हिंदी Menstruation Cycle (MC)

अगर आप एक बेटी की मां हैं तो इस इंतज़ार में न रहें की जब आप की बच्ची का  periods शुरू होगा तब आप उसे मानसिक धर्म या माहवारी Menstruation Cycle (MC) के बारे में उसे बताएँगे। सच बात तो यह की वो Menstruation Cycle शुरू होने पे खून (blood) देख कर आप की बेटी घबरा जाएगी। 

मानसिक धर्म - माहवारी - Periods in हिंदी Menstruation Cycle (MC)

Solution - आप अपनी बेटी को मानसिक धर्म - माहवारी, के बारे में पहले से बता दें ताकि आपकी बेटी mentally उसके लिए त्यार हो जाएँ और जान ले की यह एक प्राकृतिक क्रिया है जो उम्र के पड़ाव के बाद हर लड़की को आता है। अपनी लड़की को समझएं की इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं। 

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Teenage मैं आकर्षण (attraction)

Teenage यानी यौवन अवस्था मैं hormonal बदलाव के कारण opposite sex के प्रति आक्रषण होना स्वाभाविक है। पिछले कई दशकों में हमारे देश के educational system मैं कई बदलाव हुए हैं। मगर फिर भी इन तमाम बदलाव के बावजूद भी हमारे देश मैं बहुत से school में sex education नहीं दिया जाता है। दूसरी तरफ हमारे संस्कार और घरेलू माहौल ऐसा है की sex शब्द का इस्तेमाल ही वर्जित समझा जाता है। ऐसी मैं बच्चे न तो कुछ पूछ पाते हैं और न ही कुछ समझ पाते हैं। ऐसी स्थिति का परिणाम गंभीर हो सकता है। बच्चे ऐसी मामलों में सलाह अपने दोस्तों से लेते हैं और अगर दोस्त अच्छे न हों तो उनके गुमराह होने के chances भी हैं Sex से सम्बंधित बातों को लेकर बच्चों में विकृत मानसिकता न पनपे।

Teenage मैं आकर्षण (attraction infactuation)

Solution -  इसके लिए जरुरी है की माँ-बाप सामने आएं और बच्चों को बताएं की teenage मैं आकर्षण एक आम बात है, उन्हें sex के बारे में बताएं, sex से होने वाली बीमारियोँ के बारे मैं बताएं। बच्चों को यह भी बताएं की teenage मैं आकर्षण hormones के कारण स्वाभाविक है। ऐसी मैं जरुरी है की बच्चे आत्मसयम बरतें, बडों की सलाह लें, गलत दोस्तों से दूर रहें, और अपने पढ़ाई और करियर पे ध्यान दें। बच्चों को बताएं की यह उम्र पढाई और healthy competition की है। 

STD – Sexual Transmitted Diseases

इस उम्र में बच्चों को Sexual Transmitted Diseases के बारे में भी बताना उनके हित में है। जानकारी के आभाव में कई बच्चे experiment करने की सोचते हैं, ऐसी में Sexual Transmitted Diseases की जानकारी देकर आप उन्हें STD के खतरों के बारे में आगाह कर सकते हैं। इस उम्र में बच्चे सेक्स से सम्बंधित जानकारी ढूंढ़ने के लिए काफी लालायित रहते हैं। ऐसी में बच्चों को सतर्क करना आप की जिम्मेदारी और जरुरत है। बच्चों को STD और उससे सम्बंधित गंभीर परिणामों के बारे में पता होना चाहिए।       

STD – Sexual Transmitted Diseases

Teenage pregnancy

आज कल इंटरनेट और स्मार्टफोन के बढ़ते चलन से जानकारियोँ की बाढ सी आ गयी है। मगर बच्चों को मिलने वाली हर जानकारी जरुरी नहीं की सही हो। चूँकि सेक्स के बारे में अधिकतर जानकारी जो इंटरनेट पे उपलब्ध है वो वयस्कों के लिए है। ऐसी जानकारियां बच्चों की मदद कम करती हैं और नुकसान ज्यादा। नतीजा बच्चे सेक्स में जल्दी engage होने लगे हैं। अधिकतर बच्चे इस के दुष्परिणामों के बारे मैं नहीं जानते। पिछले कुछ दशकों में teenage pregnancy से सम्बंधित घटनाएं बड़े शहरों में काफी बढ़ीं हैं 

Teenage pregnancy

Solution - आप अपने बच्चों को बचा सकते हैं उचित जानकारी दे कर। सेक्स सम्बंधित बहुत सी ऐसी जानकारी है जो एक माँ-बाप होने के नाते आप अपने बच्चों को नहीं दे सकते। क्योँकि हमारे संस्कार ऐसी नहीं हैं। ऐसी में आप अपने बच्चों को sex education विशेषकर teenage pregnancy  और उससे सम्बंधित होने वाले प्रोब्लेम्स पे आधारित अच्छे लेख (literature) अपने बच्चों को पढ़ने को दे सकते हैं।

नशा की लत

बच्चे  teenage की उम्र में हर तरह का experiment करना चाहते हैं। सेक्स से ले कर नशा तक -  वो हर प्रकार का अनुभव  करना चाहते हैं इस उम्र में बच्चे बहुत तेज़ी से आकर्षित होते हैं हर प्रकार की चीज़ से। 

नशा की लत addiction

Solution - बच्चे इस उम्र में माँ-बाप की बातों को सुनना पसंद नहीं करते। ऐसी मैं सबसे बेहतर तरीका है की आप अपने बच्चों के लिए एक अच्छे role model बने। आप अपने behavior को control  करें। नाराज होने की बजाय धैर्य से काम लें। अपना आपा नहीं खोएं। हर बुरी आदत से दूर रहें। इसी के साथ-साथ आपको अपने बच्चों को नशा की लत से सेहत को होने वाले नुकसान के बारे में बताएं। अपने बच्चों के दोस्तों पे भी ध्यान रखें ताकि पता चले की आप के बच्चे किस संगती मैं हैं। 

Communication के द्वारा बच्चे के confidence को बढ़ाएं

अपने बच्चे को एक बात अच्छे से समझएं की गलती चाहे कितनी भी बड़ी क्योँ न हो, उनमें इतना आत्मविशवास होना चाहिए की वे अपनी गलती माने और आ कर आपको बताएं। बच्चों को यह भरोसा होना चाहिए की उसके माँ-बाप हर कदम पे उनके साथ हैं। माँ-बाप हर अच्छी बातों में उनका support करेंगे और अगर कहीं गलती हो गयी है तो उसे सुधारने में मदद भी करेंगे। अगर जानबूझ कर या अनजाने में भी उनसे कोई गलती हो जाती है तो घबराये बिना आप से share कर सकते हैं। बच्चों को बताएं की गलती किसी भी उम्र में हो सकती है, महत्वपूर्ण यह है की गलती को पहचाने और जल्द से जल्द उन्हें सुधारे।  

Communication के द्वारा बच्चे के confidence को बढ़ाएं

बच्चों को समझाते वक्त रखें इन बातों  का ध्यान

कहना आसान है पर असल में बच्चों को समझाना काफी कठिन है। इसीलिए मैं निचे कुछ टिप्स आप को दे रहा हूँ जो आप की मदद करेंगे बच्चों से बात और उनको educate करते वक्त। 

  • जब आप बच्चों से बात कर रहें हो तो आप के बात करने का टोन बहुत casual होना चाहिए। आत्मविश्वास से बात करें, और कोई अलग तरह का माहौल बना कर बात न करें। इस तरह communicate करें की बच्चे uncomfortable महसूस न करें। 
  • शारीरिक बदलाव के बारे में जब बात करें तो इस तरह बात कर सकते हैं - जिस तरह तुम बड़े हो रहे हो, तुम्हरी लम्बाई बढ रही है। उसी तरह तुम्हारे body के organs भी धीरे-धीरे बड़े होते हैं।
  • 10-11 साल तक के छोटे बच्चों को nightfall के बारे में बता सकते हैं की जो चीज़ शरीर में ज्यादा हो जाती है, शरीर उसे बहार फेंख देता है। इसी लिए इसमें घबराने जैसे कोई बात नहीं।       
  • बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार समझाएं। आज कल बच्चों को puberty बहुत जल्दी ही होने लगी है। उदहारण के तौर पे कई बच्चियोँ को 6th class में ही periods होने लगा है। ये उम्र नहीं है सेक्स education देने की। ऐसी मैं आप को अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। 
  • बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार समझएं। छोटे बच्चों को इस तरह समझएं ताकि होने वाले शारीरिक बदलाव की वजह से वे घबराएं नहीं। बड़े बच्चों या युवा वर्ग को इस तरह समझएं ताकि वे कोई नादानी न कर बैठें जिसकी वजह से उन्हें जिंदगी बार पछताना पड़े। 
  • बेटियोँ को जब आप periods  के बारे में बता रहें हो तो ये न कहें की मानसिक धर्म - माहवारी में blood निकलता है। बच्चे तो blood का नाम सुनकर ही डर जायेंगे। उन्हें इस तरह समझएं की समय के साथ शरीर में बहुत प्रकार के toxins इकठे हो जाते हैं। इन विषैले तत्वों का बहार आना जरुरी है। जिस तरह अगर आँखों में कुछ पड़ जाये तो आँखों से कचरा बहार आता है। ठीक उसी तरह शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को भी शरीर अनेक प्रकार से समय समय पर शरीर से बहार निकलता रहता है। उन्हीं तरीकों में से एक है periods।
  • बच्चे जब इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहें हो तो साथ बैठें। कुछ smart software का इस्तेमाल करें ताकि इंटरनेट पे बच्चों को adult content न दिखे। 
  • बच्चों को घर पे अकेला न छोड़ें। 
  • कई ऐसी topics होते हैं जिनके बारे मैं बच्चों से directly बात नहीं की जा सकती। उन विषयोँ के बारे में बच्चों का मार्गदर्शन आप अच्छी किताबों, articles, पत्रिका, और इंटरनेट पे उपलब्ध अच्छी websites के द्वारा कर सकती हैं। 
  • जिन बातों का आप खुद अपने जीवन में पालन नहीं कर सकते उनके बारे मैं बच्चों से बात न ही करें तो बेहतर होगा। जैसे की अगर आप खुद सिगरेट पीते हैं तो बच्चों को सिगरेट के बारे मैं कैसे मना करेंगे। अगर आप खुद घंटो-घंटों टीवी के सामने बैठे रहते हैं तो बच्चों को कैसे मना करेंगे। बच्चे आप की बातों को seriously नहीं लेंगे। आप की बातें उन्हें मात्र lecture लगेगा। बच्चों को सुधारने से पहले आप को खुद अपनी जिंदगी सुधारनी पड़ेगी। बच्चे माँ-बाप के जीवन से काफी प्रभावित  होते हैं। वे आप को हर वक्त monitor कर रहे होते हैं। किन परिस्थितिओं में आप कैसे react करते हैं, बच्चे भी उन परिस्थितियोँ में उसी तरह react करेंगे। 

क्या माँ बेटों से और बाप बेटियोँ से sex education सम्बन्धी समस्यों के बारे मैं बात कर सकते हैं? 

अक्सर देखा गया है की सेक्स जैसी संवेदनशील बातों के लिए माँ बेटियोँ को समझती हैं और बाप बेटों को समझतें हैं। यह थोड़ा सरल और सहज भी है। ऐसी विषयोँ पर बाप अगर बेटी से और माँ अगर बेटों से बात करें तो थोड़ा अटपटा सा लगता है। मगर अगर आप tactfully ऐसा कर सकते हैं तो जरूर करीये। क्योँकि भिन gender के होने के बाद भी अगर माँ-बाप इस तरह से बच्चों से बात करते हैं तो बच्चे इस बात को समझेंगे की यह बहुत normal से बात है तथा स्त्री और पुरुष दोनों एक दूसरे के शरीर के विषय मैं जानते हैं और इसमें हिचकिचाने जैसी कोई बात नहीं। मगर ऐसा करने पे अगर आप को अटपटा लगे या संकोच महसूस हो तो ऐसा न करें। यह उचित नहीं क्योँकि जब आप confident नहीं हैं तो अनजाने में आप अपने बच्चों के लिए एक बहुत असहज से परिस्थिति पैदा कर सकते हैं। 

बाप बेटियोँ से sex education सम्बन्धी समस्यों के बारे मैं बात कर सकते हैं

अक्सर बहुत से माँ-बाप के मन में एक सवाल आता है की क्या बेटों को लड़कियों के शरीर के बारे में और बेटियोँ को लड़कों के शररीर के बारे में बताना (educate करना) उचित है या नहीं? 

क्योँ नहीं? सही तरीके से अगर बच्चों को बताया जाये तो उनका मानसिक और शारीरिक स्वस्थ अच्छा रहेगा। Opposite gender के बारे में बच्चों में उतना ही उत्सुकता होती है जितना की वे अपने बारे मैं जानने में होती है। अगर आप नहीं बताएँगे तो वे उन सूत्रों से पता करेंगे जो शायद आप के बच्चे के मानसिक स्वस्थ के लिए सही न हो। चाहे बेटा हो या बेटी, दोनों को यह पता होना चाहिए की यौवन/puberty अवस्था में लड़का और लड़की दोनों को शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है और यह साधारण सी बात है। 

क्या बेटों को लड़कियों के शरीर के बारे में educate करना उचित है

जब आप सही तरीके से बच्चों को स्त्री/पुरुष दोनों जेंडर के बारे में अवगत/educate कराएँगे  तो उनकी सिर्फ जिज्ञासा ही शांत नहीं होगी बल्कि उनके अंदर एक दूसरे के प्रति समानता की भावना, अधिक सम्वेदनशीलता और अधिक सामान भी पनपेगा। 

बच्चों की निगरानी किस हद तक करें? 

पुलिस विभाग की ख़ुफ़िया agency की तरह उनके पीछे न पड़े रहें। बल्कि उनमें दिलचस्पी दिखाएं। आप अपनी दिन भर की routine बताएं और बातों-बातों में उनके दिनचर्या के बार में भी पूछें जैसे की उनका दिन कैसा गुजरा, स्कूल के बाद कहाँ गए, दोस्तों का हाल पूछें, नई movie, खेल-कूद और पढ़ाई के बारे में बात करें। जितना ज्यादा बात करेंगे और जितना ज्यादा बच्चों के साथ time spend करेंगे, उतना आप अपने बच्चे के बारे में जान सकेंगे। 

बच्चों की निगरानी किस हद तक करें

बच्चों के दोस्तों के साथ मेल-जोल बढ़ाएं?

कभी कभार dinner/lunch पे बच्चों के दोस्तों को भी invite करें। इससे आप को बच्चो के दोस्तों के बारे में पता चलेगा। माँ-बाप होने के नाते आप को पता होना चाहिए की आप के बच्चों के दोस्त कौन हैं, आप का बच्चा किस प्रकार के संगती में दिन गुजरता है। 

बच्चों के दोस्तों के साथ मेल-जोल बढ़ाएं

बच्चों में भरोसा जतायें और उनका confidence बढ़ाएं 

बच्चों में बहुत जल्दबाजी होती है खुद को बड़ा और जिम्मेदार दिखाने की। बच्चे चाहते हैं के बड़े उन पे भरोसा करें, उन्हें गम्भीरता से लें। आप अपने बच्चों के confidence को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। उन्हें कुछ जिम्मेदारियां सौपनी शुरू करें। ऐसा करने पे उनका confidence बढ़ेगा, वे खुद को महत्वपूर्ण महसूस करेंगे और responsibility से काम करने की कोशिश करेंगे। 

बच्चों में भरोसा जतायें और उनका confidence बढ़ाएं

बच्चों में भरोसा जतायें और उनका confidence बढ़ाएं

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सब्जियों की प्यूरी बच्चों के लिए - स्वादिष्ट और स्वस्थ वर्धक
सब्जियों-की-प्यूरी सब्जियौं में ढेरों पोषक तत्त्व होते हैं जो बच्चे के अच्छे मानसिक और शारीर विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब शिशु छेह महीने का हो जाये तो आप उसे सब्जियों की प्यूरी बना के देना प्रारंभ कर सकती हैं। सब्जियों की प्यूरी हलकी होती है और आसानी से पच जाती है।
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सेब और चावल से बना बेबी फ़ूड
बेबी-फ़ूड सेब और चावल के पौष्टिक गुणों से भर पूर यह शिशु आहार बच्चों को बहुत पसंद आता है। सेब में वो अधिकांश पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जो आप के शिशु के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उसे स्वस्थ रहने में सहायक हैं।
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बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने के आसान तरीके
बच्चों-में-अच्छी-आदतें आपके बच्चों में अच्छी आदतों का होना बहुत जरुरी है क्योँकि ये आप के बच्चे को न केवल एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है बल्कि एक अच्छी सेहत भरी जिंदगी जीने में भी मदद करता है।
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हेपेटाइटिस ‘बी’ वैक्सीन - Schedule, Dose और Side Effects - Reference Guide
हेपेटाइटिस-बी हेपेटाइटिस ‘बी’ वैक्सीन (Hepatitis B vaccine) के टीके के बारे में समपूर्ण जानकारी - complete reference guide - हेपेटाइटिस बी एक ऐसी बीमारी है जो रक्त, थूक आदि के माध्यम से होती है। हेपेटाइटिस बी के बारे में कहा जाता है की इसमें उपचार से बेहतर बचाव है इस रोग से बचने के लिए छह महीने के अंदर तीन टीके लगवाएं जाते हैं। विश्व स्वास्थ संगठन का कहना है की दुनिया भर में ढाई करोड़ लोगों को लिवर की गंभीर बीमारी है। हेपेटाइटिस बी से हर साल अत्यधिक मृत्यु होती है, परंतु इस का टीका लगवाने से यह खतरा 95 % तक कम हो जाता है।
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बच्चों में अण्डे से एलर्जी
बच्चों-में-अण्डे-एलर्जी अंडे से एलर्जी होने पर बच्चों के त्वचा में सूजन आ जाना , पूरे शरीर में कहीं भी चकत्ता पड़ सकता है ,खाने के बाद तुरंत उलटी होना , पेट में दर्द और दस्त होना , पूरे शरीर में ऐंठन होना , पाचन की समस्या होना, बार-बार मिचली आना, साँस की तकलीफ होना , नाक बहना, लगातार खाँसी आना , गले में घरघराहट होना , बार- बार छीकना और तबियत अनमनी होना |
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बच्चों में स्किन रैश शीतपित्त, पित्ती (Urticaria)
बच्चों-में-स्किन-रैश-शीतपित्त जानिये स्किन रैशेस से छुटकारे के घरेलू उपाय। बच्चों में स्किन रैश शीतपित्त आम तौर पर पाचन तंत्र की गड़बड़ी और खून में गर्मी बढ़ जाने के कारण होता है। तेल, मिर्च, बाजार में बिकने वाले फ़ास्ट फ़ूड, व चाइनीज़ खाना खाने से बच्चों में इस रोग के होने का खतरा रहता है। वातावरण में उपस्थित कई तरह के एलर्जी कारक भी इसके कारण होते हैं
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